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Thursday, July 8, 2021

आषाढ़ी अमावस्या के दिन करें यह उपाय, दूर होगी धन की समस्या।

हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। इस साल आषाढ़ मास की अमावस्या 9 जुलाई को है। इसे अषाढ़ी या हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है. इस को दिन पितरों का दिन माना जाता है। अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण का विधान है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी की जाती है। कहा जाता है कि इस गीता का पाठ करने से सभी परेशानियों दूर होती हैं। इसके अलावा कुछ उपाय करने से धन से जुड़ी समस्या भी दूर होती हैं। आज आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको आषाढ़ अमावस्या पर अपनाने चाहिए।

घर के ईशान कोण में जलाएं दीपक 
आषाढ़ अमावस्या के मौके पर आपको के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। आपको इस दौरान एक बात ध्यान रखनी चाहिए। दीपक में रुई के बजाय लाल रंग के धागे की बत्ती बनाएं। इसके अलावा कुछ दीपक में थोड़ा केसर भी डाल दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन की कोई कमी नहीं होती।

करें महालक्ष्मी जी का पूजन।
अगर आप आषाढ़ अमावस्या के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर महालक्ष्मी जी का पूजन करेंगे, तो आपकी मनोकामना पूरी हो जाएंगी। इसके लिए आपको उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके आसन पर बैठना होगा और एक चौकी पर महालक्ष्मी जी का यंत्र स्थापित करके पूजन करना होगा।

गरीबों को कराएं भोजन।
वैसे तो आप किसी भी दिन गरीबों को भोजन कराकर पुण्य कमा सकते हैं, लेकिन अमावस्या के दिन अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपको विशेष पुण्य लाभ मिलेगा और आपके जीवन में आने वाली परेशानी खत्म हो जाएंगी। आप गरीबों को भोजन कराने के अलावा चीटियों को आटा भी खिला सकते हैं। इससे भी आपको काफी पुण्य मिलेगा।

Wednesday, July 7, 2021

कैबिनेट विस्तार: सामने आई 43 मंत्रियों की लिस्ट; सिंधिया, नारायण राणे भी लेंगे शपथ।

जब से पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रियों के विस्तार की खबरें सामने आई हैं, तब से नामों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। अब सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क आपके लिए उन मंत्रियों की पूरी सूची लेकर आया है जो बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों में शामिल हो रहे हैं।


शामिल होने वाले मंत्रियों की पूरी सूची।
1.नारायण राणे
2.सर्बानंद सोनोवाल
3.डॉ वीरेंद्र कुमार
4.ज्योतिरादित्य एम सिंधिया
5.रामचंद्र प्रसाद सिंह
6.अश्विनी वैष्णव
7.पशुपति कुमार पारस
8.किरण रिजिजू
9.राज कुमार सिंह
10.हरदीप सिंह पुरी
11.मनसुख मंडाविया
12.भूपेंद्र यादव
13.पुरुषोत्तम रुपाला
14.जी. किशन रेड्डी
15.अनुराग सिंह ठाकुर
16.पंकज चौधरी
17.अनुप्रिया सिंह पटेल
18.डॉ सत्यपाल सिंह बघेल
19.राजीव चंद्रशेखर
20.सुश्री शोभा करंदलाजे
21.भानु प्रताप सिंह वर्मा
22.दर्शना विक्रम जरदोश
23.मीनाक्षी लेखी
24.अन्नपूर्णा देवी
25.ए. नारायणस्वामी
26.कौशल किशोर
27.अजय भट्ट
28.बी एल वर्मा
29.अजय कुमार
30.चौहान देवसिंह
31.भगवंत खुबा
32.कपिल मोरेश्वर पाटिल
33.सुश्री प्रतिमा भौमिक
34.डॉ सुभाष सरकार
35.डॉ भागवत किशनराव कराड
36.डॉ राजकुमार रंजन सिंह
37.डॉ. भारती प्रवीण पवार
38.विश्वेश्वर टुडू
39.शांतनु ठाकुर
40.डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई
41.जॉन बारला
42.डॉ. एल. मुरुगन
43.निसिथ प्रमाणिक
बता दें कि पिछली कई सरकारों की तुलना में नई मंत्रिपरिषद में जाति, धर्म, क्षेत्र और अनुभव के मामले में अधिक प्रतिनिधित्व होगा। 11 महिला मंत्रियों (कैबिनेट में 2), 27 ओबीसी (कैबिनेट में 5), 8 एसटी (कैबिनेट में 3), और 12 एससी सदस्यों (कैबिनेट में 2) को नई मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनाया गया है। इसके अलावा, 13 वकीलों, 6 डॉक्टरों, 5 इंजीनियरों, 7 सिविल सेवकों और 4 पूर्व सीएम को भी नई मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनाया गया है।

