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स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल और शुभता का प्रतीक माना जाता रहा है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले स्वास...
Thursday, September 3, 2020
जाने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की कुछ सच्चाई जो मीडिया नहीं बताया।
Tuesday, July 21, 2020
बाबरी मस्जिद का विध्वंस के बाद राम मंदिर निर्माण का कोर्ट में लगातार सुनवाई। Part 02
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे। पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला सुनाया।फैसले में ASI (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था. कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में ये भी कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन इससे आगे कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है। पूरी विवादित जमीन को मंदिर बनाने के लिए दिये जाने और मुसलमानों को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देने का फैसला सुनाया है।
बनेगा भब्य राम मंदिर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तिथि अब निर्धारित हो चुकी है। इससे प्रयागराज में भी संत समाज उत्साहित है। कई सालों तक राम मंदिर के लिए आंदोलन चलाने वाले संगठन, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े कार्यकर्ता भूमि पूजन की तिथि 5 अगस्त को एक अलग अंदाज में मनाने की तैयारी में लग गए हैं। राम मंदिर के भूमि पूजन में तीर्थराज संगम का जल और मिटटी भी इस्तेमाल होगी। 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान् श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम तय कर लिया गया है, राम मंदिर ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेजा था और 3 अगस्त तथा 5 अगस्त की तारीख बताई थी, प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त की तारीख को पसंद किया, इसी 5 अगस्त को साल 2019 में धारा 370 को भी ख़त्म किया गया था। रिपोर्टों के मुताबिक भूमि पूजन के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास लगभग 40 किलो चॉंदी की श्रीराम शिला समर्पित करेंगे। पीएम मोदी इस शिला का पूजन कर स्थापित करेंगे।
राम मंदिर को कब और कैसे बाबरी मस्जिद में बदला गया! वास्तविक इतिहास को हिन्दूओ से दूर रखा गया। Part 01
Saturday, July 11, 2020
सोमनाथ मंदिर के उदघाटन के लिए डा. राजेंद्र प्रसाद को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
आइए जानें, नवाबों का शहर लखनऊ में क्या है खास।
बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ में भूलभुलैया नाम से भी मशहूर बड़े इमामबाड़े का निर्माण नवाब आसिफ उद्दौला ने करवाया था। लखनऊ के इस प्रसिद्ध इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। ये इमामबाड़ा एक नवाब के परोपकारी कदम का प्रतीक है जो अपनी प्रजा के हित को ध्यान में रख कर उठाया गया था। साल 1784 में नवाब ने अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत इसे बनवाया बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की एक ऐतिहासिक धरोहर है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं।इमामबाड़े की इमारत एक विशाल गुम्बदनुमा हॉल की तरह है, जो 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। एक अनुमान के अनुसार इसे बनाने में उस दौर में पांच से दस लाख रुपए का खर्च हुआ था। कहा तो ये भी जाता है कि इस इमारत के पूरा होने के बाद भी नवाब इसकी साज सज्जा पर चार से पांच लाख रुपए सालाना खर्च करते थे। इमामबाड़े के परिसर में एक अस़फी मस्जिद भी है, जहां मुस्लिम समाज के लोग ही जा सकते हैं। मस्जिद के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं।
इमामबाड़े से जुड़ी कहानियां इस इमामबाड़े से कई कहानिया भी जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि इस इमामबाड़े के अंदर अंडरग्राउंड कई रास्ते हैं। इनमें से एक गोमती नदी के तट पर खुलता है तो एक फैजाबाद तक जाता है। वहीं कुछ रास्ते इलाहाबाद और दिल्ली तक भी पहुंचते थे। ये भी कहा गया कि ये रास्ते वाकई अब भी मौजूद है पर दुर्घटनाओं के डर से उन्हें सील कर दिया गया है ताकि कोई उनके भीतर ना जा सके।
