Popular Posts

Saturday, May 22, 2021

देश में अब तक ब्लैक फंगस के 7251 केस आए सामने, जानिए सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य।

देश में कोरोना वारयरस के संकट के बीच ब्लैक फंगस ने भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। कई राज्यों में इसके मामले लगातार बढ़ रह हैं जो एक चिंता विषय है। देश में अब तक 7251 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 219 लोग इसके कारण अपनी जान गवा चुके हैं। इसके सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में देखने को मिले हैं। गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा कि राज्यों को महामारी अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करना चाहिए।

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के अबतक 1500 केस सामने आए हैं, जिनमें 90 मरीजों की मौत हो गई है। इसके बाद गुजरात में सबसे ज्यादा 1163 केस आए और 61 मरीजों की जान चली गई। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के 575 केस आए और 31 की मौत हो गई। हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 268 और 203 केस आए और क्रमश: 8 और 1 व्यक्ति की जान गई।

उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, तेलंगाना में 200 से कम केस आए हैं। इनमें से तेलंगाना में सबसे ज्यादा 10 लोगों की जान गई है। उत्तर प्रदेश में आठ लोग मारे गए हैं। बिहार व छत्तीसगढ़ में 2 और 1 व्यक्ति की जान गई है। हालांकि कर्नाटका में अबतक किसी की जन नहीं गई है। अब तक चंडीगढ़, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है।

क्या है ब्लैक फंगस?
दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी प्रमुख डॉक्टर पद्मा के अनुसार, ब्लैक फंगस इन्फैक्शन कोई नई बीमारी नहीं है। जिनकी इम्युनिटी बहुत कम है या जो ट्रांसप्लांट के मरीज हैं, उनमें यह फंगस इन्फैक्शन पाया जाता है। उन्होंने कहा कि इतनी संख्या में फंगस इन्फैक्शन पहले कभी नहीं देखा गया था, जितना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अभी देखा गया है।

डॉक्टर पद्मा ने कहा कि फंगस इन्फैक्शन से खतरा है और अगर इलाज नहीं मिला तो 80 फीसदी मामलों में मौत की संभावना है। ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है। यह कोरोना की तरह नहीं एक दूसरे को फैलता है।

Friday, May 21, 2021

Cooling-Off Period कानून की मदद से चीन में 70% तक घट गए बिखरते रिश्तों के बचान मामले।

बीजिंग: बिखरते रिश्तों को बचाने की चीन की कोशिश रंग लाती नजर आ रही है। चीन (china) की कम्युनिस्ट सरकार ने इस साल की शुरुआत में अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ (cooling-off period) लागू किया था, जिसकी वजह से तलाक की दर (divorce rate) 70 फीसदी तक कम हो गई हैै। नागरिक मामलों के मंत्रालय (ministry of civil affairs) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021 की पहली तिमाही में 296,000 तलाक के आवेदन दर्ज हुए, जबकि पिछले साल की अंतिम तिमाही में ये संख्या 1.06 मिलियन थी, इस तरह इसमें 70 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है।

जाने Cooling-Off Period क्या है?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कूलिंग ऑफ पीरियड का मतलब उस समय से है, जिसके दौरान दो असहमत लोग आगे की कार्रवाई से पहले अपने मतभेदों को दूर करने की अंतिम कोशिश करते हैं। चीन (China) में नया सिविल कोड (Civil Code) 1 जनवरी से प्रभाव में आया है। इसके तहत तलाक (Divorce) के लिए आवेदन पेश करने के बाद जोड़े को 30 दिनों तक इतंजार करना जरूरी है, इस दौरान यदि पति-पत्नी में सहमति बन जाती है, तो वे अपनी याचिका वापस ले सकते हैं।

