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Saturday, March 12, 2022

दुनिया की सबसे लंबी कार, जिसमें Swimming Pool भी है और हेलीपैड भी, जानें और क्या है खासियत।

दुनिया में अगर कोई व्यक्ति बोले की यह असंभव है तो वह व्यक्ति गलत है। दुनिया में सबसे लंबी कार (world's longest car) आ गई है, और अब उसने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, "द अमेरिकन ड्रीम" नाम का सुपर लिमो अब 30.54 मीटर (100 फीट और 1.50 इंच) का है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records) ने अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अब जारी एक रिपोर्ट में कार की तस्वीर पोस्ट की है। एक नियमित कार औसतन 12 से 16 फीट लंबी होती है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, कार को मूल रूप से 1986 में कैलिफोर्निया के बरबैंक में कार कस्टमाइज़र जे ओहरबर्ग द्वारा बनाया गया था। उस समय, यह 60 फीट की थी, 26 पहियों पर चलती थी और आगे और पीछे V8 इंजन की एक जोड़ी थी। इसे बाद में बढ़ाकर 30.5 मीटर कर दिया गया। यह अब थोड़ा लंबी है। भारतीय बाजार के अनुसार, छह होंडा सिटी सेडान (प्रत्येक 15 फीट) "द अमेरिकन ड्रीम" के साथ-साथ खड़ी की जा सकती हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आगे बताया कि, "द अमेरिकन ड्रीम" 1976 कैडिलैक एल्डोरैडो लिमोसिन पर आधारित है और इसे दोनों सिरों से चलाया जा सकता है, इसे दो हिस्सों में बनाया गया है और कोनों को मोड़ने के लिए बीच में एक काज द्वारा जोड़ा गया है। इसमें बैठकर शाही अंदाज़ का एहसास होगा। इसमें एक डाइविंग बोर्ड, जकूज़ी, बाथटब, मिनी-गोल्फ कोर्स के साथ एक स्विमिंग पूल है, और अपनी सांस रोकें - एक हेलीपैड भी है।

द अमेरिकन ड्रीम की बहाली में शामिल माइकल मैनिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को बताया, "हेलीपैड संरचनात्मक रूप से नीचे स्टील ब्रैकेट वाले वाहन पर लगाया गया है और पांच हजार पाउंड तक हो सकता है." रेफ्रिजरेटर, एक टेलीफोन और कई टेलीविजन सेट भी हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, कार में 75 से अधिक लोग बैठ सकते हैं। "द अमेरिकन ड्रीम" कई फिल्मों में दिखाई दिया और अक्सर किराए पर ली जाती थी। लेकिन इसकी उच्च रखरखाव लागत और पार्किंग के मुद्दों के कारण, लोगों ने कार में रुचि खो दी और इसमें जंग लग गया। तब मैनिंग ने कार को बहाल करने का फैसला किया और इसे ईबे से खरीदा।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, बहाली में शिपिंग, सामग्री और श्रम में $ 250,000 की लागत आई और इसे पूरा करने में तीन साल लगे। लेकिन "द अमेरिकन ड्रीम" सड़क पर नहीं उतरेगी। यह डेज़रलैंड पार्क कार संग्रहालय के अद्वितीय और क्लासिक कारों के संग्रह का एक हिस्सा होगा।

Sunday, March 6, 2022

महाभारत में वर्णित ये पेंतीस नगर आज भी मौजूद हैं जाने क्या बदला है।

भारत देश महाभारतकाल में कई बड़े जनपदों में बंटा हुआ था। हम महाभारत में वर्णित जिन 35 राज्यों और शहरों के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं, वे आज भी मौजूद हैं। आप भी जाने।

1. गांधार:- आज के कंधार को कभी गांधार के रूप में जाना जाता था। यह देश पाकिस्तान के रावलपिन्डी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थीं। गांधारी के भाई शकुनी दुर्योधन के मामा थे।

2. तक्षशिला:- तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है। तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है।

3. केकय प्रदेश:-  जम्मू-कश्मीर के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में केकय प्रदेश के रूप में है। केकय प्रदेश के राजा जयसेन का विवाह वसुदेव की बहन राधादेवी के साथ हुआ था। उनका पुत्र विन्द जरासंध, दुर्योधन का मित्र था। महाभारत के युद्ध में विन्द ने कौरवों का साथ दिया था।

