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Friday, May 14, 2021

आज भगवान श्री परशुराम जयंती, जानिए क्यों किया था अपनी ही मां का सर धड़ से अलग।

आज भगवान श्री परशुराम की जयंती है। भारतीय ऋषियों और गुरुओं की परंपरा में परशुराम का जिक्र जरूर होता है। परशुराम भगवान विष्णु की छठा अवतार माने जाते हैं। ब्राह्मण कुल में जन्में परशुराम क्रोधी स्वाभाव वाले ऋषि थे। उनमें क्षत्रियों के प्रति इतनी नाराजगी थी कि उन्होंने उन्हें धरती से खाली करने की शपथ खाई थी। परशुराम को लेकर तमाम किस्से कहानियां हैं। कहा जाता है कि परशुराम अपनी माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। इसके बावजूद उन्होंने अपनी माता की गर्दन धड़ से अलग कर दी थी। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण था।

भगवान परशुराम ने अपनी मां की हत्या की थी। ये घटना भी हैरान करने वाली है। हालांकि उन्होंने अपने मन से ऐसा बिल्कुल नहीं किया था। इसकी वजह इस तरह था। हालांकि जब परशुराम ने मां की हत्या कर दी तो उनके पिता समेत हर कोई अवाक रह गया। फिर उन्होंने एक और काम किया जो इसी हैरानी को और बढ़ाने वाला था।

दरअसल परशुराम की मां रेणुका जल का कलश लेकर नदी गईं थीं। उन्हें वहां से कलश में जल भरकर लौटना था। नदी में गंधर्व चित्ररथ अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उसे देखने में रेणुका इतनी तल्लीन हो गईं कि उन्हें जल लेकर लौटने में देर हो गई। उधर उनके पति और ऋषि जमदग्नि यज्ञ के लिए बैठे थे। देर होने से वो यज्ञ नहीं कर पाए।

ऋषि जमदग्नि परशुराम के पिता थे, वे गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे कि तभी रेणुका जल लेकर लौट आईं। उनके आते ही ऋषि जमदग्नि क्रोध में दहाड़े। उन्होंने अपने चार पुत्रों से तुरंत उनकी मां का वध करने को कहा। तीनों बेटों ने ये बात सुनी लेकिन वो सिर झुकाकर खड़े हो गए। लेकिन परशुराम ने ऐसा नहीं किया। बल्कि उन्होंने अपना फरसा उठाया। एक ही वार में मां का सिर धड़ से अलग कर दिया।

परशुराम के ऐसा करते ही हर कोई स्तब्ध रह गया। उनके पिता को उम्मीद नहीं थी कि परशुराम उनकी आज्ञा मानने के लिए यहां तक जा सकते हैं। एक ओर वो अपनी पत्नी की हत्या से दुखी थे तो दूसरी ओर ये देखकर खुश कि उनका ये बेटा उनकी कितनी बात मानता है। उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को को कहा। परशुराम ने तुरंत पिता से चार वरदान मांगे

1. मां फिर से जिंदा हो जाएं

2. उन्हें (मां को) ये याद ही नहीं रहे कि उनकी हत्या की गई थी।

3. उनके सभी भाई भी स्तब्ध अवस्था से सामान्य स्थिति में लौट आएं।

4. इन वरदानों के साथ पिता ऋषि जमदग्नि ने उन्हें अमर रहने का वरदान भी दिया।

भगवान परशुराम इसलिए नाराज हुए थे, क्षत्रियों पर।
महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र परशुराम ब्राह्मण होने के बाद भी कर्म से क्षत्रिय गुणों वाले थे। आखिर क्या बात थी कि उन्होंने धरती से क्षत्रियों के समूलनाश की प्रतिज्ञा कर ली थी। एक दिन जब परशुराम बाहर गये थे तो राजा सहस्रबाहु हैहयराज के दोनों बेटे कृतवीर अर्जुन और कार्तवीर्य अर्जुन उनकी कुटिया पर आए। उन्होंने राजा द्वारा दान में दी गईं गायों और बछड़ों की जबरदस्ती छीन लिया। साथ ही मां का अपमान भी किया। परशुराम को मालूम पड़ा तो नाराज होकर उन्होंने राज सहस्रबाहु हैहयराज को मार डाला। परिणामस्वरूप उसके दोनों बेटों ने फिर आश्रम पर धावा बोला। तब परशुराम वहां नहीं थे। उन्होंने मुनि जमदग्नि को मार डाला। जब परशुराम घर पहुँचे तो उन्हें इसकी जानकारी हुई। उन्होंने उसी समय शपथ ली कि वो धरती को क्षत्रियहीन कर देंगे। परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी के समस्त क्षत्रियों का संहार किया।

