ग्वादर के उपायुक्त मेजर (रि) अब्दुल कबीर ने बताया कि जिन्ना की मूर्ति को उड़ाने वाले बलूच कार्यकर्ता क्षेत्र में घुसने के लिए ‘पर्यटक’ बनकर आए थे। हमला रविवार सुबह करीब 9.20 बजे हुआ था। कबीर ने बताया कि अधिकारियों ने हमले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। बता दें कि जिन्ना की प्रतिमा जून 2021 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) के घर और उप महानिरीक्षक के ऑफिस के पास एक हाई-सिक्योरिटी वाली जगह पर स्थापित की गई थी।
जिन्ना ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट थे।
घटना के बाद कई पाकिस्तानियों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है और बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी को जमकर लताड़ा है। इसे बलूच कार्यकर्ताओं का प्रतिशोध माना जा रहा है जिन्होंने बार-बार बलूचिस्तान में ‘पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचारों का आरोप’ लगाया है। इस बीच, बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी के बयान में ‘बलूच जमीन पर कब्जा करने और अतिक्रमण’ करने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना की आलोचना की गई है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि जिन्ना 'चालाक राजनीति' में शामिल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट थे। बयान में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना ने बलूचिस्तान पर आक्रमण किया है।
बयान में कहा गया है, "जिस तरह से मोहम्मद अली जिन्ना ने 27 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना पर कब्जा करके धोखे से बलूच भूमि पर कब्जा किया और उसका अतिक्रमण किया, इसलिए बलूच देश जिन्ना के जीवन को उनकी चालाक राजनीति के कारण घृणा और तिरस्कार की नजर से देखता है।"
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