4. मद्र देश:- केकय प्रदेश से ही सटा हुआ मद्र देश का आशय जम्मू-कश्मीर से ही है। एतरेय ब्राह्मण के मुताबिक, हिमालय के नजदीक होने की वजह से मद्र देश को उत्तर कुरू भी कहा जाता था। महाभारत काल में मद्र देश के राजा शल्य थे, जिनकी बहन माद्री का विवाह राजा पाण्डु से हुआ था। नकुल और सहदेव माद्री के पुत्र थे।

5. उज्जनक:- आज के नैनीताल का जिक्र महाभारत में उज्जनक के रूप में किया गया है। गुरु द्रोणचार्य यहां पांडवों और कौरवों की अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देते थे। कुन्ती पुत्र भीम ने गुरु द्रोण के आदेश पर यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यही वजह है कि इस क्षेत्र को भीमशंकर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान शिव का एक विशाल मंदिर है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है।

6. शिवि देश:- महाभारत काल में दक्षिण पंजाब को शिवि देश कहा जाता था। महाभारत में महाराज उशीनर का जिक्र है, जिनके पौत्र शैव्य थे। शैव्य की पुत्री देविका का विवाह युधिष्ठिर से हुआ था। शैव्य एक महान धनुर्धारी थे और उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था।

7. वाणगंगा:- कुरुक्षेत्र से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वाणगंगा। कहा जाता है कि महाभारत की भीषण लड़ाई में घायल पितामह भीष्म को यहां सर-सैय्या पर लिटाया गया था। कथा के मुताबिक, भीष्ण ने प्यास लगने पर जब पानी की मांग की तो अर्जुन ने अपने वाणों से धरती पर प्रहार किया और गंगा की धारा फूट पड़ी। यही वजह है कि इस स्थान को वाणगंगा कहा जाता है।

8. कुरुक्षेत्र:- हरियाणा के अम्बाला इलाके को कुरुक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां महाभारत की प्रसिद्ध लड़ाई हुई थी। यही नहीं, आदिकाल में ब्रह्माजी ने यहां यज्ञ का आयोजन किया था। इस स्थान पर एक ब्रह्म सरोवर या ब्रह्मकुंड भी है। श्रीमद् भागवत में लिखा हुआ है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने यदुवंश के अन्य सदस्यों के साथ इस सरोवर में स्नान किया था।

9. हस्तिनापुर:- महाभारत में उल्लिखित हस्तिनापुर का इलाका मेरठ के आसपास है। यह स्थान चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। सही मायने में महाभारत युद्ध की पटकथा यहीं लिखी गई थी। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर को अपने राज्य की राजधानी बनाया।

10. वर्नावत:- यह स्थान भी उत्तर प्रदेश के मेरठ के नजदीक ही माना जाता है। वर्णावत में पांडवों को छल से मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। यह स्थान गंगा नदी के किनारे है। महाभारत की कथा के मुताबिक, इस ऐतिहासिक युद्ध को टालने के लिए पांडवों ने जिन पांच गांवों की मांग रखी थी, उनमें एक वर्णावत भी था। आज भी यहां एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम वर्णावा है।

11. पांचाल प्रदेश:- हिमालय की तराई का इलाका पांचाल प्रदेश के रूप में उल्लिखित है। पांचाल के राजा द्रुपद थे, जिनकी पुत्री द्रौपदी का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। द्रौपदी को पांचाली के नाम से भी जाना जाता है।

12. इन्द्रप्रस्थ:- मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत में इन्द्रप्रस्थ के रूप में है। कथा के मुताबिक, इस स्थान पर एक वियावान जंगल था, जिसका नाम खांडव-वन था। पांडवों ने विश्वकर्मा की मदद से यहां अपनी राजधानी बनाई थी। इन्द्रप्रस्थ नामक छोटा सा कस्बा आज भी मौजूद है।

13. वृन्दावन:- यह स्थान मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर है। वृन्दावन को भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं के लिए जाना जाता है। यहां का बांके-बिहारी मंदिर प्रसिद्ध है।

14. गोकुल:- यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह स्थान भी मथुरा से करीब 8 किलोमीटर दूर है। कंस से रक्षा के लिए कृष्ण के पिता वसुदेव ने उन्हें अपने मित्र नंदराय के घर गोकुल में छोड़ दिया था। कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम गोकुल में साथ-साथ पले-बढ़े थे।

15. बरसाना:- यह स्थान भी उत्तर प्रदेश में है। यहां की चार पहाड़ियां के बारे में कहा जाता है कि ये ब्रह्मा के चार मुख हैं।

