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Thursday, March 31, 2022

क्या आप जानते हैं नर्मदा नदी के हर पत्थर में भगवान शिव क्यों वास करते है।

प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा। नर्मदाजी ने कहा‌ ब्रह्मा जी! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो मुझे गंगाजी के समान कर दीजिए।


ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा ’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।'

ब्रह्माजी की बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं। भगवान शंकर उनपर बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। नर्मदा ने कहा ’भगवन्! तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति बनी रहे।'

नर्मदा की बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हो गए और बोले - ’नर्मदे! तुम्हारे तट पर जितने भी प्रस्तरखण्ड (पत्थर) हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंगरूप हो जाएंगे। गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सब पापों का नाश करती हैं परन्तु तुम दर्शनमात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी। तुमने जो नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, वह पुण्य और मोक्ष देने वाला होगा।’ 

भगवान शंकर उसी लिंग में लीन हो गए। इतनी पवित्रता पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गयीं। इसलिए कहा जाता है ‘नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर है।'

                 🔱☘️ !! हर हर महादेव !! 🔱☘️

Monday, March 28, 2022

संडे की छुट्टी में करें दिल्ली की 6 सबसे सस्ती मार्केट में शॉपिंग, जहां 100 रुपए में टॉप तो 200 में जींस।

रविवार का दिन सिर्फ और सिर्फ शॉपिंग का दिन होता है, अगर आप भी हमारी इस बात से सहमत हैं, तो इस बार दिल्ली की कुछ सबसे सस्ती जगहों पर शॉपिंग करने के लिए निकल जाएं। इन जगहों पर आपको टॉप से लेकर जींस तक सब कुछ बेहद किफायती दाम पर मिल जाएगा। आखिर आजकल की महंगाई के दौर में कौन पैसे नहीं बचाना चाहता? कभी हम सब्जी वाले से पांच दस रुपए कम कराने लगते हैं, तो कभी-कभी दुकानों पर मोल भाव करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, लोग जब कपड़े, जूते-चप्पल, ज्वेलरी आदि की खरीदारी करते हैं, तो ऐसे में उन्हें फैशन ट्रेंड वाली चीजों के साथ-साथ जितना हो सके उतना सस्ते में चीज खरीदनी पसंद होती है। अगर आप भी इस संडे शॉपिंग करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो चलिए हम आपको दिल्ली की उन जगहों के बारे में बताते हैं, जहां आप कम से कम में हर एक सामान की खरीदारी कर सकते हैं।

चांदनी चौक, दिल्ली - Chandni Chowk, Delhi
अगर आप दिल्ली रहते हैं, तो आपको एक बार चांदनी चौक जरूर जाना चाहिए। पुरानी दिल्ली में मौजूद ये सदियों पुरानी इमारतों और स्मारकों से घिरा हुआ है। यहां आप स्मृति चिन्ह, ज्वेलरी, बिजली के सामान, कपड़े, मसाले और हां जिसके लिए ये मार्केट फेमस है, उसके बारे में तो हम बताना भूल ही गए। यहां आप अपनी शादी की शॉपिंग भी कर सकते हैं, बढ़िया और फैशनेबल साड़ी से लेकर सूट तक आपको यहां सब कुछ एक अच्छे दाम में मिल जाएगा। बुक लवर्स के लिए भी ये एक बेहतरीन जगह है। नई सड़क पर आप किताबें और स्टेशनरी का सारा सामान ले सकते हैं।

जनपथ, दिल्ली - Janpath, Delhi।
जनपथ की मार्केट जिस सड़क पर मौजूद है, वहां काफी भीड़-भाड़ रहती है, जिस वजह से लोग इस बाजार को कभी नजरअंदाज नहीं कर पाते और हमारे हिसाब से करनी भी नहीं चाहिए। यहां की हर एक चीज आपको कम से कम रेट में मिल जाएगी, फिर चाहे वो जींस हो टॉप, बैग्स, ज्वेलरी हो। आप जितना चाहे उतना यहां मोल भाव कर सकते हैं। जनपथ की मार्केट एक सीधी गली है, जहां दाएं और बाएं तरफ कपड़ों के स्टॉल्स लगे हुए हैं।

