26 जनवरी को महसूस हुई थी जरूरत।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली की सीमा पर बैठे प्रदर्शनकारियों जब 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) निकाल रहे थे तब सैकड़ों दंगाइयों ने पहले से तय ट्रैक्टर मार्च के रूट को तोड़ते हुए दिल्ली की सीमा के भीतर आकर राजधानी को बंधक बनाने की कोशिश की थी। गणतंत्र दिवस पर लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली उस हिंसा के दौरान बलवा करने वाले दंगाइयों ने लाल क़िले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहरा दिया था। उसी दिन कई जगह लोगों ने तलवार लहरा कर पुलिस वालों पर हमला करने की कोशिश की। पुलिस पर तलवार से हमला हुआ तो लकड़ी की लाठियां काम नहीं आईं ऐसे में नई स्टील की लाठी न सिर्फ तलवार का वार रोकेगी बल्कि दंगाइयों को सही से सबक भी सिखाएगी।
घायल पुलिसकर्मियों को नहीं मिली अस्पताल से छुट्टी।
दिल्ली (Delhi) में जबरन दाखिल होने वाले दंगाइयों के हाथों में तलवार, फरसा, लोहे की रॉड जैसे कई हथियार थे। जब पुलिसकर्मियों ने इन्हें रोका तो उन पर ऐसे ही धारदार हथियारों से हमला किया गया। दंगाइयों ने पुलिस पर पथराव भी किया था। उस हिंसा में करीब 384 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी लाल किले में हुई वारदात में घायल हुए। वहां ऑन ड्यूटी मौजूद एसएचओ पीसी यादव पर भी तलवार से हमला हुआ था। कई पुलिसकर्मी अभी तक अस्पताल में भर्ती हैं।
उत्तर पूर्वी और पूर्वी जिला पुलिस को मिली खेप।
पुलिस अधिकारी ने बताया ऐसे दंगाइयों से निपटने के लिए ही स्टील की लाठी बनवाई गई है। ऐसी करीब 30 लाठियां उत्तर पूर्वी दिल्ली की शाहदरा (Shahdara) पुलिस को दी गई हैं। वहीं 20 लाठियां पूर्वी जिला पुलिस को भेजी गई हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल तब किया जाएगा जब हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हों और दंगाइयों के पास तलवार जैसे घातक हथियार हों। इस दौरान 29 जनवरी को भी सिंघु बॉर्डर पर एसएचओ अलीपुर प्रदीप पालीवाल पर भी तलवार से हमला किया था। उस दौरान अगर ऐसी स्टील की लाठियां होती तो तलवार वाले दंगाइयों पर आसानी से काबू पाया जा सकता था।
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