Law को लेकर विपक्ष में नाराजगी?
एक महीने के Cooling-Off Period के बाद पति-पत्नी को तलाक के लिए फिर से आवेदन करना होता है। इस नए कानून को लेकर सरकार की आलोचना भी बड़े पैमाने पर हो रही है। आलोचकों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा करार दिया है। उनका कहना है कि यदि दो लोग अपने मर्जी से अलग होना चाहते हैं, तो सरकार उन्हें 30 दिनों तक जबरन बांधे नहीं रख सकती। वहीं, समर्थकों का मानना है कि इससे परिवार की स्थिरता और सामजिक व्यवस्था सुनिश्चित होती है।

China ने जताई थी चिंता।
चीन में पिछले कुछ वक्त में तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिसने सरकार को चिंता में डाल दिया है। पिछले साल नागरिक मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि विवाह और प्रजनन दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शादी की दर में गिरावट जन्म दर को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक और सामाजिक विकास प्रभावित होता है। इस मुद्दे का समाधान निकाला जाना चाहिए। उन्होंने संकेत दिए थे कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी। कूलिंग ऑफ पीरियड उसी का एक हिस्सा है।

Thursday, May 20, 2021

इजरायल में हर घर में होता है एक 'स्पेशल' कमरा, जिसमे किसी भी आधुनिक हथियार से नुकसान नही पहुंचाया जा सकता है।

नई दिल्ली: अतीत से मौजूदा इतिहास तक यहूदियों को हमेशा अपने वजूद की लड़ाई लड़नी पड़ी है। वजूद की इस लड़ाई को लड़ते हुए वो युद्ध और युद्ध जैसी स्थितियों का सामना करने के आदी हो गए हैं उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में कोई असर नहीं पड़ता है।
इजरायल ने भी अपने नागरिकों और रिहायशी इलाकों की सुरक्षा के लिए ऐसे चाक चौबंद इंतजाम किए हैं कि हमास या फिलिस्तीन का दागा कोई रॉकेट या मिसाइल उसके लिए बड़ी परेशानी नहीं खड़ी कर सकता।
इजरायल का सबसे बड़ा रक्षा कवच आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए हवा में ही मिसाइलों या रॉकेटों को उड़ा देता है। जैसे ही किसी इलाके में हमले की सूचना रडार को मिलती है शहर में सायरन बजने लगता है, इसे सुनते ही लोग अपने घरों में बने सुरक्षा बंकर में चले जाते हैं जिससे कि यदि आयरन डोम को चकमा देकर अगर कोई मिसाइल लोगों के घर तक पहुंच भी जाए तो लोगों को उसकी वजह से जान माल का नुकसान न उठाना पड़े।

हर जगह होते हैं बंकर
इजरायल में बकर हर जगह बने हैं। घरों के अलावा ऑफिस, मॉल, खेल का मैदान, होटल, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी हर जगह बंकर हैं। इन बंकर को इजरायली सेना की देखरेख में बनाया जाता है। जो डिजायन बंकर का पास किया जाता है उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता।

हर तरह की व्यवस्था होती है बंकर के अंदर
बंकर में भी घर के आम कमरों की तरह, टीवी, फ्रिज, सोफा, बेड आदि की व्यवस्था होती है। पता नहीं कितने दिन तक लोगों को उसके अंदर रहना पड़े. कंक्रीट के बने इस बंकर में एक लोगे का गेट लगा होता है. साथ उसके अंदर एक आपातकालीन निकास भी होता है. रोशन दान में बुलेटप्रूफ कांच लगा होता है इसी के जरिए बंकर में रहने वाले लोग बाहर देख सकते हैं। इसके अलावा बंकर के अंदर कैमिकल वॉरफेयर से जुड़ी चीजें भी होती हैं इसमें बच्चों और बड़ों के लिए गैस मास्क रखे होते हैं। जो सामना बंकर में रखे जाने का निर्देश होता है वो लोगों को वहां रखना होता है।