मोती महल लखनऊ में गोमती नदी के किनारे पर बना मोती महल। इसकी तीन इमारतें इस महल को खास बनाती हैं। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था। मुबारक मंजिल और शाह मंजिल अन्य दो इमारतें हैं। बालकनी से जानवरों की लड़ाई और उड़ते पक्षियों को देखने हेतु नवाबों के लिए इन इमारतों को बनवाया गया था। राणा प्रताप मार्ग पर स्थित मोती महल में मुहब्बत और जंग की कहानी है। इसे यूं ही मोती महल नहीं कहते हैं। दरअसल 18वीं सदी में नवाब सआदत अली खां ने गोमती नदी के दायें किनारे पर एक आलीशान महल बनवाया था। इसके गुंबद की सूरत और चमक मोती जैसी थी इसलिए यह मोती महल कहलाया। इससे जुड़ी एक और कहानी भी है। जिसके अनुसार उनकी पत्नी मोती बेगम इसमें रहती थीं। पहले बेगम का नाम टाट महल था जिसे नवाब ने बदल दिया था। आसफुद्दौला के बनवाए शीशमहल की स्पर्धा में मोती महल की नींव पड़ी थी। नवाब की कई शादियां बनारस में हो चुकी थीं। उन सब में सआदत अली खां को टाट महल बेहद अजीज थीं। सआदत अली खां ने मोती महल इन्हीं के लिए बनवाया था। मोतीमहल में रहने से पहले टाट महल दौलत सराय में रहती थीं। उन्हें मोती के जेवरों के प्रति विशेष आकर्षण था। इस कारण बेगम के लिए नवाब ने मोतीमहल के गुंबद पर सीप की चमक से मोती की आब पैदा कर दी थी। 1866 में मिस्टर ब्रूस इंजीनियर के नक्शे पर मोती महल बनवाया गया था, जो अब तोड़ा जा चुका है। इस पुल के किनारे के सब घाट मोती महल घाट नाम से मशहूर हैं। इन घाटों के पूरब में एक महल की मरम्मत करवा कर जैकसन साहब बैरिस्टर रहा करते थे। अब उस महल को राजा ओयल ने ले लिया है। इसके सामने की ग्राउंड, मोती महल ग्राउंड कहलाती थी जहां अब स्टेडियम बन चुका है।
मौजूदा समय में स्थिति अब मोती महल में मोतीलाल नेहरू मेमोरियल सोसाइटी, भारत सेवा संस्थान, शिक्षा समिति और उप्र बाल कल्याण परिषद आदि के कार्यालय खुल गए हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्त की समाधि भी इसी क्षेत्र में बनी है।अंबेडकर पार्क उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर मायावती ने लखनऊ के पॉश इलाके में अंबेडकर पार्क बनवाया था। अम्बेडकर उद्यान लखनऊ में स्थित एक दर्शनीय उद्यान वाला स्मारक है।
यह भीमराव अम्बेडकर की याद में समर्पित है। अंबेडकर पार्क एक सार्वजनिक पार्क है और गोमती नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, में स्मारक है। यह अधिक औपचारिक रूप से डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रांत स्थल के नाम से जाना जाता है और इसे "अम्बेडकर पार्क" के रूप में भी जाना जाता है।
पार्क ज्योतिराव फुले, नारायण गुरू, बिरसा मुंडा, शाहूजी महाराज, भीमराव अम्बेडकर, कांशीराम के जीवन और यादों का सम्मान करते हैं और जिन्होंने मानवता, समानता और सामाजिक न्याय के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। यह स्मारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मायावती ने अपने प्रशासन के दौरान बनाया था। बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्व में।स्मारक की आधार शिला पहली बार 1995 में रखी गई थी। इससे पहले पार्क का नाम डॉ. भीमराव अम्बेडकर उद्यान था। सन् 2007 में पार्क के आगे नवीकरण और विकास किया। इसे शुरू में 14 मार्च 2008 को मुख्यमंत्री मायावती ने जनता के लिए खोल दिया था। पूरे स्मारक राजस्थान से लाए गए। यह पार्क लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाया गया है।
राम मनोहर लोहिया पार्क उत्तर प्रदेश के लखनऊ ज्वालानगर पूर्व में स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क का निर्माण मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये खर्च कर सपा ने राजधानी में बने डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क को प्रदेश का सबसे खूबसूरत उद्यान बनााया राजधानी में गोमती नगर क्षेत्र में बने लोहिया पार्क का निर्माण कार्य बहुुत ही कुशलता पूर्वक किया गया है। इसे देखने के लिए पूरे देश प्रदेेश से लोग आते हैं। इसमें लगे हरे पेड़ पौधे लखनऊ की सुंदरता मेंंं चार चांद लगाते हैं।
मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!
नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे से कहता है मित्र "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...
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