सरोजिनी नागर, दिल्ली - Sarojini Nagar, Delhi।
सस्ते मार्केट की बता हो रही है, ऐसे में हम सरोजिनी नगर को कैसे भूल सकते हैं। दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और किफायती मार्केट में से एक, इस जगह पर आप जितना चाहें उतना बार्गेनिंग कर सकते हैं। आपको यहां शोरूम और स्ट्रीट स्टॉल दोनों पर खरीदारी करने का मौका मिलता है। यहां आपको एक टॉप 100 रुपए में तो वहीं जीन्स 200 रुपए में मिल जाएगी। अगर फुटवियर की बात करें तो चप्पलें भी यहां 200 से 500 रुपए में आसानी से मिल सकती हैं। सोमवार को छोड़कर ये मार्केट पूरे हफ्ते खुलती है।

लाजपत नगर, दिल्ली - Lajpat Nagar, Delhi।
लाजपत नगर अपने फैशनेबल कपड़ों के लिए जाना जाता है। यहां आपको सस्ते से महंगे, हर तरह की शॉपिंग का मजा उठा सकते हैं। लाजपत नगर मेट्रो और बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है। ये मार्केट महानगर में सबसे अधिक देखे जाने वाले बाजारों में से एक है। इस बाजार में आपको ट्रेंडी एक्सेसरीज़, कपड़े, जूते, बैग और डिज़ाइनर आइटम की एक लंबी लिस्ट देखने को मिल जाएगी। कोई चीज ऐसी नहीं है, जो आपको यहां नहीं मिल सकती। यहां भी आप हर कपड़े के साथ मोल भाव कर सकते हैं।

करोल बाग, दिल्ली - Karol Bagh, Delhi।
करोल बाग भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका है। ये बाजार भी सरोजिनी और लाजपत से कम नहीं है। यहां आप महिलाओं के लिए डिज़ाइनर लहंगे, चूड़ा, ज्वेलरी और पुरुषों के लिए शेरवानी और और इंडो-वेस्टर्न से लेकर सब कुछ खरीद सकते हैं। यहां टेस्टी खानों का आप पूरा मजा ले सकते है। इसके अलावा, आप आर्य समाज रोड पर पुरानी किताबें भी खरीद सकते हैं। गफ्फार मार्केट में आपको टैंक रोड पर ब्रांडेड सामान के सस्ते डुप्लिकेट और कॉस्मेटिक्स से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक मिल जाएंगे। प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर इसके करीब है, आप खरीदारी करने से पहले वहां जा सकते हैं।

कमला नगर, दिल्ली - Kamla Nagar Market, Delhi।
छात्रों के लिए सबसे प्रसिद्ध हैंगऑउट में से एक, ये जगह कमला नगर मार्केट दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर के पास स्थित है। जंक ज्वैलरी और फंकी फुटवियर से लेकर कमाल की कुर्तियों तक, आपको एक ही जगह सब कुछ मिल सकता है, वो भी एकदम किफायती दाम पर।

Tuesday, March 15, 2022

होलिका दहन पर भूलकर भी ना करें ये काम, नहीं तो हो सकती है पैसों की तंगी।

हिंदू धर्म में रंगों की होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। होली के त्यौहार का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। अपने अहंकारी भाई के कहने पर होलिका, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपी से प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल कर भस्म हो गई। 

जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि थी। तब से होलिका दहन की परंपरा शुरु हुई और आज तक चली आ रही है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इस बार होलिका दहन 17 मार्च 2022 की रात को किया जाएगा। होलिका दहन में इस बात का ध्यान रखते हैं कि कहीं उस समय में भद्रा तो नहीं है? भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित माना जाता है। होलिका दहन के दिन कुछ ऐसे कार्य होते हैं, जिनको करना मना होता है। उन कार्यों को करना अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि होलिका दहन के दिन किन कार्यों को नहीं करना चाहिए।

होलिका दहन के दिन न करें ये काम।
1. होलिका दहन के अवसर पर पूजा करते समय अपने सिर को खुला नहीं रखना चाहिए। इस दौरान सिर पर रुमाल या कोई अन्य कपड़ा रख लेना चाहिए। होलिका दहन के दिन सिर खुला रख कर पूजा करना अशुभ माना जाता है।

2. नवविवाहित जोड़ों को होलिका दहन के दिन जलती हुई आग को नहीं देखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि होलिका की आग को देखने से वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

