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Wednesday, April 13, 2022

दिवालिया हुआ श्रीलंका का विदेशी पैसा लौटाने से इनकार, जानिए क्या है डिफॉल्टर होने का मतलब।

Sri Lanka economic crisis: कंगाल हो चुके श्रीलंका (Sri Lanka) ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार कर दिया है। उसे सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले देशों में चीन, जापान और भारत शामिल हैं। इस तरह श्रीलंका के डिफॉल्टर होने से सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं तीन देशों का होगा। श्रीलंका के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटरनल रिसोर्सेज (Department of External Resources) के मुताबिक अप्रैल 2021 तक देश पर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का था। तब चीन का श्रीलंका पर कर्ज 3.388 अरब डॉलर था जो देश के कुल कर्ज का 10 फीसदी था। दूसरे नंबर पर जापान था। जापान का श्रीलंका पर कर्ज 3.36 अरब डॉलर था। पिछले साल अप्रैल तक भारत का श्रीलंका पर कुल कर्ज 85.93 करोड़ डॉलर था जो उसके कुल कर्ज का दो फीसदी है। इस तरह श्रीलंका के डिफॉल्टर होने से सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं तीन देशों का होगा।

विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार: श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार किया है। यानी उसने एक तरह से खुद को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर श्रीलंका अभी डिफॉल्टर घोषित नहीं हुआ है। कोई देश डिफॉल्टर है या नहीं इसकी घोषणा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां करती हैं। जानकारों का कहना है कि डिफॉल्टर होने का मतलब है यह है कि आप निर्धारित तिथि तक कर्ज नहीं चुका पाए। यह एक तरह से दिवालिया होने की शुरुआत है। कई बार ऐसा होता है कि देशों के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

श्रीलंका ने अंतिम उपाय के तौर पर यह फैसला किया है। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है और देश 70 साल में सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। आईएमएफ का कहना है कि श्रीलंका की स्थिति गंभीर है। अनुमानों के मुताबिक देश पर करीब 35 अरब डॉलर का कर्ज है और इसमें से सात अरब डॉलर का भुगतान जल्दी किया जाना है। मंगलवार को ही देश सेंट्रल बैंक के गवर्नर पी. नंदलाल वीरसिंघे ने कहा कि हमें जरूरी चीजों के आयात पर फोकस करने की जरूरत है और विदेशी कर्ज को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।

क्यों हुई ऐसी हालत: मूडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी के अंत तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर था जो दो महीने के आयात के खर्च से भी कम है। विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने से सरकार ने आयात पर पाबंदी लगा दी थी। इससे देश में फ्यूल, मिल्क पाउडर जैसी जरूरी चीजों की कमी हो गई और लोग सड़कों पर आ गए। महंगाई दोहरे अंकों में पहुंच गई है। रूस-यूक्रेन लड़ाई से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है जिससे पर्यटन पर निर्भर देश की इकॉनमी की हालत और खराब हो गई। कोरोना महामारी ने पहले ही श्रीलंका के टूरिज्म सेक्टर की कमर तोड़ दी थी। देश में ऑर्गेनिक खेती के प्रयोग ने फार्म सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया और देश में खाद्यान्न की भारी कमी हो गई। 2.2 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं और लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है।

चीन का कर्ज: मार्च के अंत में श्रीलंका का विदेशी भंडार 1.93 अरब डॉलर था जबकि इस साल उसे लगभग चार अरब डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना है। इसमें जुलाई में मैच्योर होने वाला एक अरब डॉलर का इंटरनेशनल सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का अनुमान है कि श्रीलंका की ग्रॉस डेट सर्विसिंग 2022 में 7 अरब डॉलर होगी और चालू खाता घाटा लगभग 3 अरब डॉलर होगा। श्रीलंका के इस हालत के लिए चीन से लिए गए भारी कर्ज को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण श्रीलंका का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसे देखते हुए श्रीलंका ने चीन से अपने कर्ज को रिशेड्यूल करने की अपील की थी लेकिन चीन ने इससे साफ इन्कार कर दिया था। चीन के कर्ज में फंसे कई दूसरे देशों की भी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। इनमें पाकिस्तान, मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान शामिल हैं।

