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Sunday, July 19, 2020

“मारो फिरंगी को” भारतीय स्वाधीनता संग्राम' के अग्रणी योद्धा, मंगल पांडेय!

भारतीय स्वाधीनता संग्राम' में अग्रणी योद्धाओं के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मंगल पांडेय, जिनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था। आज उनकी 192 वीं जयंती है। उनका जन्म आज ही के दिन 19 जुलाई 1827 को हुआ था। अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर समूची अंग्रेजी हुकूमत के सामने मंगल पांडे की शहादत ने भारत में पहली क्रांति के बीज बोए थे।

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम  दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। वे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में "34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री" की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे। भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी।
“मारो फिरंगी को” नारा भारत की स्वाधीनता के लिए सर्वप्रथम आवाज उठाने वाले क्रांतिकारी “मंगल पांडे” की जुबां से निकला था। मंगल पांडे को आजादी का सर्वप्रथम क्रांतिकारी माना जाता है। 'फिरंगी' अर्थात् 'अंग्रेज़' या ब्रिटिश जो उस समय देश को गुलाम बनाए हुए थे, को क्रांतिकारियों और भारतियों द्वारा फिरंगी नाम से पुकारा जाता था। आपको बता दें, गुलाम जनता और सैनिकों के दिल में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए और लड़कर आजादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा गुंजाया गया था।18 अप्रैल, 1857 का दिन मंगल पांडे की फांसी के लिए निश्चित किया गया था. आपको बता दें, बैरकपुर के जल्लादों ने मंगल पांडे के खून से अपने हाथ रंगने से इनकार कर दिया। तब कलकत्ता (कोलकाता) से चार जल्लाद बुलाए गए। 8 अप्रैल, 1857 के सूर्य ने उदित होकर मंगल पांडे के बलिदान का समाचार संसार में प्रसारित कर दिया। भारत के एक वीर पुत्र ने आजादी के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी। वहीं उस दिन की याद में भारत सरकार ने बैरकपुर में शहीद मंगल पांडे महाउद्यान के नाम से उसी जगह पर उद्यान बनवाया था।
मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। 1857 विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ। सिपाहियों को पैटऱ्न 1853 एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं जो कि 0.577 कैलीबर की बंदूक थी तथा पुरानी और कई दशकों से उपयोग में लायी जा रही ब्राउन बैस के मुकाबले में शक्तिशाली और अचूक थी। नयी बंदूक में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली (प्रिकशन कैप) का प्रयोग किया गया था परन्तु बंदूक में गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी। नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है। 29 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पाण्डेय रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट बाग पर हमला कर के उसे घायल कर दिया। जनरल जान हेएरसेये के अनुसार मंगल पाण्डेय किसी प्रकार के धार्मिक पागलपन में थे जनरल ने जमादार ईश्वरी प्रसाद ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया पर ज़मीदार ने मना कर दिया। सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेण्ट ने मंगल पाण्डेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया। मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिये कहा पर किसी के ना मानने पर उन्होने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया। परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुये। 6 अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी।
एक महीने बाद ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की छावनी में बगावत हो गयी। यह विप्लव देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया जिससे अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे। इसके बाद ही हिंदुस्तान में चौंतीस हजार सात सौ पैंतीस अंग्रेजी कानून यहाँ की जनता पर लागू किये गये ताकि मंगल पाण्डेय सरीखा कोई सैनिक दोबारा भारतीय शासकों के विरुद्ध बगावत न कर सके।

"भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूत, त्याग, स्वाभिमान एवं राष्ट्रभक्ति की साक्षात प्रतिमूर्ति, अमर शहीद श्री मंगल पांडे जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन"। आपका संघर्ष हम सभी भारतीयों के लिए एक महान प्रेरणा है।

Saturday, July 18, 2020

आज दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला दिन (नेल्सन मंडेला की उपलब्धियां)

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। उनके पिता ने इन्हें 'रोलिह्लाला' प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ "उपद्रवी" होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी।
नेल्सन मंडेला राजनीत जीवन
1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये।
1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें राबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ।
उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। 1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।
5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ये 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।
उपलब्धि एवम् सम्मान नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को 'मंडेला दिवस' घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
👉 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार
👉 प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
👉 ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
👉 भारत रत्न
👉 निशान-ए–पाकिस्तान
👉 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार

Thursday, July 16, 2020

बॉर्डर पर बढ़ती टेंशन के बीच इजरायल से आया अच्छी खबर भारत को मिलेंगे हेरॉन ड्रोन, स्‍पाइक मिसाइलें

न्यूज एजेंसी एएनआई की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक सेनाओं की सर्विलांस क्षमता और उनके हथियारों में इजाफा होने वाला है। Israel से Heron Drone और Spike Anti Tank Guided Missile खरीदेगा भारत। Heron Drone को इजरायल की एरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज (आईएआई) ने तैयार किया है। 
इस ड्रोन को उन हथियारों से फिट किया जा सकता है जो जमीन पर आसानी से टारगेट को तबाह कर सकते हैं। 
अगर इसे दिल्ली से लॉन्च किया जाये तो सिर्फ 30 मिनट के अंदर बॉर्डर पर दुश्मनों का पता लगा सकता है। सरकार की तरफ से मिली आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का प्रयोग करके सेनाओं ने इजरायल से हेरॉन सर्विलांस ड्रोन और स्‍पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों को खरीदने का मन बना लिया है। हेरॉन ड्रोन पहले ही वायुसेना, नौसेना और सेना के पास है और इस समय सर्विलांस के लिए इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। लद्दाख सेक्‍टर में भी इसे जमकर प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में इस ड्रोन के और ज्‍यादा ऑर्डर्स दिए जा सकते हैं।हेरॉन ड्रोन वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने में खरा उतर रहा है।
हेरॉन ड्रोन में क्या खास है। 
👉 30,000 फीट की ऊंचाई पर लगा सकता है दुश्‍मन का पता।
👉 इसके सेंसर इतने तेज हैं कि 30,000 फीट की ऊंचाई से भी यह दुश्मनों की जानकारी आसानी से मिल सकती है।
👉 इसकी प्रदर्शन की बात करे तो यह पहली बार इजरायल ने फरवरी 2015 में बंगलुरु के एरो-इंडिया शो में पहली बार हेरॉन का प्रदर्शन किया था।


फायर एंड फॉरगेट स्‍पाइक मिसाइल
स्पाइक इज़राइल की डिजाइन की हुई चौथी पीढ़ी की मिसाइल है। इस मिसाइल की ख़ास बात यह है कि यह गाइडेड मिसाइल है। माने आप मिसाइल दागिए और भूल जाइए। वो अपने-आप निशाने पर जाकर लग जाएगी। दूसरा, इस मिसाइल को आसानी से लादकर इधर से उधर लेकर जाया जा सकता है। इसकी ये दो खासियत आमने-सामने के मोर्चे में बहुत मददगार साबित होती हैं। इससे चलते हुए टैंक पर बिना चूक के निशाना लगाया जा सकता है।
👉 इजरायल की स्‍पाइक एंटी-गाइडेड मिसाइल चौथी पीढ़ी का सिस्‍टम है।
👉 इस मिसाइल को इजरायल की कंपनी राफेल एंडवांस्‍ड डिफेंस सिस्‍टम्‍स ने तैयार किया है।
👉 इस मिसाइल को जवान लॉन्‍च कर सकते हैं, किसी व्‍हीकल से भी इसे दुश्‍मन पर दागा जा सकता है।
👉 स्‍पाइक मिसाइल को हेलीकॉप्‍टर से भी दुश्‍मन पर लॉन्‍च किया जा सकता है।
👉 इस मिसाइल के कुछ वैरीएंट्स ऐसे हैं जो एक साथ कई टारगेट्स को तबाह कर सकते हैं।
👉 यह फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है जो ऑटोमैटिक सेल्‍फ गाइडेंस और लॉन्‍च से पहले लॉक-ऑन जैसे फीचर्स से लैस है।

