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Tuesday, May 18, 2021

Elon Musk को लगा झटका, रईसों की लिस्ट में नंबर 3 पर फिसले। Tesla के शेयरों में भरी गिरावट।

नई दिल्ली: Elon Musk के tweet आजकल Bitcoin निवेशकों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। उनके एक ट्वीट से Bitcoin में 20-20 परसेंट तक की गिरावट आ जाती है, लेकिन इस बीच Elon Musk की किस्मत भी कुछ खास साथ नहीं दे रही है।

Elon Musk रईसों की लिस्ट में नंबर -3 पर फिसले
Elon Musk अब दुनिया के नंबर -2 रईस नहीं रहे, Tesla के शेयर सोमवार को 2 परसेंट से ज्यादा टूट गए जिसके चलते नंबर-2 की कुर्सी एलन मस्क से छिन गई। ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक फ्रेंच बिलिनेयर और LVMH के चेयरमैन Bernard Arnault 161 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर आ गए हैं जबकि इतनी ही संपत्ति के साथ एलन मस्क अब तीसरे पायदान पर खिसक गए हैं।

Tesla के शेयरों की पिटाई।
एलन मस्क की संपत्ति में ये गिरावट Tesla के शेयरों में 2 परसेंट से ज्यादा की गिरावट के चलते आई है। एलन मस्क की संपत्ति में इस साल 9.09 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई है। जबकि 24 घंटे में उनकी संपत्ति में 3.16 अरब डॉलर की कमी आई है।

जनवरी में बने थे नंबर-1 रईस
एलन मस्क इस साल जनवरी में ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स में नंबर एक पर पहुंच गए थे यानी दुनिया के सबसे रईस इंसान बन गए थे। दरअसल साल 2020 में टेस्ला के शेयर में करीब 750 परसेंट की तेजी देखने को मिली थी। जिसके बाद कंपनी का शेयर 900 डॉलर तक पहुंच गया था। इस तेजी का फायदा एलन मस्क को भी मिला और उनकी संपत्ति 200 अरब डॉलर के पार चली गई। 13 जनवरी को उनकी नेट वर्थ 202 अरब डॉलर पर पहुंच गई थी।

दुनिया के रईसों की लिस्ट 
ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक Amazon के जेफ बेजोस 190 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ पहले पायदान पर हैं। इंडेक्स में चौथे नंबर पर बिल गेट्स हैं और उनकी कुल संपत्ति 144 अरब डॉलर है। मार्क जकरबर्ग 118 अरब डॉलर के साथ पांचवें नंबर पर और 75.20 अरब डॉलर के साथ मुकेश अंबानी 13वें नंबर पर हैं। 63.10 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ गौतम अडाणी इस लिस्ट में 17वें नंबर पर हैं।

Bitcoin पर सफाई
एलन मस्क बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई तरह के बयान देते रहे हैं जिसका असर बिटक्वाइन पर देखा गया। पिछले हफ्ते ही एलन मस्क ने ट्वीट किया कि टेस्ला अब बिटक्वॉइन में पेमेंट नहीं लेगी। बस फिर क्या था Bitcoin में 17 परसेंट से ज्यादा की गिरावट आ गई। इसके पीछे एलन मस्क ने तर्क दिया कि इसकी माइनिंग में बहुत ज्यादा ऊर्जी या बिजली खर्च होती है, जो पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। ये भी खबरें आईं कि Tesla अपने Bitcoins को बेच सकती है या बेच चुकी है, हालांकि सोमवार को सफाई आई कि कंपनी ने ऐसा कुछ नहीं किया है।

"बृहदेश्वर मंदिर" क्या आधुनिक तकनीकों वाला युग नींव खोदे बिना एक गगनचुंबी इमारत के निर्माण की कल्पना कर सकता है।

यह तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर है, यह बिना नींव का मंदिर है । इसे इंटरलॉकिंग विधि का उपयोग करके बनाया गया है इसके निर्माण में पत्थरों के बीच कोई सीमेंट, प्लास्टर या किसी भी तरह के चिपकने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं किया गया है इसके बावजूद पिछले 1000 वर्षों में 6 बड़े भूकंपो को झेलकर भी आज अपने मूल स्वरूप में यथा संभव स्थिति में खड़ा है।

