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Wednesday, September 16, 2020

विश्वकर्मा पूजा, के दिन इस प्रकर करे पूजा। भूलकर भी न करें ये काम !

विश्वकर्मा पूजा के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता। इसलिए घर हो या दुकान तकनीकी कार्य शुरू करने से पहले इनका पूजन किया जाता है। विश्वकर्मा पूजा इस साल 16 सितंबर को मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं तो बिजनेस में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है। भगवान विश्वकर्मा ने पूरी सृष्टि का निर्माण किया है और इन्हें सृष्टि का निर्माणकर्ता कहा जाता है।

विश्वकर्मा पूजा इस साल 17 सितंबर को मनाई जा रही है। दरअसल इस बार 16 सितंबर को शाम 7 बजकर 23 मिनट पर संक्रांति है, इसलिए विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी। यह पूजा खासकर देश के पूर्वी प्रदेशों में मनाई जाती है, जैसे असम, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल, ओड़िशा, बिहार, झारखंड। कहते हैं कि विश्वकर्मा भगवान ने ही ब्रह्मा जी की सृष्टि के निर्माण में मदद की थी और पूरे संसार का नक्शा बनाया था। शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा भगवान वास्तुदेव के पुत्र हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवों के लिए माया सभा भी विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाई थी। ऋग वेद में कहा गया है कि स्थापत्य वेद जो मशीन और आर्किटेक्टर की साइंस है, उसे भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया है। एक तरह से इन्हें भगवान विश्वकर्मा को पूरी दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर कहा जाता है।

विश्वकर्मा पूजा की विधि
विश्वकर्मा पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को विराजित कर इनकी पूजा की जाती है। हालांकि बहुत से लोग अपने कल-पुर्जे को ही भगवान विश्वकर्मा मानकर उसकी पूजा करते हैं। इस दिन कई जगहों पर यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। पूजा में बैठने से पहले स्‍नान कर लें और भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करने के बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्‍वीर रखें। फिर अपने दाहिने हाथ में फूल, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और अक्षत को चारों ओर छिड़के दें और फूल को जल में छोड़ दें। इसके बाद हाथ में रक्षासूत्र, मौली या कलावा बांधे। फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करने के बाद उनकी विधिव‍त पूजा करें। पूजा के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों को जल, रोली, अक्षत, फूल और मि‍ठाई से पूजें और फिर विधिव‍त हवन करें।

घर में ऐसे करें पूजा
इस दिन कार्यालयों और कारखानों के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करनी चाहिए। चाहे बिजली के उपकरण हो या फिर बाहर खड़ी गाड़ी, विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी की सफाई करें। अगर जरूरी हो तो ऑयलिंग और ग्रीसिंग भी करें। इस दिन इनकी देखभाल किसी मशीन की तरह न करके, इस प्रकार करें जिससे प्रतीत हो कि आप भगवान विश्वकर्मा की ही पूजा कर रहे हैं।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

विश्वकर्मा पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम
उपकरण का न करें इस्तेमाल, मान्यता है कि इस दिन लोगों का अपने कारखाने फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए।ऐसा करने के साथ ही वहां मौजूद मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत आती है।इस दिन लोगों को किसी भी तरह की मशीनों और औजारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें
इस दिन तामसिक भोजन यानी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान जरूर देना चाहिए। रोजमर्रा में इस्तेमाल करने वाली चीजों का करें सम्मान। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। इस दिन किसी भी प्रकार के औजार का इस्तेमाल न करें। भले ही ये उपकरण घर के ही क्यों न हों, लेकिन उनके इस्तेमाल से भी बचना चाहिए। साथ ही मशीनों को इधर-उधर बिखरने से भी बचाना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी को भी अपने औजार उधार न दें।

Tuesday, September 15, 2020

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पहले सोचो, योजना बनाओ, फिर खूबियों और खामियों को समझने के बाद काम शुरू करो।

विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी। जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की। इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया। 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया। (ये परीक्षा आज के समय BE या B.Tech के रूप में कराई जाती हैं।)
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन की फिलॉस्फी पहले सोचो, योजना बनाओ, फिर खूबियों और खामियों को समझने के बाद काम शुरू करो। इन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में वो उपलब्धियां हासिल कीं, जो इतिहास में अमर हो गईं। आज इनका जन्मदिन है, जिसे इंजीनियर्स-डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। सर मोक्षगुंडम ने अपने दौर में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान रचे जिसका लोहा अंग्रेजों ने भी माना। इंजीनियर्स डे पर उनके जीवन के कुछ किस्से।
जिन अंग्रेजों ने मजाक उड़ाया, उन्हीं ने मांगी माफी विश्वेश्वरैया के जीवन में सबसे दिलचस्प किस्सा अंग्रेजों से जुड़ा है। एक बार वह अंग्रेजों के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। सांवले रंग और सामान्य कद काठी वाले विश्वेश्वरैया को अनपढ़ समझकर अंग्रेजों ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ट्रेन तेज रफ्तार में चल रही थी, वे अचानक उठे और चेन खींच दी। ट्रेन वहीं रुक गई। यात्रियों ने उन्हें बुरा भला कहना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद गार्ड के सवाल करने पर उन्होंने कहा- मैंने चेन खींची है। मेरा अनुमान है कि करीब 220 गज की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है। गार्ड ने पूछा- यह आपको कैसे पता चला। उन्होंने जवाब दिया- सफर के दौरान अहसास हुआ कि ट्रेन की गति में अंतर आ गया है। पटरी की तरफ से आने वाली आवाज में बदलाव हुआ है। उनकी इस बात की पुष्टि करने के लिए गार्ड जब कुछ दूर आगे चला तो दंग रह गया। वहां पर पटरी के नट-बोल्ट बिखरे पड़े थे। अंग्रेज यह देखकर दंग रह गए और उनसे माफी मांगी।
इकलौते इंजीनियर जिसने 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़ने का साहस जुटाया 
एक बार देश के कुछ चुनिंदा इंजीनियरों को अमेरिका भेजा गया ताकि वे वहां की फैक्ट्रियों की वर्किंग को समझ सकें। फैक्ट्री के एक ऑफिसर ने कहा, अगर मशीन को समझना चाहते हैं तो 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़ना पड़ेगा। इतनी ऊंची सीढ़ी देखकर सभी इंजीनियर पीछे हट गए, लेकिन उस समूह में सबसे उम्रदराज होने के बाद भी डॉ. मोक्षगुंडम ने कहा, मैं देखूंगा। वह सीढ़ी पर चढ़े और मशीन को देखा। उनके बाद सिर्फ दो और इंजीनियर चढ़े। उनका साहस देखकर अमेरिका की फैक्ट्री में लोगों ने तारीफ की।
लम्बी उम्र का रहस्य बताया
102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह अंतिम समय तक एक्टिव रहे। एक बार इनसे इतनी लम्बी उम्र का रहस्य पूछा गया है तो उन्होंने जवाब दिया- जब बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है। फिर वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती है तो वह मुझ पर कैसे हावी हो सकता है।

हैप्पी इंजीनियर्स डे:- हर इंसान इंजिनियर हैं।
हर इंसान इंजिनियर हैं, कुछ मकान बनाते हैं।
कुछ सॉफ्टवेयर बनाते हैं, कुछ मशीन बनाते हैं।।
और कुछ सपने बनाते हैं, और हम जैसे उनकी कहानियों को स्याही में डुबोकर उन्हें अमर बनाते हैं।।
"हैप्पी इंजीनियर्स डे"

