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Thursday, December 17, 2020

देश में हुई कोरोना की रफ्तार धीमी, पिछले 24 घंटे में आए 24,010 नए मामले।

दुनिया में कोरोना वायरस की रफ्तार का ग्राफ नीचे गिरता जा रहा है। भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों में लगातार गिरावट आ रही है। पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 24,010 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 355 लोगों की मौत हुई है। देश में अबतक कोरोना मरीजों की कुल संख्या 99 लाख 56 हजार 557 हो गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना के कुल मामले बढ़कर 99 लाख 56 हजार हो गए हैं। इनमें से अब तक एक लाख 44 हजार 451 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। कुल एक्टिव केस घटकर तीन लाख 22 हजार हो गए। अब तक कुल 94 लाख 89 हजार लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मुताबिक, 16 दिसंबर तक कोरोना वायरस के लिए कुल 15 करोड़ 78 लाख कोरोना के सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 11.58 लाख सैंपल कल टेस्ट किए गए। देश में पॉजिटिविटी रेट सात फीसदी है। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से कम हैं और 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस 20,000 से ज्यादा हैं।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश समेत कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के एक्टिव केस, मृत्यु दर और रिकवरी रेट का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। राहत की बात है कि मृत्यु दर और एक्टिव केस रेट में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले 20 दिनों से लगातार कोरोना वायरस के नए मामलों से ज्यादा रिकवरी हो रही हैं। देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.45 फीसदी है जबकि रिकवरी रेट 95 फीसदी से ज्यादा है। एक्टिव केस 4 फीसदी से भी कम है।

सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का आठवां स्थान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। रिकवरी दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा भारत में हुई है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर है।

Wednesday, December 16, 2020

Donald Trump से लेकर Narendra Modi तक, इतनी सैलरी पाते हैं दुनिया के पांच बड़े नेता

किसी भी देश को चलाने की जिम्मेदारी और बहुत अधिक जवाबदेही इन नेताओं की है। ऐसे में कई बार मन में खयाल आता होगा कि नेता देश चलाते हैं लेकिन इनका घर कैसे चलता होगा यानी इनकी सैलरी क्या होगी? निश्चित तौर पर नेताओं को भी घर चलाने के लिए सैलरी की आवश्यकता होती है। इसका ताजा उदाहरण है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) का बयान। बोरिस ने कहा है कि वह अब कुछ और काम करने की योजना बना रहे हैं क्योंकि वर्तमान सैलरी से जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। बोरिस का ये बयान कितना सही है यह जानने के लिए जानते हैं विश्व के पांच बड़े नेताओं की सैलरी।

1. डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति अमेरिका (Donald Trump Salary, President of the United States of America) 
राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ते समय डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने दावा किया था कि वह वेतन नहीं लेंगे। हालांकि, अमेरिकी संविधान ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसलिए राष्ट्रपति ट्रम्प वेतन लेते तो हैं लेकिन कई संघीय विभागों को दान करते हैं। जॉन एफ कैनेडी और हर्बर्ट हूवर जैसे पूर्व राष्ट्रपति, जो धनी परिवारों से आए थे उन्होंने भी अपना वेतन दान किया था। हालांकि राष्ट्रपति ट्रम्प मैनहट्टन, न्यूयॉर्क और अन्य जगहों पर चल रहे उनके व्यवसाय में से कमाई करते हैं। उनकी कुल संपत्ति 2.5 बिलियन डॉलर है, इस लिहाज से वह पहले अरबपति अमेरिकी राष्ट्रपति हैं। यूएसए टुडे की एक सूची के अनुसार, वह सबसे अधिक वेतन पाने वाले विश्व के नेताओं में चौथे स्थान पर हैं।
वेतन: ₹ 2.94 करोड़ प्रति वर्ष

2. नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री भारत (Narendra Modi Salary, Prime Minister of India)
12 अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जून 2020 तक की अपनी वित्तीय स्थिति का स्वेच्छा से खुलासा किया है। उस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में उनकी चल संपत्ति 26.26% बढ़कर 1.39 करोड़ से 1.75 करोड़ हो गई। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएम ने अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा खर्च ही नहीं किया है, इस कारण उनकी संपत्ति में ये बढ़ोतरी हो पाई है. इस साल, पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने COVID-19 संकट के कारण अपने वेतन में 30% वेतन कटौती का फैसला लिया। प्रधानमंत्री मोदी को महीने में 2 लाख रुपए मिलते हैं जो विश्व के तमाम नेताओं की तुलना में काफी कम है।
वेतन: ₹ 24 लाख प्रति वर्ष

3. बोरिस जॉनसन, प्रधानमंत्री यूके (Boris Johnson Salary, Prime Minister of United Kingdom)
इस सप्ताह की शुरुआत में, यूके के पीएम बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने दावा किया था कि वह पद से सेवानिवृत्त होने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि वह इस वेतन पर जीवन यापन नहीं कर पा रहे। कार्यभार संभालने से पहले, बोरिस जॉनसन ने अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ में काम किया था यहां उनकी तनख्वाह 2.5 करोड़ रुपए सालाना थी। उन्होंने केवल दो भाषण देकर एक महीने में 1,17,98,128 रुपए कमाए, जो कि एक साल में यूनाइटेड किंगडम के पीएम की सैलरी से अधिक है।
वेतन: ₹ 1.43 करोड़

4. जस्टिन ट्रूडो, कनाडा के प्रधानमंत्री (Justin Trudeau Salary, Prime Minister of Canada)
कनाडा को सबसे अच्छा वेतन पैकेज देने वाले देश के तौर पर जाना जाता है। यह नियम यहां के प्रधानमंत्री Justin Trudeau पर भी लागू होता है। Wion के अनुसार, पीएम को मिलने वाली सैलरी में हाउस ऑफ कॉमन्स, बेसिक सेशनल क्षतिपूर्ति, वेतन और परिवार का भत्ता शामिल है। दुनिया के 20 सबसे अधिक सैलरी पाने वाले लोगों में यहां के पीएम शामिल हैं।
वेतन: ₹ 1.96 करोड़ प्रति वर्ष

5. जैसिंडा अर्डर्न, प्रधानमंत्री न्यूजीलैंड (Jacinda Ardern Salary, Prime Minister of New Zealand)
प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern) की पद संभालने के बाद से काफी प्रशंसा हुई है। न केवल वह देश के आंतरिक मामलों में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं बल्कि उनकी सरकार ने COVID-19 संकट का भी दृढ़ता से मुकाबला किया है। अपनी कार्यशैली के ही कारण जैसिंडा अर्डर्न ने फिर से चुनाव जीता। 80 वर्षों में न्यूजीलैंड के चुनावी इतिहास में जैसिंडा का चुनाव कई मायनों में बेहद अहम रहा। न्यूजीलैंड के पीएम के रूप में अर्डर्न सबसे अधिक सैलरी पाने वाले विश्व के नेताओं की सूची में 7वें स्थान पर हैं।
वेतन: ₹ 2.06 करोड़ प्रति वर्ष



राम मंदिर निर्माण की जमीन टेस्टिंग के दौरान नींव धसी, जमीन के नीचे मिले बालू से मुश्किलें बढ़ी।

अयोध्या में राम मंदिर के नींव का कार्य चल रहा है। जिसके लिए लोड टेस्टिंग की जा रही है। इस टेस्ट में इंजीनियरों के सामने तकनीकी चुनौतियां आ रही है। टेस्टिंग के दौरान जब 200 फीट नीचे मिट्टी की जांच की गई तो वहां पीली मिट्टी नहीं, बल्कि बलुआ मिट्टी मिली है। और यह रेत राममंदिर के भार को नहीं उठा पायेगी।