216 फीट ऊंचा यह मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर था। इसके निर्माण के कई वर्षों बाद बनी पीसा की मीनार खराब इंजीनियरिंग की वजह से समय के साथ झुक रही है लेकिन बृहदेश्वर मंदिर पीसा की मीनार से भी प्राचीन होने के बाद भी अपने अक्ष पर एक भी अंश का झुकाव नहीं रखता।

इस मंदिर के निर्माण के लिए 1.3 लाख टन ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था जिसे 60 किलोमीटर दूर से 3000 हाथियों द्वारा ले जाया गया था। इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी को खोदे बिना किया गया था यानी यह मंदिर बिना नींव का मंदिर है।

मंदिर टॉवर के शीर्ष पर स्थित शिखर का वजन 81 टन है आज के समय में इतनी ऊंचाई पर 81 टन वजनी पत्थर को उठाने के लिए आधुनिक मशीनें फेल हो जाएंगी।

बृहदीश्वर मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किए गए इंजीनियरिंग के स्तर को दुनिया के सात आश्चर्यों में से किसी भी आश्चर्य के निर्माण की तकनीक मुकाबला नहीं कर सकती और आज की तकनीकों को देखकर भविष्य में भी कई सदियों तक ऐसा निर्माण सम्भव नहीं दिखता है ।

प्राचीन मंदिरो के दर्शन और उनका इतिहास जानने के लिए हमारा पेज follow करे . . !

क्या आप जानते है, काशी खण्डोक्त मंदिर में दर्शन पूजन करने से केदारनाथ (ज्योतिर्लिंग) के दर्शन का फल मिलता है।

काशी में ऐसी मान्यता है कि यहां खण्डोक्त मंदिर में दर्शन पूजन करने से उत्तराखंड केदारनाथ (ज्योतिर्लिंग) के दर्शन का फल मिलता है। काशी के द्वादश शिवलिंगों में विश्वनाथ लिंग के बाद यह प्रधान लिंग माना जाता है ।

खिचड़ी से बना यह शिव लिंग दो भागों में बटा हुआ है।
1. गौरी रूप।
2. केदारनाथ।।

जब खुद खिचड़ी खाने आये केदारनाथ।

हजारों वर्ष पहले एक मांधाता नाम के ऋषि काशी वास् करने आये थे , वह अपने तप की शक्ति द्वारा रोज़ केदारधाम जा कर केदारनाथ को अपने द्वारा बनाया हुआ खिचड़ी भोग लगाते थे तभी खुद भी खाते थे। समय के साथ साथ वृद्ध अवस्था के कारण वह अचेत होकर गिर पड़े और भोग लगाने के लिए केदार धाम न जा सके।

तभी जब उनकी आँख खुली तोह सामने उन्होंने शिव जी का साक्षात दर्शन किया और शिव जी ने खिचड़ी का भोग लगाया और वही लिंग रूप में माता गौरी के साथ विराज गए और मान्धाता ऋषि को यही रोजाना खिचड़ी का भोग लगाने को कहा ।

स्कन्द पुराण के काशी खण्ड में ऐसा वर्णन है कि यहां केदार धाम दर्शन करने का ही फल मिलता है।

Monday, May 17, 2021

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लॉन्च की डीआरडीओ की दवा 2-डीजी।

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से फैली दहस्त के बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना की दवा 2 -डीजी की पहली खेप लॉन्च की। अब इन्हें मरीजों को दिया जा सकता है। इस दवा को सबसे पहले दिल्ली के डीआरडीओ कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिया जाएगा।

डीआरडीओ के डॉक्टर एके मिश्रा ने बताया, "किसी भी टिशू या वायरस के ग्रोथ के लिए ग्लूकोज़ का होना बहुत जरूरी होता है। लेकिन अगर उसे ग्लूकोज़ नहीं मिलता तो उसके मरने की उम्मीद बढ़ जाती है। इसी को हमने मिमिक करके ऐसा किया कि ग्लूकोज़ का एनालॉग बनाया। वायरस इसे ग्लूकोज़ समझ कर खाने की कोशिश करेगा, लेकिन ये ग्लूकोज़ नहीं है, इस वजह से वायरस की मौत हो जाएगी। यही इस दवाई का बेसिक प्रिंसिपल है"।