हैप्पी इंजीनियर्स डे:- चार साल, 40 विषय, 4 हजार असाइनमेंट, 4 हजार घंटे।
चार साल, 40 विषय, 4 हजार असाइनमेंट, 4 हजार घंटे,
एक आम इंसान ऐसा नहीं कर सकता है।
ऐसे करने वाले सुपर हीरो को,
इंजीनियरिंग के छात्र कहते हैं,
हैप्पी इंजीनियर्स डे।

ENGINEERS DAY WISHES:- जो CTRL + C और CTRL + V का सही इस्तेमाल।
जो Ctrl + C और Ctrl + V का सही इस्तेमाल जानता हैं वही एक अच्छा इंजिनियर बन सकता हैं।
हैप्पी इंजीनियर्स डे।

Monday, September 14, 2020

Hindi Diwas 2020. अंग्रेज़ी, मंदारिन के बाद हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

अंग्रेज़ी, मंदारिन के बाद हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है।1953 से ही हिंदी दिवस हम मनाते आ रहे हैं। इथोनोलॉज के मुताबिक दुनियाभर में 61.5 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से 14 सितंबर का दिन हर साल ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा। 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में महात्मा गांधी ने हिंदी को आम जनमानस की भाषा बताते हुए इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिए कहा था।
जानें इस दिन से जुड़ी ये खास बातें।

🇮🇳 दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है, जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।

🇮🇳 अमेरिका में लगभग 150 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है।

🇮🇳 भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और नेपाल में भी हिंदी बोली जाती है।

🇮🇳 हिंदी दुनिया के 30 से अधिक देशों में पढ़ी-पढ़ाई जाती है। लगभग 100 विश्वविद्यालयों में उसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए हैं।

🇮🇳 हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 1975 से ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ का आयोजन शुरू किया गया।

🇮🇳 1997 में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि भारत में 66 फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं, जबकि 77 प्रतिशत इसे समझ लेते हैं।
🇮🇳 2016 में डिजिटल माध्यम पर हिंदी में समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है।

🇮🇳 2016 में डिजिटल माध्यम पर हिंदी में समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है।





Wednesday, September 9, 2020

Jivitputrika Vrat: जाने जितिया का व्रत कब और क्यों कि जाती है।

ज‍ित‍िया पर्व मुख्यता उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इसके अलावा नेपाल के मिथिला और थरुहट में भी मनाया जाता है। जत‍िया पर्व संतान की सुख-समृद्ध‍ि के ल‍िए रखा जाने वाला व्रत है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका मनाया जाता है। इसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहत हैं. पुत्र ​के दीर्घ, आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए इस दिन माताएं व्रत रखती हैं। तीज की तरह यह व्रत भी बिना खाए-पिए, निर्जला रखा जाता है। जितिया व्रत इस साल गुरुवार, 10 सितंबर को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजन विधि, इतिहास और शुभ मुहूर्त।
जितिया व्रत पूजन विधि
छठ पर्व की तरह जितिया व्रत पर भी नहाय-खाय की परंपरा होती है। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है यानी व्रत खोला जाता है।
जितिया व्रत का इतिहास
महाभारत के युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज थे। सीने में बदले की भावना लिए वह पांडवों के शिविर में घुस गए। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। कहा जाता है कि सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं। अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी मार डाला। ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुन: जीवित कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल जितिया व्रत रखने की परंपरा को निभाया जाता है।
इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनों पूजा एवं पुत्रों की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद ही कुछ खाया पिया जा सकता है।
व्रत का शुभ मुहूर्त
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 5 मिनट से अगले दिन 11 सितंबर को 4 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके बाद व्रत पारण का शुभ समय 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगा।