3. होलिका दहन की रात पूर्णिमा होती है, इस दिन लोग तांत्रिक क्रियाएं करते हैं। ऐसे में बाहर पड़ी हुई किसी वस्तु को नहीं छूना चाहिए क्योंकि उसमें नकारात्मक शक्तियां हो सकती हैं, उनसे बचना चाहिए।

4. होलिका दहन के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन के दिन नकारात्मकता का प्रभाव ज़्यादा रहता है, इसलिए काले कपड़े पहनने से बचें।

5. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन वाले दिन भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए नकारात्मक शक्तियां एक हो गई थीं। इस रात नकारात्मक शक्तियां प्रभावी हो सकती हैं, इस वजह से तामसिक चीज़ों का सेवन न करें। इनके सेवन से आपके अंदर नकारात्मकता का प्रभाव बढ़ सकता है।

Sunday, March 13, 2022

*मैं देखूँगा - द कश्मीर फाइल्स। इसलिए नहीं की फिल्म मेकर ज्यादा कमाई कर लेगा।

मैं देखूँगा।

मैं वो फिल्म इसलिए देखूँगा कि मुझे आग की उस तपिश को महसूस करना है, जिस आग में वर्षो से हमारे कश्मीरी भाई बहनों की आत्माएँ सुलग रही है। मैं जानना चाहूँगा कि जब एक सत्ताधारी ने सहानुभूति जताने के लिए भी नफरत के साथ नकार दिया तो बाराँ नरसंहार के रोते बिलखते घायलों पर क्या बीती थी। सिनेमा हॉल में हमारी भीड़ कश्मीरी पंडितों के उन जख्मों पर एक मरहम होगा , जिसे कभी भी जख्म समझा ही नहीं गया।

हाँ हम देखेंगे। क्यों कि हमें उस मशाल को बुझने नहीं देना है, जिसे कभी भी जलायी ही नहीं गई! मैं देखना चाहूँगा कि जब पृथ्वी राज चौहान को कैद कर के ले जाया गया था, तब हिंदुस्तान पर क्या बीत रही थी? देश के बंटवारे के समय लाहौर से आती ट्रेनों से बहते लहू की गर्मी महसूस करना है हमें! हिंदुकुश में हिंदुओं के उड़ते चिथड़ों को देखकर भविष्य के लिए सजग रहना है हमें!

महाराणा प्रताप के घास की रोटी का स्वाद महसूस करना है हमें! द कश्मीर फाइल्स देखना है हमें! और मारना है एक तमाचा। फिल्मी दुनियाँ के उन तमाम अर्धपुरुषों को....जो स्वाँग करते करते सदैव के लिए बृहन्नला हो गए हैं!

अरे! मैंने सुना है कि फिल्मी दुनियाँ में एक मर्द आया है!जो सीना ठोक कर कहता है कि " पद्म श्री " किसी को खामोश रहने के लिए भी दिया जाता है!

अब तो फिल्म देखना ही पड़ेगा!
अब तो फिल्म देखना ही पड़ेगा!

Saturday, March 12, 2022

दुनिया की सबसे लंबी कार, जिसमें Swimming Pool भी है और हेलीपैड भी, जानें और क्या है खासियत।

दुनिया में अगर कोई व्यक्ति बोले की यह असंभव है तो वह व्यक्ति गलत है। दुनिया में सबसे लंबी कार (world's longest car) आ गई है, और अब उसने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, "द अमेरिकन ड्रीम" नाम का सुपर लिमो अब 30.54 मीटर (100 फीट और 1.50 इंच) का है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records) ने अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अब जारी एक रिपोर्ट में कार की तस्वीर पोस्ट की है। एक नियमित कार औसतन 12 से 16 फीट लंबी होती है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, कार को मूल रूप से 1986 में कैलिफोर्निया के बरबैंक में कार कस्टमाइज़र जे ओहरबर्ग द्वारा बनाया गया था। उस समय, यह 60 फीट की थी, 26 पहियों पर चलती थी और आगे और पीछे V8 इंजन की एक जोड़ी थी। इसे बाद में बढ़ाकर 30.5 मीटर कर दिया गया। यह अब थोड़ा लंबी है। भारतीय बाजार के अनुसार, छह होंडा सिटी सेडान (प्रत्येक 15 फीट) "द अमेरिकन ड्रीम" के साथ-साथ खड़ी की जा सकती हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आगे बताया कि, "द अमेरिकन ड्रीम" 1976 कैडिलैक एल्डोरैडो लिमोसिन पर आधारित है और इसे दोनों सिरों से चलाया जा सकता है, इसे दो हिस्सों में बनाया गया है और कोनों को मोड़ने के लिए बीच में एक काज द्वारा जोड़ा गया है। इसमें बैठकर शाही अंदाज़ का एहसास होगा। इसमें एक डाइविंग बोर्ड, जकूज़ी, बाथटब, मिनी-गोल्फ कोर्स के साथ एक स्विमिंग पूल है, और अपनी सांस रोकें - एक हेलीपैड भी है।

