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Monday, January 25, 2021

नेताजी के कार्यक्रम में एक ही मंच पर उपस्थित हुई मोदी ओर ममता बनर्जी लगे ‘जय श्री राम’ के नारे तो मंच पर नाराज हुईं ममता बनर्जी।

पश्चिम बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर कोलकाता के विक्टोरिया हॉल में आयोजित हुए कार्यक्रम में भाजपा और TMC के बीच गहमागहमी देखने को मिली। यह कड़वाहट उस समय और बढ़ गई, जब पराक्रम दिवस समारोह के बीच बीजेपी समर्थकोंं ने ममता बनर्जी पर जोर-शोर से हूटिंग कर दी।


दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब मंच पर भाषण देने पहुंचीं तब कुछ ऐसा हुआ जो बीजेपी और टीएमसी की कड़वी खटास का गवाह बन गया। और ममता बनर्जी को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उन्होंने बड़े तीखे तेवर में कहा कि किसी का अपमान करना ठीक नहीं है। बता दें पीएम मोदी के साथ कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को स्टेज पर बुलाए जाने के दौरान भाजपा समर्थकों नें ममता को नाराज कर दिया।

आपको बता दें कि जैसे ही ममता बनर्जी भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचीं, तो जोर-शोर से जय श्री राम के नारे लगने लगे। तो वहीं इस बात से नाराज ममता बनर्जी ने मंच पर बोलने से ही मना कर दिया। जहां एक तरफ जय श्री राम तो दूसरी तरफ भारत माता की जय के नारे लग रहे थे। इन नारों से ममता बनर्जी की नाराजगी उनके चेहरे पर साफ जाहिर हो रही थी। उन्होंने गुस्से में कहा कि अगर आपने किसी को बुलाया है, इन्वाइट किया है तो इस तरीके से किसी का अपमान नहीं किया जा सकता है।

ममता यहीं नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा ,’मुझे लगता है कि ये सरकार का प्रोग्राम है। ऐसे समारोह की अपनी मान मर्यादा और प्रतिष्ठा होती है। इसे किसी पार्टी या व्यक्तिगत का प्रोग्राम नहीं बनना चाहिए। अब गौर करने वाली बात यह है कि इन हूटिंग मेें ऐसा क्या गलत हो गया जो ममता बनर्जी इतनी नाराज हो गई, लेकिन एक बात तो तय है आने वाले समय में म चुनावी मैदान में सियासी हलचल पहले से भी ज्यादा बढ़ने वाली है।

Bombay High Court का सर्मिंदा कर देने वाला फैसला बिना कपड़े उतारे Minor के ऊपरी हिस्सों को छूना Sexual Assault नहीं।

नई दुनिया: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने नाबालिग (Minor) के यौन शोषण (Sexual Assault) मामले में विचित्र फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना उसके वक्षस्थल को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कृत्य पोक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने दिया फैसला
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने 19 जनवरी को यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन हमले (Sexual Assault) का कृत्य माने जाने के लिए ‘यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना’ जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है।

सेशन कोर्ट ने आरोपी को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी
जस्टिस गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने फैसला देते हुए एक सत्र अदालत के फैसले में संशोधन किया। उस फैसले में सत्र अदालत ने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न (Sexual Assault) करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष और नाबालिग पीड़िता की अदालत में गवाही के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपी सतीश नागपुर में लड़की को खाने का कोई सामान देने के बहाने अपने घर ले गया।
आरोपी ने लड़की को घर ले जाकर की थी छेड़खानी।

जस्टिस गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने अपने फैसले में यह दर्ज किया कि अपने घर ले जाने पर सतीश ने उसके वक्ष को पकड़ा और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की। हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके सीने को छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला (Sexual Assault)नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने यह IPC की धारा 354 के तहत महिला के शील को भंग करने का अपराध है। धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं पॉक्सो कानून के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन वर्ष कारावास है।

नेताजी की 125वीं जयंती पर लॉन्च होगा 125 रुपये का सिक्का।

125th Anniversary of Netaji: 23 जनवरी को आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्मदिवस होता है. इस साल नेताजी की 125वीं जयंति की वर्षगांठ है. भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिवस को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाने का फैसला किया है. इस मौके पर भारत सरकार 125 रुपये मूल्य का सिक्का (Rupee 125 coin) जारी करेगी. 