16. मथुरा:- यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रसिद्ध शहर हिन्दू धर्म के लिए अनुयायियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यहीं पर श्रीकृष्ण ने बाद में कंस की हत्या की थी। बाद में कृष्ण के पौत्र वृजनाथ को मथुरा की राजगद्दी दी गई।

17. अंग देश:- वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के इलाके का उल्लेख महाभारत में अंगदेश के रूप में है। दुर्योधन ने कर्ण को इस देश का राजा घोषित किया था। मान्यताओं के मुताबिक, जरासंध ने अंग देश दुर्योधन को उपहारस्वरूप भेंट किया था। इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।

18. कौशाम्बी:- कौशाम्बी वत्स देश की राजधानी थी। वर्तमान में इलाहाबाद के नजदीक इस नगर के लोगों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। बाद में कुरुवंशियों ने कौशाम्बी पर अपना अधिकार कर लिया। परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनाया।

19. काशी:- महाभारत काल में काशी को शिक्षा का गढ़ माना जाता था। महाभारत की कथा के मुताबिक, पितामह भीष्म काशी नरेश की पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका को जीत कर ले गए थे ताकि उनका विवाह विचित्रवीर्य से कर सकें। अम्बा के प्रेम संबंध राजा शल्य के साथ थे, इसलिए उसने विचित्रवीर्य से विवाह से इन्कार कर दिया। अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। विचित्रवीर्य के अम्बा और अम्बालिका से दो पुत्र धृतराष्ट्र और पान्डु हुए। बाद में धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव कहलाए और पान्डु के पांडव।

20. एकचक्रनगरी:- वर्तमान कालखंड में बिहार का आरा जिला महाभारत काल में एकचक्रनगरी के रूप में जाना जाता था। लाक्षागृह की साजिश से बचने के बाद पांडव काफी समय तक एकचक्रनगरी में रहे थे। इस स्थान पर भीम ने बकासुर नामक एक राक्षक का अन्त किया था। महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया था, उस समय बकासुर के पुत्र भीषक ने उनका घोड़ा पकड कर रख लिया था। बाद में वह अर्जुन के हाथों मारा गया।

21. मगध:- दक्षिण बिहार में मौजूद मगध जरासंध की राजधानी थी। जरासंध की दो पुत्रियां अस्ती और प्राप्ति का विवाह कंस से हुआ था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया, तब वह अनायास ही जरासंध के दुश्मन बन बैठे। जरासंध ने मथुरा पर कई बार हमला किया। बाद में एक मल्लयुद्ध के दौरान भीम ने जरासंध का अंत किया। महाभारत के युद्ध में मगध की जनता ने पांडवों का समर्थन किया था।

22. पुन्डरू:- देश मौजूदा समय में बिहार के इस स्थान पर राजा पोन्ड्रक का राज था। पोन्ड्रक जरासंध का मित्र था और उसे लगता था कि वह कृष्ण है। उसने न केवल कृष्ण का वेश धारण किया था, बल्कि उसे वासुदेव और पुरुषोत्तम कहलवाना पसन्द था। द्रौपदी के स्वयंवर में वह भी मौजूद था। कृष्ण से उसकी दुश्मनी जगजाहिर थी। द्वारका पर एक हमले के दौरान वह भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया।

23. प्रागज्योतिषपुर:- गुवाहाटी का उल्लेख महाभारत में प्रागज्योतिषपुर के रूप में किया गया है। महाभारत काल में यहां नरकासुर का राज था, जिसने 16 हजार लड़कियों को बन्दी बना रखा था। बाद में श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और सभी 16 हजार लड़कियों को वहां से छुड़ाकर द्वारका लाए। उन्होंने सभी से विवाह किया। मान्यता है कि यहां के प्रसिद्ध कामख्या देवी मंदिर को नरकासुर ने बनवाया था।

24. कामख्या:- गुवाहाटी से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामख्या एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। भागवत पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर बदहवाश इधर-उधर भाग रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर के कई टुकड़े कर दिए। इसका आशय यह था कि भगवान शिव को सती के मृत शरीर के भार से मुक्ति मिल जाए। सती के अंगों के 51 टुकड़े जगह-जगह गिरे और बाद में ये स्थान शक्तिपीठ बने। कामख्या भी उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है।