सड़कों पर बने होते हैं बंकरों के लिए संकेत
सड़कों पर और इमारतों में बंकरों की स्थिति के बारे में संकेत होते हैं। अब तो ऐप के जरिए पब्लिक बंकर का पता लगाया जा सकता है। सायरन सुनते ही बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग हर कोई बंकर की ओर भागना शुरू कर देते हैं। आपात स्थिति में किसी भी घर के बंकर में कोई भी व्यक्ति जा सकता है। सायरन के बंद होने के पंद्रह मिनट बाद तक सभी को यहीं रहना होता है। इस तरह के कड़े अनुशासन के बल पर इजरायल अपने नागरिकों को सुरक्षा दे पाता है।

अपार्टमेंट्स के अंदर बनाए जाने लगे हैं सुरक्षा रूम
मॉर्डन बहुमंजिला इमारतों में भी लोगों के लिए कंक्रीट बंकर बनाए जाने लगे हैं। इन्हें हिब्रु में 'ममाद' कहा जाता है। इसमें उस कमरे की दीवारों को 20 से 30 सेमी मोटी कंक्रीट से बनाया जाता है। इस कमरे के दरवाजे लोगे के बने होते है तथा खिड़कियों को भी कवर करने के लिए आयरन की अलग से प्लेट होती है। इसमें जो कांच लगाया जाता है वो भी बुलेट प्रूफ होता है जो लोगों को बम, रॉकेट और केमिकल वेपन के हमले से बचाता है।
इन कमरों में स्पेशल वेंटिलेशन की व्यवस्था होती है जिसमें अलग फिल्टर भी लगे होते हैं। अपार्टमेंट्स में ऐसे सुरक्षा बंकर 1992 के बाद बनाए जाने लगे।

पहले जमीन से चार मीटर नीचे होते थे बंकर
30 से 40 साल पहले पहले घरों में चार मीटर नीचे बंकर बनाया जाता था जिसकी दीवारें कंक्रीट की और दरवाजे लोहे के होते थे। उसक अंदर लाइट और वेंटीलेशन की भी व्यवस्था होती थी। इसके अलावा ऐसा पेंट दीवारों में अंधेरे में पहचान के लिए लगाया जाता था जो चमकता था। ऐसे में अंधेरे में भी कमरे में लोगों को परेशानी नहीं होती थी।

ब्लैक फंगस के लक्षण, एम्स ने जारी की यह जरूरी गाइडलाइन्स।

कोरोना वायरस के प्रकोप से देश में तबाही मची हुई है। वहीं, दूसरी तरफ देश के सामने ब्लैक फंगस जैसी बीमारी की चुनौती आ गई है। आय दिन इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई जगहों पर तो इसके कारण मौतें पर दर्ज की गई हैं। ब्लैक फंगस तेजी से अपने पाव पसारते जा रहा है। अकेले महाराष्ट्र में इसके कारण 90 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में हर दिन नए केस आ रहे हैं। लगातार बढ़ते इस संकट को देखते हुए एम्स ने कुछ गाइडलाइन्स जारी की हैं। जो ब्लैक फंगस के लक्षण और उसके इलाज के दौरान मदद कर सकती हैं।

किन मरीजों में सबसे ज्यादा रिस्क ?
1• जिन मरीज़ों को डायबिटीज़ की बीमारी हैै। डायबिटीज़ होने के बाद स्टेरॉयड या tocilizumab दवाईयों का सेवन करते हैं, उनपर इसका खतरा हैै।

2• कैंसर का इलाज करा रहे मरीज या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों में अधिक रिस्क्क।

3• जो मरीज स्टेरॉयड और tocilizumab को अधिक मात्रा में ले रहे  हैै।

4• कोरोना से पीड़ित गंभीर मरीज़ जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
 
एम्स की ओर से डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि जो मरीज ब्लैक फंगस के शिकार होने के रिस्क पर हैं, उन्हें लगातार सूचित करें, चेकअप करवाएं।
 
ब्लैक फंगस का कैसे पता चलेगा?
कोरोना मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों या डॉक्टरों के लिए ये लक्षण ब्लैक फंगस का पता लगाना आसान करेंगे।
 
