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Saturday, September 25, 2021

C-295 एयरक्राफ्ट के भारत में बनने का रास्ता साफ, Ratan Tata ने दी टाटा एडवांस और एयरबस डिफेंस को बधाई।

C-295 aircraft manufacturing in India: भारतीय एविएशन सेक्टर (Indian Aviation Sector) के लिए अच्छी खबर है। टाटा एडवांस सिस्टम (Tata Advance Systems) और एयरबस डिफेंस (Airbus Defense) के ज्वाइंट प्रोजेक्ट को क्लियरेंस मिल गया है। इसके बाद भारत में अब मेड इन इंडिया C-295 एयरक्राफ्ट की मैनुफैक्चरिंग (C-295 aircraft manufacturing in india) का रास्ता साफ हो गया है। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) ने ट्वीट कर इस पर खुशी जाहिर किया है। साथ ही रतन टाटा ने दोनों वेंचर को बधाई भी दी है। उन्होंने कहा कि इससे भारत में एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री में काफी बदलाव आएंगे।


रतन टाटा ने किया है ट्वीट।
रतन टाटा ने अपने ट्वीट में जानकारी देते हुए बताया कि C-295 एयरक्राफ्ट बनाने के लिए टाटा एडवांस सिस्टम और एयर बस डिफेंस के ज्वाइंट प्रोजेक्ट को क्लियरेंस मिलना काफी बड़ा कदम है। इससे भारत में एविएशन और एविएशन से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए नए द्वार खुलेंगे। उन्होंने बताया कि C-295 एयरक्राफ्ट एक मल्टीरोल एयरक्राफ्ट होगा, जो मिशन की जरूरत के हिसाब से कई डिवाइस और खूबियों से लैस होगा। यह क्लियरेंस भारत में पूरी तरह से एयरक्राफ्ट के निर्माण की परिकल्पलना को दर्शाता है।

रक्षा मंत्रालय ने किया है करार।
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को एयरफोर्स के लिए एयरबस डिफेंस कंपनी से 56 C-295 एयरक्राफ्ट का करार किया है। इस करार के तहत 16 एयरक्राफ्ट सीधे यूरोप की बड़ी एविएशन कंपनी, एयरबस डिफेंस से खरीदे जाएंगे, जबकि 40 एयरक्राफ्ट एयरबस डिफेंस भारत में ही टाटा एडवांस सिस्टम के साथ मिलकर बनाएगी। ऐसा पहली बार होगा कि देश में कोई प्राइवेट कंपनी एयरक्राफ्ट का निर्माण करेगी‌।

Thursday, September 23, 2021

भारत आज करेगा अग्नि-5 का यूजर ट्रायल, जानें मिसाइल की खूबियां जिसपर टिकी है दुनिया की निगाहें।

अग्नि-5 मिसाइल: भारत की सैन्य शक्ति आज पूरी दुनिया देखेगी जब वह बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni-V Missile) का पहला यूजर ट्रायल करेगा। देश आज यानी गुरुवार को 5 हजार किमी से अधिक मार करने वाली मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल कर रहा है। दिलचस्प बात ये है कि ये परीक्षण ऐसे समय में होगा, जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं और दूसरी तरफ, चीन और पाकिस्तान की मिसाइल को लेकर नींदे उड़ी हुई है।

मिसाइल अग्नि-5 का पहला यूजर ट्रायल आज।
खबरों के अनुसार, परमाणु मिसाइल अग्नि-5 का ट्रायल ओडिशा के तट से किया जाएगा और यहीं से मिसाइल उड़ान भरेगी। अग्नि-5 यूजर ट्रायल के डिफेंस एक्सपर्ट कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) ने बताया कि ‘भारत के परमाणु मिसाइल परीक्षण पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई है और भारत ऐसी मिसाइल बनाने वाले उन 8 देशों में शामिल हो गया है जिनके पास ये क्षमता है।’ आगे उन्होंने कहा कि ‘भारत ने मिसाइल टेक्नोलॉजी में बहुत प्रगति की है- ब्रह्मोस से लेकर इस अग्नि सीरीज तक। आज का टेस्ट एक यूजर ट्रायल है और इसका मतलब है कि एक बार वैज्ञानिकों द्वारा इसका परीक्षण करने के बाद, इसे उनके मापदंडों के अनुसार लॉन्च किया गया है’।

उन्होंने आगे कहा कि ‘ये दुश्मन को दिखा देगा कि अगर उन्होंने हमारी तरफ आंख भी उठाकर देखी तो हम बराबरी का मुकाबला करने में सक्षम हैं’। गौरतलब है कि अग्नि 5 सीरीज की ये 5वीं मिसाइल है जिसे DRDO ने तैयार किया है। इस परमाणु मिसाइल अग्नि-5 (Agni-V Missile Specialties) में कई खूबियां हैं जो कैप्टन अनिल गौर ने बताई है। तो क्या है मिसाइल की खासियत, आइए जानते हैं-

परमाणु मिसाइल अग्नि-5 की कुछ खास बातें-
1. अग्नि-5 की मारक क्षमता 5000-8000 किलोमीटर तक है।

2. परमाणु मिसाइल अग्नि-5 न्यूक्लियर हथियारों से लैस देश की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है।

3. ये मिसाइल काफी ताकतवर है और एक साथ डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैै।