25. मणिपुर:- नगालैन्ड, असम, मिजोरम और वर्मा से घिरा हुआ मणिपुर महाभारत काल से भी पुराना है। मणिपुर के राजा चित्रवाहन की पुत्री चित्रांगदा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। इस विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम था बभ्रुवाहन। राजा चित्रवाहन की मृत्यु के बाद बभ्रुवाहन को यहां का राजपाट दिया गया। बभ्रुवाहन ने युधिष्ठिर द्वारा आयोजित किए गए राजसूय यज्ञ में भाग लिया था।

26. सिन्धु देश:- सिन्धु देश का तात्पर्य प्राचीन सिन्धु सभ्यता से है। यह स्थान न केवल अपनी कला और साहित्य के लिए विख्यात था, बल्कि वाणिज्य और व्यापार में भी यह अग्रणी था। यहां के राजा जयद्रथ का विवाह धृतराष्ट्र की पुत्री दुःश्शाला के साथ हुआ था। महाभारत के युद्ध में जयद्रथ ने कौरवों का साथ दिया था और चक्रव्युह के दौरान अभिमन्यू की मौत में उसकी बड़ी भूमिका थी।

27. मत्स्य देश:- राजस्थान के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में मत्स्य देश के रूप में है। इसकी राजधानी थी विराटनगरी। अज्ञातवास के दौरान पांडव वेश बदल कर राजा विराट के सेवक बन कर रहे थे। यहां राजा विराट के सेनापति और साले कीचक ने द्रौपदी पर बुरी नजर डाली थी। बाद में भीम ने उसकी हत्या कर दी। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यू का विवाह राजा विराट की पुत्री उत्तरा के साथ हुआ था।

28. मुचकुन्द तीर्थ:- यह स्थान धौलपुर, राजस्थान में है। मथुरा पर जीत हासिल करने के बाद कालयावन ने भगवान श्रीकृष्ण का पीछा किया तो उन्होंने खुद को एक गुफा में छुपा लिया। उस गुफा में मुचकुन्द सो रहे थे, उन पर कृष्ण ने अपना पीताम्बर डाल दिया। कृष्ण का पीछा करते हुए कालयावन भी उसी गुफा में आ पहुंचा। मुचकुन्द को कृष्ण समझकर उसने उन्हें जगा दिया। जैसे ही मुचकुन्द ने आंख खोला तो कालयावन जलकर भस्म हो गया। मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब पांडव हिमालय की तरफ चले गए और कृष्ण गोलोक निवासी हो गए, तब कलयुग ने पहली बार यहां अपने पग रखे थे।

29. पाटन:- महाभारत की कथा के मुताबिक, गुजरात का पाटन द्वापर युग में एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र था। पाटन के नजदीक ही भीम ने हिडिम्ब नामक राक्षस का संहार किया था और उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह किया। हिडिम्बा ने बाद में एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम था घटोत्कच्छ। घटोत्कच्छ और उनके पुत्र बर्बरीक की कहानी महाभारत में विस्तार से दी गई है।

30. द्वारका- माना जाता है कि गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित यह स्थान कालान्तर में समुन्दर में समा गया। कथाओं के मुताबिक, जरासंध के बार-बार के हमलों से यदुवंशियों को बचाने के लिए कृष्ण मथुरा से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर द्वारका ले गए।

31. प्रभाष:- गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण का निवास-स्थान रहा है। महाभारत कथा के मुताबिक, यहां भगवान श्रीकृष्ण पैर के अंगूठे में तीर लगने की वजह से घायल हो गए थे। उनके गोलोकवासी होने के बाद द्वारका नगरी समुन्दर में डूब गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि समुन्दर के सतह पर द्वारका नगरी के अवेशष मिले हैं।

32. अवन्तिका:- मध्यप्रदेश के उज्जैन का उल्लेख महाभारत में अवन्तिका के रूप में मिलता है। यहां ऋषि सांदपनी का आश्रम था। अवन्तिका को देश के सात प्रमुख पवित्र नगरों में एक माना जाता है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल लिंग स्थापित है।

33. चेदी:- वर्तमान में ग्वालियर क्षेत्र को महाभारत काल में चेदी देश के रूप में जाना जाता था। गंगा व नर्मदा के मध्य स्थित चेदी महाभारत काल के संपन्न नगरों में एक था। इस राज्य पर श्रीकृष्ण के फुफेरे भाई शिशुपाल का राज था। शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था, लेकिन श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचा लिया। 

