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Tuesday, August 18, 2020

बारिश की पूर्व सूचना देता है, कानपुर का जगन्नाथ मंदिर। जाने क्या है रहस्य।

आपको ताजमहल अजूबा लगता है, तो यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा मंदिर है बारिश की पूर्व सूचना देता है। और बारिश के पूर्व ही मंदिर के छत टपकाने लगता है जो अवदात कराता है कि अब बारिश आने वाली है। जिसको देखकर किसान अपने हल को लेकर खेत में निकाल जाता है खेत की जुताई करने के लिए जिससे बारिश होने के बाद खेती की जा सके। हम बात कर रहे है कानपुर का जगन्नाथ मंदिर की। क्या आप कल्पना कर सकते हैं किसी ऐसे भवन की जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए।
ये घटना है तो हैरान कर देने वाली लेकिन सच है। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकास खंड से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है बेहटा यहीं पर है धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य यह घटनाक्रम किसी आम ईमारत या भवन में नहीं बल्कि यह होता है, भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में। छत टपकने से हो जाती है बारिश की आभास ग्रामीण बताते हैं, कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं, इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं उसी आधार पर बारिश होती है।

अब तो लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं।हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।
वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए रहस्य -
मंदिर की प्राचीनता व छत टपकने के रहस्य के बारे में मंदिर के पुजारी बताते हैं, कि पुरातत्व विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक कई दफा आए लेकिन इसके रहस्य को नहीं जान पाए हैं अभी तक बस इतना पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया
मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इसकी दिवारें 14 फीट मोटी हैं, जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के कयास भी लगाए जाते हैं। लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी तक कोई भी नहीं लगा पाया है।

भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अति प्राचीन है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान हैं प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की मूर्तियां भी हैं। जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। लोगों की आस्था मंदिर के साथ गहरे से जुड़ी है लोग दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते रहते हैं।

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