प्रसिद्ध अभिनेता मोहम्मद यूसुफ बदला हुआ नाम दिलीप कुमार अब इस दुनिया में नही रहे।

बॉलीवुड उस समय गमगीन हो गई जब ये ख़बर सामने आई कि दिलीप कुमार के नाम से मशहूर फिल्म अभिनेता यूसुफ खान का निधन हो गया है। उन्हें पिछले महीने से ही सांस संबंधित समस्याएं बनी हुई थी। जिसके चलते उन्हें मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यही पर 98 वर्षीय दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान ने आखिरी सांस ली।

दिलीप कुमार की निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री में शोक पसर गया है। सेलेब्स सोशल मीडिया पोस्ट साझा कर अभिनेता को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। दिलीप कुमार को सांस में तकलीफ के कारण छह जून को भी इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय उनके फेफड़ों के बाहर तरल पदार्थ एकत्र हो गया, जिसे चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक निकाल दिया था और पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। हालांकि फिर सब उनकी तबियत खराब हुई तथा हॉस्पिटल ले जाया गया जहां आज उनका निधन हो गया।
पिछले साल, दिलीप कुमार ने अपने दो छोटे भाइयों असलम खान (88) और एहसान खान (90) को कोरोना वायरस के कारण खो दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपना जन्मदिन और शादी की सालगिरह भी नहीं मनाई थी। हालांकि, उनकी बीवी सायरा बानो ने बताया था कि दोनों भाइयों के निधन की खबर दिलीप साहब को नहीं दी गई थी।

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान में हुआ था और उनका नाम यूसुफ खान था। बाद में उन्हें पर्दे पर दिलीप कुमार के नाम से शोहरत मिली। एक्टर ने अपना नाम एक प्रोड्यूसर के कहने पर बदला था, जिसके बाद उन्हें स्क्रीन पर दिलीप कुमार के नाम से लोग जानने लगे। दिलीप कुमार की शुरुआती पढ़ाई नासिक में हुई। बाद में उन्होंने फिल्मों में अभिनय का फैसला किया और 1944 में रिलीज हुई फिल्म ज्वार भाटा से डेब्यू किया। शुरुआती फिल्में नहीं चलने के बाद अभिनेत्री नूर जहां के साथ उनकी जोड़ी हिट हो गई। फिल्म जुगनू दिलीप कुमार की पहली हिट फिल्म बनी। दिलीप साहब ने लगातार कई फिल्में हिट दी हैं। उनकी फिल्म मुगल-ए-आजम उस वक्त की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी। अगस्त 1960 में रिलीज हुई यह फिल्म उस वक्त की सबसे महंगी लागत में बनने वाली फिल्म थी।

दिलीप कुमार को आठ फिल्मफेयर अर्वाड मिल चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा अवॉर्ड जीतने के लिए दिलीप कुमार का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। दिलीप कुमार को साल 1991 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1994 तें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। 2000 से 2006 तक वह राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1998 में उन्हें पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया गया।

Sunday, June 27, 2021

पांडवों ने क्यों बनवाया था केदारनाथ मंदिर? आखिर क्या इसका रहस्य।

हिन्दू धर्म में हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ धाम को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। हिन्दू पुराणों में साल के करीब 6 महीने हिम से ढके रहने वाले इस पवित्र धाम को भगवान शिव का निवास स्थान बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में हर समय विराजमान रहते हैं। वैसे तो पौराणिक ग्रंथों में इस धाम से जुड़ी कई कथाओं का वर्णन मिलता है लेकिन आज आपको महाभारत में इस धाम से जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। इस कथा में ये बताया गया है कि यहां पांडवों को भगवान शिव ने साक्षात् दर्शन दिए थे, जिसके बाद पांडवों ने यहां इस धाम को स्थापित किया।