Tuesday, July 14, 2020

चिनुक हेलीकाप्टर कि डिलीवरी हुई पूरी, अमेरिकी एविएशन कम्पनी बोइंग ने दी जानकारी।

अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग ने इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को अटैक हेलीकॉप्‍टर चिनुक की तय संख्‍या की डिलीवरी कर दी है। कंपनी की तरफ से रिलीज जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है। अब आईएएफ के पास15 चिनुक हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्‍टर हैं। यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब भारत चीन  लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव चल रहा है। चिनूक हेलीकॉप्टर की खास बात ऊंची उड़ानों के चलते यह हेलीकॉप्टर हिमालय जैसी जगहों पर किए जाने वाले ऑपरेशन के लिए बिल्कुल सही है। खास बात यह है कि इस हेलीकॉप्टर को किसी भी समय और किसी भी तरह के मौसम में उड़ाया जा सकता है।

वायुसेना की ताकत में पहली बार सोमवार 25 मार्च 2019 को इजाफा हुआ । अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए चिनूक सीएच-47आइ हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना के बेड़े में 25 मार्च 2019 को चंडीगढ़ में शामिल किया 
चिनूक हेलीकॉप्टर से 11 टन और 45 ट्रूप का अधिकतम भार उठाया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर में फुली-इंटीग्रेटेड डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम दिया गया है। इसके साथ ही कॉमन एविएशन आर्किटेक्चर और एडवांस्ड कार्गो-हैंडलिंग क्षमता भी दी गई है।

अमेरिका से 72,000 असॉल्ट राइफल खरीद रहा भारत, सीमा पर तैनात सैनिक करेंगे इस्तेमाल।

भारतीय सेना (Indian Army) अपने जवानों के लिए अमेरिका से 72,000 सिग सॉर असॉल्ट राइफल (SIG Sauer Assault Rifle) की खरीद को लेकर तेजी से आगे बढ़ रही है। सेना (इन्फैन्ट्री) के आधुनिकीकरण के लिए खरीदा जा रहा है। भारत चीन सीमा पर विवाद को देखते हुए यह खरीद की जा रही है।अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी देते हुए बताया कि यह खरीद ऐसे समय में की जा रही है, जब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेना के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति है।
सिग सॉर असॉल्ट राइफल (SIG Sauer Assault Rifle)
विशेषताएं
SIG516 में बाईं ओर एक सुरक्षा लीवर है, जिसका उपयोग शूटिंग के हाथ के अंगूठे द्वारा किया जाता है।  गैस ब्लॉक एक समायोज्य गैस नियामक को एकीकृत करता है।  फ्रंट गैस ब्लॉक को फ्लिप-अप दृष्टि पोस्ट के साथ सामने की दृष्टि को स्वीकार करने के लिए छापा जाता है।  SIG516 मॉडल M16A2 स्टाइल बर्ड-केज फ्लैश हैडर से लैस हैं। Marksman को छोड़कर सभी SIG516 मॉडल 16-इंच बैरल से सुसज्जित हैं जो एक मुक्त-फ्लोटिंग M1913 Picatinny रेल से सुसज्जित हैं, साथ ही SIG Sauer द्वारा निर्मित फ्लिप-अप आयरन जगहें (BUIS) भी हैं।5.56 × 45 मिमी नाटो SIG516 मॉडल AR-15 स्टाइल बॉक्स पत्रिकाओं को स्वीकार करते हैं।  इन पत्रिकाओं का निर्माण 5-, 10-, 20- और 30-राउंड वेरिएंट में किया जाता है।  SIG516 रूसी राइफल्स को एक अलग पत्रिका का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि वे 7.62 × 39 मिमी में चैम्बर हैं।  SIG516 रूसी 7.62 × 39 मिमी AR-15 शैली राइफल के लिए डिज़ाइन की गई पत्रिकाओं का उपयोग करता है।  राइफल को हथौड़े से दागा जाता है और इसमें SIG516 मार्क्समैन में दो-चरण ट्रिगर तंत्र है, जबकि अन्य सभी में एक सैन्य विनिर्देश एकल-चरण ट्रिगर है।

Monday, July 13, 2020

भारत-चीन तनाव के बीच आयी अच्छी खबर अमेरिका ने पूरा किया अपना अटैक हेलीकॉप्‍टर अपाचे, की डिलीवरी।

अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग ने इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को अटैक हेलीकॉप्‍टर अपाचे तय संख्‍या की डिलीवरी कर दी है। कंपनी की तरफ से रिलीज जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है। अब आईएएफ के पास 22 अपाचे अटैक हैं। यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव जारी है।
अमेरिका का दो टर्बोशाफ्ट इंजन और चार ब्लेड वाला अटैक हेलीकॉप्टर है। यह हेलीकॉप्टर अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में उङान भर सकता है। इसकी पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 में हुई थी। यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला अटैक हेलीकॉप्टर है।
  • विशेषता
  • 👉चालकदल: 2 पायलट और सह पायलट,गनर कि बैैैैठ 
  • 👉लंबाई: 17.73 मीटर
  • 👉रोटर व्यास: 48 मीटर
  • 👉ऊंचाई: 3.87 मीटर
  • 👉डिस्क क्षेत्र: 168.11 मीटर²
  • 👉खाली वजन: 5,165 किलोग्राम
  • 👉उपयोगी भार: 8,000 किलोग्राम 
  • 👉अधिकतम उड़ान वजन: 10,433 किलोग्राम
  • 👉धड़ की लंबाई: 15.06 मीटर
  • 👉रोटर प्रणाली: 4 ब्लेड मुख्य रोटर, 4 ब्लेड पूंछ रोटर
  • 👉पावर प्लांट: 2× जनरल इलेक्ट्रिक टी700   जीई 701 टर्बोसॉफ्ट, 1,690 अश्वशक्ति () प्रत्येक से
  • प्रदर्शन
  • 👉इससे अधिक गति कभी नहीं: 365 किमी/घंटा
  • 👉अधिकतम गति: 293 किमी/घंटा
  • 👉क्रूज गति: 265 किमी/घंटा
  • 👉रेंज: 476 किमी/घंटा धनुष रडार मस्तूल के साथ
  • 👉हमले की त्रिज्या: 480 किमी 
  • 👉फेरी रेंज: 1,900 किमी 
  • 👉अधिकतम सेवा सीमा: 6,400 मीटर न्यूनतम लोड
  • 👉आरोहन दर: 12.7 मीटर/सेकंड 
  • 👉डिस्क लोडिंग: 47.9 किलोग्राम/मीटर² 
  • 👉थ्रस्ट/वजन: 0.31 किलोवाट/किलोग्राम
  • अस्र-शस्र
  • 👉गन्स: 1× 30 मिमी एम 230 चेंेन गन 200 गोल के साथ
  • 👉हार्ड प्वाइंट: ठूंठ पंखों पर चार तोरण स्टेशन
  • 👉रॉकेट्स: हाइड्रा 70 70 मिमी, सीआरवी7 70 मिमी, तथा एपीकेडब्लूएस 70 मिमी हवा से जमीन रॉकेट
  • 👉मिसाइलें: आमतौर पर  एजीएम-114  हेलफायर वेरिएंट; एआईएम-92 स्टिंगर 

Sunday, July 12, 2020

गुजरात कांग्रेस का उत्तराधिकारी मिला हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।

ऐसे राजनितिक गलियारों में चर्चाएं तमाम होती है। किसी की कुर्सी जाती हैं तो किसी की कुर्सी आती हैं जैसा कि पहले से होता आ रहा है। आज भी ठीक वैसा ही हुआ गुजरात कांग्रेस ने गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चित हुए युवा नेता हार्दिक पटेल को शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार्दिक पटेल की तत्काल प्रभाव से नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की। 
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को पार्टी के लोकसभा सदस्यों के साथ डिजिटल बैठक की जिसमें देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति एवं कोरोना महामारी के हालात पर चर्चा की गई। हालांकि इस दौरान कई सांसदों ने यह मांग की कि राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में के. सुरेश, अब्दुल खालिक, गौरव गोगोई और कुछ अन्य सांसदों ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह फिर से पार्टी की कमान संभालें।
दिग्विजय के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व को संगठन के निर्माण की चुनौती हाथ में लेनी चाहिए। यहीं पर हमें राहुल और प्रियंका के बहुआयामी नेतृत्व की जरूरत है। मुझे भरोसा है कि दोनों में यह दम और साहस है कि वे ‘मोदी-शाह जोड़ी’ का मुकाबला कर सकें।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...