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Monday, November 28, 2022

वो जगह जहां कर्ण का हुआ था अंतिम संस्कार, हजारों साल से यहां के पेड़ में लगे हैं केवल तीन पत्ते...

सूरत: सनातन परंपरा की धरती भारत में ऐसे कई रहस्य हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। ऐसी ही एक जगह है सूरत शहर का बरछा इलाका, जहां महाबली कर्ण का अंतिम संस्कार हुआ था। यहां के लोग कहते हैं कि कर्ण की इच्छा के मुताबिक भगवान कृष्ण ने खुद ही उनका अंतिम संस्कार किया था। कहा जाता है कि केवल एक इंच ज़मीन पर कर्ण का अंतिम संस्कार हुआ था। यहीं पर केवल एक इंच भूमि ही ऐसी थी जहां इसके पहले किसी का शवदाह नहीं हुआ था और इतनी कम भूमि पर शव रखना और उसका दहन करना संभव नहीं हो सकता था। भगवान कृष्ण ने उस भूमि के टुकड़े पर एक बाण रखकर उसके ऊपर कर्ण का शरीर रखा और अंतिम संस्कार किया।


अब आपके जहन में ये बात आ रही होगी कि आखिर एक इंच जमीन पर क्यों हुआ कर्ण का अंतिम संस्कार? इसके पीछे एक बड़ी कहानी है। दरअसल महाभारत में युद्ध के 17वें दिन महायोद्धा कर्ण की मृत्यु हो गई थी। भगवान कृष्ण की प्रेरणा से अर्जुन ने दिव्यास्त्र की सहायता से कर्ण को मारने में सफलता पाई थी। मान्यता है कि कर्ण की वीरता और दानवीरता से प्रसन्न भगवान कृष्ण ने उनके जीवन के अंतिम क्षणों में एक वरदान मांगने को कहा था। कर्ण ने उनसे ऐसी भूमि पर अपना अंतिम संस्कार किए जाने की इच्छा जताई थी, जहां उसके पहले कभी किसी का अंतिम संस्कार न हुआ हो।

कर्ण की जब मृत्यु हुई तो भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण की इच्छानुसार जमीन खोजने का बहुत प्रयत्न किया, लेकिन पूरी पृथ्वी पर भूमि का कोई ऐसा टुकड़ा नहीं मिला, जहां उसके पहले किसी व्यक्ति की अंतिम क्रिया न हुई हो। केवल सूरत शहर में ताप्ती नदी के किनारे एक इंच भूमि ऐसी मिली, जहां उसके पहले कभी किसी का शवदाह नहीं हुआ था और फिर यहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। सूरत शहर में यह स्थान अब 'तुल्सीबड़ी मंदिर' के रूप में जाना जाता है जिसकी आसपास के लोगों में बड़ी श्रद्धा है।


यहां आए श्रद्धालुओं का मानना है कि ताप्ती नदी के किनारे इस मंदिर की बड़ी मान्यता है और हजारों लोग इसके दर्शन के लिए आते हैं। यहीं पर एक गोशाला स्थापित की गई है जहां गायों की सेवा की जाती है। पूरी एरिया में इस मंदिर के प्रति लोगों की असीम श्रद्धा है और हर वर्ग के लोग इसके दर्शन करने आते हैं। इसके समीप ही बागनाथ मंदिर भी है। यहां तीन पत्ता बड़ का मंदिर भी है। यहां बरगद का एक पेड़ है जिसके बारे में लोगों की मान्यता है कि इसकी उम्र हजारों साल की है, लेकिन इसमें आज तक केवल तीन ही पत्ते आए हैं। तीनों पत्ते सदाबहार रहते हैं, ये आज भी हरे-भरे हैं। लेकिन इसमें कभी कोई नया पत्ता नहीं आता। इस बड़ (बरगद) को घेरकर एक मंदिर बना दिया गया है जहां आसपास के लोग दर्शन के लिए आते हैं। अमावस और पूर्णिमा को यहां आने वाले श्रद्धालुओं-दर्शकों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। ताप्ती नदी के किनारे तीन पत्ते बड़ वाला यह मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है।

Saturday, November 12, 2022

तीर्थ यात्रा के दौरान का मेरा अनुभव। और VIP व्यवस्था जो की भगवान के दर्शन के दौरान देखने और लेने पड़ते हैं।

समय ज़्यादा दूर नहीं जब भगवान ख़ुद चल कर भक्त के घर तक पहुँचेंगे, फ़्री में दर्शन करने हैं तो सुबह चार बजे से लाइन लगाओ। फिर जा कर भगवान का गर्भगृह के दरवाजे से पूरे धक्का मुक्की के साथ दूर से दर्शन करो। पूर्वांचल की भाषा में कहे तो बिना टिकट जनरल डिब्बे के जैसे। तत्पशाचात आता है अगली श्रेणि जिसमे भगवान के दर्शन के लिए 15 रुपए या उससे ज्यादा का होता हैं, जिसमें समझ लो जनरल डिब्बे की टिकट के साथ रेल का सफ़र भगवान दर्शन तो देंगे गर्भगृह के दरवाजे से थोड़ा कम धक्का मुक्की के। उसके बाद अगली व्यवस्था 250 रुपए या उससे अधिक का होता हैं टिकट लेकर दर्शन की ( वो स्लीपर क्लास के जैसे समझ लो ) मतलब हर कोई ये व्यवस्था लेकर दर्शन की लाइन में लगेगा लेकिन दर्शन दूर से करेगा। थोड़ा उससे कम धक्का मुक्की के साथ अगली व्यवस्था 750 रुपए या उससे ज्यादा का जिसमें भक्त गर्भग्रह में जा सकता है , भगवान को हाथ लगा सकता है , जल चढ़ा सकता है , अभिषेक कर सकता है। अकेले या गर्भगृह के पंडित जी के साथ।

अगली व्यवस्था है 3000 रुपए या उससे अधिक वाली जिसमें भक्त के साथ एक पंडित भी रहेगा, वो गर्भग्रह में भगवान के सामने 5 मिनट के लिए आपसे पूजा करवाएगा, जल चढ़वाएगा, अभिषेक करवाएगा मंत्रोच्चरण के साथ। अगली व्यवस्था है 6000 रुपए या उससे अधिक वाली जिसमें भक्त के साथ पंडित और फ़ोटो ग्राफ़र भी जाएगा और जाता भी हैं।
  
💐 जल्द ही निम्नलिखित व्यवस्था देखने को मिलेंगी। 

🚩 अगली व्यवस्था होगी 6 लाख वाली जिसमें भक्त और उसके परिवार को भगवान विशेष दर्शन देंगे।

🚩 अगली व्यवस्था 6 करोड़ वाली जिसमें भगवान मंदिर से पालकी में निकल कर भक्त के hotel जाकर उसके रूम में दर्शन देंगे। 

🚩 अगली व्यवस्था होगी 100 करोड़ वाली जिसमें भगवान मंदिर से पालकी से निकल कर सीधे भक्त के घर दर्शन देने जाएँगे। 

🚩 लास्ट हज़ार करोड़ कोई देगा तो भगवान भक्त के घर ही अपना आसन लगा लेंगे। 

ये बहुत दुःखद हैं जो हमारे भगवान का नहीं सिस्टम का उपहास है जिसमें सिस्टम ने भगवान को बेचना शुरू कर दिया है। 

कोई इसे भगवान की आलोचना ना समझे यह सही हैं हमने अनुभव किया है, जो व्यापार बनता जा रहा है।🙏

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...