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Thursday, August 12, 2021

IAS टीना और अतहर आमिर की लव स्‍टोरी हुई खत्‍म, तलाक के बाद डाबी ने इंस्‍टाग्राम पर लिखा- 'कुछ ऐसा..!

सबसे चर्चित IAS जोड़ी टूट गई है। आईएएस टीना डाबी और आईएएस अतहर आमिर खान के बीच तलाक हो गया है। दोनों ने अलग होने के लिए जयपुर के पारिवारिक न्‍यायालय में तलाक की अर्जी डाली थी जिसपर मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने तलाक पर मुहर लगा दी और इसी के साथ दोनों की प्रेम कहानी का अंत हो गया।

बता दें कि 20 मार्च 2018 को टीना और अहतर शादी के बंधन में बंधे थे। इस शादी ने देशभर में खूब सुर्खियां बटोरी थीं। दरअसल, टीना और अतहर 2016 बैच के टॉपर आईएएस हैं। बताया जा रहा है कि शादी के दो साल बाद ही दोनों के वैवाहिक जिंदगी में काफी खटास आ गए थे, जिसके बाद टीना और अतहर ने तलाक के लिए कोर्ट का रुख किया था।

कोर्ट द्वारा तलाक की मंजूरी के बाद टीना डाबी ने अपने इंस्‍टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्‍ट शेयर किया है। उन्‍होंने अपने पोस्‍ट में लिखा- 'आप कुछ भी करिए, लोग आपके बारे में बात करेंगे। लिहाजा अच्छा है कि आप भी कुछ भी करिए जिससे आपको खुशी मिलती है और आप अपनी जिंदगी बेहतर तरह से जी सकते हैं।'

ट्रेनिंग के दौरान शुरू हुई थी टीना और अतहर की लव स्‍टोरी।
राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी टीना डाबी और अतहर आमिर खान की लव स्टोरी ट्रेनिंग के दौरान ही शुरू हुई थी। 11 मई 2015 को नॉर्थ ब्लॉक में एक कार्यक्रम के दौरान कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के ऑफिस में टीना पहली बार अतहर से मिलीं और दोनों ने एक दूसरे को पंसद कर लिया। अपनी लव स्टोरी के बारे में बात करते हुए टीना ने खुद एक बार बताया था, 'उसके लिए पहली नजर में प्यार हो गया'। टीना ने आगे बताया कि सुबह हम दोनों की मुलाकात हुई और शाम को अतहर ने उन्हें प्रपोज कर दिया।

सोशल मीडिया पर किया था अनफॉलो, खान सरनेम भी हटाया।
टीना के पति अतहर ने कुछ महीनों पहले टीना को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म (Social media Plateform) पर अनफॉलो कर दिया था। इसके बाद टीना ने भी अपने पति अतहर को अपने ट्वीटर (Twitter) से अनफॉलो कर दिया था। इसके अलावा शादी के बाद अपने नाम के आगे खान सरनेम लिखने वाली टीना ने कुछ दिनों पहले खान सरनेम हटाने के साथ ही अपने इंस्टाग्राम (Instagram) बायो से कश्मीरी बहु शब्द भी हटा दिया था।

Monday, August 9, 2021

स्वर्ण पदक जीतते ही रातों रात करोड़पति बन गए नीरज चोपड़ा,जाने कितना मिला इनाम।

टोक्यो ओलंपिक में भारत के भालाफेंक नीरज चोपड़ा ने जीत हासिल कर नया इतिहास रच दिया है। भारत के लिए ये बहुत गर्व की बात है ओलंपिक में भारत को काफी लंबे समय के बाद जीत मिली है लगभग 13 साल के बाद भारत को ये जीत हासिल हुई है जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है। नीरज ने भाले को 87.58 की सर्वश्रेष्ठ दूरी तक फेंका और स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। गोल्ड मैडल जीतते ही पुरे देश की शुभकामनाये नीरज को मिलने लगी और अब उन पर इनामो की बारिश हो रही है। चलिए जानते है इस जीत पर उन्हें क्या क्या इनाम मिले है।