द अमेरिकन ड्रीम की बहाली में शामिल माइकल मैनिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को बताया, "हेलीपैड संरचनात्मक रूप से नीचे स्टील ब्रैकेट वाले वाहन पर लगाया गया है और पांच हजार पाउंड तक हो सकता है." रेफ्रिजरेटर, एक टेलीफोन और कई टेलीविजन सेट भी हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, कार में 75 से अधिक लोग बैठ सकते हैं। "द अमेरिकन ड्रीम" कई फिल्मों में दिखाई दिया और अक्सर किराए पर ली जाती थी। लेकिन इसकी उच्च रखरखाव लागत और पार्किंग के मुद्दों के कारण, लोगों ने कार में रुचि खो दी और इसमें जंग लग गया। तब मैनिंग ने कार को बहाल करने का फैसला किया और इसे ईबे से खरीदा।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, बहाली में शिपिंग, सामग्री और श्रम में $ 250,000 की लागत आई और इसे पूरा करने में तीन साल लगे। लेकिन "द अमेरिकन ड्रीम" सड़क पर नहीं उतरेगी। यह डेज़रलैंड पार्क कार संग्रहालय के अद्वितीय और क्लासिक कारों के संग्रह का एक हिस्सा होगा।

Sunday, March 6, 2022

महाभारत में वर्णित ये पेंतीस नगर आज भी मौजूद हैं जाने क्या बदला है।

भारत देश महाभारतकाल में कई बड़े जनपदों में बंटा हुआ था। हम महाभारत में वर्णित जिन 35 राज्यों और शहरों के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं, वे आज भी मौजूद हैं। आप भी जाने।

1. गांधार:- आज के कंधार को कभी गांधार के रूप में जाना जाता था। यह देश पाकिस्तान के रावलपिन्डी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थीं। गांधारी के भाई शकुनी दुर्योधन के मामा थे।

2. तक्षशिला:- तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है। तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है।

3. केकय प्रदेश:-  जम्मू-कश्मीर के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में केकय प्रदेश के रूप में है। केकय प्रदेश के राजा जयसेन का विवाह वसुदेव की बहन राधादेवी के साथ हुआ था। उनका पुत्र विन्द जरासंध, दुर्योधन का मित्र था। महाभारत के युद्ध में विन्द ने कौरवों का साथ दिया था।

4. मद्र देश:- केकय प्रदेश से ही सटा हुआ मद्र देश का आशय जम्मू-कश्मीर से ही है। एतरेय ब्राह्मण के मुताबिक, हिमालय के नजदीक होने की वजह से मद्र देश को उत्तर कुरू भी कहा जाता था। महाभारत काल में मद्र देश के राजा शल्य थे, जिनकी बहन माद्री का विवाह राजा पाण्डु से हुआ था। नकुल और सहदेव माद्री के पुत्र थे।

5. उज्जनक:- आज के नैनीताल का जिक्र महाभारत में उज्जनक के रूप में किया गया है। गुरु द्रोणचार्य यहां पांडवों और कौरवों की अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देते थे। कुन्ती पुत्र भीम ने गुरु द्रोण के आदेश पर यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यही वजह है कि इस क्षेत्र को भीमशंकर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान शिव का एक विशाल मंदिर है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है।

6. शिवि देश:- महाभारत काल में दक्षिण पंजाब को शिवि देश कहा जाता था। महाभारत में महाराज उशीनर का जिक्र है, जिनके पौत्र शैव्य थे। शैव्य की पुत्री देविका का विवाह युधिष्ठिर से हुआ था। शैव्य एक महान धनुर्धारी थे और उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था।

7. वाणगंगा:- कुरुक्षेत्र से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वाणगंगा। कहा जाता है कि महाभारत की भीषण लड़ाई में घायल पितामह भीष्म को यहां सर-सैय्या पर लिटाया गया था। कथा के मुताबिक, भीष्ण ने प्यास लगने पर जब पानी की मांग की तो अर्जुन ने अपने वाणों से धरती पर प्रहार किया और गंगा की धारा फूट पड़ी। यही वजह है कि इस स्थान को वाणगंगा कहा जाता है।