 
रामजन्म भूमि पर पिछले एक महीने से ज्यादा से पाइलिंग की खुदाई कर मिट्टी की जांच का काम चल रहा है लेकिन जब मंदिर निर्माण में लगी कंपनी लॉर्सन एंड टूब्रो को मनमाफिक मिट्टी की परत नहीं मिली तो रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सामने दिक्कतें आईं।
IIT दिल्ली के पूर्व निर्देशक वीएस राजू की अध्यक्षता में गठित 8 टॉप इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन एक्सपर्ट मंदिर की नींव से जुड़े कामों पर नजर बनाए हुए हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि इंजीनियर की कमेटी की रिपोर्ट पर ही नए सिरे से नींव की शुरुआत होगी। एक्सपर्ट की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। यह रिपोर्ट मंदिर निर्माण समिति और ट्रस्ट के बीच रहेगी।

मंदिर के प्रमुख आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा ने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद अगर एलएंडटी  ने नींव की डिजाइन में कोई बदलाव नहीं किया तो 20 दिन के अंदर पिलर का निर्माण शुरू हो जाएगा। अगर बदलाव हुआ नींव की डिजाइन में परिवर्तन किया गया तो उसी के हिसाब से हमें मंदिर के डिजाइन में भी बदलाव करना पड़ेगा। ऐसे में रिपोर्ट मिलने के बाद पिलर्स के निर्माण में एक महीने का वक्त लग सकता है।
एक हफ्ते पहले अयोध्या में हुई मंदिर निर्माण समिति की बैठक में निखिल सोमपुरा की कंपनी के मेंबर्स के तौर पर उनके छोटे भाई आशीष सोमपुरा भी शामिल हुए थे। तब भी मंदिर स्थल के 200 फीट नीचे मिली बालू की लेयर को लेकर मुद्दा उठा था। सोमपुरा ने बताया कि उनकी कंपनी 100 के करीब मंदिरों का निर्माण कर चुकी है। सभी मंदिरों की नींव के पिलर पत्थरों के ही बने हैं। लेकिन राम मंदिर की नींव की सतह पीली मिट्टी की न होकर रेत की मिली है। ऐसे में पाइलिंग टेस्ट और लोड टेस्ट के बाद काफी रिसर्च करनी पड़ रही है।

Saturday, December 12, 2020

ईरान के न्यूक्लियर साइंटिस्ट की सैटेलाइट से ट्रिगर दबा कर गोलियों से भून दिए गए फखरीजादेह।

ईरान (Iran) के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह (Mohsen Fakhrizadeh) की राजधानी तेहरान (Tehran) के पास हत्या (Murder) कर दी गई। देश के रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि वारदात में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ, जिसे देख सभी हैरान हैं। जिस बंदूक से फखरीजादेह की हत्या की गई उस गन का ट्रिगर दबाने के लिए कोई इंसान मौजूद नहीं था। बंदूक का संपर्क सीधे सैटेलाइट से था, जिसका इशारा मिलते ही ऑटोमेटिक गन का ट्रिगर दब गया और फखरीजादेह की मौत हो गई।


पहले फखरीजादेह की मौत के कारणों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन अब अधिकारिक तौर पुष्टि के बाद ये साफ हो गया है कि फखरीजादेह की हत्या सैटेलाइट से ऑपरेट होने वाले हथियार से किया गया है। जिसे एक ट्रक पर लगाया गया था।
कार में उनकी पत्नी भी मौजूद थीं जो उनसे कुछ इंच की दूरी पर बैठी हुई थीं लेकिन इस हमले में उनको कोई नुकसान नहीं पहुंचा। सभी के मन में सवाल है कि कैसे एक ऑटोमेटिक बंदूक का निशाना इतना अचूक हो सकता है कि वो चलती कार में जा रहे एक शख्स की जान ले सके।

जानकारी के अनुसार, हमले के दौरान फखरीजादेह पर 13 राउंड फायरिंग की गई और सब के सब निशाने अचूक थे। एक सोची समझी प्लानिंग के तहत 'गन स्मेश होपर' जैसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल किया गया था ताकि बचने की कोई गुंजाइश न बचे।
स्मेश होपर बंदूक न सिर्फ ऑटोमैटिक है बल्कि रिमोट कंट्रोल से भी चल सकती है। साथ ही ये टारगेट को खुद ही स्कैन कर लॉक कर लेती है। बुलेटप्रूफ गाड़ी में भी इससे बच पाना नामुमकिन है। यह सिस्टम SMASH 2000 कम्प्यूटराइज गनसाइट और दूर से नियंत्रित किए जाने वाले माउंट से मिलकर बना है। जिसे किसी ट्रायपॉड, जमीन या किसी गाड़ी के ऊपर लगाया जा सकता है।

