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Friday, April 28, 2023

क्या आप जानते है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज कितना पढ़े लिखे हैं।

बहुत से लोग सोचते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवा पोशाक में सिर्फ एक "सन्यासी" हैं। लेकिन उनके बारे में तथ्य जानने के लिए नीचे पढ़ें! और अच्छा लगे तो शेयर करें।
आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज के बारे मे सन्यास से पहले योगी आदित्यनाथ जी का नाम अजय सिंह बिष्ट था। एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से उत्तर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक अंक (100%) योगी जी गणित के छात्र हैं, जिन्होंने बीएससी गणित स्वर्ण पदक के साथ उत्तीर्ण किया है। ये यूपी के एक पिछड़े पंचूर गांव में एक बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए। जो अब अतराखंड मे है। वह अब 50 साल के हैं। भारतीय सेना की सबसे पुरानी गोरखा रेजीमेंट के आध्यात्मिक गुरु। नेपाल में योगी समर्थक का विशाल समूह, जो योगी को गुरु भगवान के रूप में पूजते हैं।
फील्ड मार्शल आर्ट में अद्भुत उत्कृष्टता। चार लोगों को एकसाथ हराने का रिकार्ड है। उत्तर प्रदेश के जाने-माने तैराक। कई विशाल नदियां पार कीं। एक लेखा विशेषज्ञ जो कंप्यूटर को भी हरा देता है। प्रसिध्द गणितज्ञ शकुंतला देवी ने भी की योगी की तारीफ की हैं। रात में केवल चार घंटे की नींद। रोजाना सुबह 3:30 बजे उठ जाते हैं। योग, ध्यान गोशाला, आरती, पूजा प्रतिदिन की दिनचर्या है। दिन में दो बार ही खाते हैं। पूर्णतः शाकाहारी। भोजन में शामिल रहता है कन्द, मूल, फल और देशी गाय का दूध। वह अब तक किसी भी कारण से कभी अस्पताल में भर्ती नहीं हुए।
योगी आदित्यनाथ एशिया के सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव प्रशिक्षकों में से एक हैं उन्हें वन्यजीवों से बहुत प्रेम है। योगी का परिवार अभी भी उसी स्थिति में रहता है, जैसा उनके सांसद या मुख्यमंत्री बनने के पहले रहता था। योगी सालों पहले सन्यास लेने लेने के बाद सिर्फ एक बार घर गए हैं। योगी का सिर्फ एक बैंक अकाउंट है और कोई जमीन संपत्ति उनके नाम नहीं है और न ही उनका कोई खर्च है। अपने भोजन कपडे का खर्च वो स्वयं के वेतन से करते हैं, और शेष पैसा राहत कोष में जमा कर देते हैं।
ये है योगी आदित्यनाथ जी महाराज की प्रोफाइल..! भारत में एक सच्चे लीडर की प्रोफाइल ऐसी ही होनी चाहिए। ऐसे संत ही भारत को फिर से विश्व गुरु बना सकते हैं।

Wednesday, April 5, 2023

हर शुभ कार्य से पहले क्यों बनाया जाता है स्वास्तिक, जानिए इसका कारण और रहस्य?

स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल और शुभता का प्रतीक माना जाता रहा है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। स्वास्तिक शब्द सु+अस+क शब्दों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा या शुभ,'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द में किसी व्यक्ति या जाति विशेष का नहीं,अपितु सम्पूर्ण विश्व के कल्याण या 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना निहित है।

'स्वस्तिक' अर्थात् 'कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है। स्वस्तिक में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएँ होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं। इसके बाद भी ये रेखाएँ अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं। स्वस्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वस्तिक, जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं। इसे 'स्वस्तिक' कहते हैं। यही शुभ चिह्न है,जो हमारी प्रगति की ओर संकेत करता है। स्वस्तिक को ऋग्वेद की ऋचा में सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी चार भुजाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है।

सिद्धान्तसार नामक ग्रन्थमें उसे विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक चित्र माना गया है। उसके मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरूपित किया गया है। अन्य ग्रन्थों में चार युग, चार वर्ण, चार आश्रम एवं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चार प्रतिफल प्राप्त करने वाली समाज व्यवस्था एवं वैयक्तिक आस्था को जीवन्त रखने वाले संकेतों को स्वस्तिक में ओत-प्रोत बताया गया है। स्वास्तिक की चार रेखाओं को जोडऩे के बाद मध्य में बने बिंदु को भी विभिन्न मान्यताओं द्वारा परिभाषित किया जाता है। मान्यता है कि यदि स्वास्तिक की चार रेखाओं को भगवान ब्रह्मा के चार सिरों के समान माना गया है, तो फलस्वरूप मध्य में मौजूद बिंदु भगवान विष्णु की नाभि है, जिसमें से भगवान ब्रह्मा प्रकट होते हैं। स्वस्तिक में भगवान गणेश और नारद की शक्तियां निहित हैं। स्वस्तिक को भगवान विष्णु और सूर्य का आसन माना जाता है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा गणेश की शक्ति का स्थान 'गं' बीज मंत्र होता है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...