8. कुरुक्षेत्र:- हरियाणा के अम्बाला इलाके को कुरुक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां महाभारत की प्रसिद्ध लड़ाई हुई थी। यही नहीं, आदिकाल में ब्रह्माजी ने यहां यज्ञ का आयोजन किया था। इस स्थान पर एक ब्रह्म सरोवर या ब्रह्मकुंड भी है। श्रीमद् भागवत में लिखा हुआ है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने यदुवंश के अन्य सदस्यों के साथ इस सरोवर में स्नान किया था।

9. हस्तिनापुर:- महाभारत में उल्लिखित हस्तिनापुर का इलाका मेरठ के आसपास है। यह स्थान चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। सही मायने में महाभारत युद्ध की पटकथा यहीं लिखी गई थी। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर को अपने राज्य की राजधानी बनाया।

10. वर्नावत:- यह स्थान भी उत्तर प्रदेश के मेरठ के नजदीक ही माना जाता है। वर्णावत में पांडवों को छल से मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। यह स्थान गंगा नदी के किनारे है। महाभारत की कथा के मुताबिक, इस ऐतिहासिक युद्ध को टालने के लिए पांडवों ने जिन पांच गांवों की मांग रखी थी, उनमें एक वर्णावत भी था। आज भी यहां एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम वर्णावा है।

11. पांचाल प्रदेश:- हिमालय की तराई का इलाका पांचाल प्रदेश के रूप में उल्लिखित है। पांचाल के राजा द्रुपद थे, जिनकी पुत्री द्रौपदी का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। द्रौपदी को पांचाली के नाम से भी जाना जाता है।

12. इन्द्रप्रस्थ:- मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत में इन्द्रप्रस्थ के रूप में है। कथा के मुताबिक, इस स्थान पर एक वियावान जंगल था, जिसका नाम खांडव-वन था। पांडवों ने विश्वकर्मा की मदद से यहां अपनी राजधानी बनाई थी। इन्द्रप्रस्थ नामक छोटा सा कस्बा आज भी मौजूद है।

13. वृन्दावन:- यह स्थान मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर है। वृन्दावन को भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं के लिए जाना जाता है। यहां का बांके-बिहारी मंदिर प्रसिद्ध है।

14. गोकुल:- यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह स्थान भी मथुरा से करीब 8 किलोमीटर दूर है। कंस से रक्षा के लिए कृष्ण के पिता वसुदेव ने उन्हें अपने मित्र नंदराय के घर गोकुल में छोड़ दिया था। कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम गोकुल में साथ-साथ पले-बढ़े थे।

15. बरसाना:- यह स्थान भी उत्तर प्रदेश में है। यहां की चार पहाड़ियां के बारे में कहा जाता है कि ये ब्रह्मा के चार मुख हैं।

16. मथुरा:- यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रसिद्ध शहर हिन्दू धर्म के लिए अनुयायियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यहीं पर श्रीकृष्ण ने बाद में कंस की हत्या की थी। बाद में कृष्ण के पौत्र वृजनाथ को मथुरा की राजगद्दी दी गई।

17. अंग देश:- वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के इलाके का उल्लेख महाभारत में अंगदेश के रूप में है। दुर्योधन ने कर्ण को इस देश का राजा घोषित किया था। मान्यताओं के मुताबिक, जरासंध ने अंग देश दुर्योधन को उपहारस्वरूप भेंट किया था। इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।

18. कौशाम्बी:- कौशाम्बी वत्स देश की राजधानी थी। वर्तमान में इलाहाबाद के नजदीक इस नगर के लोगों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। बाद में कुरुवंशियों ने कौशाम्बी पर अपना अधिकार कर लिया। परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनाया।

19. काशी:- महाभारत काल में काशी को शिक्षा का गढ़ माना जाता था। महाभारत की कथा के मुताबिक, पितामह भीष्म काशी नरेश की पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका को जीत कर ले गए थे ताकि उनका विवाह विचित्रवीर्य से कर सकें। अम्बा के प्रेम संबंध राजा शल्य के साथ थे, इसलिए उसने विचित्रवीर्य से विवाह से इन्कार कर दिया। अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। विचित्रवीर्य के अम्बा और अम्बालिका से दो पुत्र धृतराष्ट्र और पान्डु हुए। बाद में धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव कहलाए और पान्डु के पांडव।