कुछ दिन पहले ही इजराइल की एक कंपनी ने इस मैन पोर्टेबल ऑटोमेटिक बंदूक को लॉन्च किया था और ये भी एक कारण है कि इजरायल के ऊपर इस हत्या के आरोप लग रहे हैं। यह दावा किया गया है कि इजरायल की जासूसी एजेंसी मोसाद ने इस घटना को अंजाम दिया था। इसके बाद इजरायल से बदले की खुली चेतावनी भी दी गई। इजराइल को इस हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। वक्त और तारीख वो खुद तय करेगा। हालांकि कुछ ईरानी अधिकारियों ने इसमें अमेरिका और सऊदी अरब के मिले होने का दावा भी किया है।

Monday, December 7, 2020

अंग्रेजों को लूट मिटाता था गरीबों की भूख, ये भील योद्धा था इंडियन रॉबिनहुड।

उनकी वीरता और अदम्य साहस की बदौलत तात्या टोपे ने प्रभावित होकर टंट्या को गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बनाया। अंग्रेजों के शोषण तथा विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ उठ खड़े हुए, देखते ही देखते वे गरीब आदिवासियों के मसीहा बनकर उभरे। वे अंग्रेजों को लूटकर गरीबों की भूख मिटाते थे।

हम बात कर रहे है इंडियन रॉबिनहुड के नाम से पहचाने जाने वाले टंट्या भील की। आज देश की आजादी के जननायक और आदिवासियों के हीरो टंट्या मामा भील की पुण्यतिथि है। इस मौके पर 4 दिसंबर को स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है। उन्होंने गरीबी-अमीरी का भेद हटाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए, जिससे वे छोटे-बड़े सभी के मामा के रूप में भी जाने जाने लगे। मामा संबोधन इतना लोकप्रिय हो गया कि प्रत्येक भील आज भी अपने आपको मामा कहलाने में गौरव का अनुभव करता है।

विद्रोही तेवर से मिली थी पहचान।
उनके विद्रोही तेवर से कम समय में ही बड़ी पहचान हासिल किया। आजादी के पहले हमारे देश में अंग्रेजों का साम्राज्य था और गरीब आदिवासियों भारत में अंग्रेजी शासन के खिलाफ आदिवासी लोगों के विद्रोह पर अभी तक बहुत कम लिखा गया है। इस महत्वपूर्ण कमी के कारण भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में एक शून्यता जैसी दिखती है। 
संस्कृति को बाहरी प्रभाव से बचाने की थी चिन्ता।
इस शून्यता को भरने के लिये हमें भारत भर में व्यापक रूप से फैले उन जनजातीय समुदायों के इतिहास को नजदीक से देखना होगा जिन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। आदिवासियों के विद्रोहों की शुरूआत प्लासी युद्ध (1757) के ठीक बाद ही शुरू हो गई थी और यह संघर्ष बीसवीं सदी की शुरूआत तक चलता रहा। अपने सीमित साधनों से वे लम्बे समय तक संघर्ष कर पाए। क्योंकि, वनांचल में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का उन्होंने उपयोग किया। सामाजिक रूप से उनमें आपस में एकता थी और अपनी संस्कृति को बाहरी प्रभाव से बचाने की उन्हें चिन्ता भी थी। इन बातों ने उनमें एकजुटता पैदा की और वे शोषण तथा विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ उठ खड़े हुए।