भगवान परशुराम क्रोधी स्वभाव।
दुर्वासा ऋषि की भाँति भगवान परशुराम भी अपने क्रोधी स्वभाव के लिए विख्यात थे। 21 बार उन्होंने धरती को क्षत्रिय-विहीन किया। हर बार हताहत क्षत्रियों की पत्नियाँ जीवित रहीं और नई पीढ़ी को जन्म दिया। हर बार क्षत्रियों को मारने के बाद वो कुरुक्षेत्र की पाँच झीलों में रक्त भर देते थे। अंत में पितरों की आकाशवाणी सुनकर उन्होंने क्षत्रियों से युद्ध करना छोड़कर तपस्या की ओर ध्यान लगाते थे।

भगवान श्री राम पर भी हुए थे नाराज। 
रामायण में उनका जिक्र तब आता है जब राम ने सीता स्वयंवर में शिव का धनुष तोडे थे। तब वो नाराज होकर वहां आए थे। लेकिन राम से मुलाकात के बाद समझ गए कि वो विष्णु के अवतार हैं। इसलिए उनकी वंदना करके वापस तपस्या के लिए चले गए।

अच्छे फल की प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया पर ऐसे करें पूजा होगा लाभ।

अक्षय तृतीया को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। आखातीज का व्रत वैशाख माह में सुदी तीज को किया जाता है। इस दिन श्री लक्ष्मी जी सहित भगवान नारायण की पूजा की जाती है। पहले भगवान नारायण और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। उन्हें पुष्प और पुष्प-माल्यार्पण करना चाहिए। भगवान की धूप, दीप से आरती उतारकर चंदन लगाना चाहिए। मिश्री और भीगे हुए चनों का भोग लगाना चाहिए। भगवान को तुलसी-दल और नैवेद्य अर्पित कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर श्रद्धानुसार दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। 

इस दिन सभी को भगवत्-भजन करते हुए सद्चिंतन करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन किया गया कोई भी कार्य बेकार नहीं जाता इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया का व्रत भगवान लक्ष्मीनारायण को प्रसन्नता प्रदान करता है। वृंदावन में केवल आज ही के दिन बिहारी जी के पांव के दर्शन होते हैं। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रात: काल में मूंग और चावल की खिचड़ी बिना नमक डाले बनाए जाने को बड़ा ही शुभ माना जाता है। इस दिन पापड़ नहीं सेंका जाता और न ही पक्की रसोई बनाई जाती है। इस दिन नया घड़ा, पंखा, चावल, चीनी, घी, नमक, दाल, इमली, रुपया इत्यादि ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक दान दिया जाता है।

अक्षय तृतीया या आखातीज व्रत की कथा।
अत्यंत प्राचीन काल की बात है। महोदय नामक एक वैश्य कुशावती नगरी में निवास करता था। सौभाग्यवश महोदय वैश्य को एक पंडित द्वाता अक्षय तृतीया के व्रत का विवरण प्राप्त हुआ। उसने भक्ति-भाव से विधि व नियमपूर्वक व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से वह वैश्य कुशावती नगरी का महाप्रतापी और शक्तिशाली राजा बन गया। उसका कोष हमेशा स्वर्ण-मुदाओं, हीरे-जवाहरातों से भरा रहता था। राजा स्वभाव से दानी भी था। वह उदार मन होकर बिना सोचे समझे दोनों हाथों से दान देता था। एक बार राजा के वैभव और सुख-शांतिपूर्ण जीवन से आकर्षित होकर कुछ जिज्ञासु लोगों ने राजा से उसकी समृद्धि और प्रसिद्धि का कारण पूछा। 

