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Thursday, November 19, 2020

माता सीता और द्रोपदी ने क्यों किया था छठ पूजा! जानें इस महापर्व का इतिहास।

आज से देश में महापर्व छठ की शुरूआत हो गई है। छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा का बहुत महत्व होता है, सूर्य को इस दिन शाम को और दूसरे दिन सुबह अर्घ्य दिया जाता है। छठ का पहला दिन नहाय खाए से शुरू होता है। उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व अपने आप में काफी खास है। इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा चार दिन तक चलती है। सूर्य देव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए समर्पित छठ पूजा हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है। इस वर्ष छठ पूजा 20 नवंबर यानी शुक्रवार को है।

राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी।
छठ पर्व कैसे शुरू हुआ इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं। पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियंवद को लेकर है। कहते हैं राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा।

सीता जी ने 6 दिनों तक सूर्यदेव की उपासना की।
राजा प्रियंवद ने पुत्र इच्छा के कारण देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी और तभी से छठ पूजा होती है। इस कथा के अलावा एक कथा राम-सीता जी से भी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब राम और सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला किया था। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगा जल छिड़क कर उन्हें पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। उस समय सीता जी ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर 6 दिनों तक भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी।

द्रौपदी ने भी छठ व्रत रखा था।
एक और मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। इसकी शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वह रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है। छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है। इस कथा के मुताबिक जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिल गया था। लोक परंपरा के मुताबिक सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।

Wednesday, November 18, 2020

प्रधानमंत्री मोदी का हवा में उड़ता 'अभेद्य महल।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के लिए अमेरिका (America) में तैयार विशेष विमान बोइंग 777 (Boing 777) गुरुवार दोपहर 3 बजे दिल्ली इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर उतर गया। अमेरिका के राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन जैसी क्षमताओं से लैस इस विमान में कई विशेषताएं हैं। इस विमान का प्रयोग प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू भी करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी का हवा में उड़ता 'अभेद्य क़िला'
सुपर VIP विमान की रफ़्तार 900 किलोमीटर प्रति घंटे है। ये विमान  इतना शक्तिशाली है कि दुश्मनों की मिसाइल भी बेअसर हो जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिका में तैयार ये विशेष विमान बोइंग 777 है। अमेरिका से इस विशालकाय विमान का गुरुवार को भारत की धरती पर आगमन हुआ है। इस विमान की एक नहीं, कई विशेषताएं हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान जैसी शक्तियों से लैस
ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन जैसी कई शक्तियों से लैस है। इस विमान का अपना खुद का मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इस विमान में मिरर बॉल सिस्टम भी है। ये आधुनिक इंफ्रारेड सिग्नल से चलने वालीं मिसाइलों को  भ्रमित कर सकता है। यानी इस विमान पर मिसाइल हमले का असर नहीं होगा।

दुश्मन के रडार को कर सकता है जाम
इस विमान के अगले हिस्से में जैमर लगा है। जो दुश्मन के रडार सिग्नल को जाम करने की शक्ति रखता है। यह विमान सेल्फ प्रोटेक्शन सूइट्स और अत्याधुनिक कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस है। इसमें हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। एक बार ईंधन भरने पर अमेरिका से भारत तक की लंबी उड़ान भर सकता है।

अमेरिका से दो विमानों की डील
भारत ने फरवरी में अमेरिका से 8400 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे दो विमानों की डील की थी। माना जा रहा है कि अमेरिका से दूसरे विमान का आगमन भी जल्द हो सकता है। इस सुपर VIP प्लेन को आने वाले समय में एयर इंडिया नहीं बल्कि भारतीय वायुसेना ऑपरेट करेगी।

बालासाहेब ठाकरे ने बाबरी मस्जिद तोड़ा उधव ठाकरे ने कंगना रनौत का घर तोड़ा।

बाला साहेब ठाकरे का इतिहास उठा कर देखे तो ऐसा कोई हिंदूओ बहादुरी की वो आवाज़ थे जो मुखर होकर हर राष्ट्रविरोधी फुंकार को कुचल दिया करते थे। हर सही बात के पक्ष में बाला साहेब की बुलंद आवाज ‘सामना’ अख़बार के जरिये देश पढ़ता था। ऐसे में बाला साहेब की विरासत को सम्हालना और उसे आगे बढ़ाना बड़ी जिम्मेदारी का काम था, जिसे पूरा करने में उद्धव ठाकरे नाकाम साबित हुए हैं।


उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की आत्मा और बाला साहेब के सपने के साथ समझौता कर छल किया है। मराठी अस्मिता को हिन्दू राष्ट्रीय गौरव के सिक्के से चमका कर चलाने वाले बाला साहेब की दूरदर्शिता उद्धव में दूर दूर तक नहीं है। महाराष्ट्र में दक्षिण भारतीयों के खिलाफ आवाज उठाना हो या बाबरी विध्वंस के समय हिंदुत्व की आत्मा में प्राण फूंकने हो, बाला साहेब हमेशा आगे रहे। 1990 के दौर में ये बाला साहेब ही थे जिन्होंने हिंदू अस्मिता बोध के रूपक महाराष्ट्र की जनता के मन में बोये, जिसकी फसल 6 दिसम्बर को अयोध्या में देखने को मिली। बाला साहेब को शिव सैनिकों पर इतना गर्व था कि वो हक़ से कहा करते थे कि बाबरी पर चढ़ने वालों में सबसे आगे शिवसैनिक होंगे और 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस में शिवसैनिकों ने बाला साहेब के वचनों का मान भी रखा।


अब दूसरी तरफ हैं बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे जो बाबरी तो दूर मुम्बई में हुए अवैध निर्माणों को रोक नहीं पाए हैं। हजारों रोहिंग्या-बंगलादेशी घुसपैठिए मुंबई के तमाम इलाकों में छिपे हुए हैं। सड़को के बीचों-बीच अवैध मस्जिदें बनाकर खुदा को पुकारा जाता है और उद्धव ठाकरे अपने कान में रुई डालकर बैठे रहते हैं। मगर इन्हीं उद्धव ठाकरे की सारी ताकत तब नुमायां होती है जब एक लड़की बॉलीवुड ड्रग माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद करती है और उद्धव ठाकरे CM कुर्सी का जलाल इस्तेमाल करते हुए कंगना का दफ्तर तुड़वा देते हैं।


सारा देश बाला साहेब को याद करता है कि साहेब आपने कैसा बेटा दिया है जो कांग्रेस-NCP की चाटूकारिता में शिवसैनिक होने के मूल अभिमान को ही भूल गया है। जाहिर है एक तरफ थे हिंदू ह्रदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे जो बाबरी विध्वंस पर गर्व करते थे तो दूसरी ओर है उद्धव ठाकरे जो एक औरत का दफ्तर तोड़ने पर गर्व करते हैं… बड़ा सवाल मन में कौंधता है कि शिवसेना कहाँ से चली थी और कहां तक आ गई है।

पाकिस्तान में आज भी वह मंदिर मौजूद है जहां युधिष्ठिर और यक्ष राज के बीच हुआ था संवाद।

महाभारत युद्ध अधर्म पर धर्म की जीत का युद्ध था। 18 दिनों तक चलने वाला महाभारत युद्ध सबसे विनाशकारी युद्ध था। इस युद्ध को कौरवों ने छल के साथ लड़ा था।हालांकि, इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी। महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों को कई तरह के कष्ट उठाने पड़े। पांडवों को 13 वर्ष तक अज्ञातवास में रहना पड़ा।अज्ञातवास के दौरान पांडवों को अपनी पहचान और वेष बदलकर रहना पड़ा इस दौरान अर्जुन को बृहन्नला यानि एक किन्नर बनकर रहना पड़ा।

पांडव जब अज्ञातवास में रह रहे थे तब धर्मराज युधिष्ठिर की मुलाकात यक्षराज से हुई थी। जिसका वर्णन महाभारत की कथा में बहुत ही प्रभावशाली ढ़ग से किया गया है। कथा के अनुसार एक तलाब का पानी पीने से सभी पांडवों की मृत्यु हो गई। अंत में जब युधिष्ठिर इस तलाव के समीप पहुंचे तो उनका सामना एक यक्षराज से होता है।

