दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि दुनिया की केवल 2.4 फीसद जमीन, चार फी़सद पीने का पानी और 3.3 फीसद वन ही भारत में उपलब्ध हैं। इसलिए भारत में जनसंख्या-संसाधन अनुपात असंतुलित है, जो एक बहुत ही चिंता का विषय है। यह विषय तब और गंभीर हो जाता है, जब जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो और संसाधन लगातार कम होते जा रहे हों। बेरोजगारी से लेकर गरीबी तक, अनाज की उपलब्धता से लेकर शिक्षा तक और स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर यातायात व्यवस्था के भार से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के तमाम आंकड़ों से यह आसानी से समझा जा सकता है कि आबादी की चुनौती कितनी बड़ी और गंभीर है।
विश्व जनसंख्या दिवस हर वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना है। यह आयोजन 1989 में संयुक्तत राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था । यह 11 जुलाई 1987 को पांच बिलियन दिवस में सार्वजनिक हित से प्रेरित था, जिसकी अनुमानित तारीख जिस पर दुनिया की आबादी पांच अरब लोगों तक पहुंच गई थी। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता , गरीबी , मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व। विश्व की आबादी आज साढ़े सात अरब को पार कर चुकी है, लेकिन 11 जुलाई 1987 को जब यह आंकड़ा पांच अरब हुआ तो लोगों के बीच जनसंख्या संबंधी मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस की नींव रखी गई। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज बढ़ती जनसंख्या पूरे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है, लेकिन भारत की दृष्टि से यदि इस खतरे की बात करें तो यह बहुत गंभीर एवं चिंतनीय है। इस खतरे को भांपते हुए चीन जैसे देश दशकों पहले इसका समाधान जनसंख्या नियंत्रण कानून के रूप में निकालकर लाए जो आज विश्व की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था के रूप में हम सभी के सामने है।
वर्तमान में भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला (लगभग 137 करोड) देश है। विश्व में चीन पहले स्थान पर है। आजादी के बाद 34 करोड़ से बढ़कर हम लगभग 137 करोड हो गए हैं। प्रतिवर्ष एक करोड़ साठ लाख लोग बढ़ रहे हैं। अगर इसी तरह बढ़ती रही जनसंख्या तो देश में भुखमरी और तरह-तरह की बीमारियां आर्थिक संकट आदि आने तय है। विश्व जनसंख्या दिवस पर सरकार को कोई सकारात्मक कदम उठाने चाहिए जिससे जनसंख्या को रोका जा सके और आने वाले समय में भुखमरी से मरने वालों की जान बचाई जा सके।
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