राजा ने स्पष्ट रूप से अपने अक्षय तृतीया व्रत की कथा को सुनाया और इस व्रत की कृपा के बारे में भी बताया। राजा से यह सुनकर उन जिज्ञासु पुरुषों और राजा की प्रजा ने नियम और विधान सहित अक्षय तृतीया व्रत रखना प्रारंभ कर दिया। अक्षय तृतीया व्रत के पुण्य प्रताप से सभी नगर-निवासी धन-धान्य से पूर्ण होकर वैभवशालौ और सुखी हो गए। हे अक्षय तीज माता! जैसे आपने उस वैश्य को वैभव-सुख और राज्य प्रसान किया वैसे ही अपने सब भक्तों एवं श्रद्धालुओं को धन-धान्य और सुख देना। सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखना। हमारी आप से यही विनती है।

Thursday, May 13, 2021

यासिर अराफात जब इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की, तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था।

जब एक आतंकवादी, यासिर अराफात ने इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की, तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था?

सउदी अरब? - जी नहीं।
पाकिस्तान? - जी नहीं।
अफगानिस्तान? -.जी नहीं।
इराक? - जी नहीं।
तुर्की? - जी नहीं।
सोचिये फिर किस देश ने फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता दी होगी ..?

चलिए हम आपको बताते हैं, सेकुलर भारत! जी हाँ। "भारत"
इंदिरा गाँधी ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए, सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दी, और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को "नेहरू शांति पुरस्कार", और राजीव गाँधी ने उसको "इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार" दिए। और तो और राजीव गाँधी ने तो उसको पूरे विश्व में घूमने के लिए बोइंग ७४७ गिफ्ट में दिया था।

अब आगे जानिए।
वही अराफात, ने OIC (Organisation of Islamic Countries) में काश्मीर को "पाकिस्तान का अभिन्न भाग" बताया, और उस आतंकवादी ने बोला कि "पाकिस्तान जब भी चाहे तब मेरे लड़ाके काश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ेंगे।

और जी हाँ, इतना ही नहीं, जिस शख्स को दुनिया के 103 देश आतंकवादी घोषित किये हों, और जिसने 8 विमानों का अपहरण किया हो, और जिसने दो हज़ार निर्दोष लोगों को मार डाला हो, ऐसे आतंकवादी यासिर अराफात को सबसे पहले भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। जी हाँ।

इंदिरा गाँधी ने उसे "नेहरू शांति पुरस्कार" दिया, जिसमें एक करोड रुपये नगद, और दो सौ ग्राम सोने से बना एक शील्ड होता है।

आप सोचिये, 1983 में, यानि आज से 37 वर्षों पहले, एक करोड़ रुपये की आज वैल्यू क्या होगी (देढ़ अरब से भी ऊपर)

फिर राजीव गाँधी ने उसे "इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार" दिया।

फिर यही यासिर अराफात काश्मीर के मामले पर खुलकर पाकिस्तान के साथ हो गया, और इसने घूम घूमकर पूरे इस्लामिक देशों में कहा, कि फिलिस्तीन और काश्मीर दोनों जगहों के मुसलमान गैर-मुसलमानों के हाथों मारे जा रहे हैं, इसलिए पूरे मुस्लिम जगत को इन दोनों मामलों पर एकजुट होना चाहिए।

अब, वो कांग्रेस पार्टी मोदी जी को सिखा रही है, कि "विदेश नीति कैसे की जाती है।

अब आप विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं कि देशद्रोही कौन है और देशभक्त कौन।

आयरन डोम, जो फिलस्तीनी रॉकेट से बचाता है इजरायल के लोगों की जान। जानिए क्या है।

नई दिल्ली: मई के पहले सप्ताह में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच नए सिरे से विवाद शुरू हो गया। पुराने यरुशलम शहर में स्थिति अल अक्सा मस्जिद से शुरू हुआ विवाद दोनों देशों के बीच रॉकेट और मिसाइल हमलों तक पहुंच गया हैै। इसमें दोनों के आम लोगों को जान गंवानी पड़ी है। हर बार की तरह इस बार भी जान माल का ज्यादा नुकसान फिलिस्तीन को ही हुआ है।
सोमवार को इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमले में 10 बच्चों सहित 28 लोगों की जान गंवाने के बाद फिलिस्तीन ने बदले का कार्रवाई करते हुए 150 से ज्यादा रॉकेट इजरायल के ऊपर दाग दिए। हालांकि इसमें से अधिकांश रॉकेट को इजरायल ने हवा में ही मार गिराया। बावजूद इसके कुछ इजरायल के रिहायशी इलाकों तक पहुंचने में सफल रही जिसमें एक भारतीय सहित अन्य कई लोगों की जान चली गई।

आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम 2012 में हुआ था परीक्षण।
इजरायल के लोगों की जान बचाने में सबसे अहम भूमिका आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने पूरी की है। चारों ओर से दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद इजरायल लगातार दुश्मन मुल्कों से लोहा ले रहा है। 10 साल पहले उसने छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों और रॉकेट से बचने के लिए इजरायली डिफेंस उत्पाद निर्माता कंपनी राफेल ने इसे अमेरिकी सहयोग से तैयार किया था।

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तैनात है ये सिस्टम।
कंपनी के मुताबिक यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में तैनात मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। जिसकी गुणवत्ता 90 प्रतिशत है। यह डिफेंस सिस्टम आधुनिक युद्ध प्रणाली में खुद को साबित कर चुका है। यह बहुउद्देशीय सिस्टम प्रभावी रूप से रॉकेट, मोर्टार और तोपखाने के गोले, साथ-साथ विमान, हेलीकाप्टरों और यूएवी को बेहद कम दूरी से निशाना बना सकता है।

एक साथ काम करते हैं कई इक्युपमेंट।
आयरन डोम मोबाइल मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इस प्रणाली में कई इक्युपमेंट्स एक साथ मिलकर काम करते हैं। हमला होने के बाद इसमें लगी रडार पता करती है कि किस दिशा से, कौन सा या कैसा रॉकेट या मोर्टार उसकी तरफ आ रहा है। उसी दौरान वो उसकी स्पीड और रास्ते का आकलन करके वो जानकारी कंट्रोल सेंटर के पास भेज देती है। इसके बाद कंट्रोल सेंटर इस बात की जांच करता है कि जो रॉकेट या मोर्टार  दागा गया है वो रिहायशी इलाके में गिरेगा या नहीं। यदि वो प्रोटेक्टेड एरिया में गिर रहा होता है तो बगैर कोई देरी किए इंटरसेप्टर मिसाइल उसकी तरफ छोड़ दी जाती है। लॉन्चर में लगी मिसाइल्स को कंट्रोल सेंटर या इसके अंदर लगी रडार से लगातार निर्देश मिलते रहते हैं और वो अपने निशाने का पीछा आखिर तक करती है।

लक्ष्य के करीब पहुंचकर हो जाती है ब्लास्ट।
डिफेंस सिस्टम में लगी मिसाइल हमला करने आ रहे रॉकेट या लॉन्चर के करीब जाती है और फट जाती है। ऐसा करने सो रॉकेट भी खत्म हो जाता है। इस एयर डिफेंस प्रणाली का मुख्य लक्ष्य मिसाइल को अधिक आबादी वाली जगहों से दूर ले जाना होता है कि जिससे कि जमीनी स्तर पर कम से कम नुकसान हो।

हमले से पहले बजता है सायरन, लोग हो जाते हैं आगाह।
इसके बाद वो रेंज और निशाने पर लिए गए क्षेत्र की दिशा की जांच करता है और वॉर्निंग सायरन बजाता है। सायरन बजने के बाद स्थानीय लोगों के पास सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए 30 से 90 सेकंड का समय होता है।
इसके बाद आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल रॉकेट और मोर्टार को हवा में नष्ट कर देती है। हालांकि कई बार चूक हो जाती है और इजरायल को भी अंधाधुंध हमले के बीच जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है।
यह रक्षा प्रणाली हर मौसम में काम करने में सक्षम है और आयरन डोम से निकली एंटी मिसाइल 70 किमी के दायरे में स्थित रॉकेट/ मोर्टार को नेस्तनाबूत कर देती है। यह तकनीक किसी सुनसान जगह पर होने वाले रॉकेट हमलों को विफल नहीं करती बल्कि इसका मुख्य मकसद रिहायशी इलाकों को सुरक्षा प्रदान करना है।