डिफॉल्ट होने के बाद क्या होता है: इससे सभी आउटस्टेंडिंग सीरीज ऑफ बॉन्ड्स प्रभावित होंगे। इनमें ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स में जारी किए गए बॉन्ड्स, गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट क्रेडिट, कमर्शियल बैंकों और इंस्टीट्यूशनल लेंडर्स का साथ हुए फॉरेन करेंसी डिनॉमिनेटेड लोन एग्रीमेंट शामिल है। साथ ही सरकार और सरकारी संस्थाओं द्वाया किया जाने वाला भुगतान भी प्रभावित होगा। किसी देश के डिफॉल्ट करने पर उसे बॉन्ड मार्केट से पैसा उठाने से रोका जा सकता है। खासतौर से तब तक के लिए जब तक कि डिफॉल्ट का समाधान नहीं हो जाता और निवेशकों को भरोसा नहीं हो जाता कि सरकार भुगतान करना चाहती है और उसके पास क्षमता भी है। बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के एक सॉवरेन डेट डेटाबेस के मुताबिक 1960 के बाद से 147 सरकारों ने कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया है। कोविड-19 महामारी ने कई देशों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। अर्जेंटीना, इक्वाडोर, लेबनॉन और जाम्बिया ने हाल में अपने डेट को रिस्ट्रक्चर करने की कोशिश की है।

उम्मीद की किरण: देशों के पास डिफॉल्ट होने की स्थिति में कई विकल्प होते हैं। कई बार कर्ज को रिस्ट्रक्चर किया जाता है। यानी कि इसकी ड्यू डेट को आगे बढ़ा दिया जाता है। इसी तरह करेंसी को ज्यादा किफायती बनाने के लिए इसका डिवैल्यूएट किया जाता है। डिफॉल्टर होने के बाद कई देश खर्च करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई देश कर्ज चुकाने के लिए अपनी करेंसी को डिवैल्यूएट करता है तो उसके प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट के लिए सस्ते हो जाते हैं। इससे मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का फायदा होता है जिससे इकॉनमी को बूस्ट मिलता है और कर्ज का भुगतान आसान हो जाता है।

Tuesday, September 28, 2021

पाकिस्तान: बलूच रिपब्लिकन आर्मी ने बम से हमला कर उड़ाई मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति, जारी किया बयान।

Pakistan: बलूच रिपब्लिकन आर्मी (Baloch Republican Army) ने रविवार को पाकिस्तान के ग्वादर में बम हमले में मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की एक प्रतिमा को नष्ट कर दिया। आर्मी ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि ‘उसके कुछ कार्यकर्ताओं ने ग्वादर के मरीन ड्राइव पर जिन्ना की मूर्ति को विस्फोटकों से उड़ा दिया’। इसके अलावा, बलूच कार्यकर्ताओं ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए, मोहम्मद अली जिन्ना को 'हीरो' के रूप में दिखाने के लिए पाकिस्तान पर निशाना भी साधा है।

ग्वादर के उपायुक्त मेजर (रि) अब्दुल कबीर ने बताया कि जिन्ना की मूर्ति को उड़ाने वाले बलूच कार्यकर्ता क्षेत्र में घुसने के लिए ‘पर्यटक’ बनकर आए थे। हमला रविवार सुबह करीब 9.20 बजे हुआ था। कबीर ने बताया कि अधिकारियों ने हमले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। बता दें कि जिन्ना की प्रतिमा जून 2021 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) के घर और उप महानिरीक्षक के ऑफिस के पास एक हाई-सिक्योरिटी वाली जगह पर स्थापित की गई थी।

जिन्ना ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट थे।
घटना के बाद कई पाकिस्तानियों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है और बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी को जमकर लताड़ा है। इसे बलूच कार्यकर्ताओं का प्रतिशोध माना जा रहा है जिन्होंने बार-बार बलूचिस्तान में ‘पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचारों का आरोप’ लगाया है। इस बीच, बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी के बयान में ‘बलूच जमीन पर कब्जा करने और अतिक्रमण’ करने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना की आलोचना की गई है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि जिन्ना 'चालाक राजनीति' में शामिल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट थे। बयान में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना ने बलूचिस्तान पर आक्रमण किया है।