हरियाणा सरकार देगी बड़ी रकम।
ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले नीरज चोपड़ा को अब हरियाणा सरकार ने एक बड़ी रकम इनाम में देने की घोषणा की है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ओलंपिक में देश का झंडा लहराने वाले नीरज चोपड़ा को 6 करोड़ रुपये नकद इनाम देने की घोषणा की है। इतना ही नहीं पंजाब के मुख्ममंत्री अमरिंदर सिंह ने भी नीरज को दो करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार देने की घोषणा की। इसके अलावा आज कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले बजरंग पुनिया को हरियाणा सरकार 2.5 करोड़ रुपये देगी।

आनंद महिंद्रा देंगे गाड़ी।
इसके अलावा महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी ओलंपिक में भाला फेंक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को कंपनी की आगामी कार XUV700 उपहार में देने का वादा कर दिया है। बता दें कि जैसे ही ओलंपिक में नीरज ने गोल्ड जीता तभी लोग सोशल मीडिया पर आनंद महिंद्रा से नीरज को इनाम देने की बात करने लगे। उन्होंने लोगों को जवाब देते हुए एक ट्वीट कर नीरज के इनाम की घोषणा की।

बीसीसीआई और सीएसके भी देंगे बड़ी राशि।
नीरज को मिलने वाले इनामों की संख्या यहीं खत्म नहीं होती। उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स ने भी एक-एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की। इस हिसाब से ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले नीरज को अबतक कुल 10 करोड़ रुपये इनाम में दिए जाने की बात हो चुकी है।

नीरज ने रचा इतिहास।
टोक्यो ओलंपिक के जैवलिन थ्रो फाइनल में नीरज चोपड़ा शुरुआत से ही सबसे आगे रहे। उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की है। वहीं दूसरी बार में उन्होंने 87.58 की दूरी तय करी। इसी के साथ उन्होंने अपने क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड से भी ज्यादा दूर भाला फेंका है। जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है। इतना ही नहीं एथलेटिक्स में भी ये भारत का पहला ही मेडल है।

ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपडा कितने करोड़ के मालिक है।

भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा एक ट्रैक और फील्ड एथलीट है जो भाला फेंकने में बहुत ही माहिर है। एशियाई खेलों में नीरज का साल 2018 में भारत के लिए उद्घाटन समारोह में हाथ में झंडा लेकर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी चुनाव किया गया था। नीरज ने 88.07 मीटर भाला फेंककर ये रिकॉर्ड बनाया है और भाला फेंकने में राष्ट्रीय रिकॉर्ड नीरज के नाम पर है।

नीरज ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त सुधार दिखाया है और टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को गोल्ड मेडल भी जीते हैं। भारत ने पिछली बार 1900 में एथलेटिक्स में पदक जीता था। हालाँकि इस बार नीरज टोक्यो में 121 साल का सुखा खत्म कर दिये हैं। और भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर आए हैं।

नीरज चोपड़ा की नेट वर्थ।
नीरज की अनुमानित कुल संपत्ति 1से 3 मिलियन यूएस डॉलर है। यह स्पष्ट है कि उनकी आय का मुख्य स्रोत भाला फेंकने वाले के रूप में उनका सफल करियर है। इसके अलावा, उन्हें JSW स्पोर्ट्स एंड स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) से बहुत समर्थन मिलता है, जिसने उनके उज्जवल भविष्य में काफी मदद की है। 31 मार्च 2020 को उन्होंने COVID-19 महामारी के लिए PM केयर्स फंड में 2 लाख रूपए दान किए थे।

नीरज चोपड़ा की उपलब्धियां।
नीरज न केवल सीनियर स्तर पर राष्ट्रमंडल और एशियाई चैंपियन हैं, बल्कि उन्होंने जूनियर सर्किट में भी काफी नाम कमाया है। वह 2016 के विश्व U20 चैंपियन थे और उन्होंने 86.48 मीटर का विश्व अंडर-20 रिकॉर्ड बनाया था, जो अभी भी बरकरार है। इसके अलावा, वह अंडर -20 श्रेणी में ट्रैक और फील्ड में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं।