Tuesday, September 8, 2020

मंगलवार को करे खास पूजा अर्चना मिलेगा बहुत लाभ।

मंगलवार और शनिवार बजरंगबली के दिन हैं। मान्यता है, कि मंगलवार को हनुमान जी का खास पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं। सभी देवी और देवताओं में हनुमानजी ऐसे भगवान हैं जो थोड़ी से ही पूजा में जल्दी से प्रसन्न हो जाते हैं। बजरंगबली को संकटमोचक भी कहते हैं। शास्त्रों और पुराणों में हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को हनुमान जी प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हैं। भक्तों को प्रभु श्री राम के शरण में जाने मात्र से सभी संकट दूर हो जाते हैं। हनुमान जी के भक्तों पर सभी देवी देवताओं की भी विशेष कृपा रहती है।
वहीं कई लोग हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंदिर जाकर उनकी पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ करते हैं।साथ ही घर के मंदिर में हनुमान जी मूर्ति और तस्वीर को रखते हैं, लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि भगवान के किस स्वरूप को घर में विराजित किया जाए और किसको नहीं। बजरंगबली के कुछ रूपों को घर पर नहीं रखना चाहिए इससे जीवन में अशांति बनी रहती है। आइए जानते हैं, हनुमान जी की कौन सी तस्वीरों को घर में रखना चाहिए और किसे नहीं रखना चाहिए।
कौन सी तस्वीरें घर पर लगाएं
* हनुमान जी की युवा अवस्था में पीले रंग के वस्त्र पहने हुए चित्र लगाना शुभ होता है।

* पढ़ाई वाले कमरे में हनुमान जी की लंगोट पहने वाली तस्वीर लगानी चाहिए। इससे पढ़ाई में मन एकाग्र होता है।

* जिस तस्वीर में हनुमान जी भगवान राम की सेवा कर रहें हों, उसको लगाने से घर में धन की वर्षा होती है।

* डाइनिंग रूम में राम दरबार का चित्र लगाना चाहिए, इससे परिवार में अपनापन और प्रेम बढ़ता है।

* घर के मुख्यद्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र लगाना चाहिए। इससे घर में कोई भी नकारात्मक शक्ति प्रवेश नहीं करती और घर- परिवार के सदस्यों पर कोई संकट नहीं आता है।

* हनुमान जी का बैठी मुद्रा वाली तस्वीर घर पर लगाने से सभी तरह के कलेश मिट जाते हैं।
कौन सी तस्वीरें घर पर न लगाएं
* घर पर हनुमान जी की ऐसी तस्वीर या मूर्ति को कभी भी नहीं रखना चाहिए जिसमें उन्होंने अपनी छाती को चीर रखा हो।

* जिस तस्वीर में हनुमान जी संजीवनी लिए हुए आकाश में उड़ रहें है ऐसी तस्वीर को घर में नहीं लगाना चाहिए।शास्त्रों में कहा गया कि हनुमान जी के मूर्ति की पूजा हमेशा स्थिर अवस्था में ही करनी चाहिए।

* राक्षसों का संहार करते हुए हनुमान जी की तस्वीरों को घर में नहीं लगाना चाहिए।

* ऐसी तस्वीर जिसमें हनुमान जी ने अपने कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण को बैठा रखा हो उस तस्वीर को नहीं लगाना चाहिए।

* हनुमान जी द्वारा लंका दहन की तस्वीर को घर में नहीं लगाना चाहिए। ऐसी तस्वीरों से जीवन में सुख और समृद्धि की कमी रहती है।

* वैवाहिक लोगों को अपने बेडरूम में हनुमान जी को किसी भी रूप में स्थापित नहीं करना चाहिए।

