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Thursday, September 30, 2021

कैप्टन अमरिंदर स‍िंह को नही रोक पाई कांग्रेस मिले बीजेपी के चाणक्य अमित शाह से। जाने क्या हुआ बात।

पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में चले आ रहे लम्बे विवादों के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक घंटे की बैठक की, जिससे उनके पाला बदलने की अटकलों को हवा मिली। बाद में, उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने किसानों के मुद्दों पर चर्चा की।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अमित शाह से मुलाकात के बाद कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने ट्वीट में बाताय कि शाह से किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई और उनसे कानूनों को निरस्त करने व एमएसपी की गारंटी के साथ-साथ पंजाब को समर्थन देने के साथ संकट को तत्काल हल करने का आग्रह किया।

बैठक के बाद कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि अमरिंदर सिंह शाह के साथ प्रधानमंत्री से मिलने के लिए निकले थे। लेकिन इन रिपोर्टों में कोई सच्चाई नहीं थी। याद दिला दें कि अमरिंदर सिंह ने इस महीने की शुरुआत में विधायकों के एक वर्ग द्वारा एक साल के विद्रोह के बाद राज्य के शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके विरोधियों में क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू मुख्य रूप से शामिल थे।

राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े जन नेता के रूप में देखे जाने वाले अमरिंदर सिंह ने बेहद परेशान होकर कहा कि सिद्धू के साथ लड़ाई में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उन्हें तीन बार “अपमानित” किया गया। आगे क्या होता हैं देखना होगा।

Sunday, September 26, 2021

गृहमंत्री अमित शाह से ज़्यादा कमाती हैं उनकी पत्नी सोनल शाह ,जानिए दोनों की कुल सम्पत्ति।

भारत के गृहमंत्री अमित शाह पहले स्टॉक ब्रोकर थे और साथ ही सहकारी बैंक में काम करते थे। 1982 में पहली बार उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुयी। चेस के शौकीन अमित शाह गुजरात चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे चुके है। फिर 1986 में अमित शाह ने भाजपा ज्वाइन कर ली। आज हम आपको अमित शाह की पत्नी क्या करती हैं और वह कितनी सम्पत्ति के मालकिन है।

अमित शाह की निजी जिदंगी।
हालांकि उनकी राजनीतित जिंदगी जगजाहिर है। लेकिन आज हम आपको उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में बताएंगे। बता दें कि अमित शाह जब 23 साल के थे तो उनकी शादी सोनल शाह से हुई थी। दोनों की अरेंज मैरिज थी। अमित शाह और सोनल का एक बेटा है जिसका नाम जय शाह है। जय शादीशुदा हैं और साल 2015 में उनकी शादी ऋषिता पटेल से हुई थी। इस वक्त जय बीसीसीआई के सेक्रेटरी पद पर हैं।

अमित शाह ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उनके पास सिर्फ 20,633 रुपए की नकदी है जबकि पत्नी के पास 72,578 रुपए नकद हैं। अमित शाह के कई बैंकों में खाते हैं जिनमें 15 लाख 56 हजार 31 रुपए और उनकी पत्नी के खातों में 11 लाख 52 हजार 457 रुपये हैं। इसके अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में अमित शाह के पास दो लाख 61 हजार 192 रुपये और उनकी पत्नी के पास सात लाख 19 हजार 714 रुपये हैं। बैंक और एफडी मिलाकर अमित शाह के पास 18 लाख 89 हजार 710 रुपये और उनकी पत्नी के पास 18 लाख 72 हजार 172 रुपये हैं।

अमित शाह ने कई कंपनियों, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, डिवेंचर्स और शेयर आदि में 17 करोड़ 59 लाख 18 हजार 349 रुपए और उनकी पत्नी ने चार करोड़ 36 लाख 78 हजार 490 रुपए निवेश किए हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय बचत योजना, पोस्टल सेवा और कई पॉलिसियों में बचत के रूप में अमित शाह के पास 10 लाख 87 हजार 742 रुपए और उनकी पत्नी के पास 11 लाख 22 हजार 884 रुपये हैं।

