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Monday, November 30, 2020

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है गुरु नानक जयंती।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरुनानक जयंती इस साल 30 नवंबर को मनाई जा रही है। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु माने जाते हैं। कहा जाता है कि बचपन से ही गुरु नानक देव का आध्यात्मिकता की तरफ काफी रुझान था और वह सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे।

गुरु नानक की शिक्षाएं।
गुरु नानक देव की शिक्षाएं आज भी सही रास्ते में चलने वाले लोगों का मार्ग दर्शन कर रही हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक और नानक देव, बाबा नानक और नानक शाह जी जैसे नामों से संबोधित करते हैं। कई चमत्कारिक घटनाओं की वजह से ये 7-8 साल की उम्र में ही काफी प्रसिद्ध हो गए थे। आइए गुरु नानक जयंती से पहले जानते हैं उनकी 10 बड़ी शिक्षाओं के बारे में।

गुरु नानक देव की 10 शिक्षाएं
1- परम-पिता परमेश्वर एक है।
2- हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाओ।
3- दुनिया की हर जगह और हर प्राणी में ईश्वर मौजूद हैं।
4- ईश्वर की भक्ति में लीन लोगों को किसी का डर नहीं सताता।
5- ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए।

6- बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सताएं।
7- हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें।
8- मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें।
9- सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं।
10 - भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है। परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है।

Sunday, November 29, 2020

भारतीय मूल की Seema Nanda को अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden की टीम में मिली है जगह।

भारतीय-अमेरिकी वकील सीमा नंदा (Seema Nanda) को अमेरिका (USA) के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की प्रेसिडेंशियल ट्रांजिशन टीम (Presidential Transition Team) में जगह मिल गई है। सीमा नंदा (Seema Nanda) राष्ट्रपति जो बाइडेन के ट्रांजिशन में मदद करेंगी। जो बाइडेन (Joe Biden) अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति चुनाव में 46वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए हैं। जानिए सीमा नंदा (Seema Nanda) से जुड़ीं खास बातें।



1. सीमा नंदा (Seema Nanda) ने साल 2013 में श्रम विभाग में डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ का पद भार संभाला था। सीमा नंदा (Seema Nanda) ने सेक्रेटरी टॉम पेरेज की एक वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी काम किया।

2. सीमा नंदा (Seema Nanda) ने श्रम विभाग में कई मुद्दों पर काम किया, इसमें कर्मचारी जुड़ाव, वेतन और घंटे, उचित वेतन, वर्कफोर्स डेवलपमेंट, इमिग्रेशन जैसे मुद्दे शामिल हैं।

3. सीमा नंदा (Seema Nanda) ने अमेरिका (USA) की ब्राउन यूनिवर्सिटी के बोस्टन कॉलेज लॉ स्कूल से स्नातक की पढ़ाई की।

4. सीमा नंदा (Seema Nanda) मैसाचुसेट्स बार एसोसिएशन की सदस्य हैं, जो अमेरिका (USA) के मैसाचुसेट्स में एक स्वैच्छिक और गैर-लाभकारी बार एसोसिएशन है।

5. सीमा नंदा (Seema Nanda) ने अमेरिकी न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग में इमिग्रेशन-संबंधित अनुचित रोजगार प्रथाओं के लिए ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसिल (OSC) के प्रमुख के रूप में काम किया।

6. ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसिल (OSC) में काम करने से पहले, सीमा नंदा ने नेशनल लेबर रिलेशंस बोर्ड के डिवीजन ऑफ एडवाइस में एक वकील और सुपरवाइजरी अटॉर्नी के रूप में काम किया।

7. सीमा नंदा (Seema Nanda) पहली भारतीय-अमेरिकी थीं जो साल 2018 में डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) की सीईओ बनीं।

8. साल 2020 में अमेरिका (USA) में राष्ट्रपति चुनाव के पहले सीमा नंदा (Seema Nanda) ने डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) की सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उन्होंने ये पद छोड़ने से पहले कोई कारण नहीं बताया था।