इस घटना की वजह से शिशुपाल और श्रीकृष्ण के बीच संबंध खराब हो गए। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय चेदी नरेश शिशुपाल को भी आमंत्रित किया गया था। शिशुपाल ने यहां कृष्ण को बुरा-भला कहा, तो कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया। महाभरत की कथा के मुताबिक, दुश्मनी की बात सामने आने पर श्रीकृष्ण की बुआ उनसे शिशुपाल को अभयदान देने की गुजारिश की थी। इस पर श्रीकृष्ण ने बुआ से कहा था कि वह शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ कर दें, लेकिन 101वीं गलती पर माफ नहीं करेंगे।

34. सोणितपुर:- मध्यप्रदेश के इटारसी को महाभारत काल में सोणितपुर के नाम से जाना जाता था। सोणितपुर पर वाणासुर का राज था। वाणासुर की पुत्री उषा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ सम्पन्न हुआ था। यह स्थान हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।

35. विदर्भ:-  महाभारतकाल में विदर्भ क्षेत्र पर जरासंध के मित्र राजा भीष्मक का शासन था। रुक्मिणी भीष्मक की पुत्री थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचाया था। यही वजह थी कि भीष्मक उन्हें अपना शत्रु मानने लगे। जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया था, तब भीष्मक ने उनका घोड़ा रोक लिया था। सहदेव ने भीष्मक को युद्ध में हरा दिया।

Monday, February 28, 2022

महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप, जीवन से दूर होंगे कष्ट।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही व्रत उपवास करने का विधान भी है। 

इस बार महाशिवरात्रि का त्यौहार 1 मार्च 2022  (मंगलवार) को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से जातकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान शंकर को बेल पत्र, धतूरा, बेर अर्पित किए जाते हैं। इस दिन कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, जैसे रूद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र के जाप से कई कष्टों का निवारण होता है।

ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति के जीवन के सारे दुख, दरिद्रता दूर हो जाते हैं। कहते हैं कि इस मंत्र के जाप से मृत्यु का संकट तक टल जाता है। दैहिक व्याधियों में यह मंत्र प्रभावी होने के साथ-साथ, अन्य भौतिक और दैविक संताप में भी अत्यंत असरदार है। कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नकारात्मक प्रभाव, महामृत्यंजय मंत्र के जाप से दूर हो जाता है। विशेष अनुष्ठान में इसका जाप सवा लाख बार किया जाता है। उसका दसांश हवन कराया जाता है। इसमें 11 साधकों का सहयोग लिया जाता है।

अकेले भी इसे पूरा किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए नित्य प्रति एक निश्चित संख्या में जप करना अनिवार्य होता है। इस जप और हवन से इच्छित परिणाम की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सामान्य नित्य पूजा में इस मंत्र को शामिल करने से आपदाएं, व्यक्ति से दूर रहती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप स्वास्थ्य लाभ के लिए लाभदायक होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि सुबह पूजा के समय अगर इस मंत्र का जाप किया जाए, तो कई प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शिव जी की आराधना महामृत्युंजय मंत्र के बिना अपूर्ण है। महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के परायण का विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण कैसे किया जाता है-

महामृत्यंजय मंत्र का पुरश्चरण पांच प्रकार का होता है जाप हवन तर्पण मार्जन ब्राह्मण भोज।
पुरश्चरण में जप संख्या, निर्धारित मंत्र के अक्षरों की संख्या पर निर्भर करती है। इसमें “ॐ” और “नम:” को नहीं गिना जाता है। जप संख्या निश्चित होने के उपरान्त, जप का दशांश हवन,  हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज कराने से ही पुरश्चरण पूर्ण होता है।
-परायण हेतु निम्न महामृत्युंजय मत्र का यथाशक्ति जाप करें

“ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।”

Saturday, February 5, 2022

अरबपतियों की लिस्ट में बड़ा उलटफेर, जेफ बेजोस तीसरे नंबर पर खिसके, मार्क जकरबर्ग से आगे निकल सकते हैं मुकेश अंबानी

देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट में जगह बनाने के करीब पहुंच गए हैं। हालांकि गुरुवार को कंपनी के शेयरों में गिरावट आई जिससे अंबानी की नेटवर्थ में 98.4 करोड़ डॉलर गिर गई। Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक अंबानी 89.2 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ अमीरों की लिस्ट में 11वें नंबर पर हैं। लेकिन जल्दी ही वह टॉप 10 में जगह बना सकते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक (Facebook) की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta) के शेयरों में गुरुवार को भारी गिरावट आई। इससे कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) की नेटवर्थ 31 अरब डॉलर कम हो गई। Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक उनकी नेटवर्थ अब 89.6 अरब डॉलर रह गई है जबकि अंबानी की नेटवर्थ 89.2 अरब डॉलर है। दोनों की नेटवर्थ में केवल 40 करोड़ डॉलर का अंतर रह गया है। इस साल अंबानी की नेटवर्थ में 77.6 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है जबकि जकरबर्ग ने 35.9 अरब डॉलर गंवाए हैं।

