रामायण के बाद अरुण गोविल की प्रसिद्धी उन ऊँचाइयों पर पहुँच गई थी, जिसकी शायद उन्होंने भी कभी कल्पना नहीं की होगी। अपने निर्मल मुख, शान्त भाव और मनमोहक अदाकारी से, अरुण गोविल ने सिर्फ शौहरत ही नहीं कमाई, बल्कि उससे कई ज्यादा करोड़ों हिंदुस्तानियों का प्यार और सम्मान भी कमाया हैं। अरुण गोविल 1975 में मुंबई आए तो थे अपने भाई का बिजनेस में हाथ बटाने, पर यह काम उनको कुछ रास नहीं आया। आता भी कैसे, उनकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। फिल्म ‘पहेली’ के जरिए, 1977 में उन्हें बड़े पर्दे पर पहला मौका मिल गया। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया।
टीवी के श्रीराम ने, राम के किरदार से पहले – ‘सावन को आने दो’, ‘राधा और गीता’, ‘जियो तो ऐसे जियो’, और ‘सांच को आंच नहीं’ जैसी फिल्मों में काम किया हैं। ये फिल्मे अपने समय की हिट फिल्मों में शुमार हैं। इसके अलावा भी वे 80s और 90s की कई फिल्मों में नजर आए हैं। रामायण से पहले अरुण जी ने रामानंद सागर के ही ‘विक्रम बैताल’ में एक किरदार निभाया था, जिसके बाद ही उन्हें रामायण का सबसे अहम किरदार मिला। राम का किरदार निभा पाना इतना आसन नहीं था, और ये हर किसी कलाकार के बस की बात भी नहीं थी। पर अरुण गोविल ने जिस तरह ये किरदार निभाया, लोगों ने मान लिया की यहीं राम हैं। रामायण के बाद तो अरूण गोविल की पहचान एक देवपुरुष की ही बन गई थी। जिसके चलते उन्होंने ‘लव-कुश’, ‘हरीशचंद्र’ और ‘बुद्ध’ जैसे सीरियल में भी कार्य किया हैं।
2010 में अरुण गोविल की नेट वर्थ 38 करोड़ ($5 मिलियन) थी। वे अब काफी समय से अभिनय से दूर हैं, पर टीवी शोस और सोशल मीडिया पर वे काफी नजर आते हैं। पिछले साल ही वे ‘दी कपिल शर्मा शो’ में रामायण के अपने सह – कलाकार, दीपिका चिखलिया(सीता) और सुनील लहरी(लक्ष्मण) के साथ नजर आए थे, जहाँ उन्होंने अपने करियर और रामायण से जुड़े कई मजेदार किस्से साझा किये थे। अरुण गोविल, राजनैतिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़े हुए हैं।
अरुण, मुंबई में अपने खूबसूरत घर में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी श्रीलेखा उनके दोनों बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) बहु और पोता साथ रहते हैं। पिछले साल अरुण गोविल ने अपने पूरे परिवार के साथ रामायण देखते हुए एक तस्वीर साझा की थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था। इस फोटो को देखकर, लोगों ने यह भी कहा कि जो संस्कार, अरूण ने राम बनकर रामायण के जरिए सिखाए हैं, उनका वे खुद भी पालन करते हैं।
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