1• नाक से खून बहना, पपड़ी जमना या काला-सा कुछ निकलना।

2• नाक का बंद होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, धुंधला दिखना, आंखों का लाल होना, कम दिखाई देना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना।

3• चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना।
 
4• मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना।

5• ऐसे लक्षणों का पता लगाने के लिए हर रोज़ खुद को चेक करें, अच्छी रोशनी में चेक करें ताकि चेहरे पर कोई असर हो तो दिख सकेे।
 
6• दांतों का गिरना, मुंह के अंदर या आसपास सूजन होना।
 
ब्लैक फंगस के लक्षण होने पर क्या किया जाए?
अगर किसी मरीज़ में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखते हैं तो उसकी देखभाल कैसे की जाए, एम्स ने इसके बारे में भी जानकारी दी है।
 
1• किसी ENT डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, आंखों के एक्सपर्ट से संपर्क करें या किसी ऐसे डॉक्टर के संपर्क में जाएं जो ऐसे ही किसी मरीज़ का इलाज कर रहा हो।

2• ट्रीटमेंट को हर रोज़ फॉलो करे। अगर डायबिटीज़ है तो ब्लड शुगर को मॉनिटर करते रहे।

3• कोई अन्य बीमारी हो तो उसकी दवाई लेते रहें और मॉनिटर करे।
 
4• खुद ही स्टेरॉयड या किसी अन्य दवाई का सेवन ना करें। डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज करे।

5• डॉक्टर की जरूरी सलाह पर MRI और CT स्कैन करवाएंं। नाक-आंख की जांच भी जरूरी हैै।

R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इसकी हमला को बगल में बैठा आदमी भी नहीं जान सकता।

यरुशलम: इजरायल (Israel) और हमास (Hamas) के बीच जारी जंग में इन दिनों निंजा की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि इजरायल ने फिलिस्तीन में निंजा अटैक (Israel-Palestine Conflict) किया। अब आप सोच रहे होंगे ये निंजा अटैक (Ninja Attack) क्या होता है? दरअसल निंजा मध्य कालीन जापान (Japan) के उन योद्धाओं को कहा जाता था, जो युद्ध के मैदान में दुश्मनों को चौंकाते थे। उनका हमला अचानक और अकल्पनीय होता था।

क्या है निंजा मिसाइल?
इसी तरह मिसाइल के दौर में R9X मिसाइल (R9X Missile) को निंजा मिसाइल के तौर पर जाना जाता है। जो चलती कार में बैठे शख्स को मिसाइल से उड़ाता है और उसी कार में बगल में बैठे शख्स को पता तक नहीं चलता है।

गाजा से आया हैरान करने वाला वीडियो।
इजरायल और हमास (Israel-Hamas Conflict) के बीच बीते 10 दिन से जारी जंग में अब तक आपने कई खतरनाक तस्वीरें और वीडियो देखी होंगी। आपने इजरायल के रिहाइशी इलाकों को टारगेट करते हमास के सैकड़ों रॉकेट देखे होंगे। आपने गाजा में हमास के ठिकानों को बम और मिसाइल से तबाह होते देखा होगा। इजरायल के गाजा अटैक की चपेट में कई इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी भी आईं। लेकिन इजरायल के हमले का नया वीडियो दुनिया को हैरान करने वाला है। वीडियो में दिख रहा है कि सड़क पर एक कार जा रही है और उस कार को मिसाइल के जरिए हिट किया जाता है। हमला इस तरह से होता है कि कार में बैठे आदमी को टारगेट किया जाता है। इस हमले में सिर्फ कार की खिड़की और गेट को ही नुकसान पहुंचता है। कार के बाकी हिस्से को कोई नुकसान नहीं होता है। जानकार हमले की इस तकनीक को निंजा तकनीक कह रहे हैं। निंजा तकनीक इसलिए क्योंकि इस हमले में R9X निंजा मिसाइल के इस्तेमाल का दावा किया जा रहा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो गाजा शहर का है। गौरतलब है कि गाजा में इजरायल की सेना के निशाने पर सफेद रंग की Citroen Xsara कार थी। जिसमें हमास की सबमरीन के ऑपरेटर सवार थे। कार पर R9X निंजा मिसाइल से हमला किया गया। R9X मिसाइल Hellfire रॉकेट का वेरियंट हैं, जिनमें विस्फोटक की जगह 6 घातक ब्लेड होते हैं। ये किसी एक विशेष इंसान को निशाना बनाते हैं। इस हथियार में Hellfire मिसाइल का लेजर टार्गेटिंग सिस्टम होता है और विस्फोटक की जगह 45 किलो का मेटल होता है। हमले के बाद कार की एक तरफ की खिड़की-दरवाजे उड़ गए लेकिन इसके अलावा गाड़ी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमले के बाद कार वहीं खड़ी रही। कार की बाईं ओर की खिड़की और दरवाजे नहीं हैं। लेकिन कार के दूसरे हिस्सों को देखकर लगता ही नहीं कि इस पर मिसाइल से हमला हुआ होगा।