नीरज का परिवार।
नीरज चोपड़ा रोर (क्षत्रिय) समुदाय से हैं और हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव से आते हैं। उनकी शिक्षा डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से हुई। 2016 में, उन्हें नायब सूबेदार के पद के साथ भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी नियुक्त किया गया था।

Friday, August 6, 2021

रामानंद सागर के श्री राम अरुण गोविल इतनी सम्पत्ति के मालिक हैं।

अरुण गोविल फ़िल्मी जगत और दूरदर्शन के अभिनेता है। अरुण का जन्म 12 जनवरी 1952 को राम नगर उत्तर प्रदेश में हुआ। अरुण ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से ही पूरी की और उसी दौरान अरुण ने नाटक में अभिनय करना आरम्भ किया। इनके पिता की इच्छा थी कि अरुण सरकारी नौकरी करे। लेकिन अरुण का सपना कुछ ऐसा कर दिखने का था कि सब उसे याद करे और अपने सपनो को सच करने के लिए अरुण मुम्बई आ गये। मुंबई आकर उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में उन्होंने कई पारिवारिक फिल्मो में कम किया उसके बाद उन्हें रामानंद सागर-निर्देशित रामायण में भगवान राम का किरदार मिला। इस किरदार को निभा कर उनका बहुत नाम हुआ लोगो ने उनके अभिनय को बहुत सराहा। और सभी अरुण के अभिनय के फैन हो गये।

रामायण के बाद अरुण गोविल की प्रसिद्धी उन ऊँचाइयों पर पहुँच गई थी, जिसकी शायद उन्होंने भी कभी कल्पना नहीं की होगी। अपने निर्मल मुख, शान्त भाव और मनमोहक अदाकारी से, अरुण गोविल ने सिर्फ शौहरत ही नहीं कमाई, बल्कि उससे कई ज्यादा करोड़ों हिंदुस्तानियों का प्यार और सम्मान भी कमाया हैं। अरुण गोविल 1975 में मुंबई आए तो थे अपने भाई का बिजनेस में हाथ बटाने, पर यह काम उनको कुछ रास नहीं आया। आता भी कैसे, उनकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। फिल्म ‘पहेली’ के जरिए, 1977 में उन्हें बड़े पर्दे पर पहला मौका मिल गया। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया।

टीवी के श्रीराम ने, राम के किरदार से पहले – ‘सावन को आने दो’, ‘राधा और गीता’, ‘जियो तो ऐसे जियो’, और ‘सांच को आंच नहीं’ जैसी फिल्मों में काम किया हैं। ये फिल्मे अपने समय की हिट फिल्मों में शुमार हैं। इसके अलावा भी वे 80s और 90s की कई फिल्मों में नजर आए हैं। रामायण से पहले अरुण जी ने रामानंद सागर के ही ‘विक्रम बैताल’ में एक किरदार निभाया था, जिसके बाद ही उन्हें रामायण का सबसे अहम किरदार मिला। राम का किरदार निभा पाना इतना आसन नहीं था, और ये हर किसी कलाकार के बस की बात भी नहीं थी। पर अरुण गोविल ने जिस तरह ये किरदार निभाया, लोगों ने मान लिया की यहीं राम हैं। रामायण के बाद तो अरूण गोविल की पहचान एक देवपुरुष की ही बन गई थी। जिसके चलते उन्होंने ‘लव-कुश’, ‘हरीशचंद्र’ और ‘बुद्ध’ जैसे सीरियल में भी कार्य किया हैं।