20. एकचक्रनगरी:- वर्तमान कालखंड में बिहार का आरा जिला महाभारत काल में एकचक्रनगरी के रूप में जाना जाता था। लाक्षागृह की साजिश से बचने के बाद पांडव काफी समय तक एकचक्रनगरी में रहे थे। इस स्थान पर भीम ने बकासुर नामक एक राक्षक का अन्त किया था। महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया था, उस समय बकासुर के पुत्र भीषक ने उनका घोड़ा पकड कर रख लिया था। बाद में वह अर्जुन के हाथों मारा गया।

21. मगध:- दक्षिण बिहार में मौजूद मगध जरासंध की राजधानी थी। जरासंध की दो पुत्रियां अस्ती और प्राप्ति का विवाह कंस से हुआ था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया, तब वह अनायास ही जरासंध के दुश्मन बन बैठे। जरासंध ने मथुरा पर कई बार हमला किया। बाद में एक मल्लयुद्ध के दौरान भीम ने जरासंध का अंत किया। महाभारत के युद्ध में मगध की जनता ने पांडवों का समर्थन किया था।

22. पुन्डरू:- देश मौजूदा समय में बिहार के इस स्थान पर राजा पोन्ड्रक का राज था। पोन्ड्रक जरासंध का मित्र था और उसे लगता था कि वह कृष्ण है। उसने न केवल कृष्ण का वेश धारण किया था, बल्कि उसे वासुदेव और पुरुषोत्तम कहलवाना पसन्द था। द्रौपदी के स्वयंवर में वह भी मौजूद था। कृष्ण से उसकी दुश्मनी जगजाहिर थी। द्वारका पर एक हमले के दौरान वह भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया।

23. प्रागज्योतिषपुर:- गुवाहाटी का उल्लेख महाभारत में प्रागज्योतिषपुर के रूप में किया गया है। महाभारत काल में यहां नरकासुर का राज था, जिसने 16 हजार लड़कियों को बन्दी बना रखा था। बाद में श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और सभी 16 हजार लड़कियों को वहां से छुड़ाकर द्वारका लाए। उन्होंने सभी से विवाह किया। मान्यता है कि यहां के प्रसिद्ध कामख्या देवी मंदिर को नरकासुर ने बनवाया था।

24. कामख्या:- गुवाहाटी से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामख्या एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। भागवत पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर बदहवाश इधर-उधर भाग रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर के कई टुकड़े कर दिए। इसका आशय यह था कि भगवान शिव को सती के मृत शरीर के भार से मुक्ति मिल जाए। सती के अंगों के 51 टुकड़े जगह-जगह गिरे और बाद में ये स्थान शक्तिपीठ बने। कामख्या भी उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है।

25. मणिपुर:- नगालैन्ड, असम, मिजोरम और वर्मा से घिरा हुआ मणिपुर महाभारत काल से भी पुराना है। मणिपुर के राजा चित्रवाहन की पुत्री चित्रांगदा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। इस विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम था बभ्रुवाहन। राजा चित्रवाहन की मृत्यु के बाद बभ्रुवाहन को यहां का राजपाट दिया गया। बभ्रुवाहन ने युधिष्ठिर द्वारा आयोजित किए गए राजसूय यज्ञ में भाग लिया था।

26. सिन्धु देश:- सिन्धु देश का तात्पर्य प्राचीन सिन्धु सभ्यता से है। यह स्थान न केवल अपनी कला और साहित्य के लिए विख्यात था, बल्कि वाणिज्य और व्यापार में भी यह अग्रणी था। यहां के राजा जयद्रथ का विवाह धृतराष्ट्र की पुत्री दुःश्शाला के साथ हुआ था। महाभारत के युद्ध में जयद्रथ ने कौरवों का साथ दिया था और चक्रव्युह के दौरान अभिमन्यू की मौत में उसकी बड़ी भूमिका थी।

27. मत्स्य देश:- राजस्थान के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में मत्स्य देश के रूप में है। इसकी राजधानी थी विराटनगरी। अज्ञातवास के दौरान पांडव वेश बदल कर राजा विराट के सेवक बन कर रहे थे। यहां राजा विराट के सेनापति और साले कीचक ने द्रौपदी पर बुरी नजर डाली थी। बाद में भीम ने उसकी हत्या कर दी। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यू का विवाह राजा विराट की पुत्री उत्तरा के साथ हुआ था।