9. सीमा नंदा (Seema Nanda) ने डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) की सीईओ के पद से इस्तीफा देते समय ट्वीट करके कहा था, 'दो साल बाद, मैं डीएनसी के सीईओ के पद को छोड़ रही हूं। हमने जो बुनियादी ढांचा तैयार किया, हमने जो टीम बनाई वो अब आगे काम नहीं करेगी। मैं अपने लोकतंत्र के लिए लड़ाई जारी रखने और हर जगह डेमोक्रेट्स को जिताने के लिए तत्पर हूं।

10. सीमा नंदा (Seema Nanda) कई गैर-लाभकारी संस्थाओं के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की एक प्रतिष्ठित सदस्य हैं।

मुस्लिम हिरोइनों ने फिल्मों में सफलता पाने के लिए अपना नाम ही बदल लिया।

ऐसे तो हर कोई अपनी मंजिल को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। आज हम बात कर रहे है, हिंदी सिनेमा जगत के कुछ मुस्लिम अभिनेत्रियों के बारे में जो अपने फिल्मी कैरियर बनाने के लिए अपने वास्तविक नाम को बदल कर हिंदू नाम से पहचान बनाई। और सत प्रतिसत सफल भी रही हैं। कुछ प्रमुख नाम निम्न है।

रानी चटर्जी
भोजपुरी सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस रानी चटर्जी का असली नाम मिर्जा शेख हैं। फिल्मों में एंट्री के समय रानी का नाम मिर्जा शेख से रानी कर दिया गया। इसी तरह एक बार किसी पत्रकार ने रानी के नाम के आगे चटर्जी लगा दिया और उन्हें बंगाली बताया गया तो रानी ने भी अपना सरनेम रानी चटर्जी लिखना शुरू कर दिया।
आलिया भट्ट 
आलिया भट्ट बॉलीवुड में मौजूदा समय की टॉप एक्ट्रेस हैं। लेकिन क्या आपको पता है आलिया एक मुस्लिम परिवार से हैं।

मधुबाला
60 की दशक की टॉप एक्ट्रेस मधुबाला अपनी खूबसूरती और अदाकारी से लाखों दिलों पर राज करती थी। लेकिन मधुबाला का असली नाम मुमताज बेगम था।
मधुबाला और दिलीप कुमार की लव स्टोरी हर किसी की जुबान पर है।

रीना रॉय 
70 और 80 के दशक की बेहतरीन एक्ट्रेस रीना रॉय भी एक मुस्लिम परिवास से ताल्लुक रखती हैं। लेेकिन फिल्मों में कदम रखतेे समय रीना रॉय अपना नाम सायरा अली से बदलकर रीना रॉय रख लिया था।


तब्बू
तबु का असली नाम तब्बसुम फातिमा हाशमी है। तब्बू ने फिल्मों के लिए अपना नाम बदल लिया।

मान्यता
संजय दत्त की पत्नी मान्यता का असली नाम दिलनवाज शेख है। मान्यता हिंदू रीति रिवाजों को भी फॉलो करती हैं।

आखिर टीना डाबी का अतहर के साथ तलाक की नौबत क्यों आयी।

मैं सोच रहा था कि आखिर टीना डाबी (भीमटी) का अतहर (शान्तिदूत) के साथ तलाक की नौबत क्यों आई 
फिर मुझे कहीं एक तस्वीर नजर आई जिसमें टीना और अतहर ताजमहल के सामने उस अभिशप्त बेंच पर बैठकर फोटो खींचे हैं।

मनहूस अभिशप्त बेंच 
अब आप इतिहास जानिए कि इस अभिशप्त बेंच पर जितने प्रसिद्ध कपल बैठ कर फोटो खींच आए और इस अभिशप्त बेंच ने सिर्फ एक महीने में अपना असर दिखा दिया।
01 व्लादिमीर पुतिन - सन 2000 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पत्नी ल्यूडमिला के साथ ताजमहल देखने पहुंचे थे। कुछ समय बाद दोनों का तलाक हो गया।

02 प्रिंसेस डायना - 1992 में ब्रिटिश राजकुमारी डायना भी ताजमहल देखने पहुंची थीं। दस महीने बाद ही डायना और चार्ल्स का तलाक हो गया।

03 टॉम क्रूज - 2011 में टॉम क्रूज फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल: घोस्ट प्रोटोकॉल’ के वर्ल्ड प्रीमियर से पहले भारत पहुंचे थे और ताजमहल के सामने फोटो भी खिंचवाई थी। यहाँँ से लौटने के बाद 2012 में टॉम क्रूज का उनकी पत्नी कैटी होम्स से तलाक हो गया था।

