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Thursday, October 21, 2021

जाने नकली नोट और असली नोट पहचानने का सरल तरीका, कभी नहीं होगी चूक।

रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार हर साल लाखों नकली नोट्स का चलन होता है। इसके लिए कई बार RBI नोटिफिकेशन भी निकालता है की ऐसे मामले आने से पहले आप सतर्क हो जाए। लेकिन फिर भी नकली नोट्स बाजार में आ ही जाते है। ऐसे में हर शख्स को डर लगा रहता है की कहीं जेब मे रखा हुआ उनका 100,500 या 2000 का नोट नकली तो नहीं है।

नए 100 रुपए के असली नोट की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है की असली नोट पर सामने वाले दोनों हिस्से पर देवनागरी में 100 लिखा है. वहीं नोट के बीच में महात्मा गांधी की फोटो लगी है। साथ ही 100 रुपये के असली नोट पर RBI, भारत, INDIA और 100 छोटे अक्षरों में लिखा है। 100 रुपये या उससे अधिक मूल्य वाले नोट पर महात्मा गांधी का चित्र, रिजर्व बैंक की सील, गारंटी और प्रॉमिस क्लॉज, अशोक स्तंभ, आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए आइडेंटिफिकेशन मार्क इंटैग्लियो में प्रिंटेड (Intaglio printing) होते हैं।

हालाँकि 200, 500 और 2000 रुपये के नोट पर यह मूल्य एक रंग बदलने वाली स्याही से लिखा होता है. जब नोट को समतल रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा दिखाई देता है, लेकिन जब इन्हें थोड़ा घुमाया जाए तो यह नीले रंग में बदल जाता है,तो आप समझ जाना की नोट नकली है।

और अगर बात करे असली 500 रुपए के नोट की तो नोट को किसी लाइट के सामने रखने पर यहां 500 लिखा हुआ दिखता है।अगर आप आंख के सामने 45 डिग्री के एंगल पर नोट रखेंगे तो यहां 500 लिखा हुआ दिखेगा। यहां पर देवनागरी में 500 लिखा होता है। पुराने नोट से तुलना करें तो महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। नोट को हल्का मोड़ेंगे तो सिक्योरिटी थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है। पुराने नोट की तुलना में गवर्नर के सिग्नेचर, गारंटी क्लॉज, प्रॉमिस क्लॉज और RBI का लोगो दाहिनी तरफ शिफ्ट हो गया है। यहां महात्मा गांधी की तस्वीर है और इलेक्ट्रोटाइप वाटरमार्क भी है।

Tuesday, September 21, 2021

ट्रेन में होते है 11 तरह के हॉर्न, हर एक को बजाने के पीछे क्या है, ख़ास कारण।

जब आप ट्रेन में सफर करते हैं, तो आपने सुना होगा कि ट्रेन से बार-बार हॉर्न की आवाज आती है। कभी लगातार तो कभी रुक रुक कर। साथ ही कई बार स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में भी हॉर्न बजाए जाते हैं। कभी आपने सोचा है आखिर क्यों होता है? अगर नहीं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि ट्रेन के इन अलग अलग हॉर्न का क्या अर्थ (मतलब) होता है। आइए जानते हैं, इन अलग अलग हॉर्न का क्या-क्या अर्थ (मतलब) होता है...

1. एक छोटा हॉर्न- अगर आपको कभी एक बार छोटे हॉर्न की आवाज सुनाई दे तो इसका मतलब है कि ट्रेन यार्ड में धुलाई और सफाई के लिए जाने को तैयार है जहां से अपनी अगली यात्रा पर रवाना होगी।

2. दो छोटे हॉर्न- इसका मतलब होता है कि ट्रेन यात्रा के लिए तैयार है। मोटरमैन इसके जरिए गार्ड को संकेत देता है कि वह ट्रेन को यात्रा शुरू करने के लिए रेलवे सिग्नल दे।