अडानी भी करीब पहुंचे।
इस बीच अडानी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन और एशिया के दूसरे सबसे बड़े रईस गौतम अडानी (Gautam Adani) भी अडानी के बेहद करीब पहुंच गए हैं। फिलहाल वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में अंबानी से एक स्थान पीछे 12वें स्थान पर हैं। उनकी नेटवर्थ 87.4 अरब डॉलर है। अंबानी और अडानी की नेटवर्थ में केवल 1.8 अरब डॉलर का अंतर रह गया है। इस साल उनकी नेटवर्थ में सबसे अधिक 10.9 अरब डॉलर की तेजी आई है।

बेजोस तीसरे नंबर पर फिसले।
इस बीच ऐमजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस (Jeff Bezos) अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर खिसक गए हैं। गुरुवार को उनकी नेटवर्थ में 11.9 अरब डॉलर की गिरावट आई और वह 164 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ तीसरे नंबर पर खिसक गए। फ्रांसीसी बिजनसमैन और दुनिया की सबसे बड़ी लग्जरी गुड्स कंपनी LVMH Moët Hennessy के चेयरमैन ऑफ चीफ एग्जीक्यूटिव बर्नार्ड आरनॉल्ट (167 अरब डॉलर) की नेटवर्थ के साथ दूसरे स्थान पर आ गए हैं।

कौन है टॉप पर।
टेस्ला (Tesla) के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) की नेटवर्थ में गुरुवार को 3.44 अरब डॉलर की गिरावट आई। मस्क 231 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में टॉप पर बने हुए हैं। माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स (129 अरब डॉलर) चौथे नंबर पर बने हुए हैं। अमेरिकी कम्प्यूटर साइंटिस्ट और इंटरनेट उद्यमी लैरी पेज 127 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ पांचवें, गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन (122 अरब डॉलर) छठे, जाने माने निवेशक वॉरेन बफे (100 अरब डॉलर) सातवें, अमेरिकी बिजनसमैन स्टीव बाल्मर (108 अरब डॉलर) आठवें और लैरी एलिसन (112 अरब डॉलर) की नौवें स्थान पर हैं।

सलमान के खिलाफ गवाही देने वाले इस चश्मदीद को मिली ऐसी मौत की जान कर रुह काप जाए।

बुधवार को लोग बड़ी बेसब्री से उन व्यक्तियों के लिये इंसाफ़ की प्रक्रिया पर नजर गड़ाये बैठे रहे, जिन पर वर्ष 2002 में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की गाड़ी चढ़ गयी थी। तेरह साल के बाद ही सही पर पीड़ितों को न्याय की उम्मीद थी। जाने वाले वापस नहीं आ सकते और हमेशा साथ रहने वाली भूख और बेबसी को मिटाने के लिये अन्न की जरूरत होती है जो केवल पैसों से आ सकती है। शायद इसलिये उन पर सलमान के ज़ेल जाने या नहीं जाने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला था। मुमकिन है कि इसी कारण उनके लिये मुआवज़ा सलमान को सज़ा होने या नहीं होने से ज्यादा मायने रखता हो।
हालांकि, बुधवार को फुटपाथ पर सोये लोगों पर कार चढ़ा देने के मामले में सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ने सलमान को पाँच साल की सज़ा सुनायी, लेकिन तेरह सालों से कागज़ों पर लिखी जाने वाली सज़ा के आदेश का प्रभाव बदलने में मात्र तीन घंटे लगे। सलमान को उच्च न्यायालय से ज़मानत मिल गयी। लेकिन मशहूर, धनी और पहुँच वाले सलमान जैसे अभिनेता को पाँच साल की सज़ा दिलवाने में मुम्बई पुलिस के इस हवलदार की भूमिका महत्तवपूर्ण रही। 28 सितम्बर, 2002 को सलमान के अंगरक्षक के तौर पर तैनात रविंद्र पाटिल के अदालत में दिये बयानों के आधार पर ही उन्हें पाँच साल की सज़ा हुई।