पांडवों ने क्यों बनवाया था केदारनाथ मंदिर।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध में विजय के पश्चात पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को हस्तिनापुर के नरेश के रूप में राज्याभिषेक किया गया। उसके बाद करीब चार दशकों तक युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर पर राज्य किया। इसी दौरान एक दिन पांचों पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर महाभारत युद्ध की समीक्षा कर रहे थे। समीक्षा में पांडवों ने श्रीकृष्ण से कहा हे नारायण हम सभी भाइयों पर ब्रम्ह हत्या के साथ अपने बंधु बांधवों की हत्या का कलंक है।

इस कलंक को कैसे दूर किया जाए? तब श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा कि ये सच है कि युद्ध में भले ही जीत तुम्हारी हुई है लेकिन तुमलोग अपने गुरु और भाई बांधुओ को मारने के कारण पाप के भागी बन गए हो। इन पापों के कारण मुक्ति मिलना असंभव है। इन पापों से सिर्फ महादेव ही मुक्ति दिला सकते हैं। इसलिए महादेव की शरण में जाओ। उसके बाद श्रीकृष्ण द्वारका लौट गए।

उसके बाद पांडव पापों से मुक्ति के लिए चिंतित रहने लगे और मन ही मन सोचते रहे कि कब राज पाठ को त्यागकर भगवान शिव की शरण में जाएंगे। उसी बीच एक दिन पांडवों को पता चला कि वासुदेव ने अपना देह त्याग दिया है और वो अपने परमधाम लौट गए हैं। ये सुनकर पांडवों को भी पृथ्वी पर रहना उचित नहीं लग रहा था। गुरु, पितामह और सखा सभी तो युद्धभूमि में ही पीछे छूट गए थे। माता, ज्येष्ठ, पिता और काका विदुर भी वनगमन कर चुके थे। सदा के सहायक कृष्ण भी नहीं रहे थे। ऐसे में पांडवों ने राज्य परीक्षित को सौंप दिया और द्रौपदी समेत हस्तिनापुर छोड़कर भगवान शिव की तलाश में निकल पड़े।

हस्तिनापुर से निकलने के बाद पांचों भाई और द्रौपदी भगवान शिव के दर्शन के लिए सबसे पहले काशी पहुंचे, पर भोलेनाथ वहां नहीं मिले। उसके बाद उन लोगों ने कई और जगहों पर भगवान शिव को खोजने का प्रयास किया लेकिन जहां कहीं भी ये लोग जाते शिव जी वहां से चले जाते। इस क्रम में पांचों पांडव और द्रौपदी एक दिन शिव जी को खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे।

यहां पर भी शिवजी ने इन लोगों को देखा तो वो छिप गए लेकिन यहां पर युधिष्ठिर ने भगवान शिव को छिपते हुए देख लिया था। तब युधिष्ठिर ने भगवान शिव से कहा कि हे प्रभु आप कितना भी छिप जाएं लेकिन हम आपके दर्शन किए बिना यहां से नहीं जाएंगे और मैं ये भी जनता हूं कि आप इसलिए छिप रहे हैं क्योंकि हमने पाप किया है। युधिष्ठिर के इतना कहने के बाद पांचों पांडव आगे बढ़ने लगे। उसी समय एक बैल उन पर झपट पड़ा। ये देख भीम उससे लड़ने लगे। इसी बीच बैल ने अपना सिर चट्टानों के बीच छुपा लिया जिसके बाद भीम उसकी पुंछ पकड़कर खींचने लगे तो बैल का धड़ सिर से अलग हो गया और उस बैल का धड़ शिवलिंग में बदल गया और कुछ समय के बाद शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए। शिव ने पंड़ावों के पाप क्षमा कर दिए।
 