3. तीन छोटे हॉर्न– यह आपातकाल स्थिति में बजाया जाता है और इसका मतलब है कि मोटरमैन का इंजन से कंट्रोल खत्म हो गया है और गार्ड वैक्यूम ब्रेक को तुरंत खींचे। बता दें कि यह बहुत कम इस्तेमाल में लिया जाता है।

4. चार छोटे हॉर्न- यह ट्रेन में तकनीकी खराबी का संकेतक है और इसका मतलब ट्रेन आगे नहीं जाएगी।

 5. एक लंबा और एक छोटा हॉर्न- इसका मतलब होता है कि मोटरमैन इंजन को शुरू करने से पहले गार्ड को ब्रेक पाइप सिस्टम सेट करने के लिए सिग्नल दे रहा है।

6. दो लंबे और दो छोटे हॉर्न- इस हॉर्न से मोटरमैन गार्ड को इंजन का कंट्रोल लेने के लिए संकेत देता है।

7. लगातार बजने वाला हॉर्न- अगर आपके सामने ये हॉर्न बजे तो आप समझ जाएं कि अभी यह ट्रेन स्टेशन पर नहीं रुकेगी।

8. दो बार रुककर हॉर्न- ये हॉर्न रेलवे क्रॉसिंग के पास बजाया जाता है ताकि वहां खड़े लोगों को संकेत मिले और वे रेलवे लाइन से दूर हट जाए।

9. दो लंबे और एक छोटा हॉर्न- इसका मतलब होता है कि ट्रेन ट्रैक बदल रही है।

10. दो छोटे और एक लंबा हॉर्न- इसका मतलब होता है कि किसी यात्रि ने चेन खींची है, या गार्ड ने वैक्यूम ब्रेक खींचा है।

11. छह बार छोटे हॉर्न- इसका मतलब होता है कि ट्रेन किसी मुसीबत में फंस गई है। बता दें, भारतीय रेल विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। जो उम्मीदवार रेलवे में नौकरी पाना चाहते हैं उन्हें रेलवे से जुड़ी हर बात के बारे में पता होना चाहिए। क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में रेलवे से जुड़े ये सवाल पूछ लिए जाते हैं।

Monday, September 20, 2021

5G की रेस में वोडाफोन आइडिया भी सामिल, ट्रायल में दर्ज की रिकॉर्ड 3.7 GBPS की स्पीड।

Vodafone Idea 5G Trail: टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने रविवार को 5G ट्रायल के दौरान 3.7 गीगाबिट प्रति सेकेंड (GBPS) की उच्चतम स्पीड दर्ज करने का दावा किया। यह अभी तक भारत में किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर द्वारा उच्चतम स्पीड है। कंपनी ने गांधीनगर और पुणे में मिड-बैंड स्पेक्ट्रम में 1.5 GBPS डाउनलोड स्पीड दर्ज करने का भी दावा किया है।


पुणे में कंपनी ने किया ट्रायल।
Vi (वोडाफोन आइडिया) को 5G नेटवर्क ट्रायल के लिए ट्रेडिशनल 3.5 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड के साथ-साथ टेलीकॉम डिपॉर्टमेंट (DoT) द्वारा 26 गीगाहर्ट्ज (GHz) जैसे हाई फ्रीक्वेंसी बैंड आवंटित किए गए हैं। पुणे शहर में Vi ने नई पीढ़ी के ट्रांसपोर्ट और रेडियो एक्सेस नेटवर्क, क्लाउड कोर के लैब सेट-अप में अपना 5G ट्रायल स्थापित किया है।

वोडाफोन ने हासिल की 3.7 GBPS की स्पीड।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि इस ट्रायल में वोडाफोन आइडिया ने mmWave (मिलीमीटर वेव) के स्पेक्ट्रम बैंड पर बहुत कम लैटेंसी के साथ 3.7 GBPS से अधिक की टॉप स्पीट हासिल की है।

टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने दी है मंजूरी।
टेलीकॉम डिपॉर्टमेंट ने 5G ट्रायल के लिए मई में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और बाद में MTNL के आवेदनों को मंजूरी दी थी। इन टेलीकॉम ऑपरेटरों को टेलीकॉम गियर निर्माता एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी डॉट के साथ छह महीने के लिए ट्रायल की मंजूरी दी गई है। Reliance Jio ने जून में दावा किया था कि ट्रायल में उसने 1 GBPS की टॉप स्पीड हासिल की है। वहीं Airtel ने भी जुलाई में इतनी ही स्पीड हासिल करने का दावा किया था।

सभी प्राइवेट कंपनियां कर रही हैं 5G की तैयारी।
सभी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां इस समय देशभर में 4G सेवाएं दे रही हैं और 5G तकनीक को जल्द से जल्द अपनाने के लिए कमर कसी हुई हैं। वहीं सरकारी टेलीकॉम ऑपरेटर BSNL ने अभी तक पूरे भारत में 4G को रोल आउट नहीं किया है। Vodafone Idea के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर जगबीर सिंह ने कहा, "हम सरकार द्वारा आवंटित 5G स्पेक्ट्रम बैंड पर 5G ट्रायल के शुरुआती चरणों में स्पीड और लैटेंसी परिणामों से प्रसन्न हैं"। उन्होंने कहा कि भारत भर में एक मजबूत 4G नेटवर्क स्थापित करने, सबसे तेज 4G गति और 5G के लिए तैयार नेटवर्क देने के बाद, Vodafone Idea अब अगली पीढ़ी की 5G तकनीक का परीक्षण कर रहा है ताकि भविष्य में भारत में उद्यमों और उपभोक्ताओं के लिए सही मायने में डिजिटल अनुभव लाया जा सके।

Saturday, September 18, 2021

iPhone 13 Series: आखिर क्यों इतने महंगे होते हैं Apple के Phones? ये है वजह।

नई दुनिया: टेक्नोलॉजी के इस युग में स्मार्टफोन (Smartphones) का बाजार बेहद तरक्की पर है। नई-नई तकनीकी और एडवांस्ड फीचर्स के कारण कुछ ही महीनों में आपको अपना स्मार्टफोन पुराना नजर आने लगता है। दुनिया में वैसे तो एंड्रॉयड मोबाइल (Android Mobile) का कब्जा हो चुका है, मगर सबसे ज्यादा दीवानगी एप्पल (Apple) कंपनी के आईफोन की है। स्मार्टफोन यूज करने वाले लोग आईफोन (iPhone) के बारे में जरूर जानते होंगे। आईफोन खरीदने की चाहत हर कोई रखता है, लेकिन हर किसी का ये सपना हकीकत नहीं बन पाता, क्योंकि इसकी एक बड़ी वजह है और वो है आईफोन की कीमत (iPhone Price)। इसकी कीमत इतनी है कि आम आदमी सिर्फ सपने देख सकता है, उसके लिए आईफोन खरीदना संभव नहीं हो पाता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एप्पल के आईफोन इतने महंगे क्यों होते हैं? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं..!

आईफोन बनाने वाली एप्पल कंपनी टेक्नोलॉजी पर आधारित दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। आईफोन को सबसे लग्जरी डिवाइस के तौर पर जाना जाता है। जानकारों की मानें तो आईफोन को बनाने में खर्च काफी कम आता है, लेकिन कीमत लागत से दोगुनी ऊंची होती है। फिर भी आईफोन दुनिया का एकमात्र ऐसा स्मार्टफोन है, जो महंगा होने पर भी मार्केट में लॉन्च होने के कुछ समय बाद ही आउट ऑफ स्टॉक हो जाता है।

क्यों महंगा होता है आईफोन ?
दरअसल, आईफोन स्मार्टफोन की कीमत बहुत ज्यादा होने की कुछ वजह है, लेकिन इनमें सबसे खास इसकी डिजाइन और फीचर्स हैं। आईफोन में OLED डिस्प्ले, तेज प्रोसेसर और पतले बेजेल्स जैसे कई शानदार फीचर्स होते हैं। इसकी डिजाइन बेहद शानदार है। आईफोन का हार्डवेयर फास्ट और लेटेस्ट होता है, क्योंकि एप्पल कंपनी अपना खुद का बनाया प्रोसेसर इस्तेमाल करती है। इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम भी एप्पल की ही होता है, जिसे IOS के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, आईफोन के कई पार्ट में सोने चांदी का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा आईफोन मॉडल के साथ ड्यूटी और टैक्स भी शामिल होंगे, जिसकी वजह से इसकी कीमत इतनी होती है।