रविंद्र ने अपने बयान में 27 सितम्बर, 2002 की रात और अगले दिन की सुबह की घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा अदालत में पेश किया था। घटना के वक़्त उनकी ड्यूटी सलमान के साथ थी। शराब के नशे में फुटपाथ पर सोये लोगों पर गाड़ी चढ़ाने के बाद वो अपने साथ बैठे एक दोस्त कमाल खान के साथ घटनास्थल से जान बचाने के लिये भाग चुके थे।

इस केस में पाटिल वह गवाह था जिसने सबसे पहले एफआईआर दर्ज़ करायी थी। लेकिन उसके बाद की ज़िंदगी उसके लिये आसान नहीं थी। उसके ऊपर अपनी गवाही को बदलने या उससे मुँह मोड़ने का भारी दबाव था। घटना से पहले इन्होंने सलमान को गाड़ी धीमा चलाने की बात कही जिसे शराब के नशे में धुत्त अभिनेता ने अनसुना कर दिया। पुलिस विभाग और सलमान के वकीलों से मिल रहे भारी दबावों और परेशानियों से बचने के लिये ट्रायल के दौरान उसे गुमनाम रहना पड़ा था।
चार लगातार सेशन में वह अदालत में पेश नहीं हुए जिस पर उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ। मार्च 2006 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2007 तक वह जेल में रहे। इसी दौरान उन्हें टीबी हुआ। पुलिस विभाग और परिवार से अलग होने के बाद 2007 में ही उनकी मौत हो गई। मरने से पहले अपने बयान में उन्होंने कहा,"मैं अपने बयान पर अंत तक कायम हूँ लेकिन मेरा विभाग मेरे साथ नहीं खड़ा रहा। मैं अपनी नौकरी वापस चाहता हूँ। मैं जीना चाहता हूँ। मैं एक बार पुलिस कमिश्नर से मिलना चाहता हूँ"।

पंजीकरण संख्या एमएच 01 डीए 32 वाली उनकी गाड़ी टोयोटा लैंड क्रूज़र के नीचे चार लोग फँसे थे। पीड़ितों में एक ऐसा भी था जिसकी मौत हो गयी. रविंद्र पाटिल ने ही मामले की जानकारी बांद्रा पुलिस थाने को दी। इस मामले में उनकी गवाही को अहम आधार मानते हुए सत्र न्यायालय ने सलमान खान को पाँच साल की सज़ा सुनायी। हालांकि, टीबी के मरीज़ पाटिल का वर्ष 2007 में निधन हो गया, लेकिन उनकी दी गयी गवाही सलमान के लिये सज़ा का कारण और उनकी कर्तव्यपरायणता पुलिसवालों के लिये मिसाल बन गयी।

Monday, January 31, 2022

‘देवों के देव’ भगवान महादेव से सीखें जीवन में आगे बढ़ने का मंत्र।

महादेव का एक रूप ताडंव करते नटराज का है, तो दूसरा रूप महान महायोगी का है। ये दोनों ही रूप रहस्यों से भरे हैं, लेकिन शिव जी को भोलेनाथ भी कहा जाता है। जहां एक साथ इतने सारे रंग हों, तो फिर क्यों न अपनी ज़िन्दगी में इन रंगों से प्रेरणा लें? भगवान शिव के जीवन से जुड़े कुछ सबक इस प्रकार हैं।

1. बुराई को ख़त्म करना:
ब्रह्मा जी को उत्पत्ति के लिए, भगवान विष्णु को रचना के लिए और महादेव को विनाश के लिए जाना जाता है। भगवान शिव का यह रूप आपको डराने वाला लग सकता है लेकिन किसी बुराई का ख़त्म होना बेहद ज़रूरी होता है, और भगवान शिव इसी के लिए जाने जाते हैं।

2. शांत रहकर स्वयं पर नियंत्रण रखना:
भगवान शिव से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ। किसी परिस्थिति से स्वयं को दूर रखते हुए उस पर पकड़ रखना आसान नहीं होता है। महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं तो दुनिया इधर से उधर हो सकती है लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता। शिव जी का यह ध्यान हमें जीवन की चीज़ों पर नियंत्रण रखना सिखाता है।

3. नकारात्मक चीज़ों को भी सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना:
समुद्र मंथन से जब विष बाहर आया तो सभी ने क़दम पीछे खींच लिए थे, क्योंकि विष कोई नहीं पी सकता था। ऐसे में महादेव ने स्वयं विष (हलाहल) पिया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया। इस घटना से बहुत बड़ा सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकारात्मक (निगेटिव) चीज़ों को अपने अंदर रख लें, लेकिन उसका असर न ख़ुद पर हावी होने दें और न ही दूसरों पर।

