वे किशोरावस्था से कार चला रही थी। लेकिन वे बड़ी गाड़ियां चलाना चाहती थी। उनका ये सपना अब जाकर पूरा हुआ है। पूजा ने कहा, 'मैं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी। इसलिए मुझे कोई बड़ी नौकरी मिलने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन यह पेशा मुझे सूट करता है। मैं जम्मू में टैक्सी और ट्रक भी चला चुकी हूं'। मैं इस टैबू को तोड़ना चाहती थी कि केवल पुरुष ही यात्री बस चला सकते हैं। आखिरकार जब महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं और एक्सप्रेस ट्रेन चला रही हैं तो बस चलाने में क्या दिक्कत है'।
पूजा देवी ने ड्राइवर बनने का अवसर मिलने के बारे में कहा,' मैं जम्मू-कठुआ रोड बस यूनियन के अध्यक्ष सरदार कुलदीप सिंह से मिली और बस चलाने देने का अनुरोध किया। उन्होंने शुरू में थोड़ी हैरानी दिखाई। लेकिन उसके बाद मुझे एक बस दे दी और कहा कि जाओ, अपने सपने को पूरा करो'।
पूजा देवी ने कहा कि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। जिसके चलते उन्हें नौकरी करनी पड़ी। उन्हें जम्मू में एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10 हजार रुपये मिल रहे थे। लेकिन वे परिवार के लिए कम पड़ रहे थे। जिसके बाद उन्होंने भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस लेकर खुद ड्राइविंग में उतरने का फैसला किया।
पूजा देवी के तीन बच्चे हैं। उनकी बड़ी बेटी दसवीं कक्षा की छात्रा है। वे अक्सर अपने छोटे बेटे को बस में ही ड्राइवर सीट के पीछे बिठाकर साथ ले जाती हैं। पूजा कहती हैं कि बस ड्राइविंग का मौका मिलने से उनका सपना सच हो गया है। बस ड्राइवर बनने के फैसले पर उन्हें अपने परिवार का काफी विरोध झेलना पड़ा। पूजा ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य और ससुराल वाले पेशे के खिलाफ थे। इसके बावजूद उन्होंने ड्राइवर बनने के अपने सपने को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
पूजा देवी कहती हैं कि लोग उन्हें बस चलाते हुए देखते हैं तो हैरान होते हैं। लेकिन जब वे बस में सवार हो जाते हैं तो उनके फैसले की तारीफ करते हैं। उन्हें मौका देने वाले जम्मू-कठुआ बस यूनियन के अध्यक्ष सरदार कुलदीप सिंह कहते हैं कि पूजा एक अच्छी ड्राइवर है। वह गाड़ी चलाते वक्त भरोसे से भरी और सतर्क रहती है।
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