बता दें कि R9X मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिका साल 2017 से कर रहा है। लेकिन अब इजरायल के पास भी ऐसी तकनीक आ चुकी है।

Wednesday, May 19, 2021

आज ही के दिन जन्मे अखंड भारत का सपना देखने वाले महान देशभक्त नाथुराम गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है।

जब सिंधु नदी भारत में हो, अखंड भारत बन जाएं, तब उसी सिंधु में मेरी अस्थियां विसर्जित हो। फाँसी से एक दिन पहले लिखी वसीयत के अनुसार उनकी अंतिम इच्छा अभी अधूरी। अखंड भारत में सिंधु नदी में अस्थियां विसर्जित करने की अंतिम इच्छा थी नाथूराम गोडसे की। क्या आपको पता है मरने के बावजूद आज तक गोडसे की अस्थियों (Asthi Kalash) को नदी में प्रवाहित नहीं किया गया है, बल्कि इसे एक चांदी के डिब्बे में भरकर सुरक्षित रखा गया है। यहां अस्थ्यिों के अलावा गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी रखे हुए हैं। नाथूराम गोडसे के परिजनों की ओर से दिए गए एक इंटरव्यू के तहत फांसी के बाद गोडसे का शव उन्हें नहीं दिया गया था। सरकार ने खुद घग्घर नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद उनकी अस्थियों को एक डिब्बे में भरकर उन्हें दिया गया था। गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू के बताया था कि नाथूराम गोडसे की अस्थियों को नदी में प्रवाहित न करने के पीछे गोडसे की अंतिम इच्छा (Last Wish) रही है। दरअसल मरने से पहले उन्होंने कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए और जब तक कि सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए। इसके बाद ही उनकी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित किया जाए। उनके इस सपने के सच होने की आस में ही परिवार ने उनकी अस्थियों को संभालकर रखा है। गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है, जिसमें उन्होंने अपनी राख सिंधु नदी में विर्सजित करने की बात कही थी। क्या लिखा है वसीयत मेंं।

1:- यह वसीयत (पत्र) गोडसे ने 14-11-1949 यानी अपनी फांसी से ठीक एक दिन पहले अपने छोटे भैया दत्तात्रेय विनायक गोडसे के नाम जेल से लिखा था।
2:- उनके भाई गोपाल गोडसे ने इसे अपनी किताब ‘गांधी, वध और मैं’ ने इसे प्रकाशित किया है।
3:- इस पत्र में नाथूराम गोडसे ने अपने बीमा के पैसों को भाई दत्तात्रेय गोडसे, उनकी पत्नी और उनके दूसरे भाई की पत्नी को देने को कहा था।
4:- साथ ही, अंतिम संस्कार का सारा अधिकार भी दत्तात्रेय गोडसे को दिया था।
5:- गोडसे ने अपनी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करने की बात भी लिखी है। वसीयत में नाथूराम गोडसे का नाम सबसे नीचे लिखा हुआ है।