4. एशिया के साथ साथ यूरोप और अफ्रीका के भी कुछ देशों में मारक रखने की क्षमता है।

Sunday, June 13, 2021

भारतीय कोस्ट गार्ड की बढ़ी ताकत, एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल।

भारतीय कोस्ट गार्ड यानि तटरक्षक बल की ताकत अब और बढ़ गई है, भारत में ही बने एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल हो गये हैं। दरअसल भारत में ही बने ये तीन बेहद हल्के लेकिन बेहद एडवांस हेलिकॉप्टर अब सेवा देने के लिए कोस्ट गार्ड में शामिल कर लिये गये हैं। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत इन्हें भारत में एचएएल यानि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है।

रक्षा सचिव अजय कुमार की उपस्थिति में एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इन हेलीकॉप्टरों को आईसीजी यानि इंडियन कोस्ट गार्ड के बेड़े में शामिल किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली में भारतीय तटरक्षक मुख्यालय और बेंगलुरु में एचएएल के हेलीकॉप्टर एमआरओ डिवीजन में एक साथ आयोजित किया गया था। एचएएल अगले साल के मध्य तक 16 ऐसे हेलिकॉप्टर सप्लाई करेगा, इन हेलीकॉप्टरों को भुवनेश्वर, पोरबंदर, कोच्चि और चेन्नई में चार तटरक्षक स्क्वाड्रनों में तैनात किया जाएगा।

1. एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है 

2. ये बहुउद्देशीय भूमिका वाला अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर है

3. इसमें अत्याधुनिक ग्लास कॉकपिट और शक्तिशाली शक्ति इंजन लगा है

इन हेलिकॉप्टर में कई खूबियां हैं। ये हेलीकॉप्टर सर्विलांस रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिक पॉड, चिकित्सा देखभाल इकाई, उच्च तीव्रता लाइट, एसएआर होमर प्रणाली,  मशीन गन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। इस हेलिकॉप्टर में लगे उन्नत सेंसर की मदद से कोस्ट गार्ड चुनौती पूर्ण कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे।

Thursday, May 20, 2021

R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इसकी हमला को बगल में बैठा आदमी भी नहीं जान सकता।

यरुशलम: इजरायल (Israel) और हमास (Hamas) के बीच जारी जंग में इन दिनों निंजा की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि इजरायल ने फिलिस्तीन में निंजा अटैक (Israel-Palestine Conflict) किया। अब आप सोच रहे होंगे ये निंजा अटैक (Ninja Attack) क्या होता है? दरअसल निंजा मध्य कालीन जापान (Japan) के उन योद्धाओं को कहा जाता था, जो युद्ध के मैदान में दुश्मनों को चौंकाते थे। उनका हमला अचानक और अकल्पनीय होता था।

क्या है निंजा मिसाइल?
इसी तरह मिसाइल के दौर में R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के तौर पर जाना जाता है। जो चलती कार में बैठे शख्स को मिसाइल से उड़ाता है और उसी कार में बगल में बैठे शख्स को पता तक नहीं चलता है।

गाजा से आया हैरान करने वाला वीडियो।
इजरायल और हमास (Israel-Hamas Conflict) के बीच बीते 10 दिन से जारी जंग में अब तक आपने कई खतरनाक तस्वीरें और वीडियो देखी होंगी। आपने इजरायल के रिहाइशी इलाकों को टारगेट करते हमास के सैकड़ों रॉकेट देखे होंगे। आपने गाजा में हमास के ठिकानों को बम और मिसाइल से तबाह होते देखा होगा। इजरायल के गाजा अटैक की चपेट में कई इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी भी आईं। लेकिन इजरायल के हमले का नया वीडियो दुनिया को हैरान करने वाला है। वीडियो में दिख रहा है कि सड़क पर एक कार जा रही है और उस कार को मिसाइल के जरिए हिट किया जाता है। हमला इस तरह से होता है कि कार में बैठे आदमी को टारगेट किया जाता है। इस हमले में सिर्फ कार की खिड़की और गेट को ही नुकसान पहुंचता है। कार के बाकी हिस्से को कोई नुकसान नहीं होता है। जानकार हमले की इस तकनीक को निंजा तकनीक कह रहे हैं। निंजा तकनीक इसलिए क्योंकि इस हमले में R9X निंजा मिसाइल के इस्तेमाल का दावा किया जा रहा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो गाजा शहर का है। गौरतलब है कि गाजा में इजरायल की सेना के निशाने पर सफेद रंग की Citroen Xsara कार थी। जिसमें हमास की सबमरीन के ऑपरेटर सवार थे। कार पर R9X निंजा मिसाइल से हमला किया गया। R9X मिसाइल Hellfire रॉकेट का वेरियंट हैं, जिनमें विस्फोटक की जगह 6 घातक ब्लेड होते हैं। ये किसी एक विशेष इंसान को निशाना बनाते हैं। इस हथियार में Hellfire मिसाइल का लेजर टार्गेटिंग सिस्टम होता है और विस्फोटक की जगह 45 किलो का मेटल होता है। हमले के बाद कार की एक तरफ की खिड़की-दरवाजे उड़ गए लेकिन इसके अलावा गाड़ी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमले के बाद कार वहीं खड़ी रही। कार की बाईं ओर की खिड़की और दरवाजे नहीं हैं। लेकिन कार के दूसरे हिस्सों को देखकर लगता ही नहीं कि इस पर मिसाइल से हमला हुआ होगा।

बता दें कि R9X मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिका साल 2017 से कर रहा है। लेकिन अब इजरायल के पास भी ऐसी तकनीक आ चुकी है।