Wednesday, May 12, 2021

कोरोना अपडेट : देश में पिछले 24 घंटे में आए 3 लाख 48 हजार 421 नए मामले, 4205 लोगों की हुए मौत।

भारत में कोरोना वायरस की रफ्तार थोड़ी कम हुई हैं लेकिन इसका कहर अभी भी जारी है। बीते दिनों चार हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई। हालांकि कि बुधवार को संक्रमितों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या रही है। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3 लाख 48 हजार 421 नए मामले सामने आए हैं। वहीं 4205 लोगों की मौत हुई है। जबकि इस दौरान 3 लाख 55 हजार 338 मरीज डिस्चार्ज भी हुए।

11 मई तक देशभर में 17 करोड़ 52 लाख 35 हजार 991 कोरोना डोज दिए जा चुके हैं। बीते दिन 24 लाख 46 हजार 674 टीके लगाए गए। वहीं अबतक करीब 30.75 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। बीते दिन 19.83 लाख कोरोना सैंपल टेस्ट किए गए, जिसका पॉजिटिविटी रेट 17 फीसदी से ज्यादा है।

देश में आज कोरोना की ताजा स्थिति।
कुल कोरोना केस- दो करोड़ 33 लाख 40 हजार 938
कुल डिस्चार्ज- एक करोड़ 93 लाख 82 हजार 642
कुल एक्टिव केस- 37 लाख 4 हजार 99
कुल मौत- 2 लाख 54 हजार 197

देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.09 फीसदी है जबकि रिकवरी रेट 83 फीसदी से कम है। एक्टिव केस घटकर 16 फीसदी से ज्यादा हो गया है। कोरोना एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का दूसरा स्थान है। कुल संक्रमितों की संख्या के मामले में भी भारत का दूसरा स्थान है। जबकि दुनिया में अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको के बाद सबसे ज्यादा मौत भारत में हुई है।

मुंबई में लगातार दूसरे दिन दो हजार से कम नए मामले
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कोविड-19 के नए मामलों में कमी जारी है और मंगलवार को इसके संक्रमण के 1,717 नए मामले सामने आए जबकि इस दौरान 51 मरीजों की मौत हो गयी। नए मामलों के सामने आने के बाद मुंबई में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 6,79,986 हो गयी, वहीं इस महामारी से अब तक जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 13,942 हो गयी।

महाराष्ट्र की बात करें तो मंगलवार को कोविड के 40,956 नए मामले आने से कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 51,79,929 हो गयी। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान संक्रमण से 793 मरीजों की मौत हो गयी। राज्य में अब तक 77,191 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है। राज्य में एक दिन पहले संक्रमण के 37,236 नए मामले आए थे।

Tuesday, May 11, 2021

केंद्र सरकार ने कोरोना से फास्ट रिकवरी के लिए जारी किया सिंपल डाइट प्लान।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर किसी को नहीं छोड़ रही है। इस महामारी ने देश में तबाही मचा दी है। इस तबाही से बचने के लिए कई राज्यों ने लॉकडाउन भी लगाया है। सरकार लगातार आम नागरिकों को यहीं सलाह दें रही है कि कोविड-19 के प्रोटोकॉल को फोलो करे। यहीं नहीं ज्यादा से ज्यादा कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने के लिए भी सलाह दी जा रही है। बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत सरकार ने मरीजों की फास्‍ट रिकवरी के लिए सिंपल डाइट प्‍लान शेयर किया है। एबीपी न्‍यूज के मुताबिक, सरकार ने अपने ट्विटर हैंड पर यह डाइट प्‍लान उन मरीजों के लिए शेयर की है जो घर, अस्पतालों या कैंपों में हैं और अपना इलाज करा रहे हैं।