स्मार्टफोन आईफोन 13 लॉन्च
एप्पल का लेटेस्ट फ्लैगशिप स्मार्टफोन आईफोन 13 लॉन्च हो गया है। भारत में आईफोन 13 स्मार्टफोन शुक्रवार से प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है। एप्पल ऑनलाइन स्टोर, ई-कॉमर्स साइट्स और ऑफलाइन चैनलों के माध्यम से आप इन फोन्स को प्री-ऑर्डर कर सकते हैं। आईफोन 13 के अलावा सीरीज में कंपनी अभी आईफोन 13 मिनी, आईफोन 13 प्रो और आईफोन 13 प्रो मैक्स लेकर आई है। एप्पल ऑनलाइन स्टोर, ई-कॉमर्स साइट्स और ऑफलाइन चैनलों के माध्यम से आप इन फोन्स को प्री-ऑर्डर कर सकते हैं। चारों नए आईफोन 24 सितंबर से उपलब्ध होने शुरू हो जाएंगे।

आईफोन-13 सीरीज की कीमत
आईफोन 13 सीरीज के स्मार्टफोन्स की कीमत 69,900 रुपये से शुरू होकर प्रो मैक्स के लिए 1,29,900 रुपये तक पहुंचती है। आईफोन 13 मिनी स्मार्टफोन की कीमत 128जीबी में 69,900 रुपये है, जबकि 256जीबी की कीमत 79,900 रुपये है। 512 जीबी में इस वर्जन की कीमत 99,900 रुपये है। आईफोन 13 की कीमत 128जीबी स्टोरेज के लिए 79,900 रुपये, 256जीबी के लिए 89,900 रुपये और 512जीबी विकल्प के लिए 1,09,900 रुपये से शुरू होती है।

Saturday, September 11, 2021

क्या आपका भी मोबाइल Screen Guard लगाने के बाद दिक्कत कर रहा है। पहले जरूर जान लें दोबारा नहीं करेंगे गलती।

नई दुनिया: नया फोन खरीदते ही ज्यादातर लोग उस पर टेंपर्ड (Tempered Glass) लगवा लेते हैं ताकि फोन की स्क्रीन को प्रोटेक्ट किया जा सके। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो ये जानते हैं कि स्क्रीन गार्ड मोबाइल को नुकसान पहुंचाता है। इससे न सिर्फ कॉलिंग में परेशानी आती है बल्कि यूजर्स को ये अहसास होने लगता है कि उनका फोन खराब हो गया है। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है और इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।

ब्लॉक हो जाते हैं सेंसर।
दरअसल, नए स्मार्टफोन्स में मॉडर्न टच डिस्प्ले दिया जा रहा है, जिसके नीचे की तरफ Ambient Light सेंसर और Proximity सेंसर मौजूद होते हैं। लेकिन जब हम अपने फोन पर स्क्रीनगार्ड लगा लेते हैं तो ये सेंसर ब्लॉक हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं। इस कारण फोन कॉल के दौरान स्क्रीन लाइट परेशान करने लगती है, और बात करते करते आपके फोन में कोई दूसरी ऐप खुल जाती है। इसके अलावा ऑन-स्क्रीन फिंगरप्रिंट होने पर स्मार्टफोन अनलॉक करने में दिक्कत आने लगती है। फोन देर में अनलॉक होता है।

