लाल बहादुर शास्त्री एक दुर्लभ भारतीय राजनेता
दो घंटे युद्ध और चलता, तो भारत की सेना ने लाहोर तक कब्जा कर लिया होता। लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा कि जिस रफ्तार से भारत की सेना आगे बढ़ रही हमारा तो पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
(भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध
भारत पाक युद्ध का भाग
तिथि - अगस्त – सितम्बर 23, 1965
स्थान -भारतीय उपमहाद्वीप
परिणाम-संयुक्त राष्ट्र के घोषनापत्र के द्वारा युद्धविराम)
तभी पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे। अमेरिका जानता था कि शास्त्री जी इतनी जल्दी नहीं मानने वाले थे। क्यूँ कि वो पहले भी दो -तीन बार भारत को धमका चुका था। धमका कैसे चुका था?
अमेरिका से गेहूं आता था भारत के लिए PL 48 स्कीम के अंडर। PL मतलब Public Law 48। जैसे भारत मे सविधान मे धराए होती है, ऐसे अमेरिका मे PL होता है।तो बिलकुल लाल रंग का सड़ा हुआ गेंहू अमेरिका से भारत मे आता था। और ये समझोता पंडित नेहरू ने किया था। जिस गेंहू को अमेरिका मे जानवर भी नहीं खाते थे उसे भारत के लोगो के लिए आयात करवाया जाता था। आपके घर मे कोई बुजुर्ग हो आप उनसे पूछ सकते हैं। कितना घटिया गेहूं होता था वो। तो अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि हम भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे। तो शास्त्री जी ने कहा हाँ कर दो।
फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का ब्यान आया कि अगर भारत को हमने गेंहू देना बंद कर दिया। तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे। शास्त्री जी ने कहा हम बिना गेंहू के भूखे मारे या बहुत अधिक खा के मरे। तुम्हें क्या तकलीफ है? हमे भूखे मारना पसंद होगा बेशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेंहू खाके। एक तो हम पैसे भी पूरे दे ऊपर से सड़ा हुआ गेहूं खाये। नहीं चाहीये तुम्हारा गेंहू। फिर शास्त्री ने दिल्ली मे एक रामलीला मैदान मे लाखो लोगो से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है। ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है। सब लोग अपने फालतू खर्चे बंद करे। ताकि वो Domestic Saving से देश के काम आए। या आप सीधे सेना के लिए दान दे। और हर व्यति सप्ताह से एक दिन सोमवार का वर्त जरूर रखे। तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखो लोगो ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया।
हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहु बढ्ने लगा। और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा और आगे भी रखते थे। शास्त्री जी ने जो लोगो से कहा पहले उसका पालन खुद किया। उनके घर मे बाई आती थी। जो साफ सफाई और कपड़े धोती थी।तो शास्त्री जी उसको हटा दिया और बोला। देश हित के लिए मैं इतना खर्चा नहीं कर सकता। मैं खुद ही घर कि सारी सफाई करूंगा। क्योंकि पत्नी ललिता देवी बीमार रहा करती थी। और शास्त्री जी अपने कपड़े भी खुद धोते थे। उनके पास सिर्फ दो जोड़ी धोती कुरता ही थी। उनके घर मे एक ट्यूटर भी आया करता था जो उनके बच्चो को अँग्रेजी पढ़ाया करता
था। तो शास्त्री जी ने उसे भी हटा दिया। तो उसने शास्त्री जी ने कहा कि आपका बच्चा अँग्रेजी मे फेल हो जाएगा। तब शास्त्री जी ने कहा होने दो। देश के हजारो बच्चे अँग्रेजी मे ही फेल होते है तो इसे भी होने दो। अगर अंग्रेज़ हिन्दी मे फेल हो सकते है तो भारतीय अँग्रेजी मे फेल हो सकते हैं। ये तो स्व्भविक है क्योंकि अपनी भाषा ही नहीं है ये।
एक दिन शास्त्री जी की पत्नी ने कहा कि आपकी धोती फट गई है। आप नई धोती ले आईये। शास्त्री जी ने कहा बेहतर होगा, कि सूई धागा लेकर तुम इसको सिल दो। मैं नई धोती लाने की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैंने सब कुछ छोड़ दिया है पगार लेना भी बंद कर दिया है। और जितना हो सके कम से कम खर्चे मे घर का खर्च चलाओ। अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझोता करने ताशकंद गए। और फिर जिंदा कभी वापिस नहीं लौट पाये। पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई। जब कि उनकी हत्या कि गई थी।
भारत मे शास्त्री जी जैसा सिर्फ एक मात्र प्रधानमंत्री हुआ। जिसने अपना पूरा जीवन आम आदमी की तरह व्यतीत किया। और पूरी ईमानदारी से देश के लिए अपना फर्ज अदा किया। जिसने जय जवान और जय किसान का नारा दिया। क्योंकि उनका मानना था देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और सीमा कि रक्षा करने वाला जवान दोनों देश ले लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। स्वदेशी की राह पर उन्होने देश को आगे बढ़ाया। विदेशी कंपनियो को देश मे घुसने नहीं दिया।अमेरिका का सड़ा गेंहू बंद करवाया। ऐसा प्रधानमंत्री भारत को शायद ही कभी मिले ! अंत मे जब उनकी Paas Book चेक की गई तो सिर्फ 365 रुपए 35 पैसे थे उनके बैंक एकाउंट मे। शायद आज कल्पना भी नहीं किया जा सकता हैं की ऐसा नेता भारत मे कभी हुआ था ना होगा।
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