बयान में कहा गया है, "जिस तरह से मोहम्मद अली जिन्ना ने 27 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना पर कब्जा करके धोखे से बलूच भूमि पर कब्जा किया और उसका अतिक्रमण किया, इसलिए बलूच देश जिन्ना के जीवन को उनकी चालाक राजनीति के कारण घृणा और तिरस्कार की नजर से देखता है।"

Friday, May 14, 2021

आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है इजरायल, अरब देशों के खिलाफ युद्ध से हुई थी सफर की शुरुआत।

नई दिल्ली: फिलिस्तीन के साथ लगातार हो रही गोलाबारी की वजह से इजरायल एक बार फिर सुर्खियों में है। सालों के संघर्ष के बाद पूरी दुनिया से अपनी मातृभूमि पर वापस लौटने वाले लाखों यहूदियों ने इस देश की नींव रखी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने फिलिस्तीन से लौटने का फैसला किया था। ऐसे में 14 मई 1948 को इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया था। आज उसने अपनी आजादी के 73 साल पूरे कर लिए हैं।


हिब्रु कैलेंडर के मुताबिक मनाता है स्वतंत्रता दिवस।
हालांकि इजरायल आधिकारिक तौर पर अपना स्वतंत्रता दिवस हिब्रु कैलेंडर के मुताबिक इयार के महीने के पांचवें दिन मनाता है। जो कि मौजूदा वर्ष में 14 अप्रैल को मनाया जा चुका है लेकिन ग्रिगेरेयन कैलेंडर के मुताबिक 14 मई ही उसका स्वतंत्रता दिवस है। स्वतंत्रता दिवस के दिन इजरायल उन सभी लोगों को याद करता है जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए और उसके वजूद को बनाए रखने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। इजरायल की स्थापना के साथ ही यहूदियों की उनकी मातृभूमि में 2000 साल के लंबे अंतराल के बाद पुनर्स्थापना हो सकी।

29 नवंबर, 1947 को यूएन ने लगाई थी इजरायल की स्थापना पर मुहर।
आधिकारिक तौर संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन और यहूदियों के लिए दो देशों के विभाजन पर मुहर 29 नवंबर, 1947 को लगा दी थी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन पर शासन कर रहे ब्रिटन के लिए दोनों गुटों के बीच संघर्ष को संभाल पाना मुश्किल हो गया था। ऐसे में वो इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले गया जहां द्वि-राष्ट सिद्धांत के तहत फैसला हुआ और इस इलाके को यहूदी और अरब देशों में बांट दिया साथ ही यरुशलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया गया।

14 मई, 1948 को अंग्रेजों ने छोड़ा था फिलिस्तीन।
बरसों से अपनी मातृभूमि लताश रहे यहूदियों ने संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले को तत्काल मान्यता दे दी। लेकिन अरब देशों ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया। 1948 में अंग्रेज इस इलाके को छोड़कर चले गए और 14 मई, 1948 को अंग्रेजों की विदाई से पहले ही यहूदियों ने इजरायल की आजादी का ऐलान कर दिया। एक नए मुल्क का उदय जिन परिस्थितियों में हुआ था उसका पहला कदम युद्ध की तरफ बढ़ गया।

आजादी के एक दिन बाद अरब सेनाओं ने कर दिया हमला।
एक ऐसी जगह जहां बसने के लिए पूरी दुनिया के यहूदी इंतजार कर रहे थे जिसे वो अपनी मातृभूमि कह सकें। लेकिन इजरायल की अपनी स्थापना के महज एक दिन बाद 15 मई, 1948 को अरब देशों की संयुक्त सेना( सीरिया, ट्रांस जॉर्डन, सीरिया और ईराक) ने उसके ऊपर हमला बोल दिया था। हमले के बाद अरब सेना ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलिस्तीन अरब देश के रूप में इंगित किए गए इलाके को अपने कब्जे में लिया और इजरायल के कब्जे वाले इलाकों और यहूदी बस्तियों में हमला बोल दिया। समय के साथ ही इस युद्ध में शामिल इजरायल के विरोधियों की संख्या में इजाफा होता गया। सउदी अरब ने युद्ध के लिए अपनी सेना भेजी और मिस्र की सहायता से इजरायल पर हमला किया। तकरीबन 1 साल तक चले इस युद्ध में इजरायल के महिलाओं और पुरुषों ने हार नहीं मानी और अरब देशों को धूल चटा दी।