Thursday, May 13, 2021

आयरन डोम, जो फिलस्तीनी रॉकेट से बचाता है इजरायल के लोगों की जान। जानिए क्या है।

नई दिल्ली: मई के पहले सप्ताह में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच नए सिरे से विवाद शुरू हो गया। पुराने यरुशलम शहर में स्थिति अल अक्सा मस्जिद से शुरू हुआ विवाद दोनों देशों के बीच रॉकेट और मिसाइल हमलों तक पहुंच गया हैै। इसमें दोनों के आम लोगों को जान गंवानी पड़ी है। हर बार की तरह इस बार भी जान माल का ज्यादा नुकसान फिलिस्तीन को ही हुआ है।
सोमवार को इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमले में 10 बच्चों सहित 28 लोगों की जान गंवाने के बाद फिलिस्तीन ने बदले का कार्रवाई करते हुए 150 से ज्यादा रॉकेट इजरायल के ऊपर दाग दिए। हालांकि इसमें से अधिकांश रॉकेट को इजरायल ने हवा में ही मार गिराया। बावजूद इसके कुछ इजरायल के रिहायशी इलाकों तक पहुंचने में सफल रही जिसमें एक भारतीय सहित अन्य कई लोगों की जान चली गई।

आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम 2012 में हुआ था परीक्षण।
इजरायल के लोगों की जान बचाने में सबसे अहम भूमिका आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने पूरी की है। चारों ओर से दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद इजरायल लगातार दुश्मन मुल्कों से लोहा ले रहा है। 10 साल पहले उसने छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों और रॉकेट से बचने के लिए इजरायली डिफेंस उत्पाद निर्माता कंपनी राफेल ने इसे अमेरिकी सहयोग से तैयार किया था।

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तैनात है ये सिस्टम।
कंपनी के मुताबिक यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में तैनात मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। जिसकी गुणवत्ता 90 प्रतिशत है। यह डिफेंस सिस्टम आधुनिक युद्ध प्रणाली में खुद को साबित कर चुका है। यह बहुउद्देशीय सिस्टम प्रभावी रूप से रॉकेट, मोर्टार और तोपखाने के गोले, साथ-साथ विमान, हेलीकाप्टरों और यूएवी को बेहद कम दूरी से निशाना बना सकता है।

एक साथ काम करते हैं कई इक्युपमेंट।
आयरन डोम मोबाइल मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इस प्रणाली में कई इक्युपमेंट्स एक साथ मिलकर काम करते हैं। हमला होने के बाद इसमें लगी रडार पता करती है कि किस दिशा से, कौन सा या कैसा रॉकेट या मोर्टार उसकी तरफ आ रहा है। उसी दौरान वो उसकी स्पीड और रास्ते का आकलन करके वो जानकारी कंट्रोल सेंटर के पास भेज देती है। इसके बाद कंट्रोल सेंटर इस बात की जांच करता है कि जो रॉकेट या मोर्टार  दागा गया है वो रिहायशी इलाके में गिरेगा या नहीं। यदि वो प्रोटेक्टेड एरिया में गिर रहा होता है तो बगैर कोई देरी किए इंटरसेप्टर मिसाइल उसकी तरफ छोड़ दी जाती है। लॉन्चर में लगी मिसाइल्स को कंट्रोल सेंटर या इसके अंदर लगी रडार से लगातार निर्देश मिलते रहते हैं और वो अपने निशाने का पीछा आखिर तक करती है।

लक्ष्य के करीब पहुंचकर हो जाती है ब्लास्ट।
डिफेंस सिस्टम में लगी मिसाइल हमला करने आ रहे रॉकेट या लॉन्चर के करीब जाती है और फट जाती है। ऐसा करने सो रॉकेट भी खत्म हो जाता है। इस एयर डिफेंस प्रणाली का मुख्य लक्ष्य मिसाइल को अधिक आबादी वाली जगहों से दूर ले जाना होता है कि जिससे कि जमीनी स्तर पर कम से कम नुकसान हो।

हमले से पहले बजता है सायरन, लोग हो जाते हैं आगाह।
इसके बाद वो रेंज और निशाने पर लिए गए क्षेत्र की दिशा की जांच करता है और वॉर्निंग सायरन बजाता है। सायरन बजने के बाद स्थानीय लोगों के पास सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए 30 से 90 सेकंड का समय होता है।
इसके बाद आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल रॉकेट और मोर्टार को हवा में नष्ट कर देती है। हालांकि कई बार चूक हो जाती है और इजरायल को भी अंधाधुंध हमले के बीच जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है।
यह रक्षा प्रणाली हर मौसम में काम करने में सक्षम है और आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल 70 किमी के दायरे में स्थित रॉकेट/ मोर्टार को नेस्तनाबूत कर देती है। यह तकनीक किसी सुनसान जगह पर होने वाले रॉकेट हमलों को विफल नहीं करती बल्कि इसका मुख्य मकसद रिहायशी इलाकों को सुरक्षा प्रदान करना है।

Sunday, February 14, 2021

PM Narendra Modi आज Indian Army को सौपेंगे 118 अत्याधुनिक Arjun Tank

चेन्नई: भारतीय सेना को आज (रविवार को) 118 स्वदेशी युद्धक टैंक सौंपे जाएंगे। तमिलनाडु के चेन्नई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय सेना को 118 अर्जुन टैंक सौपेंगे। अर्जुन टैंक को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है।