खंडवा में लिया था जन्म।
टंट्या भील का जन्म तत्कालीन सीपी प्रांत के पूर्व निमाड़ (खंडवा) जिले की पंधाना तहसील के बडदा गांव में सन 1842 में हुआ था। टंट्या का शब्दार्थ समझें तो इसका अर्थ है झगड़ा। टंट्या के पिता माऊ सिंग ने बचपन में नवगजा पीर के दहलीज पर अपनी पत्नी की कसम लेकर कहा था कि उनका बेटा अपनी भील जाति की बहन, बेटियों, बहुओं के अपमान का बदला अवश्य लेगा। नवगजा पीर मुसलमानों के साथ-साथ भीलों के भी इष्ट देवता थे। आम मान्यता है कि उनकी शहादत 4 दिसम्बर 1889 को हुई। फांसी के बाद टंट्या के शव को इंदौर के निकट खण्डवा रेल मार्ग पर स्थित पातालपानी (कालापानी) रेल्वे स्टेशन के पास ले जाकर फेंक दिया गया था। वहां पर बनी हुई एक समाधि स्थल पर लकड़ी के पुतलों को टंट्या मामा की समाधि माना जाता है। आज भी सभी रेल चालक पातालपानी पर टंटया मामा को सलामी देने कुछ क्षण के लिये रेल को रोकते हैं।

फिल्म बनाई तो ब्रिटिश लाइब्रेरी की ली मदद।
मध्य प्रदेश के हीरो टंट्या मामा के जीवन पर आधारित फिल्म टंट्या भील भी बनाई जा चुकी है। फिल्म का लेखन, निर्देशन प्रदेश के मुकेश चौकसे ने किया। साथ ही फिल्म में टंट्या भील का किरदार भी मुकेश चौकसे ने निभाया है। अपने ही देश में बहादुर टंट्या मामा की जानकारी नहीं मिली तो फिल्म के लेखक ने लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी से टंट्या भील के बारे में जानकारी मंगाई। इसके बाद फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू किया। फिल्म में टंट्या मामा का अंग्रेजों से लोहा लेना, लूटपाट करना और उस धन को गरीबों में बांट देना, इसके अलावा उनके जेल में गुजारे दिनों को दिखाया गया है। 

लक्ष्मीबाई से ली प्रेरणा।
इस पूरी घटना के बाद टंट्या भील, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेकर अन्याय का विरोध करते और गरीबों की मदद करते हैं। इसके लिए लूटपाट भी करते हैं लेकिन पूरा धन गरीबों में बांट देते हैं। टंट्या मामा के कारनामों के चलते अंग्रेज ही उन्हें रॉबिन हुड का नाम देते हैं। इस फिल्म में टंट्या भील के गुरुजी का किरदार सुप्रसिद्ध अभिनेता कादर खान ने निभाया।

Sunday, December 6, 2020

जाने कैसे देवी-देवताओं की पूजा से दूर होंगी सारी परेशानियां।

मनुष्य के जीवन में दुख - सुख दोनों लगा रहता है। और इन दोनों हम परिस्थियों में हम भगवान को याद करते हैं। ऐसा करना से हमें मन की शांति मिलती है। लेकिन जब जीवन दुख की घड़ी आती है तो इंसान टूट जाता है। जिसके बाद वह सीधे ईश्वर की शरण में जाता है। जहां उसका दुख, पीड़ा और मानसिक तनाव खत्म हो जाती है। साथ ही कुछ देवताओं की पूजा करने से ना सिर्फ रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि ग्रह नक्षत्र भी ठीक रहता है। आइए, जानते हैं कुछ देवताओं के बारे में, जिनकी उपासना करने से आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

भगवान शिव की करें आराधना 
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की उपासना करने से भूत-प्रेत जैसी बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। साथ ही लोगों का मानना है कि शिव की उपासना करने से आपके जीवन में खुशहाली भी बनी रहती है। कहते हैं कि हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर सफेद फूल, जल, दूध, इत्यादि चढ़ाना चाहिए। साथ ही भगवान का स्मरण कर 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रात को सोते समय भी इस मंत्र का जाप करने से सारी बुरी आत्माएं आपको परेशान नहीं करती हैं।