कैसे होंगे सिक्के के दोनों पहलू 
नेताजी की 125वीं जयंती पर जारी होने वाले 125 रुपये के सिक्के के मुख भाग के बीच में अशोक स्तंभ होगा। अशोक स्तंभ के नीचे "सत्यमेव जयते" बाई परिधि पर देवनागरी में "भारत" और दाई परिधी पर अंग्रेजी में "INDIA" अंकित होगा। अशोक स्तम्भ के ठीक नीचे रुपये के प्रतीक चिह्न के साथ अंकों में सिक्के का मूल्य 125 लिखा होगा।

चार धातुओं से मिलकर बना है ये सिक्का (Rupee 125 coin)
नेताजी की जयंति पर जारी होने वाला 125 रुपये का सिक्का 4 धातुओं को मिलाकर बनाया गया है। इसमें आधी यानी 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा, 5-5 फीसदी निकिल और जस्ता मिलाया गया है। इस सिक्के का वजन 35 ग्राम है। यह सिक्का आकृति में गोल होगा और इसका व्यास 44 मिलीमीटर का होगा। सिक्के के किनारों पर 200 धारियां होंगी।

पहले भी जारी हो चुके हैं सिक्के।
इससे पहले सरकार 'सांख्यिकी दिवस' पर प्रशांत चंद्र महालनोबिस के जन्मदिवस पर 125 रुपये का सिक्का जारी कर चुकी है। पिछले साल सितंबर में 18वीं सदी के विश्व विख्यात योग साधक श्यामाचरण लाहिड़ी की 125वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भारत सरकार 125 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया था।

पाकिस्तान हुआ कंगाल! कर्ज लेने के लिए इमरान सरकार इस्लामाबाद के सबसे बड़े पार्क को रखेगी गिरवी।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस जर्जर स्थिति में है। देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस्लामाबाद के सबसे बड़े पार्क को गिरवी रखने पर विचार कर रहे हैं ताकि उन्हें लगभग 500 बिलियन रुपये का कर्ज मिल सके। पाकिस्तानी मीडिया डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एफ -9 पार्क को लगभग 500 बिलियन रुपये का ऋण प्राप्त करने के लिए गिरवी रखने का प्रस्ताव मंगलवार को होने वाली बैठक में होगी। संघीय कैबिनेट की अगली बैठक के एजेंडे में इसे शामिल किया जाएगा।

यह बैठक प्रधानमंत्री आवास और मंत्रिमंडल प्रभाग के समिति कक्ष के बीच में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से होगी। एफ -9 पार्क का नाम मदार-ए-मिलत फातिमा जिन्ना भी है। यह 759 एकड़ भूमि पर फैला है। यह पाकिस्तान में सबसे बड़े हरे क्षेत्रों में से एक है। रिपोर्टों का हवाला देते हुए, डॉन ने कहा कि यह निर्णय सरकार द्वारा वित्तीय मुद्दों का सामना करने के कारण लिया गया है। यह विदेशी प्रेषण और विदेशी मुद्रा के दो सबसे बड़े स्रोतों - सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ पाकिस्तान के घटते संबंधों के बीच हो रहा है। 

बता दें कि पिछले अगस्त में, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर का सॉफ्ट लोन चुकाने के लिए कहा था। इस्लामाबाद ने अपने वर्तमान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा के माध्यम से इस तनाव को दूर करने की कोशिश की थी। हालांकि सऊदी अरब पाकिस्तान से अपना पैसा वापस लेने की मांग पर अड़ा हुआ है। यूएई, जो पाकिस्तान के विदेशी प्रेषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, ने हाल ही में पाकिस्तानी श्रमिकों के लिए कार्य वीजा जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात का दौरा भी किया था। हालांकि उन्हें निराश हो लेकर लौटना पड़ा। यूएई ने वीजा पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया है।

Saturday, January 23, 2021

Netaji Subhash Chandra Bose 125th Jayanti : हर भारतीय के हृदय में बसने वाले एक कालजयी नेता सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर गृहमंत्री अमित शाह का लेख।

Netaji Subhash Chandra Bose 125th Jayanti : आज सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती के अवसर पर मैं उस वीर को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने देशहित में अपने जीवन का सर्वस्व अर्पित करके, रक्त के कतरे-कतरे से इस देश को सिंचित किया हैै। मैं प्रणाम करता हूं, बंगजननी के उस गौरवशाली संतान को, जिसने समस्त भारत को अपना नेतृत्व दिया है, देश को स्वाधीन कराने के लिए उन्होंने पूरी दुनिया का भ्रमण कियाा। जिनका जीवन कोलकाता में शुरू हुआ व कालांतर में वह भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंचे व उसके बाद बर्लिन से शुरू करके सिंगापुर तक भारत माता के संतानों को लेकर उन्होंने देशहित में वृहद अभियान चलाया। उनका जीवन दर्शन भारत के युवा समाज के लिए आदर्श है, उनके जीवन युवा समाज के तन-मन को राष्ट्रवादी भावना से भर देता है।