यहां तैनात किए जाएंगे अर्जुन टैंक।
चेन्नई में आज 124 अर्जुन टैंकों के पहले बैच के बेड़े में 118 टैंक शामिल होंगे। जिन्हें पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है और उन्हें पाकिस्तान के मोर्चे पर पश्चिमी रेगिस्तान में तैनात किया गया है। बताते चलें कि 118 अर्जुन टैंक भी पहले के 124 टैंकों की तरह भारतीय सेना के बख्तरबंद कोर में दो रेजिमेंट बनाएंगे। पश्चिमी राजस्थान में इनके कोर होने का मतलब है कि पाकिस्तान इनके निशाने से दूर नहीं होगा।

पाकिस्तान का काल अर्जुन टैंक।
कुल मिलाकर पुलवामा के बाद यूं तो पाकिस्तान भारत की तरफ आंख उठाने से भी डरता है, लेकिन आने वाले समय में अगर उसने ऐसा कुछ भी सोचा तो उसके जहन में ये तस्वीर जरूर आएगी, जिसमें उसे अपना काल नजर आएगा।

अर्जुन टैंक की खासियत।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने अर्जुन टैंक की फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया है। अर्जुन टैंक में नई टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन सिस्टम है। इससे अर्जुन टैंक आसानी से अपने लक्ष्य को ढूंढ लेता है। अर्जुन टैंक युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है। अर्जुन टैंक में केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर लगे हैं।

Tuesday, January 26, 2021

इंडियन एयरफोर्स ने बढ़ाई ताकत, Akash-NG का किया सफल परीक्षण।

नई दुनिया: लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन से जारी तनाव के बीच सोमवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने न्यू जेनरेशन आकाश-एनजी मिसाइल (Akash-NG) का सफल परीक्षण कर लिया है। यह परीक्षण ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया, जहां मिसाइल ने सफलतापूर्वक अपने टॉरगेट को ध्वस्त कर दिया।


नई पीढ़ी की सरफेस-टू-एयर मिसाइल।
बताते चलें कि आकाश-एनजी एक नई पीढ़ी की सरफेस-टू-एयर (surface-to-air) मिसाइल है, जिसका उपयोग इंडियन एयरफोर्स द्वारा उच्च पैंतरेबाजी वाले हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से किया जाएगा। DRDO की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मिसाइल का परीक्षण सभी मानकों पर सफल रहा। इस मिसाइल का कमांड कंट्रोल सिस्टम, एवियोनिक्स, एरोडायनैमिक सिस्टम सभी ने ठीक ढंग से काम किया है।
4321 KM/h की रफ्तार से भरेगी उड़ान।
जानकारी के अनुसार, इस मिसाइल का वजन करीब 720 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 19 फीट है। डीआरडीओ के अनुसार, यह 60 किलोग्राम तक के भार वाले हथियारों के साथ 4321 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। यानी पलक झपने से भी कम समय में ये मिसाइल दुश्मन को मार कर नेस्तनाबूद कर देगी।

Tuesday, January 12, 2021

दुनिया की सबसे घातक राइफल AK-521, एक मिनट में एक हजार गोलियां कर सकेगी फायर Russia ने बनाई।

नई दुनिया: दुनिया की सबसे घातक राइफल मानी जाने वाली AK-47 राइफल अब और खतरनाक बन गई है। रूस ने अब इस राइफल का अडवांस वर्जन AK-521 को विकसित कर लिया है। कहा जा रहा है कि यह अब तक बनी AK सीरीज की राइफलों में सबसे घातक होगी।

रसियन बियॉन्ड में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार AK-521 राइफल का मेंटिनेंस भी बेहद कम होगा। इसमें 7,62х39 और 5,56х45 की गोलियों का इस्तेमाल होगा। दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिक भी इसका आसानी से इस्तेमाल कर पाएंगे। माना जा रहा है कि कलाशनिकोव कंसर्न (Kalashnikov Concern) कंपनी जल्द ही इस रायफल का एक्सपोर्ट वर्जन तैयार कर लेगी, जिसे बिक्री के लिए मित्र देशों के सामने पेश किया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक AK-500 सीरीज की सभी अन्य रायफलों की तरह इसमें भी अपर और लोवर रिसीवर लगा होगा। इस रायफल में ज्यादा भार सहन करने के लिए अधिकतर पार्ट्स को धातु का बनाया गया है। वहीं राइफल के हत्थे और मैगजीन के आगे होल्डिंग पॉइंट्स पर पॉलिमर का प्रयोग किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि AK-521 राइफल की रेंज 800 मीटर तक होगी। इसका मतलब ये होगा कि करीब 800 मीटर दूरी तक मौजूद दुश्मनों को यह राइफल ढे़र कर सकेगी।

हालांकि कंपनी ने अभी तक आधिकारिक रूप से राइफल की रेंज का खुलासा नहीं किया है। इस AK-521 राइफल में ऑप्टिक्स बाइंडिंग और बैरल के बीच में एक मजबूत धातु का इस्तेमाल किया गया है। जिससे ऑपरेशन या मेंटीनेंस के दौरान इसमें दरार आने की आशंका खत्म हो जाएगी। कलाशनिकोव कंसर्न (Kalashnikov Concern) की AK-47 राइफलों को दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा देश अपनी सेना में इस्तेमाल करते हैं।