सुनील शेट्टी अपने गैराज में एक और कार को दी जगह।

सुनील शेट्टी भी अपनी महंगी कारों के शौक के लिए जाने जाते हैं। उनके गैराज में एक से बढ़कर कई बड़ी महंगी गाडियां सामिल हैं, जिनमें Hummer H3, Jeep Wrangler, Mercedes-Benz GLS 350D और E 350D के अलावा उनके पास Toyota Prado और Range Rover Vogue शामिल हैं। अभी हाल ही में उन्होंने एक और लग्जरी गाड़ी को अपने गैराज में सामिल किया है। जिसका नाम बीएमडब्लू एक्स 5 हैं। इसकी जानकी बीएमडब्लू कम्पनी के ऑफिशयल
 इंस्टाग्राम अकाउंट से दिया गया।
BMW X5 की कीमत
जर्मनी की लग्जरी कार निर्माता कंपनी ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए सुनील शेट्टी को उनकी लेटेस्ट कार के लिए बधाई दी। BMW X5 की मौजूदा एक्स शोरूम कीमत xDrive 30d Sport वेरिएंट के लिए 74.9 लाख रुपये से शुरू होती है, जो xDrive 40i M Sport वेरिएंट के लिए 84.4 लाख रुपये तक जाती है।
BMW X5 का इंजन
BMW X5 को भारत में X6 और X7 के नीचे रखा गया है। यह पेट्रोल और डीजल इंजन के ऑप्शन के साथ आती है। इसमें 3.0-लीटर इनलाइन, 6-सिलेंडर इंजन मिलता है। यह इंजन 340 hp का पावर और 450 Nm का टार्क जेनरेट करता है। ट्रांसमिशन ऑप्शन में इस कार में एक 8-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स शामिल है, जो एक स्टैंडर्ड ऑल-व्हील-ड्राइव सिस्टम के जरिए सभी व्हील्स तक पावर पहुंचाता है।
BMW X5 के शानदार फीचर्स
इसमें Apple CarPlay के साथ 12.3 इंच का HD इंफोटेनमेंट सिस्टम, 3D मैप्स, iDrive टच और वॉयस कंट्रोल, हरमन कार्डन के 16 स्पीकर, 12.3 इंच का फुल डिजिटल इंस्ट्रूमेंट पैनल, पैनोरमिक सनरूफ, 4-जोन क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम, 6-एयरबैग, एडेप्टिव फंक्शन के साथ लेजर लाइट हेडलैंप, EBD के साथ ABS जैसे फीचर्स दिए गये हैं।

Monday, September 7, 2020

सांसद/प्रदेश के गृहमंत्री के धमकी से डरी भारत सरकार कंगना रनौत को दी Y श्रेणी सुरक्षा।

भारत के इतिहास में ऐसा कई मौका आया जिसमें किसी ना किसी पार्टी के सदस्य को या किसी प्रसिद्ध व्यक्ति को किसी अंडरवर्ल्ड की धमकी या आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए सुरक्षा दी जाती हो। लेकिन अब समय और परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब यह घटनाएं आम होने जा रही हैं। आज कल देश के सांसद/प्रदेश के गृहमंत्री और एक प्रदेश की रूलिंग पार्टी की धमकी की वजह से सुरक्षा देनी पड़ रही है। भारत और भारत सरकार के लिए यह बहुत दुख का समय है। जहां उसके अपने देश के सांसद/प्रदेश के गृहमंत्री राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाचार के माध्यम से खुला धमकी दे रहे हैं।
महारास्ट्र राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने शुक्रवार को कहा कि ‘मुंबई पुलिस पर टिप्पणी करने के बाद उन्हें ( कंगना रनौत) शहर में रहने का कोई अधिकार नहीं है।’
महाराष्ट्र सरकार की पार्टी शिवसेना सांसद संजय राउत ने कंगना को कथित तौर पर 'मुंबई नहीं आने' की धमकी दी थी। और एक दूसरे ब्यान में अभिनेत्री कंगना रनौत को गाली तक दे दिया था।
अहम बात यह नहीं है कि कंगना रनौत को Y श्रेणी की सुरक्षा दी गई। जो सुरक्षा किसी आतंकवादी,अंडरवर्ल्ड की धमकी देने के बाद दी जाती हैं। वह सुरक्षा अब अपने ही देश के महाराष्ट्र राज्य के सांसद/प्रदेश के गृहमंत्री के धमकी देने के बाद भारत सारकर को देना पड़ा है। यह सुरक्षा अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर धब्बा है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...