उस समय भारत मे सर्वाधिक जरूरत थी एक सटीक योजना लेकर देश को आगे ले जाने की, इस विचार के आधुनिक भारत के सर्वप्रथम प्रस्तावक थे सुभाषचंद्र। 1938 के फरवरी महीने में हरिपुर कांग्रेस में उन्होंने राष्ट्रीय योजना का मुद्दा उठाया था। दिसंबर 1936 में, पहली राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया गया था। उसी वर्ष सुभाष ने वैज्ञानिक मेघनाद साहा को एक साक्षात्कार में कहा, मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यदि हमारी राष्ट्रीय सरकार बनती है, तो हमारा पहला काम राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन करना होगा। स्वातंत्र्योत्तर योजना आयोग उनकी विरासत है।

यह विचार सुभाषचंद्र के दिमाग में अपने छात्र जीवन में आया। 1921 में उन्होंने देशबंधु चित्तरंजन दास को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सरकारी नौकरी नहीं चाहते हैं, अपितु राजनीति में शामिल होकर अपना योगदान करना चाहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने संक्षिप्त, लेकिन स्पष्ट रूप से लिखा कि वह कांग्रेस के कार्यों में योजनाबद्ध कदम देखना चाहते हैं। आज के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण के कार्य में सुभाषचंद्र के ये विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

आजकल बहिरागत बोलने की बात शुरू हुई है। बहिरागत का मतलब अब तक लोग किसी दूर देश के व्यक्ति अथवा किसी घुसपैठिया को समझते थे। लेकिन देश के भिन्न अंश के लोगों को बहिरागत अथवा बाहरी बोलने की संकीर्ण क्षेत्रवाद सुभाषचंद्र के राज्य में शुरू करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस राज्य ने भारत के लोगों में राष्ट्रवाद के विचार को पुनर्जीवित किया है, उसे 'वंदे मातरम' और जन-गण-मन राष्ट्र गान दिया, उस राज्य में ऐसी सोच बहुत दुखद व खतरनाक है। इस राज्य के लोगों के मुकुट में गहना, सुभाषचंद्र को तत्कालीन राष्ट्र की सबसे बड़ी संगठन इंडियन नेशनल कांग्रेस द्वारा अपना अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन सुभाषचंद्र उनसे एक कदम आगे थे और अंतरराष्ट्रीय राजनीति से परिचित थे।

कोलकातासुभाष चंद्र के मन-मस्तिष्क में बसे थे विवेकानंद, सिंगापुर में रामकृष्ण मिशन से मंगवायी थी 108 रुद्राक्षों की जपमाला

अपने छात्र जीवन में मैंने कई सुभाष भक्त देखे. एक हावड़ा के अध्यापक असित बंद्योपाध्याय थे। एक अन्य हावड़ा के ही शंकरी प्रसाद बसु। शंकरी प्रसाद कहते थे कि स्वामी विवेकानंद को सुभाषचंद्र ने अपने मन-मस्तिष्क में धारण किया था। उसकी ही परिणति नेताजी के रूप में हुई।


बंगाल क्लब में एक बार सेमिनार में गया था। वहां शरत बसु की पुत्रवधु कृष्णा बसु भी थीं। उन्होंने कहा कि जैसे छोटे भाई थे, वैसे बड़े भाई, वैसी भाभी। देश के लड़कों ने उनके संबंध में आज तक नहीं जाना। मैंने कहा कि उनके साथ भतीजे शिशिर बसु को भी शामिल किया जा सकता है, जिन्होंने अपने सारे डर को किनारे रख कर देर रात को एल्गिन रोड से गाड़ी चलाकर चाचा को गोमो रेलवे स्टेशन पहुंचाया था। इसे 'महानिष्क्रमण' कहा जाता है। यह दुखद है कि इस साहसिक महानिष्क्रमण की बात नहीं सुनायी देती। कृष्णा दी नेताजी के कहानी संग्रह की बात बताती हैं। उन्होंने वह विख्यात गाड़ी भी दिखायी, जिसपर 1941 में 17 जनवरी की रात डेढ़ बजे सुभाष चंद्र एल्गिन रोड से सवार होकर पुलिस की आंखों में धूल झोंककर कोलकाता से रवाना हुए थे।

उन्होंने ही बताया था कि देर रात एल्गिन रोड का घर छोड़ने से पहले नेताजी ने भतीजी इला को कहा था कि घर की लाइट को मत बुझाना। कम से कम और एक घंटा लाइट जलाये रखना। इससे निगरानी कर रही पुलिस को लगेगा कि सुभाष बोस अभी भी काम कर रहे हैं। आज भी सोचता हूं कि हमने उन भारतीय पुलिसकर्मियों की तलाश क्यों नहीं की, जो उस रात नेताजी की निगरानी कर रहे थे। क्या वह सजग नहीं थे? या फिर देखकर भी नहीं देखे थे। उन पुलिसकर्मियों के परिजन आज कहां हैं?