इसके अलावा आसान मेनटिनेंस की वजह से दुनिया भर के तमाम आतंकी संगठनों की भी ये राइफलें पहली पसंद है।

Thursday, December 31, 2020

JF-17 थंडर ब्लॉक II लड़ाकू विमान पाकिस्तान चीन की मदद से किया विकसित एयर फोर्स में किया शामिल।

 पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) ने औपचारिक रूप से JF-17 थंडर ब्लॉक II डबल सीटर लड़ाकू विमान को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। साथ ही इसी विमान के ब्लॉक III का उत्पादन भी शुरू करने का ऐलान कर दिया। PAF का कहना है कि यह कदम देश की एयर डिफेंस रक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। फिलहाल, इन विमानों को प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाएगा।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बुधवार को 14 JF-17 थंडर ब्लॉक II लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से PAF के बेड़े में शामिल कराने के लिए राजधानी इस्लामाबाद के पास कामरा में एक समारोह आयोजित किया गया। ये विमान पाकिस्तान और चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किये गए हैं। इस समारोह में मुख्य रूप से पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान और पाकिस्तान में चीन के राजदूत नोंग रोंग शामिल हुए।

इस दौरान एयर चीफ मार्शल अनवर ने रिकॉर्ड समय में उत्पादन लक्ष्य के सफलतापूर्वक पूरा होने पर पाकिस्तान के पीएसी (Pakistan Aeronautical Complex) और चीन के CATIC को बधाई दी। साथ ही PAF के बेड़े में डबल सीटर लड़ाकू विमान JF-17 थंडर को शामिल करने को महत्वपूर्ण कदम बताया। बकौल अनवर ये आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

आपको बता दें कि इन लड़ाकू विमानों का उत्पादन करने का मकसद इंडियन एयर फोर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करना है, क्योंकि पाकिस्तान की तुलना में भारत के पास अधिक लड़ाकू विमान हैं। हाल के महीनों में, भारत ने फ्रांस के रक्षा निर्माता डसॉल्ट एविएशन से कुल 36 विमानों की खरीद के लिए डील की, जिसमें उसे कई राफेल लड़ाकू जेट मिल चुके हैं।
ऐसे में पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख और चीनी राजदूत ने JF-17 के ब्लॉक III, मल्टीरोल लड़ाकू विमान का उत्पादन का शुरू करने का ऐलान किया। जिसे दोनों देश राफेल जेट के बराबर मान रहें हैं। बता दें कि सिंगल-इंजन मल्टी-रोल जेट संयुक्त रूप से पाकिस्तान और चीन द्वारा विकसित किए गए हैं। इनमें से हर एक जेट 3,630 किलोग्राम (8,000 पाउंड) हथियार ले जा सकता है, साथ ही 2,200 किलोमीटर प्रति घंटे (1,370 मील प्रति घंटे) की गति तक पहुंच सकता है।

Sunday, December 27, 2020

DRDO ने बनाई JPVC कार्बाइन, एक मिनट में दाग सकती है 700 गोलियां।

देश के सशस्त्र बलों को तेजी से आधुनिक बनाने में जुटे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ऐसी एक खतरनाक राइफल तैयार कर ली है। जो एक मिनट में 700 गोलियां दाग सकती है। DRDO ने इस राइफल का नाम जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानी JPVC दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक DRDO ने हाईटेक कार्बाइन (Carbine) विकसित कर ली है। यह कार्बाइन सेना के परीक्षणों में भी सफल पाई गई है। ट्रायल का अंतिम चरण पूरा होने के बाद अब कार्बाइन तीनों सेनाओं व अन्य अर्धसैनिक बलों में इंडक्शन के लिए तैयार है।

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लेटेस्ट कार्बाइन (Carbine) सेना में इस्तेमाल हो रही 9 एमएम कार्बाइन की जगह लेगी। इसके साथ ही इसे अब CRPF, BSF, ITBP, SSB, CISF और राज्य पुलिस बलों के बेड़े में भी शामिल किया जाएगा। DRDO सूत्रों के मुताबिक इस हथियार का तकनीकी नाम जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानी JPVC है।

यह एक गैस चालित सेमी ऑटोमेटिक हथियार है। DRDO की पुणे लैब Armament Research and Development Establishment में इसका डिजाइन तैयार किया गया है। यह कार्बाइन (Carbine) कम रेंज की लड़ाई के लिए खास हथियार है। ये इतनी हल्की है कि जवान एक हाथ से भी आराम से इससे फायरिंग कर सकते हैं। लड़ाई के दौरान इसे कैरी करने में भी सैनिकों को कोई दिक्कत नहीं होगी।

DRDO के मुताबिक ये कार्बाइन (Carbine) दायें-बायें किसी को नुकसान पहुंचाए बिना सीधे टारगेट पर हमला कर सकती है। एक बार ट्रिगर दबा देने पर इसमें से एक मिनट में 700 गोलियां फायर हो जाती हैं।

यह गति इतनी तेज है कि यदि इसे किसी पौधे पर फायर किया जाए तो उसके सारे पत्तों तक को साफ किया जा सकता है। इस कार्बाइन की गोलियां पुणे की हथियार फैक्ट्री में तैयार की जाएंगी। 

Friday, November 20, 2020

भारत को मिला P-8I विमान लंबी दूरी का एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट लंबी दूरी तक रखेगा नजर।