मां दुर्गा की करें आराधना।
कहते हैं कि मां दुर्गा शक्ति का रूप होती हैं। उनकी पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से मन को शांति मिलती है। हर दिन दुर्गा पाठ करने से नए कार्यों को करने की शक्ति भी मिलती है। मां दुर्गा की पूजा करने के साथ-साथ समय-समय पर कन्या भोजन कराना भी शुभ माना जाता है।

भगवान गणेश की करें पूजा।
अगर आप किसी काम को शुरू करना चाहते हैं या शुरू करने जा रहे हैं तो भगवान गणेश की पूजा ज़रूर करें। कहते हैं कि भगवान गणेश की पूजा करने से बंद पड़ा काम फिर शुरू हो जाता है। साथ ही अगर नए काम को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाए तो वो काम बिना किसी बाधा के संपन्न हो जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने के साथ-साथ उनकी स्तुति भी करनी चाहिए।

आखिर क्यों लेना पड़ा था "शिव ने क्यों लिया हनुमान अवतार"

वास्‍तव में शिव का अवतार हनुमान ही थे और यह भी सत्‍य है कि भगवान राम ही शिव के हनुमान अवतार का कारण बने थे। रामायण में बताया गया है कि एक बार भगवान शिव की भी इच्छा हुई कि पृथ्वीलोक चलकर भगवान राम के दर्शन किये जायें। उस समय भगवान राम जी की आयु लगभग 5 वर्ष के आसपास रही होगी।

भगवान शिव के सामने समस्‍या यह थी कि वह अपने असली रूप में जा नहीं सकते थे। ऐसे में एक दिन शिव ने माता पार्वती से कहा- जानती हो पार्वती मेरे राम ने पृथ्‍वी पर जन्म लिया है और उनके दर्शन की सेवा का मन हुआ है। मेरी इच्छा है कि अब में यहां से चला जाऊ और जिस लोक में राम हैं वहीं मैं भी रहूं। यह सुनकर पार्वती विचलित हो गईं और दुखी होकर बोलीं कि हे स्वामी मुझसे ऐसी कौन-सी गलती हो गईं है कि आप मुझे यहां छोड़कर पृथ्‍वी लोक पर रहने जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा स्वामी आप यदि जाते हैं तो जाइएं लेकिन एक बात सुन लीजिये कि आपके बिना मैं यहां जीवित नहीं रहूंगी।

पार्वती मां के बात सुनकर शिव को अहसास हुआ कि पार्वती भी मेरे बिना नहीं रह सकती हैं। और अगर मैं यहां से गया तो निश्चित ही रूप से पार्वती अपने प्राणों की बलि दे देगी। ऐसे में शिव भगवान मोह के एक चक्रव्यूह में फंस गएं। क्योंकि एक तरफ माता पार्वती जी के पास भी रहना था और दूसरी तरफ भगवान राम के लोक में भी जाना था। ऐसे में भगवान शिव ने अपने ग्यारह रुद्रों का पूरा राज माता पार्वती को बताया और बोले- देखो पार्वती इन ग्यारह रुद्रों में से एक रूप वानर का अवतार आज में लेने वाला हूं। एक रुद्राक्ष में से आज एक रूप वानर होगा जो बाद में हनुमान के रूप में जाना जाएंगा। शास्त्र बताते हैं कि भगवान शिव सब जानते थे। शिव जी राम जी के पूरे जीवनकाल को देख पा रहे थे, वह जानते थे कि एक बार राम जी को पृथ्वी का कल्याण करने के लिए मेरी आवश्यकता होगी।

शिव को यह भी पता था कि कलयुग में ना मैं नजर आऊंगा और ना ही राम, तब कोई अवतार भी धरती पर नहीं होगा। इसलिए शिव ने अपने एक शक्तिशाली रूप को जन्म दिया जो कलयुग में भी अजर-अमर रहेगा और पृथ्वी लोक के लोगों के दुःख-दर्द को दूर किया करेगा। इसलिए आज भी भक्त लोग हनुमान जी के दर्शन साक्षात् कर लेते हैं। इस बात के कई सबूत मिल चुके हैं कि हनुमान जी आज भी धरती पर मौजूद हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...