नेताजी कुछ भी गुप्त नहीं रखते थे
अमेरिका में रहने वाले स्वामी चेतनानंद कहते थे कि नेताजी इतने सरल थे कि कुछ भी गुप्त नहीं रखते थे। इस वजह से कई साधु उनके सामने जुबान नहीं खोलते थे. कोलकाता में जापानी ऑफिस में कार्यरत एक ऑफिसर ने चेतनानंद को बताया था कि वह आजाद हिंद फौज में नेताजी के बॉडीगार्ड थे। एक दिन नेताजी ने सिंगापुर स्थित रामकृष्ण मिशन के आश्रम से एक जपमाला खरीद कर लाने को कहा।

भारी बारिश में भी लोग सुनते रहे नेताजी का भाषण
म्यूनिसिपल ऑफिस के सामने के मैदान में नेताजी ने करीब डेढ़ घंटे तक भाषण दिया। भाषण के बीच में भारी बारिश शुरू हो गयी। लेकिन, लोग टस से मस नहीं हुए थे। कृष्णा दी ने कहा कि उनके ससुर सुभाष चंद्र के बड़े भाई शरतचंद्र बसु ने पहले जो करीब का घर किराये पर लिया था, आज वह नहीं है।

वुडबर्न पार्क में रहते थे सुभाष चंद्र बोस
इसके बाद इसी मोहल्ले में दूसरा बसु भवन 1 नंबर वुडबर्न पार्क हुआ। वहां भी सुभाष चंद्र रहते थे। उस घर की बात बताते हुए कृष्णा दी ने मुझे बताया कि इस घर को कितनों ने आलोकित किया है, जिनमें महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सरोजिनी नायडू, अबुल कलाम आजाद शामिल हैं। इसी घर में महात्मा गांधी से मिलने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर दो बार आये थे। तब लिफ्ट नहीं थी। उन्हें चेयर पर बैठाकर दूसरी मंजिल पर ले जाने वालों में शरतचंद्र, जवाहरलाल व महादेव देसाई के अलावा सुभाष चंद्र बोस भी थे। रवींद्रनाथ को चप्पल पहनाने वाले महात्मा गांधी थे। एल्गिन रोड से आज भी जब जाता हूं, तो मन कहता है कि 'हे पथिक रुक जाओ, बंगाल में जब भी जन्म हो, तो कुछ क्षण के लिए स्मृतियों से भरे इस मंदिर में जरूर ठहरो।

Friday, January 22, 2021

ब्राजील के लिए संजीवनी बूटी भेजे PM मोदी ब्राजील के राष्‍ट्रपति ने हनुमान जी की तस्‍वीर शेयर करते हुए कहा-Thank You.

रियो डि जेनेरियो/नई दुनिया: भारत देश में बनी कोरोना वैक्सीन ब्राजील पहुंच गई है। जिससे अमेरिका के बाद कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित इस देश में जिंदगियां बचने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कोरोना वैक्सीन के भारत से ब्राजील के लिए रवाना होने के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट करते हुए हनुमान जी की तस्‍वीर शेयर की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए शुक्रिया कहा।

ब्राजील के राष्ट्रपति का ट्वीट
ब्राजील के राष्ट्रपति जैर एम बोलसोनारो ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'नमस्कार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। ब्राजील इस महामारी के दौर में आपकी आप जैसे महान साथी को पाकर सम्मानित महसूस कर रहा है। कोरोना वैक्सीन को भारत से ब्राजील पहुंचाने के लिए धन्यवाद।' उन्होंने हिंदी में अलग से धन्यवाद भी लिखा।
ब्राजील और मोरक्को पहुंची भारत की कोरोना वैक्सीन 
शुक्रवार की सुबह भारत से कोविशील्ड की 20- 20 लाख खुराक लेकर मुंबई हवाई अड्डे से ब्राजील और मोरक्को के लिए रवाना हुए। सीएसएमआईए की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार कोविशील्ड टीके की 20 लाख खुराक ले कर एक विमान छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (सीएसएमआईए) से ब्राजील के लिए और 20 लाख खुराक लेकर दूसरा विमान मोरक्को के लिए रवाना हुआ।' इसमें बताया गया कि 22 जनवरी तक सीएसएमआईए ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू स्थानों तक कोविशील्ड की 1.417 करोड़ खुराक पहुंचाई है। भारत बुधवार से ही भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यामांर और सेशेल्स को कोविड-19 का टीका भेज रहा है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...