2010 में अरुण गोविल की नेट वर्थ 38 करोड़ ($5 मिलियन) थी। वे अब काफी समय से अभिनय से दूर हैं, पर टीवी शोस और सोशल मीडिया पर वे काफी नजर आते हैं। पिछले साल ही वे ‘दी कपिल शर्मा शो’ में रामायण के अपने सह – कलाकार, दीपिका चिखलिया(सीता) और सुनील लहरी(लक्ष्मण) के साथ नजर आए थे, जहाँ उन्होंने अपने करियर और रामायण से जुड़े कई मजेदार किस्से साझा किये थे। अरुण गोविल, राजनैतिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़े हुए हैं।

अरुण, मुंबई में अपने खूबसूरत घर में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी श्रीलेखा उनके दोनों बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) बहु और पोता साथ रहते हैं। पिछले साल अरुण गोविल ने अपने पूरे परिवार के साथ रामायण देखते हुए एक तस्वीर साझा की थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था। इस फोटो को देखकर, लोगों ने यह भी कहा कि जो संस्कार, अरूण ने राम बनकर रामायण के जरिए सिखाए हैं, उनका वे खुद भी पालन करते हैं।

Tuesday, July 27, 2021

सारंगनाथ के दर्शन करने मात्र से काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर पुण्य का भागी होता है मनुष्य।

सावन में यदि एक बार सारंगनाथ के दर्शन हो जाएं तो काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर पुण्य का भागी होता है मनुष्य। इस मंदिर में एक साथ मौजूद है दो शिवलिंग एक छोटा तो एक बड़ा जब दक्ष प्रजापति अपनी पुत्री सती का विवाह किये तो उस समय उनके भाई सारंग ऋषि उपस्थित नहीं थे। वो तपस्या के लिए कहीं गये हुए थे। तपस्या के बाद जब सारंग ऋषि वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके पिता ने उनकी बहन का विवाह कैलाश पर रहने वाले एक औघड़ से कर दिया है। बहन की शादी एक औघड़ से होने की बात सुनकर सारंग ऋषि बहुत परेशान हुए। वो सोचने लगे की मेरी बहन का विवाह एक भस्म पोतने वाले से हो गयी है। उन्होंने पता किया कि विलुप्त नगरी काशी में उनकी बहन सती और उनके पति विचरण कर रहे हैं। जिस पर वो बहत ज्यादा धन लेकर अपनी बहन से मिलने पहुंचे। रस्ते में जहां आज मंदिर है वहीं थकान की वजह से उन्हें नींद आ गयी। उन्होंने नींद में आये स्वप्न में देखा की उन्होंने काशी नगरी को स्वर्ण नगरी के रूप में देखा। जिसपर उन्हें बहुत ग्लानी हुई की उन्होंने क्या सोचा था और क्या निकला। जिसके बाद उन्होंने प्रण लिया की अब यहीं वो बाबा विश्वनाथ की तपस्या करेंगे उसके बाद ही वो अपनी बहन सती से मिलेंगे।

 इसी स्थान पर उन्होंने बाबा विश्वनाथ की तपस्या की। तपस्या करते-करते उनके पूरे शरीर से लावे की तरह गोंद निकलने लगी। जिसके बाद उन्होंने तपस्या जारी रखी अंत में उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोले शंकर ने सती के साथ उन्हें दर्शन दिए। बाबा विश्वनाथ से जब सारंग ऋषि से इस जगह से चलने को कहा तो उन्होंने कहा कि अब हम यहां से नहीं जाना चाहते यह जगह संसार में सबसे अच्छी जगह हैं जिसपर भगवान शंकर ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि भविष्य काल में तुम सारंगनाथ के नाम से जाने जाओगे और कलयुग में तुम्हे गोंद चढ़ाने का रिवाज रहेगा और जो चर्म रोगी सच्चे मन से तुम्हे गोंद चढ़ाएगा तो उसे चरम रोग से मुक्ति मिल जाएगी।

