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Saturday, August 1, 2020

इस्लाम धर्म में बकरीद (Eid-ul-Adha) का त्योहार जिसका मतलब है कुर्बानी की ईद, क्यों मनाई जाती है।

रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। बकरीद (Eid-ul-Adha)। जिसका मतलब है कुर्बानी की ईद। इस्लाम धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। कहा जाता है अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी। हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी दे दिया। 

कहते हैं तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा। लेकिन मुस्लिम समाज कभी अपने बच्चों का बलि नहीं दे सकता। इसलिए वह निर्दोष असहाय जानवरों का बली देता है। बकरीद का त्यौहार हिजरी के आखिरी महीने जुल हिज्ज में मनाया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में मक्का सऊदी अरब में एकत्रित होकर हज मनाते है। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह हज की एक अंशीय अदायगी और मुसलमानों के भाव का दिन है। दुनिया भर के मुसलमानों का एक समूह मक्का में हज करता है बाकी मुसलमानों के अंतरराष्ट्रीय भाव का दिन बन जाता है।


इन जानवरों की दी जाती है कुर्बानी 
बकरीद के दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे निर्दोष किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं। इसमें उस पशु की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है जिसके शरीर का कोई हिस्सा टूटा हुआ हो, भैंगापन हो या जानवर बीमार हो बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरे हिस्से को गरीब लोगों में बांटे जाता है।

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