इजरायल ने अरब देशों को युद्ध में चटाई धूल।
9 महीने 23 दिन चले इस युद्ध में एक तरफ अकेला इजरायल था जिसके पास शुरुआत में लगभग 30 हजार लड़ाके थे जिनकी संख्या युद्ध की समाप्ति तक तकरीबन 1 लाख 17 हजार हो गई. वहीं दूसरी तरफ मिस्र, ट्रांसजॉर्डन, ईराक, सीरिया, लेबनान, सउदी अरब, उत्तरी यमन की सेनाएं थीं।

Thursday, May 13, 2021

यासिर अराफात जब इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की, तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था।

जब एक आतंकवादी, यासिर अराफात ने इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की, तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था?

सउदी अरब? - जी नहीं।
पाकिस्तान? - जी नहीं।
अफगानिस्तान? -.जी नहीं।
इराक? - जी नहीं।
तुर्की? - जी नहीं।
सोचिये फिर किस देश ने फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता दी होगी ..?

चलिए हम आपको बताते हैं, सेकुलर भारत! जी हाँ। "भारत"
इंदिरा गाँधी ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए, सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दी, और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को "नेहरू शांति पुरस्कार", और राजीव गाँधी ने उसको "इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार" दिए। और तो और राजीव गाँधी ने तो उसको पूरे विश्व में घूमने के लिए बोइंग ७४७ गिफ्ट में दिया था।

अब आगे जानिए।
वही अराफात, ने OIC (Organisation of Islamic Countries) में काश्मीर को "पाकिस्तान का अभिन्न भाग" बताया, और उस आतंकवादी ने बोला कि "पाकिस्तान जब भी चाहे तब मेरे लड़ाके काश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ेंगे।

और जी हाँ, इतना ही नहीं, जिस शख्स को दुनिया के 103 देश आतंकवादी घोषित किये हों, और जिसने 8 विमानों का अपहरण किया हो, और जिसने दो हज़ार निर्दोष लोगों को मार डाला हो, ऐसे आतंकवादी यासिर अराफात को सबसे पहले भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। जी हाँ।

इंदिरा गाँधी ने उसे "नेहरू शांति पुरस्कार" दिया, जिसमें एक करोड रुपये नगद, और दो सौ ग्राम सोने से बना एक शील्ड होता है।

आप सोचिये, 1983 में, यानि आज से 37 वर्षों पहले, एक करोड़ रुपये की आज वैल्यू क्या होगी (देढ़ अरब से भी ऊपर)

फिर राजीव गाँधी ने उसे "इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार" दिया।

फिर यही यासिर अराफात काश्मीर के मामले पर खुलकर पाकिस्तान के साथ हो गया, और इसने घूम घूमकर पूरे इस्लामिक देशों में कहा, कि फिलिस्तीन और काश्मीर दोनों जगहों के मुसलमान गैर-मुसलमानों के हाथों मारे जा रहे हैं, इसलिए पूरे मुस्लिम जगत को इन दोनों मामलों पर एकजुट होना चाहिए।

अब, वो कांग्रेस पार्टी मोदी जी को सिखा रही है, कि "विदेश नीति कैसे की जाती है।

अब आप विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं कि देशद्रोही कौन है और देशभक्त कौन।

Monday, May 10, 2021

पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा में पहली बार एक हिंदू लड़की का चयन, डॉ सना रामचंद ने लिखा इतिहास।

कराची पाकिस्तान : पाकिस्तान की MBBS डॉक्टर सना राम चंद इन दिनों काफी सुर्खियों में बनी हुई हैं। बता दें कि वह पहली हिंदू लड़की हैं जिन्होंने सेंट्रल सुपीरियर सर्विस (CSS) परीक्षा 2021 पास कर ली है और अब उन्हें पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा के लिए चुना गया है। गौरतलब है कि ये पाकिस्तान की सबसे बड़ी प्रशासनिक परीक्षा होती है।

पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा में पहली हिंदू महिला।
बता दें कि सना राम चंद सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में स्थित कस्बा चक की रहने वाली हैं। उनकी प्राइमरी से कॉलेज तक की शिक्षा वहीं से हुई थी। फिर इंटर में अच्छे नंबर लाने के बाद उन्होंने सिंध के चंदका मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और कराची के सिविल अस्पताल में हाउस जॉब की। बता दें कि उनके पिता भी स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

पाकिस्तानी रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल सीएसएस की वार्षिक परीक्षा में कुल 18,553 उम्मीदवार शामिल हुए थे जिनमें टेस्ट और इंटरव्यू के बाद केवल 221 लोगों का चयन किया गया था। आगे बताया गया है कि सीएसएस परीक्षा में सफलता की दर 2 प्रतिशत से भी कम रही है और ऊपर से, उनमें से पाकिस्तान की सेवा करने के लिए जिन 79 महिलाओं का चयन किया गया है, उनमें डॉक्टर सना राम चंद इकलौती हिंदू महिला हैं।

उन्होंने इस साल 7 मई को ट्विटर हैंडल के जरिए लिखा- “वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अल्लाह की कृपा से, मैंने सीएसएस 2020 को पास कर लिया है और पीएएस के लिए सिलेक्ट हो गई हूं। सारा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है।”

खबरों के मुताबिक, सना इन दिनों सिंध इंस्टीट्यूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांट (एसआईयूटी) से यूरोलॉजी में एफसीपीएस कर रही हैं जिसके कुछ ही महीनों बाद वह सर्जन बन जाएंगी। वह सीएसएस पास करने के बाद, असिस्टेंट कमिश्नर बन गई हैं। 

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता फरहतुल्लाह बाबर ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘सना ने पाकिस्तान के हिंदू समुदाय को ही नहीं, पूरे देश को गौरवान्वित किया है।’

Wednesday, April 7, 2021

पॉर्न स्टार Stormy Daniels ने याद किए पुराने पल 'Donald Trump के साथ सेक्स मेरी जिंदगी के सबसे खराब 90 सेकंड'।

वॉशिंगटन: पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स (Stormy Daniels) ने करीब 15 साल की चुप्पी के बाद अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के साथ अपने सेक्स संबंधों का खुलासा किया है। Stormy Daniels ने कहा, 'ट्रंप के साथ 90 सेकंड का सेक्स उसकी जिंदगी का सबसे खराब हिस्सा था'।

माइकल कोहेन ने लिया Stormy Daniels का इंटरव्यू।
असोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के पूर्व अटॉर्नी माइकल कोहेन (Michael Cohen) ने अपने पॉडकास्ट, Mea Culpa के नए एपिसोड के लिए डेनियल (Stormy Daniels) का इंटरव्यू लिया। इसमें दोनों ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ संबंधों पर बात की।

होटल के कमरे में नग्न बैठे थे ट्रंप- स्टॉर्मी डेनियल्स।
वर्ष 2006 के कथित सेक्स एनकाउंटर को याद करते हुए, डैनियल्स (Stormy Daniels) ने कहा कि उस पूरी घटना में 'मुझे सिर्फ खुद से नफरत है।' उस खास दिन की घटनाओं के बारे में बात करते हुए डैनियल्स ने दावा किया कि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) लगभग नग्न हालात में होटल के बिस्तर के किनारे पर बैठकर उनका इंतजार कर रहे थे।

अपने बेस्ट प्रदर्शन के लिए उतावला थे- स्टॉर्मी डेनियल्स।
स्टॉर्मी डेनियल्स (Stormy Daniels) ने इंटरव्यू में माइकल कोहेन (Michael Cohen) को बताया, 'उन्होंने (ट्रंप) अपने अंडरवियर को उतार दिया था और अपना बेस्ट प्रदर्शन करने के लिए उतावले थे। वह अचानक साइड में हो गई और वह बेड पर खड़े हो गए। उसने कहा कि अब तुम्हारी बारी है। मैंने पूछा कि क्या? वह बोले कि मैं चाहता हूं कि तुम दिखाओ कि तुम कितने खराब तरीके से चाहती हो या फिर बस ट्रेलर पार्क में वापस जाना चाहती हो'।