साथ ही उन्होंने कहा कि इस दवा से ऑक्सीजन की कमी भी नहीं होगी। जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है उन्हें इसको देने के बात फायदा होगा और वायरस की मौत भी होगी। जिससे इंफेक्शन का चांस कम होगा और मरीज जल्द से जल्द रिकवर होगा।

डॉक्टर एके मिश्रा ने बताया कि इस दवा के तीसरे फेज़ के ट्राएल के अच्छे नतीजे आए हैं। जिसके बाद इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा कि हम डॉ रेड्डीज़ के साथ मिलकर ये कोशिश करेंगे कि हर जगह और हर नागरिक को मिले।

एके मिश्रा का कहना है कि इस दवाई को हर तरह के मरीज को दिया जा सकता है। हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ हो या गंभीर मरीज, सभी को इस दवाई को दी जा सकेगी। बच्चों के इलाज में भी ये दवा कारगर होगी। हालांकि उन्होने कहा कि बच्चों के लिए इस दवा की डोज़ अलग होगी।

पूजा में प्रयोग होने वाली ये चीजें कभी नहीं होती बासी, पुराने होने पर भी आप कर सकते हैं इनका प्रयोग।

पूजा पाठ में बासी चीजों का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है। जैसे बासी फूल, पत्ती, जल और फल बिल्कुल भी बासी नहीं चढ़ाया जाता है। लेकिन कुछ ऐसी चीजें है जिनका प्रयोग आप उनके बासी होने के बाद भी पूजा में शामिल कर सकते है। आईये बताते है उन वस्तुओं के बारें में।

1. गंगाजल- धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा में बासी जल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन गंगाजल का प्रयोग करना कभी बासी नहीं माना गया है। वायुपुराण के साथ साथ स्कंदपुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि गंगाजल कितना भी पुराना हो वह कभी भी बासी नहीं होता है।

2. बेलपत्र- शास्त्रों के अनुसार शिवजी के प्रिय बेल पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते है। इसलिए इन्हें जल छिड़क कर फिर से शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है। पूजा में इसका प्रयोग कभी भी किया जा सकता है। मंदिरों और घरों में शिवजी को चढ़ने वाले इस बेलपत्र का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है।

3. तुलसी की पत्ती- बेलपत्र और गंगाजल की भांति तुलसी दल भी कभी बासी नहीं मानी जाती है। यदि पूजा के लिए तुलसी के नए पत्ते नहीं मिल रहे है तो आप पुराने चढ़े हुए तुलसी के पत्ते भी चढ़ा सकते है। याद रहें कि शिवजी, गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। तुलसी दल को भगवान से उतारने के बाद उसे जल में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर किसी गमले या क्यारी में डाल देना चाहिए ताकि किसी के पैरों में ना दबे।

4. कमल का फूल- पूजा पाठ में फूलों का विशेष महत्व होता है। लेकिन बासी फूल को चढ़ाना उतना ही वर्जित माना जाता है। लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार एक ऐसे फूल यानी कमल का वर्णन मिलता है जो बासी नहीं माना जाता है। मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। कमल का फूल पांच दिनों तक जल छिड़क कर दोबारा चढ़ा सकते है।

रविवार के दिन नहीं करना चाहिए ये काम, वरना उठाना पड़ेगा भरी नुकसान।

रविवार का दिन सूर्य देव का दिन होता है। सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें जल चढ़ाने से व्यक्ति का तेज बढ़ता है और भाग्य बलशाली होता है। ग्रहों के राजा सूर्य की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली का वास हो सकता है लेकिन उनकी नाराज़गी से आपको बड़े से बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। सप्ताह के दिनों के मुताबिक रविवार का दिन सूर्य ग्रह को समर्पित है, इसलिए अगर आप सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं तो रविवार के दिन आपको कुछ कामों से दूर रहना चाहिए जो आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।