1. दिन की शुरुआत भीगे हुए बादाम और किशमिश से करें।
सरकार ने जिस डाइट प्‍लान को शेयर किया है उसमें ये बताया गया है आप रोज दिन की शुरुआत भीगे हुए बादाम और किशमिश के साथ करें। योजना में भोजन को न सिर्फ पौष्टिक बनाने बल्कि स्वादिष्ट बनाने की भी बात की गई है। बताया गया है कि अगर आप एक कोविड-19 मरीज हैं तब आपको बादाम का प्रयोग प्रोटीन और आयरन के लिए करना ही चाहिए।

2. ब्रेकफास्ट के लिए रागी डोसा या एक कटोरा दलिया।
सुबह की शुरुआत आप रागी डोसा के साथ कर सकते हैं। इसके अलावा एक कटोरा दलिया भी नाश्‍ते में बना उपयोग कर सकते हैं। आप ग्लुटेन-मुक्त और अत्यधिक फाइबर का विकल्प भी अपना सकते हैं।

3. लंच के समय गुड़ और घी जरूरी।
डाइट प्‍लान में लंच के समय गुड़ और घी के सेवन की सिफारिश की गई है। प्‍लान के मुताबिक, लंच के दौरान या बाद में आप गुड और घी का सेवन कर सकते हैं। इसे आप रोटी के साथ भी खा सकते हैं। बता दें कि गुड़ और घी दोनों शरीर को गर्म रखने और मजबूत बनाने में मदद करते हैं जबकि इ्म्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण भी इनमें भरपूर हैं।

4. डिनर में खिचड़ी का प्रयोग।
इस डाइट प्‍लान के मुताबिक, हेवी डिनर की बजाए आप खिचड़ी का सेवन करें क्योंकि इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल होते हैं। ये पेट के लिए हल्की होती है और अच्छी नींद में मदद करती है।

5. खुद को रखें हाइड्रेटेड।
खुद को इन दिनों हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। योजना में मुख्य सुझाव के रूप में बताया गया है कि पानी पीने के अलावा आप घर पर नींबू पानी पी सकते हैं। आप घर के बने छाछ को भी अपनी रोजाना की रूटीन में शामिल कर सकते हैं।

घर में है कोई पारिवारिक समस्या या शारीरिक कष्ट तो ऐसे करें हनुमान जी की पूजा, होगा लाभ।

नाशे रोग हरे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा...! जी हां हनुमान जी की नियमित और विधि विधान से पूजा करने से रोगों का नाश होता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। मंगलवार का व्रत हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इसलिए भक्त मंगलवार को व्रत रख बजरंगबली की नियम के साथ अर्चना करते हैं। कोई पारिवारिक समस्या हो या फिर कोई अन्‍य शारीरिक कष्‍ट, बजरंगबली की पूजा करने से शांति मिलती है और भक्‍तों के कष्ट दूर होते हैं। हनुमान जी की पूजा करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य है। जब भी पूजा करें, तब मन और तन से पवित्र हो। आइए जानते है हनुमान जी की पूजा की विधि।

1. इन बातों का रखें ध्‍यान।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले ही उठना चाहिए। इसे बाद नित्यक्रिया और स्नान के बाद स्वच्छ होकर पूजा घर में जाकर बजरंगबली को प्रणाम करें। इसके बाद हनुमानजी को लाल फूल, सिंदूर, वस्त्र, जनेऊ आदि चढ़ाएं।

2. पीले या लाल फूल हैं प्रिय।
शाम को हनुमान जी के मंदिर या घर में बने हनुमान जी की मूर्ति के सामने साफ आसन पर बैठें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके अलावा उन्‍हें पुष्प अर्पित करें। हनुमान जी को पीले या लाल फूल विशेष प्रिय होते हैं। पूजा आदि करने के बाद आप हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़ने का विशेष महत्व है।

3. पूजास्थल को रखें साफ।
हनुमान जी को सिंदूर, वस्त्र आदि चढ़ाने के बाद पूजास्थल की ठीक से एक बार और सफाई करें और अगरबत्ती, धूप चढ़ाएं। उसके बाद हनुमान जी को गेंदे की फूल की माला चढ़ाएं और पुष्प के साथ गुड़ चने का भोग लगाएं।

4. सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी।
माना जाता है कि सूर्योदय के बाद हनुमान जी की पूजा करने से वह जल्द प्रसन्न होते है। मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन भी माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...