04 रसेल ब्रांड-  कैटी पेरी: 2009 (दिसंबर) में हॉलीबुड एक्टर रसेल ब्रांड ताजमहल देखने पहुंचे थे। उनके साथ उनकी गर्लफ्रेंड कैटी पेरी भी आई थीं। यहां से लौटने के बाद दोनों ने शादी भी की, मगर 14 महीनों बाद ही दोनों का तलाक हो गया।

05 बोरिस बेकर- 2012 में दुनिया के महान टेनिस प्लेयर बोरिस बेकर पत्नी लिली के साथ ताजमहल देखने पहुंचे थे। बाद में इन दोनों का भी तलाक हो गया।

06 जैकलीन कैनेडी- 1962 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की पत्नी जैकलीन कैनेडी अमेरिका की फर्स्ट लेडी रहते हुए भारत-पाकिस्तान की गुडविल ट्रिप पर आई थीं। इस दौरान वे ताजमहल देखने भी पहुंची थीं। यहां से लौटने के बाद 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ.कैनेडी की हत्या हो गई और जैकलीन अकेली रह गई थीं।

07 डोनाल्ड ट्रंप और मेलानिया- इस साल की शुरूआत में भारत आये डोनाल्ड ट्रंप और मेलानिया ट्रंप भी ताजमहल देखने गये थे। सुना है जनवरी में दोनों का तलाक होने वाला है।
कृपया सोच समझ कर कदम उठाए इतिहास गवाह हैं।
जनहित में जारी।

रतन टाटा के जीवन की तीन घटनाएं जो उन्हे और महान बनती हैं।

आज देश के अनमोल रत्न रतन जी टाटा पर पूरे देश को गर्व है। उसके जीवन की कुछ रोचक घटनाएं जो उनके प्रति देश के युवाओं के दिल में प्रेम और सम्मान और बढ़ा देता है।

1978 की हकीकत
एक बार जे आर डी टाटा फ्लाइट में बैठे थे उसके बगल में दिलीप कुमार बैठे थे। दिलीप कुमार से रहा नहीं गया उन्होंने अपना परिचय दिया मैं नामी फिल्मस्टार हूं आप मेरी फिल्म देखी होगी। जे आर डी टाटा ने जवाब दिया नहीं, कौन दिलीप कुमार? उस वक़्त दिलीप कुमार की बेजती हो गई। सभी अखबार में खबर आई।

एक बार अमिताभ के बगल की सीट पर फ्लाइट में सफर कर रहे थे अमिताभ ने पूछा, आप फिल्म देखते हैं, इन्होंने कहा समय नहीं मिलता, अमिताभ ने बताया कि वह फिल्म स्टार है। इन्होंने कहा बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर। अमिताभ बहुत प्रसन्न थे। अपना फिल्मस्टार वाला एटिट्यूड दिखा रहे थे। जब एयरपोर्ट पर उतरे तो अमिताभ ने पूछा कि आपने परिचय नहीं दिया तो इन्होंने कहा टाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री के चेयरमैन हूं  रतन टाटा नाम है। अमिताभ को काटो तो खून नही।

दूसरी घटना मुंबई हमले की बाद की है। पाकिस्तान ने टाटा सूमो की हजारों गाड़ियों का आर्डर दिए था। जो मुंबई हमले के बाद टाटा ने डिलीवरी को कैंसिल कर दी व ये कहकर गाड़ियां देने से मना कर दिया की मैं उस देश को गाड़ी नहीं दे सकता जो गाड़ी मेरे देश के खिलाफ इस्तेमाल करे।

तीसरी घटना मुंबई हमले के बाद की है मुंबई ताज होटल की मॉडिफिकेशन का था पाकिस्तान के एक पार्टी इस काम के लिए इनसे मिलने आई। इन्होंने मिलने से मना कर दिया। पार्टी ने दिल्ली जाकर आनन्द शर्मा से सिफारिश करवाई। शर्मा ने पार्टी की तारीफ करते हुए कहा इन्हें काम दीजिए ये अच्छा काम करेंगे। रतन टाटा का जवाब था- You may be shameless,I am not (आप बेशर्म हो सकते हैं, मैं नहीं!)

