मौसम है सबसे पहला कारण।
हिमालय का मौसम काफी खराब रहता है और लगातार बदलता रहता है। जो विमानों की उड़ान के लिए अनकूल नहीं होता है। वहीं, बदलता मौसम विमानों के लिए खतरनाक होते हैं। यात्री विमान में लोगों के हिसाब से एयर प्रेशर सेट किया जाता है। लेकिन हिमालय में हवा की असामान्य स्थिती यात्रियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
हिमालय की ऊंचाई है सबसे बड़ा कारण।
हिमालय की ऊंचाई सबसे बड़ा कारण है। हिमालय की ऊंचाई 23 हजार फिट है। वहीं, हवाई जहाज औसतन 30-35 हजार फिट तक उड़ान भरते हैं। लेकिन हिमालय की ऊंचाई विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, आपत स्थिति के लिए विमान में 20-25 मिनट का ऑक्सीजन होता है, आपात स्थिति में जहाज को 8-10 हजार फिट पर उड़ान भरनी होती है, ताकि लोगों को सांस लेने में दिक्कत ना हो। लेकिन हिमालय में 20-25 मिनट के समय में 30-35 हजार फिट से 8-10 हजार फिट पर आना संभव नहीं है।
नेविगेशन की सुविधा नहीं।
हिमालय के इलाकों की एक और दिक्कत है। वहां नेविगेशन की उचित सुविधा मौजूद नहीं है। ऐसे में आपात स्थिति में विमान एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकते। इसके अलाव इमरजेंसी लैडिंग के लिए आस-पास एयरपोर्ट भी नहीं है। अब आप समझ गए होंगे कि हिमालय के ऊपर विमान क्यों उड़ान नहीं भरते हैं।
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