स्टॉर्मी का असली नाम स्टेफनी क्लिफोर्ड है।
बता दें कि स्टॉर्मी डेनियल्स (Stormy Daniels) का असली नाम स्टेफनी क्लिफोर्ड (Stephanie Clifford) है। उसका नाम 2018 में उस वक्त सुर्खियों में आया था। जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2016 के राष्ट्रपति चुनावों के प्रचार में चुप रहने के लिए ट्रंप ने उन्हें $ 130,000  का भुगतान किया था। हालांकि डेनियल्स को उस दौरान कोहेन को पैसे देने के लिए जेल भी जाना पड़ा था।

कोहेन ने पुरानी घटना के लिए डेनियल से माफी मांगी।
इस घटना को याद करते हुए, कोहेन ने डेनियल से पुरानी घटना के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा, 'हम दोनों की कहानियां हमेशा के लिए डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी रहेंगी'। उन्होंने दूसरा मौका देने के लिए स्टॉर्मी डेनियल्स (Stormy Daniels) को धन्यवाद कहा।

टंप ने महीनों तक डेनियल्स के साथ सेक्स किया- मीडिया रिपोर्ट।
रिपोर्ट के मुताबिक कहा जाता है कि ट्रंप ने डेनियल्स (Stormy Daniels) के साथ महीनों तक सेक्स किया था। उस दौरान ट्रंप की पत्नी मेलानिया ने अपने बेटे बैरोन (Barron) को जन्म दिया था। वह अब 14 साल का हो चुका है। Stormy Daniels के साथ अफेयर की खबरों ने  Melania को परेशान कर दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक मेलानिया नाराज होकर ट्रंप का घर छोड़कर होटल में रहने चली गई थी। हालांकि ट्रंप ने इस तरह के अफेयर के बारे में हमेशा इनकार किया है।

Friday, March 5, 2021

थाईलैंड: महिला की समुद्र किनारे टहलने के दौरान चमकी किस्मत, हाथ लगी करोड़ों की चीज।

थाईलैंड (Thailand): की एक महिला को समुद्र तट के पास से ऐसी अनोखी चीज मिली है जिससे उसकी किस्मत रातों रात बदल गई है। जी हां, ये घटना है नाखोन सी थम्मारत के तट (Coast Of Nakhon Si Thammarat) के पास की जहां 49 साल की सिरिपॉर्न नियामरिन (Siriporn Niamrin) टहलने गई थी और जब वहां से लौटी तो अपने साथ एक बेशकीमती चीज लेकर लौटी जिसकी कीमत को लेकर पहले वो भी अंजान थी।


इस अनोखी चीज से चमकी किस्मत।
खबरों के अनुसार, सिरिपॉर्न नियामरिन एक समुद्र तट पर टहलने गई थी जब उन्हें रेत में एक अजीब सी गांठ दिखाई दी। फिर उस महिला ने कथित तौर पर देखा कि गांठ में मछली जैसी गंध आ रही थी और यह सोचकर उसे अपने साथ वापस घर ले आई कि कई ये किसी चीज के काम ना आ जाए। द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना 23 फरवरी की है। आगे लिखा है कि जब सिरिपोर्न घर वापस आई तो उन्होंने अपने पड़ोसियों से उस अजीब सी वस्तु को पहचानने में मदद मांगी। फिर उन्हें बताया गया कि असल में वह गांठ ‘व्हेल मछली की उल्टी’ थी, जिसे ‘एम्बरग्रीस’ भी कहा जाता है। ये जानकर तो सिरिपॉर्न नियामरिन और आसपास मौजूद लोग हक्के-बक्के रह गए।