प्रधानमंत्री के आग्रह पर वो व्यक्ति दीया लिये खड़ा है
यही वो व्यक्ति है जिन्होंने कोरोना फंड में 1500 करोड़ दान किए हैं और कहा है जरूरत पड़ने पर अपनी पूरी संपत्ति देश के लिए दे सकता है। ऐसा देश भक्त महान पुरुष, कर्मयोद्धा को करबद्ध नमन है। ये है हमारे देश के असली हीरो। आज के युवा को इन्हें अपना आदर्श मानना चाहिए और इन पर गौरव करना चाहिए , न कि टुच्चे नेताओं को हीरो मानकर उनके पीछे चक्कर लगाना चाहिए।

मेरे नजर में भारत रत्न का हकदार ये असली रत्न, ये कर्मयोद्धा है जिसने भारत की औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व किया और उत्पादों की गुणवत्ता के सदैव मानक स्थापित किए।

जनेऊ पहनने के अप्रत्यक्ष लाभ जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभप्रद है। Part 2

शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता है। और जनेऊ से हम यही काम करते है उस केन्द्र को हम एक्युप्रेश करते है।

लाभ जो अप्रत्यक्ष है जिसे कम लोग जानते है।
कान के नीचे वाले हिस्से (इयर लोब) की रोजाना पांच मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है। यह टिप पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। अगर भूख कम करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर छोटेवाले हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम लगेगी। यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है। निर्जला व्रत में लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

एक्युप्रेशर की शब्दवली में इसे  point जीवी 20 या डीयू 20
इसका लाभ आप देखे
जीवी 20
कहां : कान के पीछे के झुकाव में। 
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।

इसके अलावा इसके कुछ अन्य लाभ जो क्लीनिकली शुद्ध है।
1. बार-बार बुरे स्वप्न आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से ऐसे स्वप्न नहीं आते।

2. जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने से यह हृदय रोग की संभावना को कम करता है, क्योंकि इससे रक्त संचार सुचारू रूप से संचालित होने लगता है।

3. जनेऊ पहनने वाला व्यक्ति सफाई नियमों में बंधा होता है। यह सफाई उसे दांत, मुंह, पेट, कृमि, जीवाणुओं के रोगों से बचाती है।

4. जनेऊ को दायें कान पर धारण करने से कान की वह नस दबती है, जिससे मस्तिष्क की कोई सोई हुई तंद्रा कार्य करती है।

5. दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

6. कान में जनेऊ लपेटने से मनुष्य में सूर्य नाड़ी का जाग्रण होता है।

7. कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप की समस्या से भी बचाव होता है।

दारा सिंह 500 से ज्यादा कुस्तीयां लडे एक भी नही हारा,53 की छाति 6.2 की हाईट और 127 kg वजन।

रुस्तम ए हिंद दारा सिंह रंधावा को उनकी जन्म जयंती
(19 नवंबर 1928 - 12 जुलाई 2012) दारा सिंह रंधावा, कुश्ती का वो खिलाड़ी, जिसने अखाड़े से लेकर रेसलिंग के रिंग तक के अपने सफर में दुनिया भर के करोड़ों लोगों की खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में भी अपना नाम कमाया और साथ ही साथ राजनीति में भी अपने पैर रखने से न चूके।

एक पहलवान
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 में अमृतसर के धर्मुचक्क नामक गांव में एक जाट जमींदार परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से खेतिहर पृष्ठभूमि का ही था। बहुत ही कम उम्र में सिंह को उनके परिवार ने स्कूल से निकलवाकर खेतों में काम करने के लिए लगा दिया। बचपन में ही उनकी शादी उनसे उम्र में बड़ी बचनो कौर से करवा दी गयी जिनको सिंह ने बाद में तलाक़ दिया और 1961 में सुरजीत कौर से शादी रचाई। दारा सिंह 1947 में सिंगापुर गए जहां उन्होंने एक ड्रम निर्माण करने वाली मिल में छोटी मोटी नौकरी की। सिंगापुर में ही वे हरनाम सिंह से मिले जो उनके गुरु बने और 6 फुट 2 इंच लंबे दारा सिंह को रेसलिंग की दुनिया में ले भी गए। 1954 में सिंह ने टाइगर जोगिन्दर सिंह को हरा कर रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब जीता। उन्होंने 1959 के राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियनशिप भी जीती।
इसके बाद दारा सिंह प्रोफेशनल रेसलिंग में आ गए। अपनी लगभग 500 लड़ाइयों में दारा सिंह ने कई चैंपियनशिप जीतीं। सिंह ने कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को पटखनी दी जिनमें ऑस्ट्रेलिया के विख्यात रेसलर किंग_कांग और 1956 के वर्ल्ड चैंपियन अमरीकी रेसलर लू_थेज का नाम भी शामिल है। 1983 में सिंह ने रेसलिंग से अपनी रिटायरमेंट घोषित कर दी।