पानी पीने से पहले यक्ष युधिष्ठिर से कुछ प्रश्न करता है। यक्ष युधिष्ठिर से पूछता है कि पृथ्वी से भारी क्या है? युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि पृथ्वी से भारी यानी बढ़ कर है मां। यक्ष दूसरे प्रश्न में पूछता है कि आकाश से ऊंचा क्या है? धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- पिता का कद आकाश से भी ऊंचा होता है। यक्ष ने अगला सवाल किया कि वायु से तेज क्या चलता है? युधिष्ठिर ने कहा मन की गति वायु से भी तेज होती है। यक्ष ने पूछा कि तिनकों से अधिक संख्या किसकी है। युधिष्ठिर ने कहा कि चिंताओं की संख्या तिनकों से अधिक होती है। यक्ष ने पूछा कि सो जाने पर भी आखें कौन नहीं मूंदता? इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि मछली सोने पर भी आखें नहीं मूंदती। इस प्रकार यक्ष के सभी प्रश्नों का युधिष्ठिर सही जवाब देते हैं। इस बात से खुश होकर यक्ष ने युधिष्ठिर से सभी भाइयों को जिंदा कर देता है और पानी लेने की अनुमति प्रदान करता है।

पाकिस्तान में मौजूद ये स्थान।
युधिष्ठिर और यक्ष का जिस स्थान पर संवाद हुआ था वह स्थान आज भी मौजूद है। ये स्थान पाकिस्तान में स्थित है। जहां आज भी हर साल हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ये स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला चकवाल में स्थित है। यहीं पर प्राचीन और प्रसिद्ध कटासराज का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के परिसर में एक कुंड बना हुआ है। माना जाता है कि ये वहीं कुंड है जहां से पांडवों ने पानी लिया था और इसी स्थान पर युधिष्ठिर का यक्ष से संवाद हुआ था। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि ये कुंड भगवान शिव के आंसू गिरने से बना है। पौराणिक काल में भगवान शिव जब सती की अग्नि-समाधि से काफी दुखी हुए थे तो उनके आंसू दो जगह गिरे थे। एक आंसू से कटासराज सरोवर का निर्माण हुआ तो दूसरा आंसू राजस्थान के पुष्कर में गिरा था।

अगर आप भी नहीं खाते हैं मूली, तो जरूर पढ़िए इसके अचूक फायदे और लाभ।

सर्दियों में सलाद के बहुत सारे ऑपशन होते हैं। लेकिन ज्यदातर लोग मूली खाना ज्यादा पसंद करते हैं। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मूली का सलाद खाना या यू कहें कि मूली कच्चा खाना पसंद नहीं करते हैं, तो ऐसे में वो लोग मूली के पराठे या फिर मूली को आचार रूप खाते हैं। हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो मूली की शक्‍ल देखकर ही मुंह बनाने लगते हैं। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो आपके लिए मूली के फायदों को जानना बेहद जरूरी है। 

1. कैंसर की छुट्टी।
मूली में भरपूर मात्रा में फॉलिक एसिड, विटामिन C और एंथोकाइनिन पाए जाते हैं। ये तत्‍व शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। मुंह, पेट, आंत और किडनी के कैंसर से लड़ने में यह बहुत सहायक होती है।

2. डायबिटीज से छुटकारा।
मूली कम ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स के लिए जानी जाती है। यानी कि इसे खाने से ब्‍लड शुगर पर असर नहीं होता है। रोजाना सुबह खाने में मूली का सेवन करने से डायबिटीज से जल्द छुटकारा मिल सकता है।

3. सर्दी-जुकाम में राहत।
मूली खाने से जुकाम भी नही होता है। कुछ नहीं तो मूली को कम से कम सलाद में तो जरूर खाना चाहिए।

4. दूर भगाए बीमारियां।
बवासीर में कच्ची मूली या मूली के पत्तों की सब्जी बनाकर खाना फायदेमंद होता है। हर रोज सुबह उठते ही एक कच्ची मूली खाने से पीलीया रोग में आराम मिलता है। अगर पेशाब का बनना बंद हो जाए तो मूली का रस पीने से पेशाब दोबारा बनने लगती है। आधा गिलास मूली का रस पीने से पेशाब के साथ होने वाली जलन और दर्द मिट जाता है। खट्टी डकारें आती है तो मूली के एक कप रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

5. पायरिया से राहत।
पायरिया से परेशान लोग मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करें और इसका रस पिएं तो बहुत फायदा होगा। मूली के रस से कुल्ला करना, मसूड़ों-दांतों पर मलना और पीना दांतों के लिये बहुत लाभकारी है. मूली को चबा-चबा कर खाने से दांतों और मसूड़ों की बीमारियां दूर होती हैं।

6. मिटेगी थकान, दूर होगा मोटापा।
थकान मिटाने और नींद लाने में मूली बेहद फायदेमंद है। वहीं, अगर आपको मोटापे से छुटकारा पाना है तो मूली के रस में नींबू और नमक मिलाकर खाने से बहुत लाभ मिलता है। दरअसल, मूली खाने से आपकी भूख शांत होती है।