यहां आज भी रखी है गोडसे की अस्थियां।
1:- पुणे के जिस इमारत में गोडसे की अस्थियां रखी हैं वहां एक रियल एस्टेट, वकालत और बीमा क्षेत्र से जुड़े ऑफिस है।

2:- शीशे के एक केस में गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं।

3:- गोडसे से जुड़ी यह निशानियां शिवाजी नगर इलाके में बने जिस कमरे में रखी हैं वह अजिंक्य डेवलपर्स का दफ्तर है।

4:- इसके मालिक और नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे ने कहा “इन अस्थियों का विसर्जन सिंधु नदी में ही होगा और तभी होगा जब उनका अखंड भारत का सपना पूरा हो जाएगा।”

5:- “मेरे दादाजी की अंतिम इच्छा यही थी, इसमें कई पीढ़ियां लग सकती है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह एक दिन जरुर पूरी होगी।

6:- शनिवार पेठ के इसी घर में कभी नाथूराम गोडसे रहा करते थे। अब यह मकान बेहद जर्जर हो चुका है। इस घर में इन दिनों कई छोटी-छोटी प्रिटिंग प्रेस हैं।

नाथूराम गोडसे ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए जब तक सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए और फिर से एक बार अखंड भारत का निर्माण न हो जाए। जब ऐसा हो जाए तभी मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करा जाए।

आज ही जन्म लिया था अखंड भारत" का सपना देखने वाले और गांधी को मारने वाले “नाथूराम गोड्से” जिनकी अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है।

75 साल से उसको ही नफरत का प्रतीक घोषित किये रहे। वो नाम जो भारत के विभाजन से दुखी था, वो नाम जो हमेशा अखण्ड भारत का स्वप्न देखता रहा , यहां तक कि मृत्यु के बाद भी। ये बात हो रही है नाथूराम गोडसे की जिनका जन्म आज ही के दिन अर्थात 19 मई को हुआ था। कम लोगों को पता है कि कश्मीर के कुख्यात आतंकियों तक के शव उनके परिवार को दे दिया जाता है जिसमे सेना विरोधी, भारत विरोधी नारे लगते हैं और आतंकी उन्हें बन्दूकों की सलामी देते हैं।

लेकिन नाथूराम गोडसे का शव इन्ही तथाकथित मानवता के ठेकेदारों ने उनके घर वालों को नही दिया था बल्कि तत्कालीन सरकार के आदेश पर जेल के अधिकारियों ने घग्घर नदी के किनारे पर उन्हें जला दिया था। जेल में नाथूराम और आप्टे को बी कैटेगरी में रखा गया था। नाथूराम कॉफी पीने और जासूसी किताबें पढ़ने का शौकीन थे। 15 नवंबर 1949 को गोडसे को फांसी दिए जाने से एक दिन पहले परिजन उससे मिलने अंबाला जेल गए थे। गोडसे की भतीजी और गोपाल गोडसे की पुत्री हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह फांसी से एक दिन पहले अपनी मां के साथ उनसे मिलने अंबाला जेल गई थी।

उस समय वह ढाई साल की थी। गिरफ़्तार होने के बाद गोडसे ने गांधी के पुत्र देवदास गांधी (राजमोहन गांधी के पिता) को तब पहचान लिया था जब वे गोडसे से मिलने थाने पहुंचे थे। इस मुलाकात का जिक्र नाथूराम के भाई और सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब गांधी वध क्यों, में किया है। गोपल गोडसे ने अपनी किताब में लिखा है, देवदास शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा, लेकिन नाथूराम सहज और सौम्य थे। उनका आत्मविश्वास बना हुआ था। देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट थे नाथूराम जिनके चेहरे पर तब भी थी सौम्यता और शांति के साथ संतोष के भाव।

नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, “मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं। हिंदी अख़बार हिंदू राष्ट्र का संपादक। मैं भी वहां था (जहां गांधी की हत्या हुई)। आज तुमने अपने पिता को खोया है। मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है। तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है। कृप्या मेरा यक़ीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही कोई ख़राब भाव। अदालत पर आज सवाल उठाने वालों के समय मे अदालत में नाथूराम गोडसे के दिये बयान पर प्रतिबंध लगा दिया गया जबकि इन्ही लोगों ने मुम्बई ब्लास्ट के दोषी याकूब के एक एक बयान यहां तक कि नहाने धोने तक कि खबर को जनता के बीच भावनात्मक रूप से पहुचाया।

गोपाल गोडसे ने अपनी पुस्तक के अनुच्छेद में नाथूराम की वसीयत का जिक्र किया है। जिसकी अंतिम पंक्ति है- “अगर सरकार अदालत में दिए मेरे बयान पर से पाबंदी हटा लेती है, ऐसा जब भी हो, मैं तुम्हें उसे प्रकाशित करने के लिए "अधिकृत करता हूं”। नाथूराम गोडसे के बयानों में ये भी था कि– मेरा पहला दायित्व हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए है, एक देशभक्त और विश्व नागरिक होने के नाते। 30 करोड़ हिंदुओं की स्वतंत्रता और हितों की रक्षा अपने आप पूरे भारत की रक्षा होगी, जहां दुनिया का प्रत्येक पांचवां शख्स रहता है। इस सोच ने मुझे हिंदू संगठन की विचारधारा और कार्यक्रम के नज़दीक किया।

मेरे विचार से यही विचारधारा हिंदुस्तान को आज़ादी दिला सकती है और उसे कायम रख सकती है”। आगे गोड्से ने गांधी की कार्यशैली और एकतरफा तुष्टिकरण पर सवाल उठाते हुए लिखा कि– "32 साल तक विचारों में उत्तेजना भरने वाले गांधी ने जब मुस्लिमों के पक्ष में अपना अंतिम उपवास रखा तो मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि गांधी के अस्तित्व को तुरंत खत्म करना होगा, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता, गांधी की सहमति से देश के बंटवारे का फ़ैसला कर रहे थे, उस देश का जिसे हम पूजते रहे हैं, मैं भीषण ग़ुस्से से भर रहा था। व्यक्तिगत तौर पर किसी के प्रति मेरी कोई दुर्भावना नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मैं मौजूदा सरकार का सम्मान नहीं करता, क्योंकि उनकी नीतियां मुस्लिमों के पक्ष में थीं। लेकिन उसी वक्त मैं ये साफ देख रहा हूं कि ये नीतियां केवल गांधी की मौजूदगी के चलते थीं”।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के समय से 40 मिनट पहले पहुँच गये। जैसे ही गान्धी प्रार्थना-सभा के लिये परिसर में दाखिल हुए, नाथूराम ने पहले उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया उसके बाद बिना कोई बिलम्ब किये अपनी पिस्तौल से तीन गोलियाँ मार कर गान्धी का अन्त कर दिया। गोडसे ने उसके बाद भागने का कोई प्रयास नहीं किया। मुक़दमे के लिए नाथूराम गोडसे को सर्वप्रथम पंजाब उच्च न्यायालय में पेश किया गया। एक वर्ष से अधिक चले मुकद्दमे के बाद 8 नवम्बर 1949 को उसे मृत्युदंड प्रदान किया गया। उनका एक वाक्य ये भी था – "जिस दिन सच्चा इतिहास लिखा जाएगा उस दिन मेरे कार्यों को सराहा जाएगा। और जब पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी भारत के झंडे के नीचे बहने लगे , मेरी अस्थियां तब उसमें प्रवाहित करना। भले ही इसके लिए एक दो पीढ़ी की भी प्रतीक्षा करनी पड़े तो कर लेना। नाथूराम गोडसे की अस्थियां आज भी नागपुर में उसी प्रतीक्षा में हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...