इस परेशानी से कैसे निकलें?
अब कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसी स्थिति में क्या करें जिससे फोन के सेंसर भी ब्लॉक न हों और डिस्प्ले भी प्रोटेक्टेड रहे? तो जान लीजिए कि ये दिक्कत ज्यादातर उन स्मार्टफोन्स में आती है जिस पर हल्की क्वालिटी का स्क्रीनगार्ड लगा होता है। भारत में इसकी संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए एक्सपर्ट्स हमेशा ही एक अच्छी कंपनी का प्रोटेक्टर इस्तेमाल करने के सलाह देते हैं। अब आप जब भी फोन खरीदें तो उसी कंपनी का स्क्रीन प्रोटेक्टर भी खरीद लें। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियों को पता होता है कि उन्होंने सेंसर कहां लगाया है। इसे ध्यान में रखकर ही कंपनियां प्रोटेक्टर बनाती हैं।

कैसे काम करते हैं ये सेंसर।
जब आप धूप में जाते हैं तो रोशनी के मुताबिक आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन लाइट ऑटेमैटिक एडजस्ट हो जाती है। ऐसा Ambient Light सेंसर के कारण होता है। वहीं, अगर फोन किसी कम रोशनी वाली जगह है कि तो अपने आप फोन की लाइट कम हो जाती है। Proximity Mobile सेंसर की बात करें तो जब भी आप फोन को अपने कान के पास लेकर जाते हैं तो उसकी लाइट बंद हो जाती है। यह आपने नोटिस जरूर किया होगा लेकिन आपको यह पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों होता है। यह इसी सेंसर के चलते होता है।

Sunday, May 9, 2021

Knowledge: क्या आप जानते है हिमालय के ऊपर से आप उड़ान नहीं भर सकते। जानिए क्यों?

Knowledge: बचपन से स्कूल की किताबों में पढ़ाया जा रहा है कि हिमालय देश का मुकुट हैै। हम टीवी और सोशल मीडिया पर इसकी खूबसूरती भी देखते रहते हैंं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके ऊपर से उड़ान नहीं भरी जा सकती है। आप चाहकर पर इसके ऊपर से सफर नहीं कर सकते हैं। दरअसल, हिमालय के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है। लेकिन ऐसा क्यों है, आइए जानते है।

मौसम है सबसे पहला कारण।
हिमालय का मौसम काफी खराब रहता है और लगातार बदलता रहता है। जो विमानों की उड़ान के लिए अनकूल नहीं होता है। वहीं, बदलता मौसम विमानों के लिए खतरनाक होते हैं। यात्री विमान में लोगों के हिसाब से एयर प्रेशर सेट किया जाता है। लेकिन हिमालय में हवा की असामान्य स्थिती यात्रियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

हिमालय की ऊंचाई है सबसे बड़ा कारण।
हिमालय की ऊंचाई सबसे बड़ा कारण है। हिमालय की ऊंचाई 23 हजार फिट है। वहीं, हवाई जहाज औसतन 30-35 हजार फिट तक उड़ान भरते हैं। लेकिन हिमालय की ऊंचाई विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, आपत स्थिति के लिए विमान में 20-25 मिनट का ऑक्सीजन होता है, आपात स्थिति में जहाज को 8-10 हजार फिट पर उड़ान भरनी होती है, ताकि लोगों को सांस लेने में दिक्कत ना हो। लेकिन हिमालय में 20-25 मिनट के समय में  30-35 हजार फिट से 8-10 हजार फिट पर आना संभव नहीं है।

नेविगेशन की सुविधा नहीं।
हिमालय के इलाकों की एक और दिक्कत है। वहां नेविगेशन की उचित सुविधा मौजूद नहीं है। ऐसे में आपात स्थिति में विमान एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकते। इसके अलाव इमरजेंसी लैडिंग के लिए आस-पास एयरपोर्ट भी नहीं है। अब आप समझ गए होंगे कि हिमालय के ऊपर विमान क्यों उड़ान नहीं भरते हैं।

Thursday, April 29, 2021

Mobile Phone चोरी या गुम होने पर ऐसे बचाएं अपना Whatsapp अकाउंट को, सुरक्षित रहेगा आपका डेटा।