4. जीवनसाथी के प्रति सम्मान:
शिव जी का यह रूप जगज़ाहिर है। हिंदू मान्यताओं के हिसाब से निपुण जीवनसाथी (पेरफ़ेक्ट पार्टनर) महादेव को ही माना जाता है। अगर माता पार्वती ने उन्हें मनाने के लिए सालों की तपस्या की है तो दूसरी ओर शिव जी ने उन्हें अर्धांगिनी बनाया है। तभी तो 33 करोड़ देवताओं में शिव जी को ही अर्धनारीश्वर कहा जाता है।

5. हर समय समान भाव रखना:
महादेव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीज़ों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उन चीज़ों को महादेव ने बड़ी आसानी से अपनाया है। तभी तो उनकी शादी पर भूतों की मंडली पहुंची थी। शरीर में भभूत लगाए भोलेनाथ के गले में सांप लिपटा होता है। बुराई किसी में नहीं होती, बस एक बार आपको उसे अपनाना होता है।

6. तीसरी आंख का खुलना:
शिव जी को त्रयंबक भी कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आंख है। तीसरी आंख का मतलब है कि बोध या अनुभव का एक दूसरा आयाम खुल गया है। दो आंखें सिर्फ़ भौतिक चीज़ों को देख सकती हैं। लेकिन भीतर की ओर देखने के बोध से आप जीवन को बिल्कुल अलग ढंग से देख सकते हैं। इसलिए बनी बनाई चीजों पर चलने से पहले स्वयं उनके बारे में सोचें और समझें।

7. अपनी राह चुनना:
शिव जी की जीवन शैली हो या उनका कोई अवतार, वे हर रूप में बिल्कुल अलग हैं। फिर वो रूप तांडव करते हुए नटराज का हो, विष पीने वाले नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, या फिर सबसे पहले प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ का, वे हर रूप में जीवन को सही राह देते हैं।

पलंग के नीचे भूलकर भी ना रखें ये सामान, वरना जिंदगी भर झेलनी पड़ेगी आर्थिक तंगी।

नई दुनिया: वास्तु शास्त्र के मुताबिक व्यक्ति जिस पलंग पर सोता है, उसका जीवन में खास महत्व है। चूंकि इसका सेहत और मन पर विशेष प्रभाव पड़ता है, इसलिए इससे जुड़े वास्तु नियम का पालन कराना जरूरी बताया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ चीजों को पलंग के नीचे नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे उत्पन्न वास्तु दोष सुख-शांति को छीन देते हैं और घर में आर्थिक संकट पैदा करते हैं। आइए जानते हैं कि पलंग के नीचे कौन-कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक सामान।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक पलंग के नीचे इलेक्ट्रॉनिक सामान नहीं रखना चाहिए। इससे वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं जो मानसिक सेहत को बिगाड़ते हैं। साथ ही नींद ना आने की समस्या शुरू होने लगती है।

कपड़ों की गठरी।
अक्सर लोग फटे-पुराने कपड़ों की गठरी बनाकर पलंग के नीचे रख देते हैं। वास्तु के मुताबित ये सही नहीं है. इसके घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलने लगती है। इतना ही नहीं, ये वास्तु दोष घर की सुख-शांति को खत्म कर देते हैं।

जंग लगे लोहे और प्लास्टिक की चीजें।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक पलंग के नीचे जंग लगे लोहे की कोई भी वस्तु नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे उत्पन्न वास्तु दोष घर में भयानक आर्थिक तंगी लाते हैं। इसके अलावा पलंग के नीचे प्लास्टिक की चीजें रखने से भी वास्तु दोष का खतरा रहता है।

झाड़ू।
पलंग के नीचे झाड़ू रखना भी अशुभ है। पलंग के नीचे झाड़ू रखने से मन और मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही घर में आर्थिक परेशानी बनी रहती है। घर सदस्य बीमार होने लगते हैं।

जेवर, शीशा, जूते-चप्पल और तेल।
पलंग के नीचे कभी भी सोने-चांदी या अन्य धातुओं के जेवर नहीं रखना चाहिए। पलंग के नीचे जूते-चप्प्ल रखने से घर में निगेटिव एनर्जी आती है। इसके अलावा किसी प्रकार का शीशा और तेल भी पलंग के नीचे रखने से बचना चाहिए। क्योंकि ये वास्तु के दृष्टिकोण से हानिकारक हैं।

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