भारत से बेवजह विवाद मोल लेकर जहां चीन अलग-थलग पड़ गया है, वहीं भारत अपनी ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। इसी क्रम में समुद्री गश्ती और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान P-8I को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। अमेरिका के साथ हुए 1.1 अरब डॉलर के रक्षा समझौते के तहत कुल चार P-8I विमान भारत को मिलने हैं, उनमें से पहला विमान बुधवार गोवा पहुंचा।


पहले से हैं आठ विमान।
P-8I अत्याधुनिक सेंसरों से लैस है, जो हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर नजर रखेगा। यह विमान बुधवार सुबह गोवा स्थित महत्वपूर्ण नेवल बेस आईएनएस हंस पहुंचा। बता दें कि भारतीय नौसेना के पास पहले से ही ऐसे आठ पी-8 आई विमान हैं, जिनमें से कुछ को पूर्वी लद्दाख में चीनी गतिविधियों की निगरानी के लिए तैनात किया गया है।

2016 में दिया था ऑर्डर।
जो आठ P-8I विमान भारत के पास पहले से हैं, उनके लिए जनवरी 2009 में सरकार ने 2.1 बिलियन डॉलर का समझौता किया था। ये विमान हार्पून ब्लॉक-II मिसाइलों और MK-54 लाइटवेट टॉरपीडो से लैस हैं। इसके बाद साल 2016 में रक्षा मंत्रालय ने चार और ऐसे विमानों की खरीद का आर्डर दिया था।

ताकत में हुआ इजाफा।
P-8I विमान लंबी दूरी का एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट है। माना जा रहा है कि इसे हिंद महासागर में तैनात किया जाएगा। P-8I के नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। चीन जमीन और समुद्र दोनों की रास्तों से अपने विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम देने के लिए कुख्यात है। इस लिहाज से P-8I के रूप में भारतीय नौसेना को एक ऐसा हथियार मिल गया है, जो चीन की हर हरकत पर बारीकी से नजर रखने में सक्षम है।

Wednesday, November 18, 2020

प्रधानमंत्री मोदी का हवा में उड़ता 'अभेद्य महल।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के लिए अमेरिका (America) में तैयार विशेष विमान बोइंग 777 (Boing 777) गुरुवार दोपहर 3 बजे दिल्ली इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर उतर गया। अमेरिका के राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन जैसी क्षमताओं से लैस इस विमान में कई विशेषताएं हैं। इस विमान का प्रयोग प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू भी करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी का हवा में उड़ता 'अभेद्य क़िला'
सुपर VIP विमान की रफ़्तार 900 किलोमीटर प्रति घंटे है। ये विमान  इतना शक्तिशाली है कि दुश्मनों की मिसाइल भी बेअसर हो जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिका में तैयार ये विशेष विमान बोइंग 777 है। अमेरिका से इस विशालकाय विमान का गुरुवार को भारत की धरती पर आगमन हुआ है। इस विमान की एक नहीं, कई विशेषताएं हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान जैसी शक्तियों से लैस
ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन जैसी कई शक्तियों से लैस है। इस विमान का अपना खुद का मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इस विमान में मिरर बॉल सिस्टम भी है। ये आधुनिक इंफ्रारेड सिग्नल से चलने वालीं मिसाइलों को  भ्रमित कर सकता है। यानी इस विमान पर मिसाइल हमले का असर नहीं होगा।

दुश्मन के रडार को कर सकता है जाम
इस विमान के अगले हिस्से में जैमर लगा है। जो दुश्मन के रडार सिग्नल को जाम करने की शक्ति रखता है। यह विमान सेल्फ प्रोटेक्शन सूइट्स और अत्याधुनिक कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस है। इसमें हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। एक बार ईंधन भरने पर अमेरिका से भारत तक की लंबी उड़ान भर सकता है।

अमेरिका से दो विमानों की डील
भारत ने फरवरी में अमेरिका से 8400 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे दो विमानों की डील की थी। माना जा रहा है कि अमेरिका से दूसरे विमान का आगमन भी जल्द हो सकता है। इस सुपर VIP प्लेन को आने वाले समय में एयर इंडिया नहीं बल्कि भारतीय वायुसेना ऑपरेट करेगी।

Saturday, November 14, 2020

जानें खासियत, सतह से हवा में निशाना भेदने वाली QRSA मिसाइल का सफल परीक्षण।

भारत ने शुक्रवार को त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में प्रहार करने वाली मिसाइल (क्यूआरएसएएम) प्रणाली का सफल परीक्षण किया। मिसाइल को परीक्षण के लिए ओडिशा के एक प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपित किया गया और इसने मध्यम रेंज और मध्य ऊंचाई पर पायलट रहित विमान (पीटीए) को मार गिराया।


रक्षा सूत्रों ने बताया कि अत्याधुनिक मिसाइल को यहां पास में स्थित चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से दोपहर तीन बजकर करीब 50 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया था। एक बयान में बताया गया है कि प्रणाली लक्ष्य का पता लगने और उस पर नज़र रखने एवं ध्वस्त करने में सक्षम है। इस प्रणाली को भारतीय सेना की हमलावर टुकड़ी को हवाई रक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे एक स्तरीय ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर से दागा गया। उन्नत मिसाइल में सभी स्वदेशी उप प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है। इस मिसाइल को मोबाइल प्रक्षेपण का इस्तेमाल करके दागा जा सकता है। बयान में कहा गया है कि परीक्षण के लिए क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली के सभी तत्वों जैसे बैटरी, बहु कार्य रडार, बैटरी निगरानी रडार, बैटरी कमान पोस्ट यान और मोबाइल प्रक्षेपक को तैनात किया गया था। बयान के मुताबिक, रडार ने दूर से ही ' बंशी पीटीए ' लक्ष्य का पता लगा लिया और लक्ष्य के मारक सीमा में आने पर मिसाइल को दागा गया और इसने सीधे लक्ष्य पर प्रहार किया और उसे ध्वस्त कर दिया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की अलग-अलग प्रयोगशालाओं जैसे डीआरडीएल, आरसीआई, एलआरडीई, आर एंड डी ई (ई), आईआरडीई और आईटीआर ने परीक्षण में भाग लिया। मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है और इसमें सक्रिय आरएफ सीकर, ' इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्चुएशन ' (ईएमए) प्रणाली लगी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, डीडी आर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