नई दिल्ली: फोन चोरी होने की स्थिति में किसी भी शख्स का सबसे पहला कदम होता है कि किस तरह से वह अपनी जरूरी जानकारियों को बचा सके। कैसे फोन में सेव प्राइवेट चीजों को ब्लॉक करा सके ताकि कोई उनका दुरुपयोग न कर सके। वहीं इस स्थिति में लोगों के सामने बड़ी परेशानी यह आती है कि वह अपने WhatsApp अकाउंट को कैसे बचाएं। साथ ही अगर उसे दोबारा एक्सेस करने की आवश्यकता पड़े तो कैसे एक्सेस करें।
 
अपनाएं ये तरीका।
फोन चोरी होने या खोने की स्थिति में सबसे पहले अपना सिम कार्ड ब्लॉक करएं। इसके लिए आप अपने नेटवर्क प्रोवाइडर के अनुसार कस्टमर केयर पर फोन कर सकते हैं। इसके बाद नई सिम के साथ दोबारा WhatsApp लॉगइन करें। बात दें कि अगर आप अपने सेम नंबर से किसी दूसरे मोबाइल में WhatsApp लॉग इन करेंगे तो पुराने फोन से WhatsApp ऑटोमैटिक लॉग आउट हो जाएगा।

बिना सिम के भी कर सकते हैं डिएक्टिवेट Whatsapp अकाउंट।
बिना सिम कार्ड के भी आप अपना WhatsApp अकाउंट डी-एक्टिवेट कर सकते हैं। इसके लिए आपको WhatsApp को एक ईमेल करना होगा। ईमेल में Lost/Stolen: Please deactivate my account मैसेज के साथ अपना पूरा नंबर अंतरराष्ट्रीय फॉर्मेट में भेजें।
एक बार डी-एक्टिवेट होने के बाद, कांटेक्ट्स अभी भी आपकी प्रोफाइल देख सकते हैं और मैसेज भेज सकते हैं, जो 30 दिनों तक पेंडिंग स्थिति में रहेगा। अगर यूजर हटाए जाने से पहले अकाउंट को फिर से एक्टिवेट करने का प्रबंधन करता है, तो उसे नए फोन पर कोई भी पेंडिंग मैसेज मिल जाएगा और वह अभी भी ग्रुप चैट्स का हिस्सा रह सकता है। अगर यूजर 30 दिनों के भीतर अपने खाते को सक्रिय नहीं करता है, तो इसे पूरी तरह से हटा दिया जाएगा।

वाई-फाई से हो सकता है यूज।
यहां तक ​​कि सिम कार्ड ब्लॉक और फोन सर्विस डिसेबल्ड होने के बावजूद, WhatsApp का इस्तेमाल वाई-फाई पर किया जा सकता है अगर यूजर कंपनी से अकाउंट डी-एक्टिवेट करने के अनुरोध के साथ संपर्क नहीं करता है। अगर यूजर गूगल ड्राइव, आईक्लाउड या वनड्राइव का इस्तेमाल करने से पहले बैकअप लेने में कामयाब रहा, तो वो अपने चैट हिस्ट्री को रिस्टोर करने में सक्षम हो सकता है।

Wednesday, March 31, 2021

क्या आप जानते हैं कितनी Websites से आपका Gmail लिंक, यहां है Delink करने का तरीका

Gmail: कई वेबसाइट्स पर लॉगिन करने के लिए हमारे पास दो ऑप्शन्स होते हैं, एक जहां हम अपनी पूरी डिटेल्स सबमिट करते हैं या फिर अपने Gmail अकाउंट के एक्सिस से उस वेबसाइट (Website) में लॉगिन करते हैं। इसके लिए हमारे Gmail अकाउंट से उसे लिंक कर दिया जाता है जिसे आने वाले समय में किसी तरह के पासर्वड की जरूरत न हो। एक वक्त के बाद हम उस साइट का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं। लेकिन, भी वो हमारे Gmail अकाउंट से लिंक रहती है।

आपका भी Gmail कई Website से लिंक है?
अगर आप जानना चाहते हैं आपका Gmail अकाउंट कितनी वेबसाइट से लिंक है तो आप उस साइट से डी लिंक कर सकते हैं।