7. मुंहासों से मुक्ति।
मूली में विटामिन C, जिंक, B कांप्‍लेक्‍स और फॉस्‍फोरस होता है। मुंहासों के लिए मूली का टुकड़ा गोल काट कर मुंहासों पर लगाएं और तब तक लगाए रखें जब तक यह खुश्क न हो जाए। थोड़ी देर बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में चेहरा साफ हो जाएगा।

हर बुधवार को भगवान गणेश को जरूर चढ़ाएं ये चार चीजें होगी सारी मनोकामना पुण्य।

हिंदू शास्त्रों में बुधवार का दिन गणपति बप्पा का बताया गया है। इसलिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को खुश करने के लिए उनकी आराधना की जाती है। इस दिन उनकी पूजा करने से जातकों के सारे संकट दूर हो जाते हैं। गणपति बप्पा सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। हर एक पूजा से पहले उनकी पूजा होती है तभी वह पूजा मान्य होती है। लेकिन गणपति बप्पा की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं बुधवार के दिन भगवान गणेश पूजा में किन बातों का रखना चाहिए।

पूजा में गणेश जी को जरूर चढ़ाएं दुर्वा।
गणपति बप्पा को दूर्वा अति प्रिय है। बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा में उन्हें दूर्वा जरूर चढ़ानी चाहिए। ऐसा करने से गणेश भगवान का आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होता है।

मोदक का लगाएं भोग।
गणेश भगवान को मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। मोदक गणेश भगवान को अति प्रिय है। ऐसे में बुधवार के दिन गणेश भगवान की पूजा में उन्हें मोदक जरूर चढ़ाना चाहिए।

भगवान गणेश को लाल फूल चढ़ाएं।
भगवान गणेश को लाल फूल चढ़ाने चाहिए। अगर लाल फूल चढ़ाना संभव नहीं है तो आप कोई और फूल भी चढ़ा सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

गणपति को प्रिय है लाल सिंदूर।
गणपति बप्पा को लाल सिंदूर बहुत पसंद होता है। भगवान गणेश को स्नान कराने के बाद उन्हें लाल सिंदूर लगाना चाहिए। उसके बाद अपने माथे में भी लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। ऐसा आप हर रोज भी कर सकते हैं। भगवान गणेश के आशीर्वाद से आपको हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।

इस मंत्र का करें जाप।
गणेश भगवान आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से रक्षा करते हैं। गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय यह मंत्र बोलें- 'सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम. शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम॥ ऊँ गं गणपतये नम:

Tuesday, November 17, 2020

अगर छठ पूजा में करते हैं ये काम, तो प्रसन्न होती हैं छठ मईया।

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। जो इस बार 20 नवंबर यानि कि शुक्रवार के दिन है। इस दिन छठ पूजा के साथ साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगले दिन सूर्योदय पर भी अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। लेकिन छठ पर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पहले चतुर्थी से ही हो जाती है। तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं।

यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है। छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ कई नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। यह व्रत जितना कठिन होता है उतने ही कठिन इसके नियम होते हैं। जानें छठ पूजा के दौरान किन 10 नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।

छठ पूजा के 10 बड़े नियम।
👉मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन का सेवन करना इन 4 दिनों में वर्जित माना जाता है।

👉छठ पूजा में सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए बिना साफ-सफाई के पूजा की कोई भी चीज नहीं छूनी चाहिए।

👉जो महिलाएं यह व्रत करती हैं वह इन दिनों में पलंग या चारपाई पर नहीं सोती बल्कि जमीन पर चादर बिछाकर सोती हैं।

👉सूर्य भगवान को अर्ध्य देना बहुत ही जरूरी माना जाता है। इसलिए कभी भी पूजा के लिए चांदी, स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

👉प्रसाद तैयार करते समय खुद कुछ नहीं खाना चाहिए।

👉जिस जगह आप प्रसाद बना रहे हैं, वहां पर पहले खाना न बनता हो।

👉पूजा के समय हमेशा साफ-सुथरे और धुले हुए कपड़े ही पहनें।

👉अगर आपने व्रत रखा है तो बिना सूर्य को अर्घ्य दिए जल या फिर किसी और चीज का सेवन न करें।

👉छठ व्रत के दौरान शराब, अल्कोहल और मांसाहारी खाने से दूरी बनाकर रखें।

👉पूजा के दिनों में किसी को भी फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...