शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का दीपक भी जलाया जाता है।
सरसों तेल और शनि देव के बीच संबंध।
दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। जिसके अनुसार रामायण काल यानी त्रेता युग में शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर अहंकार हो था। इस दौर में शनि देव ने हनुमान जी के बल और पराक्रम की प्रशंसा सुनी तो वे बजरंग बली से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। लेकिन उस समय हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन थे। तभी अपने बल के घमंड में चूर शनिदेव आ पहुंचे और उन्होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारना शुरु किया। रामभक्त हनुमान जी को शनिदेव के क्रोध और घमंड का कारण समझ आ चुका था इसलिए उन्होंने युद्ध को स्वीकार करने की बजाय उन्हें शांत करना उचित समझा। लेकिन शनि देव माने नहीं और लगातार हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारते रहे।
जिसके बाद मजबूर होकर हनुमान जी को युद्ध करने के लिए आगे आना ही पड़ा। शनिदेव और बजरंग बली के बीच घमासान युद्ध हुआ। स्वयं शिव के अंशावतार और श्रीहरि के अवतार राम जी के भक्त हनुमान के आगे भला कौन टिक सकता था। इस युद्ध का अंजाम वही हुआ जो होना था। शनि देव को हनुमान जी ने परास्त कर दिया।
शनिदेव को सरसों तेल से मिली राहत।
लेकिन इस युद्ध के दौरान शनि देव बेहद घायल हो गए। बजरंग बली की गदा के भीषण प्रहारों से उन्हें बेहद चोट लगी और शरीर पर कई जगह घाव बन गए। जिसकी पीड़ा से शनिदेव व्याकुल हो गए। हालांकि शनिदेव ने हनुमान जी से दुश्मनी साधी थी और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा था, लेकिन भक्त शिरोमणि हनुमान जी से उनकी पीड़ा नहीं देखी गई।
हनुमान जी ने शनि देव पर कृपा करते हुए उन्हें पीड़ा से मुक्त करने के लिए उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया। जिससे उन्हें आराम मिला। तभी से शनि देव को तेल चढ़ाने की पंरपरा की शुरुआत हुई। तेल चढ़ाने से भक्तों की पीड़ा दूर करते हैं शनिदेव। मान्यता है कि शनि देव को तेल चढ़ाने से उनकी पीड़ा कम हो जाती है और फिर वे अपने भक्त की पीड़ा को भी कम कर देते हैं। शनि देव को तेल चढ़ाने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को भी शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। कहा जाता कि शनिदेव की पूजा में तेल के साथ तिल का भी बहुत महत्व है।
काली चीजें हैं शनिदेव को बेहद प्रिय।
काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि काला तिल और तेल से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। यदि शनिदेव की पूजा इन वस्तुओं से की जाए तो ऐसी पूजा सफल मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव अपने भक्तों पर शीघ्र ही नाराज और प्रसन्न हो जाते है। शनिदेव की यदि विधिवत पूजा की जाए, तो वे अपने भक्तों को कभी दुखी नहीं रखते हैं। यदि कोई व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से गुज़र रहा है तो उसे भी शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए और उन्हें शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
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