शुभ मुहूर्त बसंत पंचमी:- तिथि प्रारंभ - 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट से बसंत पंचमी तिथि समाप्त - 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक है।
पूजा विधि- सरस्वती पूजा के दिन सुबह उठकर शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। अग्र भाग में गणेश जी और पीछे वसंत स्थापित करें। नए धान्य से जौ, गेहूं आदि की बाली की पुंज को भरे कलश में डंठल सहित रखकर अबीर और पीले फूलों से वसंत बनाएं। तांबे के पात्र से दूर्वा से घर या मंदिर में चारों तरफ जल छिड़कें और मंत्र पढ़ेंंंं।
प्रकर्तत्याः वसंतोज्ज्वलभूषणा नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता, वीणा वादनशीला च यदकर्पूरचार्चिता। प्रणे देवीसरस्वती वाजोभिर्वजिनीवती श्रीनामणित्रयवतु।
पूर्वा या उत्तर की ओर मुंह किए बैठकर मां को पीले पुष्पों की माला पहनाकर पूजन करें। गणेश, सूर्य, विष्णु, रति-कामदेव, शिव और सरस्वती की पूजा का विधान भी है। बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का महत्वहिंदू परंपरा के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को, बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता हैै। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का सृजन किया था।
इसलिए यही वजह है कि इस दिन सभी सनातन अनुयायी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से, शुभ फल तो मिलते ही हैं, साथ ही उस व्यक्ति को मां सरस्वती की असीम कृपा भी प्राप्त होती है। बसंत पंचमी को लेकर एक और भी पौराणिक महत्व सुनने को मिलता है जिसके अनुसार इस दिन यदि कोई भी व्यक्ति सच्चे दिल से धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु की पूजा करता है तो, उसे हर प्रकार की आर्थिक तंगी से निजात मिल जाता है। हालांकि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की ये पूजा भी मुख्य रूप से, पंचोपचार एवं षोडशोपचार विधि से ही होनी अनिवार्य होती है।
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