भारत विविध धर्मों, जातियों तथा संस्कृतियों को मानने वाले का देश है। भारत भर के उत्सवों एवं पर्वों का विश्व में एक अलग स्थान है। यहां हर रोज त्योहार कोई न कोई रूप में मनाया जाता हैं। जिसमे अपने इस्ट देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। उनमें से एक त्योहार ओनम का त्योहार हैं। यह त्योहार दक्षिण भारत में खासकर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। 1 सितंबर से शुरू हुआ यह त्योहार 13 सितंबर तक मनाया जाएगा। ओणम इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसकी पूजा मंदिर में नहीं बल्कि घर में की जाती है। सर्वधर्म समभाव के प्रतीक केरल प्रांत का मलयाली पर्व 'ओणम' समाज में सामाजिक समरसता की भावना, प्रेम तथा भाईचारे का संदेश पूरे देश में देता हैं। और देश की एकता एवं अखंडता को मजबूत करने की प्रेरणा देता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
उन्हें यह सौभाग्य भगवान विष्णु से मिला था। उसके चलते समाज के लोग विष्णु की आराधना और पूजा करने के साथ ही अपने राजा का स्वागत करते हैं।
ओणम पर्व पर राजा बलि के स्वागत के लिए घरों की आकर्षक साज-सज्जा के साथ तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग अर्पित करती है। और हर घर को और द्वार पर रंगोली से सजाया और दीप जलाया जाता है। और यह परंपरा वर्षों से चला आ रहा हैं। इस अवसर पर मलयाली समाज के लोग एक-दूसरे को गले मिलकर शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही परिवार के लोग और रिश्तेदार इस परंपरा को साथ मिलकर मनाते हैं।
ओणम पर्व की मान्यता : मान्यता के अनुसार राजा बलि केरल के राजा थे, उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी व संपन्न थी। किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं थी। वे महादानी भी थे। उन्होंने अपने बल से तीनों लोकों को जीत लिया था। इसी दौरान भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनका उद्धार कर दिया।
माना जाता है कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने के लिए आते हैं। तब से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम का पर्व मनाया जाता है।
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