अमित शाह ने करीब 202 कंपनियों में निवेश किया है। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज़ से जुड़ी कंपनियां और अनिल अंबानी की कंपनियां भी हैं। अमित शाह ने अपने शपथ पत्र में लिखा है कि उनके पास कोई वाहन, विमान या कोई और वाहन नहीं है। उनके पास 35 लाख 29 हजार 790 रुपए के और उनकी पत्नी के पास 63 लाख 34 हजार 128 रुपए के जेवरात भी हैं।

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के पास कई जगह जमीन भी है। इनमें रिहायशी और खेती दोनों जमीनें शामिल हैं। अमित शाह ने करबटिया गांव में 10 एकड़ जमीन के बारे में बताया है। इस जमीन में उनकी पत्नी का 40 फीसद हिस्सा है। शपथ पत्र के मुताबिक जब यह जमीन खरीदी गई थी तब इसकी कीमत चार लाख 15 हजार 35 रुपए थी, लेकिन अब इस जमीन की कीमत 80 लाख 23 हजार 738 रुपये है।

अमित शाह ने इस जमीन के अलावा विरासत के रूप में मिले शीलज में एक प्लॉट का जिक्र किया है, जिसकी कीमत फिलहाल छह करोड़ रुपए बताई है। साथ ही अमित शाह ने गांधीनगर में एक प्लॉट के बारे में बताया है। यह प्लॉट 98 हजार 62 रुपये में खरीदा गया था जिसकी वर्तमान कीमत 26 लाख रुपये है।

Tuesday, September 21, 2021

"मैं भी तो उत्तर प्रदेश के वारणासी का सांसद हुं, मुझे क्यूं नहीं बुलाया, अध्यक्ष जी" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं इसी क्रम में नई दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने यूपी के सभी सांसदों की एक मिटिंग रखी हुई थी। और प्रदेश में उनके द्वारा अब तक किए गए सभी कार्यो का ब्यौरा लिया, सभी सांसदों से एक-एक कर किए गए अपने सभी कार्यों का ब्यौरा दे ही रहे थे।

यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कानों पर पड़ी, उन्होंने तुरंत अपने अधिकारियों से कुछ फाइलें मंगवाई ओर उसे लेकर चल पड़े जहां स्वतंत्र देव सिंह सांसदों से कामो का ब्योरा ले रहे थे, मोदी जी को वहां देख कर सभी लोग आश्चर्य चकित हो गए।

मोदी जी फाइल खुद लेकर स्वतंत्र देव सिंह जी को देते हुए कहा, "अध्यक्ष जी मैं भी तो उत्तर प्रदेश के वाराणसी का सांसद हुं। आप मुझे क्यूं नहीं बुलाए अपने कामों की रिपोर्ट कार्ड देने। यह रहा मेरे अब तक का किए गए कार्यो का रिपोर्ट कार्ड, मुझे समय की कमी है, नहीं तो में यहां खुद उपस्थित रह कर आपको एक एक कार्यों का ब्यौरा देता। यदि इस रिपोर्ट कार्ड में आपको कहीं कमी मिलती है तो मुझे अवगत कराएं। मैं इस पर सुधार करने के लिए प्रयास करुंगा"।

इतना कह कर मोदी जी भाजपा कार्यालय से अपने ऑफिस की ओर रवाना हो गए। यही बात तो अलग करती है मोदी जी को दूसरे पार्टियों के नेताओं से।

Sunday, November 29, 2020

आखिर क्यों अहमद पटेल ने कहा था, 'सारे राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे'

कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) को कुछ महीने पहले जब अपने राजनीतिक अनुभवों को लेकर संस्मरण लिखने के बारे में सलाह दी गई थी तो उन्होंने कहा था कि ‘राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे’। अहमद पटेल का 25 नवंबर बुधवार को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।


'राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे'
लेखक और पत्रकार रशीद किदवई (Rasheed Kidwai) के मुताबिक, वह लॉकडाउन के बाद पटेल से उनके आवास ‘23, मदर टेरेसा क्रेसेंट मार्ग’ पर मिले थे। किदवई ने बताया, ‘हम कांग्रेस (Congress) और राजनीति के बारे में खुलकर बातें कर रहे थे। मैंने उनसे कहा कि आप अपने अनुभवों को लेकर संस्मरण क्यों नहीं लिखते। इस पर उनका जवाब था कि राज मेरे साथ कब्र में दफन हो जाएंगे।