सारंग ऋषि का नाम उसी दिन से सारंगनाथ पड़ा और अपने साले की भक्ति देख प्रसन्न हुए बाबा विश्वनाथ भी यहां सोमनाथ के रूप में विराजमान हुए। इस मंदिर में जीजा साले की पूजा एक साथ होती है। इसलिए इस मंदिर को जीजा साले का भी मंदिर कहा जाता है। कहा जाता है कि सावन में बाबा विश्वनाथ यहां निवास करते हैं और जो भी व्यक्ति सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर पाता वह एक दिन भी यदि सारंगनाथ का दर्शन करेगा तो उसे काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के बराबर पुण्य मिलेगा। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मंदिर को भगवान शिव की ससुराल भी कहतें हैं। दर्शन करने आते श्रद्धालुओं ने कहा कि भगवान् भोलेनाथ आपने साले सारंग ऋषि के साथ यहां विराजमान हैं। वो सारंगनाथ और बाबा सोमनाथ के रूप में यहां है। इन दोनों की साथ में पूजा होती है इसलिए ये बाबा की ससुराल है। जहां वो अपने साले के साथ सदियों से हैं।

मंदिर के पास में ही सारंग तालाब भी है जिसको सारंग ऋषि में बनवाया था यहां अब स्नान कर के दर्शन की बहुत मान्यता है। जो लोग स्नान नही कर सकते वो मार्जन( जल से हाथ , पैर , मुह धोना) कर के दर्शन कर ले तोह दर्शन का सम्पूर्ण फल मिलता है। वाराणसी में सारनाथ क्षेत्र का नाम सारंग नाथ महादेव के नाम पर ही पड़ा है ।

Saturday, July 10, 2021

अंबानी और अडानी सबसे अमीर क्यों हैं? क्यों नहीं टाटा।

जैसा कि एक आर्मी ऑफिसर द्वारा साझा किया गया। "यह प्रोफेशन के बारे में नहीं है"। मैं दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए अस्थाई ड्यूटी पर था। मुझे दिल्ली में दो रात रुकना था, इसलिए मैं होटल TAJ में रहा। मैंने इस होटल को इसकी ख्याति के कारण विशेष रूप से चुना था। शाम को, मैंने रिसेप्शन को काॅल किया और उनसे मेरी ड्रेस को इस्त्री करने का अनुरोध किया। थोड़ी देर बाद रूम सर्विस बॉय मेरी ड्रेस लेने आया। मैंने उसे इस्त्री के लिए अपनी वर्दी सौंप दी। वह मेरी वर्दी को देखकर हैरान हो गया और विनम्रता से पूछा सर, आप आर्मी में हैं। मैंने जवाब दिया हाँ, उसने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और मेरे साथ सेल्फी ली और कहा सर, मैं पहली बार किसी आर्मी ऑफिसर को देख रहा हूँ। मैंने उन्हें फिल्मों में ही देखा है। उन्होंने तुरंत अपने पैरों को स्टेप्ड किया और सलामी दी। उन्होंने कहा जय हिंद सर और चला गया ।

कुछ देर बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला और अपने को विस्मित करने के लिए दो खूबसूरत लड़कियाँ हाथ में अपने सेलफोन के साथ खड़ी थीं। उनमें से एक ने कहा सर, हम एक सेल्फी के लिए अनुरोध करते हैं। मुझे नहीं पता था कि कैसे प्रतिक्रिया दूं। मैं एक मूर्ख की तरह मुस्कुराया। मैंने उन्हें मिनी बार से चॉकलेट दी, जैसे कि वे बच्चे हों। लेकिन आप जानते हैं, घबराहट आपके लिए क्या कर सकती है। यह विचारों के तार्किक प्रवाह को रोक देता है।

लगभग 09 बजे, मुझे रिसेप्शन से एक फोन आया, मुझसे पूछा गया कि, मैं रात के खाने के लिए नीचे आ सकता हूं क्योंकि यह कमरे में, अत्यंत विनम्र तरीके से परोसा जा सकता है। मैं रात का खाना खाने के लिए नीचे गया, तब मैंने उस जगह की असली खूबसूरती पर ध्यान दिया, आश्चर्यजनक रूप से गजब का इंटीरियर। कश्मीर के जंगलों से उतरते हुए, मेरे लिए माहौल बहुत असहज था। जिस क्षण मैंने मुख्य एरीना में प्रवेश किया, मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही कि पूरा स्टाफ वहीं खड़ा था।

