Popular Posts

Wednesday, April 13, 2022

दिवालिया हुआ श्रीलंका का विदेशी पैसा लौटाने से इनकार, जानिए क्या है डिफॉल्टर होने का मतलब।

Sri Lanka economic crisis: कंगाल हो चुके श्रीलंका (Sri Lanka) ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार कर दिया है। उसे सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले देशों में चीन, जापान और भारत शामिल हैं। इस तरह श्रीलंका के डिफॉल्टर होने से सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं तीन देशों का होगा। श्रीलंका के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटरनल रिसोर्सेज (Department of External Resources) के मुताबिक अप्रैल 2021 तक देश पर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का था। तब चीन का श्रीलंका पर कर्ज 3.388 अरब डॉलर था जो देश के कुल कर्ज का 10 फीसदी था। दूसरे नंबर पर जापान था। जापान का श्रीलंका पर कर्ज 3.36 अरब डॉलर था। पिछले साल अप्रैल तक भारत का श्रीलंका पर कुल कर्ज 85.93 करोड़ डॉलर था जो उसके कुल कर्ज का दो फीसदी है। इस तरह श्रीलंका के डिफॉल्टर होने से सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं तीन देशों का होगा।

विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार: श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार किया है। यानी उसने एक तरह से खुद को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर श्रीलंका अभी डिफॉल्टर घोषित नहीं हुआ है। कोई देश डिफॉल्टर है या नहीं इसकी घोषणा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां करती हैं। जानकारों का कहना है कि डिफॉल्टर होने का मतलब है यह है कि आप निर्धारित तिथि तक कर्ज नहीं चुका पाए। यह एक तरह से दिवालिया होने की शुरुआत है। कई बार ऐसा होता है कि देशों के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

श्रीलंका ने अंतिम उपाय के तौर पर यह फैसला किया है। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है और देश 70 साल में सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। आईएमएफ का कहना है कि श्रीलंका की स्थिति गंभीर है। अनुमानों के मुताबिक देश पर करीब 35 अरब डॉलर का कर्ज है और इसमें से सात अरब डॉलर का भुगतान जल्दी किया जाना है। मंगलवार को ही देश सेंट्रल बैंक के गवर्नर पी. नंदलाल वीरसिंघे ने कहा कि हमें जरूरी चीजों के आयात पर फोकस करने की जरूरत है और विदेशी कर्ज को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।

क्यों हुई ऐसी हालत: मूडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी के अंत तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर था जो दो महीने के आयात के खर्च से भी कम है। विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने से सरकार ने आयात पर पाबंदी लगा दी थी। इससे देश में फ्यूल, मिल्क पाउडर जैसी जरूरी चीजों की कमी हो गई और लोग सड़कों पर आ गए। महंगाई दोहरे अंकों में पहुंच गई है। रूस-यूक्रेन लड़ाई से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है जिससे पर्यटन पर निर्भर देश की इकॉनमी की हालत और खराब हो गई। कोरोना महामारी ने पहले ही श्रीलंका के टूरिज्म सेक्टर की कमर तोड़ दी थी। देश में ऑर्गेनिक खेती के प्रयोग ने फार्म सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया और देश में खाद्यान्न की भारी कमी हो गई। 2.2 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं और लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है।

चीन का कर्ज: मार्च के अंत में श्रीलंका का विदेशी भंडार 1.93 अरब डॉलर था जबकि इस साल उसे लगभग चार अरब डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना है। इसमें जुलाई में मैच्योर होने वाला एक अरब डॉलर का इंटरनेशनल सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का अनुमान है कि श्रीलंका की ग्रॉस डेट सर्विसिंग 2022 में 7 अरब डॉलर होगी और चालू खाता घाटा लगभग 3 अरब डॉलर होगा। श्रीलंका के इस हालत के लिए चीन से लिए गए भारी कर्ज को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण श्रीलंका का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसे देखते हुए श्रीलंका ने चीन से अपने कर्ज को रिशेड्यूल करने की अपील की थी लेकिन चीन ने इससे साफ इन्कार कर दिया था। चीन के कर्ज में फंसे कई दूसरे देशों की भी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। इनमें पाकिस्तान, मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान शामिल हैं।

डिफॉल्ट होने के बाद क्या होता है: इससे सभी आउटस्टेंडिंग सीरीज ऑफ बॉन्ड्स प्रभावित होंगे। इनमें ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स में जारी किए गए बॉन्ड्स, गवर्नमेंट टु गवर्नमेंट क्रेडिट, कमर्शियल बैंकों और इंस्टीट्यूशनल लेंडर्स का साथ हुए फॉरेन करेंसी डिनॉमिनेटेड लोन एग्रीमेंट शामिल है। साथ ही सरकार और सरकारी संस्थाओं द्वाया किया जाने वाला भुगतान भी प्रभावित होगा। किसी देश के डिफॉल्ट करने पर उसे बॉन्ड मार्केट से पैसा उठाने से रोका जा सकता है। खासतौर से तब तक के लिए जब तक कि डिफॉल्ट का समाधान नहीं हो जाता और निवेशकों को भरोसा नहीं हो जाता कि सरकार भुगतान करना चाहती है और उसके पास क्षमता भी है। बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के एक सॉवरेन डेट डेटाबेस के मुताबिक 1960 के बाद से 147 सरकारों ने कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया है। कोविड-19 महामारी ने कई देशों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। अर्जेंटीना, इक्वाडोर, लेबनॉन और जाम्बिया ने हाल में अपने डेट को रिस्ट्रक्चर करने की कोशिश की है।

उम्मीद की किरण: देशों के पास डिफॉल्ट होने की स्थिति में कई विकल्प होते हैं। कई बार कर्ज को रिस्ट्रक्चर किया जाता है। यानी कि इसकी ड्यू डेट को आगे बढ़ा दिया जाता है। इसी तरह करेंसी को ज्यादा किफायती बनाने के लिए इसका डिवैल्यूएट किया जाता है। डिफॉल्टर होने के बाद कई देश खर्च करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई देश कर्ज चुकाने के लिए अपनी करेंसी को डिवैल्यूएट करता है तो उसके प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट के लिए सस्ते हो जाते हैं। इससे मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का फायदा होता है जिससे इकॉनमी को बूस्ट मिलता है और कर्ज का भुगतान आसान हो जाता है।

No comments:

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know.

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...