तो क्या निकली ये चीज?
एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इस 12 इंच चौड़ी और 24 इंच लंबी गांठ वाले ‘एम्बरग्रीस’ की अनुमानित कीमत 1.86 लाख पाउंड यानी लगभग 1.8 करोड़ रुपये है। इसका उत्पादन शुक्राणु व्हेल की प्रणाली में किया जाता है और इसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में होता है क्योंकि यह एक सुधारात्मक के रूप में काम करता है, जिससे खुशबू लंबे समय तक सहन करने में मदद मिलती है। खबरों के अनुसार, उस महिला ने ‘एम्बरग्रीस’ की प्रमाणिकता की जांच करने के लिए इसे लौ में रखा था जो पिघल गया लेकिन फिर इसके हिस्से ठंडे होने के बाद ये फिर से मजबूत हो गया। सिरिपॉर्न नियामरिन कथित तौर पर फिलहाल विशेषज्ञों के घर पहुंचने और ‘एम्बरग्रीस’ की प्रमाणिकता की जांच करने का इंतजार कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा- 'अगर मेरे पास सच में ‘एम्बरग्रीस’ है, तो मैं इसे बेचने के लिए अच्छे खरीददार का इंतजार करूंगी। मैं इतने बड़े टुकड़े को पाकर बहुत खुशकिस्मत हूं और मुझे उम्मीद है कि यह मुझे पैसा दिलाएगा। मैं फिलहाल इसे अपने घर में सुरक्षित रख रही हूं और मैंने स्थानीय परिषद से इसकी जांच करने के लिए कहा है।'

Saturday, February 27, 2021

एक्शन में अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden, Syria Air Strike के बाद ईरान को दी सख्त चेतावनी।

वाशिंगटन: राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने सत्ता संभालने के कुछ ही दिनों में तेवर दिखा दिए हैंं। उन्होंने सीरिया में एयर स्ट्राइक (Syria Air Strike) के बाद ईरान (Iran) को सख्त चेतावनी दी है। बाइडेन ने कहा है, अमेरिका को नुकसान पहुंचाने या अमेरिकी कर्मियों को धमकी देने वाले मिलिशिया ( Militia) समूहों का ईरान समर्थन करता है तो उसे भी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। बाइडेन प्रशासन ने हवाई हमले को पूरी तरह कानूनी और उचित बताया है।

अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों का जवाब।
बता दें, अमेरिकी सेना ने पूर्वी सीरिया में ईरान के समर्थन वाले सशस्त्र समूह मिलिशिया (Militia) पर हवाई हमले किए हैं। अमेरिका ने ईराक (Iraq) में अपने सैनिकों के ठिकानों पर हुए रॉकेट हमलों के जवाब में यह कार्रवाई की। कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई में सशस्त्र समूहों के करीब 17 लड़ाके मारे गए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने साफ तौर पर कहा है कि यह कार्रवाई इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए रॉकेट हमलों के जवाब में की गई है। पेंटागन के मुताबिक अमेरिकी फाइटर जेट्स ने 7 ठिकानों को निशाना बनाते हुए 7 500-lb बम गिराए हैं। इनमें से एक ठिकाना ईरान और सीरिया के बॉर्डर पर स्थित क्रॉसिंग भी है। अमेरिका का कहना है कि इस क्रॉसिंग का इस्तेमाल ईरान समर्थित उग्रवादी समूह हथियारों के मूवमेंट के लिए करते थे।

राजनीतिक संकट?
दूसरी तरफ इस कार्रवाई के बाद नए डेमोक्रेटिक प्रशासन (Democratic) के लिए एक राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। जो बाइडेन (Joe Biden) की अपनी पार्टी के कई प्रमुख कांग्रेस सदस्यों ने इन हमलों की निंदा की है। डेमोक्रेट ने कहा है, कानूनविदों से इजाजत के बिना हवाई हमले किए गए लेकिन सीनेट के सशस्त्र सेवा समिति के रैंकिंग रिपब्लिकन जिम ओक्लाहोमा ने अमेरिकी कार्रवाई को सही ठहराया है। व्हाइट हाउस (White House) के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा है, बाइडेन ने अमेरिकी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया है।

कार्रवाई जारी रहेगी।
पेंटागन ने स्पष्ट किया है कि हवाई हमला बॉर्डर कंट्रोल पॉइंट पर ईरान समर्थित समर्थित कातब हिजबुल्लाह और काताब सैय्यद अल-शुहादा (Kataeb Hezbollah and Kataeb Sayyid al-Shuhada) को ध्यान में रखकर किया गया था। हमला इराक में अमेरिका और गठबंधन सेनाओं पर किए गए हमले का करारा जवाब है। यह भी कहा गया है कि यदि जरूरत पड़ी तो अमेरिका आगे भी इस तरह की कार्रवाई को अंजाम देता रहेगा।

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