ऐसे करें Mobile से पता अपका Gmail अकाउंट कितनी वेबसाइट से लिंक है ये जानने के लिए आपको मोबाइल के Gmail ऐप पर नहीं ब्लकि गूगल क्रोम पर Gmail खोलना होगा। अपना Gmail ID और पासवर्ड वहां डालना होगा जिस अकाउंट के बारें में आप पता करना चाहते हैं।
गूगल क्रोम पर लॉगिन करने के बाद आपको नॉर्मल पेज नजर आएगा। जहां आपको Scroll करने हुए सबसे नीचे जाना होगा। जहां आपको View Gmail in (Mobile/ Older Version/ Dekstop) नजर आएगा। अब आपको Dekstop पर क्लिक करना है जिसके बाद आपको जिस तरह डेक्सटॉप पर Gmail नजर आता है उसी तरह सारे Mails नजर आएंगे। इस पेज में भी आपको Scroll करके सबसे नीचे की तरफ आना होगा।
जहां आपके इस्तेमाल किए गए Gmail की जानकारी होगी। इसके बाद आपको Last Account Acitvity पर जाना होगा। अब डिटेल्स पर क्लिक करें, अब यहां नजर आ रहे Security Checkup पर क्लिक कर दें। यहां आपको सबसे नीचे Your Saved Password नजर आएगा।
यहीं आपको ये दिखेगा की आपका Gmail अकाउंट कितनी वेबसाइट और ऐप से लिंक करके रखा है। इसके बाद आपको Go to Password Checkup पर क्लिक करना होगा, जिसके बाद फिर आपको Gmail Id का पासवर्ड यहां एंटर करना होगा।
यहां आपको उन तमाम एप्स और साइट की जानकारी मिल जाएगी जहां पर आपका Gmail अकाउंट लिंक है। आप यहीं से साइड पैनल क्लिक करके उसे लॉग ऑउट कर सकते है।

Friday, February 19, 2021

NASA का Perseverance Rover, मंगल की सतह पर उतरा भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने Mission में निभाई अहम भूमिका।

वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल (Mars) की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। करीब 7 महीने पहले इस रोवर ने धरती से टेकऑफ किया था। NASA ने ये कामयाबी भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन (Dr Swati Mohan) की अगुवाई में हासिल की हैै। पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशेगा। नासा के अनुसार, रोवर ने गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात मंगल की सबसे खतरनाक सतह जेजेरो क्रेटर पर लैंडिंग की, जहां कभी पानी हुआ करता था।

NASA ने किया ये दावा।
नासा ने दावा किया है कि यह अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग है। रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने के तुरंत बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पहली तस्वीर भी जारी कर दी है। छह पहिए वाला यह रोवर मंगल ग्रह की जानकारी जुटाएगा और चट्टानों के ऐसे नमूने साथ लेकर आएगा, जिनसे यह पता चल सकेगा कि क्या लाल ग्रह पर कभी जीवन था।

पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है। इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा गया। इसी तरह 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था। नासा के मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। NASA के अनुसार, पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है, जो परमाणु ऊर्जा से चलता है। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है।

आसान नही थी Landing।
पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। वैसे, Perseverance रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने की प्रक्रिया काफी मुश्किल रही। लैंडिंग से पहले रोवर को उस दौर से भी गुजरना पड़ा, जिसे टेरर ऑफ सेवन मिनट्स कहा जाता है। इस दौरान रोवर की गति 12 हजार मील प्रति घंटा थी और वह मंगल के वायुमंडल में प्रवेश कर चुका था। ऐसे समय में घर्षण से बढ़े तापमान के कारण रोवर को नुकसान पहुंचने की आशंका बेहद ज्यादा थी, लेकिन वह सफलतापूर्वक लैंड करने में कामयाब रहा।  

Dr Swati Mohan बचपन में ही आ गईं थीं US.
नासा की इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन ने इस कामयाबी पर खुशी जताते हुए कहा कि मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है। अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है।

स्वाति बचपन में ही अमेरिका आ गई थीं। उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया। उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स/एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...