आज भी इस घटना के प्रमाण केदारनाथ में दिखने को मिलता है, जहां शिवलिंग बैल के कुल्हे के रूप में मौजूद है। भगवान शिव को अपने सामने साक्षात देखकर पांडवों ने उन्हें प्रणाम किया और उसके बाद भगवान शिव ने पांडवों को स्वर्ग का मार्ग बताया और फिर अंतर्ध्यान हो गए। उसके बाद पांडवों ने उस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की और आज वही शिवलिंग केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। यहां पांडवों को स्वर्ग जाने का रास्ता स्वयं शिव जी ने दिखाया था इसलिए हिन्दू धर्म में केदार स्थल को मुक्ति स्थल माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि अगर कोई केदार दर्शन का संकल्प लेकर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए तो उस जीव को दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है।

Monday, June 21, 2021

आज है गायत्री जयंती, जानिए कैसे प्रकट हुई माता गायत्री।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। गायत्री को ब्रह्मा की पत्नी माना गया है और इनके मूल स्वरुप श्री सावित्री देवी है। मां गायत्री को गायत्री मंत्र की अधिष्ठात्री देवी और वेदमाता भी कहा गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप को जीवन के लिए आवश्यक बताया गया है। हिंदू धर्म में चार वेद हैं जिनका नाम है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इन सबमें ही वेदमाता गायत्री और गायत्री मंत्र के जप का उल्लेख मिलता है।

शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। आरम्भ में मां गायत्री की महिमा सिर्फ देवताओं तक ही थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या कर मां की महिमा अर्थात् गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाया था।

एक प्रसंग के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन किया। परंपरा के अनुसार यज्ञ में ब्रह्माजी को पत्नी सहित ही यज्ञ में बैठना था, लेकिन किसी कारणवश ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री को आने में देर हो गई। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया।

गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः, तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्।।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पूरे दिन में तीन बार भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो आपका जीवन सकारात्मकता की तरह प्रेरित होता है और नकारात्मकता जाती रहती है। यह भी माना जाता है कि मां गायत्री भक्तों के दुखों को हरने वाली हैं।

International Yoga Day : जाने योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दस बड़ी बातें।

International Yoga Day: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच आज 7वां योद दिवस मनाया जा रहा है। इस साल का थीम 'योग फॉर वेलनेस' है। जो शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास करने पर केंद्रित है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तो योग उम्मीद की किरण बना है। साथ ही पीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि योग जनता के स्वास्थ्य की देखभाल में निवारक एवं प्रेरक भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने कहा कि योग हमें तनाव से शक्ति का और नकारात्मकता से रचनात्मकता का रास्ता दिखाता है।

1- योग के प्रति उत्साह और बढ़ा है।

2- कोरोना काल में योग उम्मीद की किरण बना।

3- इस बार की थीम ने योग को लेकर उत्साह और बढ़ाया।

4- सभी मिलकर एक दूसरे की ताकत बनें।

5- हर देश का व्यक्ति स्वस्थ्य हो।

6- दुनिया के कोने-कोने में योग के नए साधक बने हैं।

7- योग दिवस के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ।

8- योग आत्मबल का बड़ा माध्यम बना।

9- योग ने कोरोना से लड़ने का भरोसा बढ़ाया।

10- डॉक्टरों ने योग को सुरक्षाकवच बनाया।

Sunday, June 20, 2021

जाने भगवान शिव के गले में पड़ी मुण्ड माला का अद्धभुत रहस्य!

भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है सती के यज्ञ कुण्ड में कूदकर आत्मदाह करना और सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना। हालांकि यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने शिव 51 शक्ति पीठों की स्थापना करना चाहते थे। शिव ने सती को पहले ही बता दिया था कि उन्हें यह शरीर त्याग करना है। इसी समय उन्होंने सती को अपने गले में मौजूद मुंडों की माला का रहस्य भी बताया था।

मुण्ड माला का रहस्य..!
एक बार नारद जी के उकसाने पर सती भगवान शिव से जिद करने लगी कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। जब काफी समझाने पर भी सती न मानी तो भगवान शिव ने रहस्य खोल ही दिया। शिव ने पार्वती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। सती इस बात का सुनकर चकित रह गईं।

सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।

शिव हंसते हुए बोले मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता। इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा।

शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया। इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गयी। सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त होगा और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...