Thursday, September 24, 2020

डीआरडीओ की बड़ी उपलब्धि लांच किया ATGM मिसाइल 3 किलोमीटर तक कर सकता है सत्यानाश।

(Laser-guided Anti Tank Guided Missile-ATGM) लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। AGTM का परीक्षण अहमदनगर के आर्मर्ड कॉर्प्‍स सेंटर एंड स्‍कूल (ACC&S) की केके रेंज में किया गया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने 3 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर एकदम सटीक वार करके ध्‍वस्‍त कर दिया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा तैयार की गई इस मिसाइल को अर्जुन टैंक से लॉन्‍च किया गया था।


इनके सहयोग से बनी :-  इस मिसाइल को DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) पुणे, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (HEMRL) पुणे और इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (IRDE) देहरादून के सहयोग से विकसित किया गया है।

क्यों है खास?
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, कई प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमता के साथ मिसाइल को विकसित किया गया है और वर्तमान में एमबीटी अर्जुन में लगी बंदूक से फायर कर इसका तकनीकी मूल्यांकन किया जा रहा है। लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने के लिए लेजर डेज़िग्नेशन का इस्तेमाल करती है। साथ ही यह HEAT (हाई स्‍पीड एक्‍सपेंडेबल एरियल टारगेट) वारहेड के जरिए एक्‍सप्‍लोसिव रिऐक्टिव आर्मर (ERA) प्रोटेक्‍टेड व्हीकल को उड़ाने में सक्षम है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई :-

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने इस सफलता के लिए DRDO को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, ‘अहमदनगर में केके रेंज में एमबीटी अर्जुन से लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। भारत को डीआरडीओ पर गर्व है जो निकट भविष्य में आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है’।


Saturday, September 5, 2020

भारत और रूस के बीच AK 203 रायफल की खरीद को मंजूरी। जाने क्या है खास।

भारत और रूस के बीच AK 203 रायफल की खरीद का समझौता पर दोनों देशों की मंजूरी की मुहर लग गई हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मॉस्को दौरे पर इस डील पर मुहर लग गई है। AK 203 रायफल AK-47 का एडवांस्ड वर्जन है। भारतीय सेना के लिए 7 लाख 70 हज़ार AK 203 रायफल की ज़रूरत है। इनमें से 1 लाख AK 203 रायफल रूस से आयात की जाएंगी।

दुनिया की सबसे खतरनाक रायफल
पिछले 70 वर्षों से एके 47 यानी ऑटोमैटिक Kalashnikov (कलाश्निकोव) दुनिया का सबसे जाना पहचाना हथियार है। भारतीय सेनाओं को और घातक बनाने के लिए अब इसे नए हथियारों से लैस किया जा रहा है। इसके लिए एके 47 रायफलों को रिप्लेस कर ज्यादा आधुनिक एके 203 रायफल दिए जाने पर काम चल रहा है।
AK-47 का Advance वर्जन है AK-203
Kalashnikov कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ मिखाइल बताते हैं कि ये पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक और नए जमाने के मुताबिक बनाई गई रायफल है। AK-203 रायफल 60 गोलियों वाली मैगजीन लगाई जा सकती है
उन्होंने कहा कि एके 203 में 30 के बदले 60 गोलियों वाली मैगज़ीन लगाई जा सकती है। इससे ये पहले से ज्यादा देर तक दुश्मनों का मुकाबला करेगी। मौसम चाहे कितना भी खराब हो. बर्फबारी हो रही हो या धूल भरी आंधी हो। एके 203 हर मौसम में काम करेगी। दावा है कि एके 203 पुरानी गन के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा सटीक निशाना लगाती है।
अमेठी में तैयार होगा 6.7 लाख AK-203 रायफल
समझौते के तहत भारत और रूस मिलकर उत्तर प्रदेश के अमेठी में एके सीरीज़ की सबसे आधुनिक राइफल बनाएंगे। Make In India के तहत यहां साढ़े सात लाख राइफलें बनाई जाएंगी। रूस के फेडरल मिलिट्री Cooperation के डायरेक्टर दिमित्री सुगायेव कहते हैं कि AK-203 से हमें ज्यादा सफलता मिलेगी। यह दूसरी रायफलों से अलग है। भारत ऐसा पहला देश है जिसके साथ मिलकर Kalashnikov रायफल बनाई जाएंगी।
रूस की स्पेशल फोर्सेज अपने मिशन में AK-203 पर भरोसा करती हैं
मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था डिजाइन
AK 203 पुरानी AK 47 का नया अवतार है। AK 47 का पूरा नाम Automatic Kalashnikov (कलाश्निकोव) 47 है, इस राइफल का निर्माण वर्ष 1947 में शुरु हुआ था। और इसका नाम Mikhail (मिखाइल) Kalashnikov (कलाश्निकोव) के नाम पर पड़ा था, जिन्होंने इस रायफल को डिज़ाइन किया था।
हर मौसम में काम करना भी AK 203 की बड़ी खूबी है। ये रायफल सियाचिन की माइनस 35 डिग्री की ठंड, थार रेगिस्तान की धूल भरी हवा और North East की Non Stop बारिश वाले मौसम में भी बिना रूके काम करेगी। AK 203 की गोलियां फायर करने की रफ्तार भी काफी तेज है। ये रायफल 60 सेकेंड में 600 गोलियां दाग सकती है। यानी एक सेकेंड में 10 गोलियां। ऐसी घातक क्षमता का मुकाबला करना किसी के लिए भी आसान नहीं है।
नाइट विजन कैमरे भी लगाए जा सकते हैं। भारतीय सैनिक चौबीसों घंटे आतंकवादियों से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। इसलिए AK 203 रायफल में Night Vision यानी रात में देखने में मदद करने वाले उपकरण भी लगाए जा सकते हैं। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में AK सीरीज की रायफल इस्तेमाल की जाती है।