'संकटमोचक होने के साथ सहमति बनाने वाले नेता'
'24 अकबर रोड ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपुल बिहाइंड द फाल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस' नामक पुस्तक के लेखक किदवई का कहना है कि पटेल बहुत जल्द चले गए। किदवई का कहना है कि पटेल एक संकटमोचक होने के साथ सहमति बनाने वाले नेता थे। इसकी ताजा मिसाल महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन करना जबकि अतीत में उद्धव ठाकरे की पाटी ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे।

उन्होंने कहा कि पटेल धार्मिक व्यक्ति थे और हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए अलग मस्जिद में जाते थे क्योंकि अगर नियमित रूप से एक ही मस्जिद में जाते तो बाहर कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की कतार लग जाती।

Wednesday, November 18, 2020

बालासाहेब ठाकरे ने बाबरी मस्जिद तोड़ा उधव ठाकरे ने कंगना रनौत का घर तोड़ा।

बाला साहेब ठाकरे का इतिहास उठा कर देखे तो ऐसा कोई हिंदूओ बहादुरी की वो आवाज़ थे जो मुखर होकर हर राष्ट्रविरोधी फुंकार को कुचल दिया करते थे। हर सही बात के पक्ष में बाला साहेब की बुलंद आवाज ‘सामना’ अख़बार के जरिये देश पढ़ता था। ऐसे में बाला साहेब की विरासत को सम्हालना और उसे आगे बढ़ाना बड़ी जिम्मेदारी का काम था, जिसे पूरा करने में उद्धव ठाकरे नाकाम साबित हुए हैं।


उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की आत्मा और बाला साहेब के सपने के साथ समझौता कर छल किया है। मराठी अस्मिता को हिन्दू राष्ट्रीय गौरव के सिक्के से चमका कर चलाने वाले बाला साहेब की दूरदर्शिता उद्धव में दूर दूर तक नहीं है। महाराष्ट्र में दक्षिण भारतीयों के खिलाफ आवाज उठाना हो या बाबरी विध्वंस के समय हिंदुत्व की आत्मा में प्राण फूंकने हो, बाला साहेब हमेशा आगे रहे। 1990 के दौर में ये बाला साहेब ही थे जिन्होंने हिंदू अस्मिता बोध के रूपक महाराष्ट्र की जनता के मन में बोये, जिसकी फसल 6 दिसम्बर को अयोध्या में देखने को मिली। बाला साहेब को शिव सैनिकों पर इतना गर्व था कि वो हक़ से कहा करते थे कि बाबरी पर चढ़ने वालों में सबसे आगे शिवसैनिक होंगे और 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस में शिवसैनिकों ने बाला साहेब के वचनों का मान भी रखा।


अब दूसरी तरफ हैं बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे जो बाबरी तो दूर मुम्बई में हुए अवैध निर्माणों को रोक नहीं पाए हैं। हजारों रोहिंग्या-बंगलादेशी घुसपैठिए मुंबई के तमाम इलाकों में छिपे हुए हैं। सड़को के बीचों-बीच अवैध मस्जिदें बनाकर खुदा को पुकारा जाता है और उद्धव ठाकरे अपने कान में रुई डालकर बैठे रहते हैं। मगर इन्हीं उद्धव ठाकरे की सारी ताकत तब नुमायां होती है जब एक लड़की बॉलीवुड ड्रग माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद करती है और उद्धव ठाकरे CM कुर्सी का जलाल इस्तेमाल करते हुए कंगना का दफ्तर तुड़वा देते हैं।


सारा देश बाला साहेब को याद करता है कि साहेब आपने कैसा बेटा दिया है जो कांग्रेस-NCP की चाटूकारिता में शिवसैनिक होने के मूल अभिमान को ही भूल गया है। जाहिर है एक तरफ थे हिंदू ह्रदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जो बाबरी विध्वंस पर गर्व करते थे तो दूसरी ओर है उद्धव ठाकरे जो एक औरत का दफ्तर तोड़ने पर गर्व करते हैं… बड़ा सवाल मन में कौंधता है कि शिवसेना कहाँ से चली थी और कहां तक आ गई है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...