कर्मचारियों ने मुझसे प्रबंधक के साथ संपर्क किया, जो आकस्मिक रूप से अग्रणी था। मैनेजर ने कहा- हमारे होटल में आपका स्वागत है सर, हमारे होटल में आपका होना बहुत खुशी की बात है, मुझे खूबसूरत गुलदस्ता सौंप दिया। मैनेजर ने खुद मेरे साथ डिनर किया।

अगले दिन।
मेरे आश्चर्य के लिए, मुझे होटल से "राष्ट्रपति भवन" के लिए एक बीएमडब्ल्यू कार प्रदान की गई थी। सच कहूं, तो हम इस तरह के वीआईपी ट्रीटमेंट के अभ्यस्त नहीं हैं। हम अपनी जिप्सी में अधिक आरामदायक हैं।

चेक आउट का दिन।
मैं रिसेप्शन पर गया, कार्ड सौंपा।

रिसेप्शनिस्ट: आपके रहने के लिए धन्यवाद सर। आपका प्रवास कैसा था?

मैं : रुकना बहुत आराम था। मेरा बिल प्लीज।

रिसेप्शनिस्ट : आपके ठहरने को हमारे होटल द्वारा प्रायोजित किया गया है। आप हमारे राष्ट्र की रक्षा करें। तो यह आपके लिए कृतज्ञता का हमारा छोटा सा टोकन है। हम आपके संरक्षण का सम्मान करते हैं।

* मैं सोचता हूँ कि मैं यह नहीं सोच रहा था कि चलो पैसे की बचत हो गयी जिससे मुझे अच्छा महसूस हुआ हो, लेकिन यह उन सम्मानों के बारे में था जो उन्होंने "ओलिव ब्लैक" के प्रति दिखाए थे। मुझे इस कृतज्ञता से गहरा स्पर्श हुआ, हम किस महान राष्ट्र में रहते हैं।

उस घटना के बाद, मैंने TAJ समूह के होटलों के सीईओ को लिखा। मेरा मकसद यह नहीं कि घटना को बयान करना और TAJ दिल्ली के प्रबंधक द्वारा दिखाए गए सौजन्य की सराहना करना है। मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, मुझे सीईओ से एक रिटर्न मेल मिला, जिसमें कहा गया था कि TAJ होटलों के समूह ने देश भर के TAJ होटलों में अपने ठहरने के लिए सेना के अधिकारियों को छूट देने का निर्णय लिया है। वाह, सैनिकों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने का एक शानदार तरीका है।

टाटा मे सबसे अच्छा काम नैतिकता का वातावरण है। इसलिए वे अन्य कॉर्पोरेट्स के विपरीत सबसे अमीर नहीं हैं। तो फिर अगर आपके पास नैतिकता के बिना पैसा है तो आप समाज के लिए अच्छे नहीं हैं। रतन टाटा (रत्न) जिंदाबाद। आप हैं सही मायने में भारत रत्न।

भगवान जगन्नाथ जी का यह रहस्य है या विज्ञान? आप सभी को जानना चाहिए।

हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है, उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को crpf की सेना चारो तरफ से घेर लेती है। उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता। मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है। पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है। पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है। वो पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदार्थ" निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है। ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नही पता। इसे आजतक किसी ने नही देखा। हज़ारो सालो से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांसफर किया जा रहा है।
ये एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाए। इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। मगर ये क्या है ,कोई नही जानता। ये पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है। उस समय सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है। मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है?

कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथमे लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था। आंखों में पट्टी थी। हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाए। आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है।

भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती हैं।

आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता। झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशा मे लहराता है। दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती। भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...