2012 में दिल के दौडा पड़ने से उनकी अकस्मात मृत्यु हो गई। मृत्यु के छह साल बाद 2018 में ही वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट ने दारा सिंह को अपने हॉल ऑफ़ फेम में जगह दी।
भारत के हीमैन
दारा सिंह का मज़बूत शरीर उनको भारत का ‘पहला एक्शन हीरो’ और देश का पहला ‘ही-मैन’ बनाने में बहुत काम आया। दिलीप कुमार और मधुबाला की स्टार कास्ट वाली फिल्म संगदिल में सपोर्टिंग रोल से एक्टिंग शुरू करने के बाद दारा सिंह खुद ही फिल्मों की एक श्रेणी बन गए। ऐसी फिल्मों की शुरुआत उन्होंने 1962 में किंग कांग से की जिसको वे कथित तौर पर जबरदस्ती की गयी फिल्म बुलाते थे।

अपने पेशे की शुरुआत के लगभग दो दशकों तक दारा सिंह एक्शन हीरो के रोल में ही लीड पर छाए रहे। रुस्तम-ए-बगदाद(1963), फौलाद(1963), हर्क्युलेस (1964), सिकंदर-ए-आज़म(1965) और रुस्तम-ए-हिन्द (1965) आदी कुछ उदाहरण हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कई सारी बी-ग्रेड फिल्मों में काम करने के बाद दारा सिंह ने 1970 में कुछ हटकर करने की चाहत में फिल्म नानक दुख्या सब संसार का निर्देशन किया और एक्टिंग भी की जो 1947 के बाद के बंटवारे के बाद हुई त्रासदियों पर आधारित थी।

सिंह ने कई टीवी शो, जिसमें हद कर दी आपने और क्या होगा निम्मो का शामिल हैं, में भी काम किया. लेकिन उनको 1987-88 के रामानंद सागर के मशहूर शो रामायण में हनुमान का किरदार निभाने के लिए सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई। सिंह ने कई बॉलीवुड फिल्मों में स्पेशल किरदार भी निभाया। उनके सब-रोल में सबसे महत्त्वपूर्ण राज कपूर की मेरा नाम जोकर (1970) रही। इसके अलावा उन्होंने अजूबा(1991), दिल्लगी(1999) और कल हो न हो (2003) में भी स्पेशल किरदार निभाया। 2006 की ब्लॉकबस्टर जब वी मेट उनकी आखिरी बॉलीवुड मूवी थी जिसमें उन्होंने करीना कपूर के दादा होने का किरदार निभाया।

राजनेता
हालांकि दारा सिंह ज़्यादातर तो एक रेसलर व अभिनेता ही थे लेकिन उन्होंने राजनीति में भी काम किया भले ही ज़्यादा नहीं। सिंह 1998 में भाजपा में शामिल हुए। 2003 में वे खेल श्रेणी से राज्य सभा के पहले चुने गए सांसद थे। 2009 तक वे राज्य सभा के सांसद रहे। अखिल भारतीय जाट समाज और बॉम्बे जाट समाज में उन्होंने बतौर अध्यक्ष काम भी किया।

मृत्यु
लंबी बीमारी से जूझते हुए उन्होंने 12 जुलाई 2012 सुबह 7.30 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं। रुस्तम-ए हिन्द दारा सिंह के स्वास्थ्य के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा था लेकिन कोकिला बेन अस्पताल के डॉक्टरों के लाखों प्रयासों के बाद भी दारा सिंह अपनी मृत्यु को टाल नहीं पाए।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...