1. रविवार के दिन आपको पश्चिम में और वायव्य दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर किसी कारणवश आपको इस दिशा में यात्रा करनी ही है तो रविवार के दिन दलिया, घी या फिर पान खाकर या इससे पहले पांच कदम पीछे चलकर ही इस दिशा में जाएं क्योंकि इस दिन खासकर पश्चिम दिशा में शूल रहता है।

2. रविवार के दिन नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और आपके हर कार्य में बाधा ही उत्पन्न होती है। खासतौर पर सूर्यास्त के बाद तो नमक खाना ही नहीं चाहिए।

3. रविवार को तांबे से निर्मित चीजों को बेचने से आपको परहेज करना चाहिए। तांबे के अलावा सूर्य से संबंधित अन्य धातु या वस्तुएं भी नहीं बेचें।

4. रविवार के दिन नीले, काले और ग्रे रंग के कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं इस रंग के जूते पहनने से भी बचना चाहिए।

5. ज्यादातर लोग रविवार को ही बाल कटवाते हैं लेकिन मान्यता ये है कि इस दिन बाल कटवाने से आपका सूर्य कमजोर हो जाता है।

6. इस दिन तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सूर्य का दिन होता है और तेल शनि का होता है।

7. रविवार के दिन आपको मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, जिस कारण सूर्य देव आप पर विपरीत प्रभाव डालते है। इस दिन शनि से संबंधित पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

8. रविवार के दिन सूर्य के दर्शन करने के बाद स्नान करना चाहिए और अगर घर में झगड़े होते हैं तो इस दिन मन ही मन ‘ओम घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

यह थे, वह काम जो रविवार के दिन नहीं करने चाहिए क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली का वास हो सकता है लेकिन उनकी नाराज़गी से आपको बड़े से बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

आज है जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जयंती, जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये कथा।

आज जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी की जयंती मनाई जा रही है। भारत में चार मठों की स्थापना करने वाले शंकराचार्य का जन्म वैशाख की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आठवीं सदी में केरल में हुआ था। शंकराचार्य के पिता की मत्यु उनके बचपन में ही हो गई थी। बचपन से ही शंकराचार्य का रुझान संन्‍यासी जीवन की तरफ था। लेकिन उनके मां नहीं चाहती थीं कि वो संन्यासी जीवन अपनाएं।

कथा।
एक ब्राह्राण दंपति के विवाह होने के कई साल बाद भी कोई संतान नहीं हुई। संतान प्राप्ति के लिए ब्राह्राण दंपति ने भगवान शंकर की आराधना की। उनकी कठिन तपस्या से खुश होकर भगवान शंकर ने सपने में उनको दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। इसके बाद ब्राह्राण दंपति ने भगवान शंकर से ऐसी संतान की कामना की जो दीर्घायु भी हो और उसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैले। तब भगवान शिव ने कहा कि या तो तुम्हारी संतान दीर्घायु हो सकती है या फिर सर्वज्ञ। जो दीर्घायु होगा वो सर्वज्ञ नहीं होगा और अगर सर्वज्ञ संतान चाहते हो तो वह दीर्घायु नहीं होगी।

तब ब्राह्राण दंपति ने वरदान के रूप में दीर्घायु की बजाय सर्वज्ञ संतान की कामना की। वरदान देने के बाद भगवान शिव ने ब्राह्राण दंपति के यहां संतान रूप में जन्म लिया। वरदान के कारण ब्राह्राण दंपति ने पुत्र का नाम शंकर रखा। शंकराचार्य बचपन से प्रतिभा सम्पन्न बालक थे। जब वह मात्र तीन साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। तीन साल की उम्र में ही उन्हें मलयालम भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

कम उम्र में उन्हें वेदों का पूरा ज्ञान हो गया था और 12 वर्ष की उम्र में शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था। 16 वर्ष की उम्र में वह 100 से भी अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके थे। बाद में माता की आज्ञा से वैराग्य धारण कर लिया था। मात्र 32 साल की उम्र में केदारनाथ में उन्होंने समाधि ले ली। आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार के लिए देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना की थी जिसे आज शंकराचार्य पीठ कहा जाता है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...