चक्रव्यूह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। इस व्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी। अर्जुन के अतिरिक्त और कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था। युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की गयी थी। दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य में था। इस व्यूह में बाकी सात महारथी व्यूह की विभिन्न परतों में थे। व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था।
अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया पर वह भी अंतिम द्वार(यानी परत) को पार नहीं कर सका तथा बाद में सात महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी। महाभारत युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा कुछ और व्यूह रचे गए थे जो निम्न हैं।
महाभारत ग्रंथ के अनुसार व्यूह-रचना।
1. गरुड़-व्यूह
2. क्रौंच व्यूह
3. श्येन व्यूह
4. सुपर्ण(गरुड़) व्यूह
5. सारंग व्यूह
6. सर्प व्यूह
7. खड्ग सर्प व्यूह
8. शेषनाग व्यूह
9. मकर व्यूह
10. कुर्मा(कछुआ) व्यूह
11. वराह व्यूह
12. महिष व्यूह
13. त्रिशूल व्यूह
14. चक्र व्यूह
15. अर्धचन्द्र व्यूह
16. कमल व्यूह
17. उर्मि व्यूह
18. मंडल व्यूह
19. वज्र व्यूह
20. चक्रशकट व्यूह
21. शकट व्यूह,
22. सर्वतोभद्र व्यूह
23. शृंगघटक व्यूह
24. चन्द्रकाल व्यूह
25. कमल व्यूह
26. देव व्यूह
27. असुर व्यूह
28. सूचि व्यूह
29. श्रीन्गातका व्यूह
30. चन्द्र कला
31. माला व्यूह
32. पद्म व्यूह
33. सूर्य व्यूह
34. दण्डव्यूह
35. गर्भव्यूह
36. शंखव्यूह
37. मंण्डलार्ध व्यूह
38. हष्ट व्यूह
39. नक्षत्र मण्डल व्यूह
40. भोग व्यूह
41. प्रणाल व्यूह
42. मण्डलार्द्ध व्यूह
43. मयूर व्यूह
44. मंगलब्यूह
45. असह्मव्यूह
46. असंहतव्यूह
47. विजय व्यूह
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