अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों का जवाब।
बता दें, अमेरिकी सेना ने पूर्वी सीरिया में ईरान के समर्थन वाले सशस्त्र समूह मिलिशिया (Militia) पर हवाई हमले किए हैं। अमेरिका ने ईराक (Iraq) में अपने सैनिकों के ठिकानों पर हुए रॉकेट हमलों के जवाब में यह कार्रवाई की। कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई में सशस्त्र समूहों के करीब 17 लड़ाके मारे गए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने साफ तौर पर कहा है कि यह कार्रवाई इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हुए रॉकेट हमलों के जवाब में की गई है। पेंटागन के मुताबिक अमेरिकी फाइटर जेट्स ने 7 ठिकानों को निशाना बनाते हुए 7 500-lb बम गिराए हैं। इनमें से एक ठिकाना ईरान और सीरिया के बॉर्डर पर स्थित क्रॉसिंग भी है। अमेरिका का कहना है कि इस क्रॉसिंग का इस्तेमाल ईरान समर्थित उग्रवादी समूह हथियारों के मूवमेंट के लिए करते थे।
राजनीतिक संकट?
दूसरी तरफ इस कार्रवाई के बाद नए डेमोक्रेटिक प्रशासन (Democratic) के लिए एक राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। जो बाइडेन (Joe Biden) की अपनी पार्टी के कई प्रमुख कांग्रेस सदस्यों ने इन हमलों की निंदा की है। डेमोक्रेट ने कहा है, कानूनविदों से इजाजत के बिना हवाई हमले किए गए लेकिन सीनेट के सशस्त्र सेवा समिति के रैंकिंग रिपब्लिकन जिम ओक्लाहोमा ने अमेरिकी कार्रवाई को सही ठहराया है। व्हाइट हाउस (White House) के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा है, बाइडेन ने अमेरिकी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया है।
कार्रवाई जारी रहेगी।
पेंटागन ने स्पष्ट किया है कि हवाई हमला बॉर्डर कंट्रोल पॉइंट पर ईरान समर्थित समर्थित कातब हिजबुल्लाह और काताब सैय्यद अल-शुहादा (Kataeb Hezbollah and Kataeb Sayyid al-Shuhada) को ध्यान में रखकर किया गया था। हमला इराक में अमेरिका और गठबंधन सेनाओं पर किए गए हमले का करारा जवाब है। यह भी कहा गया है कि यदि जरूरत पड़ी तो अमेरिका आगे भी इस तरह की कार्रवाई को अंजाम देता रहेगा।
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