28. मुचकुन्द तीर्थ:- यह स्थान धौलपुर, राजस्थान में है। मथुरा पर जीत हासिल करने के बाद कालयावन ने भगवान श्रीकृष्ण का पीछा किया तो उन्होंने खुद को एक गुफा में छुपा लिया। उस गुफा में मुचकुन्द सो रहे थे, उन पर कृष्ण ने अपना पीताम्बर डाल दिया। कृष्ण का पीछा करते हुए कालयावन भी उसी गुफा में आ पहुंचा। मुचकुन्द को कृष्ण समझकर उसने उन्हें जगा दिया। जैसे ही मुचकुन्द ने आंख खोला तो कालयावन जलकर भस्म हो गया। मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब पांडव हिमालय की तरफ चले गए और कृष्ण गोलोक निवासी हो गए, तब कलयुग ने पहली बार यहां अपने पग रखे थे।

29. पाटन:- महाभारत की कथा के मुताबिक, गुजरात का पाटन द्वापर युग में एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र था। पाटन के नजदीक ही भीम ने हिडिम्ब नामक राक्षस का संहार किया था और उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह किया। हिडिम्बा ने बाद में एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम था घटोत्कच्छ। घटोत्कच्छ और उनके पुत्र बर्बरीक की कहानी महाभारत में विस्तार से दी गई है।

30. द्वारका- माना जाता है कि गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित यह स्थान कालान्तर में समुन्दर में समा गया। कथाओं के मुताबिक, जरासंध के बार-बार के हमलों से यदुवंशियों को बचाने के लिए कृष्ण मथुरा से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर द्वारका ले गए।

31. प्रभाष:- गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण का निवास-स्थान रहा है। महाभारत कथा के मुताबिक, यहां भगवान श्रीकृष्ण पैर के अंगूठे में तीर लगने की वजह से घायल हो गए थे। उनके गोलोकवासी होने के बाद द्वारका नगरी समुन्दर में डूब गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि समुन्दर के सतह पर द्वारका नगरी के अवेशष मिले हैं।

32. अवन्तिका:- मध्यप्रदेश के उज्जैन का उल्लेख महाभारत में अवन्तिका के रूप में मिलता है। यहां ऋषि सांदपनी का आश्रम था। अवन्तिका को देश के सात प्रमुख पवित्र नगरों में एक माना जाता है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल लिंग स्थापित है।

33. चेदी:- वर्तमान में ग्वालियर क्षेत्र को महाभारत काल में चेदी देश के रूप में जाना जाता था। गंगा व नर्मदा के मध्य स्थित चेदी महाभारत काल के संपन्न नगरों में एक था। इस राज्य पर श्रीकृष्ण के फुफेरे भाई शिशुपाल का राज था। शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था, लेकिन श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचा लिया। 

इस घटना की वजह से शिशुपाल और श्रीकृष्ण के बीच संबंध खराब हो गए। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय चेदी नरेश शिशुपाल को भी आमंत्रित किया गया था। शिशुपाल ने यहां कृष्ण को बुरा-भला कहा, तो कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया। महाभरत की कथा के मुताबिक, दुश्मनी की बात सामने आने पर श्रीकृष्ण की बुआ उनसे शिशुपाल को अभयदान देने की गुजारिश की थी। इस पर श्रीकृष्ण ने बुआ से कहा था कि वह शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ कर दें, लेकिन 101वीं गलती पर माफ नहीं करेंगे।

34. सोणितपुर:- मध्यप्रदेश के इटारसी को महाभारत काल में सोणितपुर के नाम से जाना जाता था। सोणितपुर पर वाणासुर का राज था। वाणासुर की पुत्री उषा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ सम्पन्न हुआ था। यह स्थान हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।

35. विदर्भ:-  महाभारतकाल में विदर्भ क्षेत्र पर जरासंध के मित्र राजा भीष्मक का शासन था। रुक्मिणी भीष्मक की पुत्री थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचाया था। यही वजह थी कि भीष्मक उन्हें अपना शत्रु मानने लगे। जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया था, तब भीष्मक ने उनका घोड़ा रोक लिया था। सहदेव ने भीष्मक को युद्ध में हरा दिया।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...