Tuesday, July 28, 2020

फ्रांस से चला भारत का तूफान एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग करते दिखा "राफेल"

भारत को मिलने वाले राफेल फाइटर जेट्स ने सोमवार को भारत के लिए उड़ान भरी थी और बुधवार को सभी पांचों विमान हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचेंगे। वही भारत आते समय विमानों में एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग के तहत, हवा में ही ईंधन भरा गया। बता दें, राफेल एयरक्राफ्ट फ्रांस से भारत तक करीब 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर अा रहा हैं।

इस दौरान इसमे एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया। इन पांचों राफेल फाइटर प्लेन को 7 भारतीय पायलट उड़ाकर अंबाला एयरबेस ला रहे हैं। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।यह विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसमें यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए का मेटॉर मिसाइल शामिल है।

राफेल फाइटर जेट की विशेषताएं-

मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) होने के नाते, राफेल जेट अपनी गति, हथियार धारण क्षमता और हमले की क्षमता के लिए जाना जाता है। राफेल दो एसएनईसीएमए एम 88 इंजन द्वारा संचालित है। जो इसे 1,912 किमी प्रति घंटे की उच्च गति और 3,700 किमी से अधिक की सीमा प्राप्त करने में मदद करता है। इसमें मार्टिन-बेकर मार्क 16F ‘जीरो-जीरो’ इजेक्शन सीट भी है जो शून्य गति और ऊंचाई पर परिचालन करने में सक्षम है। 

हमला करने की क्षमता

2223 किमी की शीर्ष गति होने के कारण, यह लेजर-निर्देशित बमों से सुसज्जित है जिसका वजन 900 किलोग्राम है। इसकी आंतरिक तोप से प्रति मिनट 2500 राउंड फायर किए जा सकते हैं। इसके अलावा, दृश्य सीमा मिसाइल, हैमर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल, उल्का और स्कैल्प मिसाइलों से परे MICA की उपस्थिति, भारतीय वायु सेना को भारतीय वायु अंतरिक्ष पार किये बिना 600 किमी दूर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की क्षमता देती है। साथ ही राफेल जेट को 60-70 किमी की रेंज वाले HAMMER मिसाइल से लैस किया जाएगा। यह भारत को पूर्वी लद्दाख जैसे पहाड़ी स्थानों सहित अन्य सभी इलाकों में बंकरों, कठोर आश्रयों और अन्य ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता देता है। 

4.5 जनरेशन विमान एईएसए रडार, स्पैक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और आईआरएसटी सिस्टम से लैस, राफेल को 4.5 जनरेशन विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह अमूल्य है क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में केवल तीसरी और चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट हैं। वर्तमान में, भारत के पास सुखोई सु -30 एमकेआई, मिग 29, मिराज -2000 और स्वदेश निर्मित तेजस जैसे फाइटर जेट हैं। हालांकि, इसका सबसे बड़ा फायदा परमाणु हथियार पहुंचाने की इसकी क्षमता है।


Monday, July 27, 2020

जल्द अा रहा है भारत के पास 5 राफेल लड़ाकू विमान।

 राफेल या डसॉल्ट राफेल फ्रांसीसी उच्चारण में शाब्दिक अर्थ है "हवा का गहरा" और "अधिक आग की भावना में" एक फ्रेंच दोहरे इंजन वाला, कैनर्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल डेसॉल्ट एविएशन द्वारा डिजाइन और निर्मित लड़ाकू विमान है। हथियार की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ सुसज्जित, राफेल का उद्देश्य वायु वर्चस्व, हस्तक्षेप, हवाई पुनर्मिलन, जमीन समर्थन, गहराई से मार, विरोधी जहाज हड़ताल और परमाणु प्रतिरोध मिशन करने का है। राफेल को डेसॉल्ट द्वारा "ओमनीरोले" विमान के रूप में जाना जाता है।
राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल. तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टू टेगा। राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल 150 किलोमीटर और स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है, जबकि, HAMMER यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल है, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है. ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं.

अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किमी. तक मारक क्षमता

24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी

यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है. हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता।

स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी

अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा राफेल, प्लेन के साथ मेटेअर मिसाइल भी है


मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...