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Friday, January 29, 2021

Team India के अहम सदस्य Shardul Thakur: कभी Mumbai Local ट्रेन में करते थे सफर।

नई दुनिया : शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) अब भारतीय क्रिकेट टीम का जाना पहचाना चेहरा बन चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने जो ऑलराउंड प्रदर्शन किया है वो सदियों तक क्रिकेट फैंस के जेहन में ताजा रहेगा, लेकिन ये कामयाबी इतनी आसानी से नहीं मिली है। शार्दुल को इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है।

टी-20 इंटरनेशल डेब्यू।
शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने अपने टी-20 इंटरनेशनल करियर की शुरुआत 21 फरवरी 2018 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ की थी। सेंचुरियन (Centurion) के सुपरस्पोर्ट पार्क में खेले गए इस मैच में शार्दुल ने 4 ओवर में 31 रन देकर 1 विकेट लिए थे।भारत को इस मैच 6 विकेट से हार मिली थी।

भारत लौटने पर मुंबई लोकल का सफर।
दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से भारत लौटने के बाद शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) ने अंधेरी स्टेशन से मुंबई लोकल (Mumbai Local) ट्रेन पकड़ी, क्योंकि वो अपने घर जल्दी पहुंचना चाहते थे। जो मुसाफिर उन्हें ट्रेन में देख रहे थे, वो पहचानने की कोशिश कर रहे थे कि ये शार्दुल हैं या नहीं।

युवाओं ने शार्दुल को पहचान लिया था।
लोकल ट्रेन में मौजूद कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स ने शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) की फोटो गूगल पर सर्च की और कंफर्म करने के बाद उन्होंने सेल्फी की गुजारिश की। शार्दुल ने कहा कि पालघर (Palghar) स्टेशन पर पहुंचने के बाद वो सेल्फी खिंचाएंगे। हर कोई इस बात से हैरान था कि टीम इंडिया का क्रिकेटर लोकल ट्रेन में सफर कर रहा है।

किसानों के माशिहा Rakesh Tikait इतने करोड़ के हैं मालिक।

नई दुनिया: दिल्ली में किसानों का आंदोलन अब नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। कुछ किसान संगठनों ने अपने आपको इस आंदोलन से अलग भी कर लिया है। 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान नेताओं के सुर भी बदले गए हैं। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैंं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर आंदोलन खत्म हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। लेकिन क्या आप किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के बारे में जानते हैै। वो कभी दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे और आज करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैंं। राकेश टिकैत दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें दोनों बार जीत नहीं मिली। किसानों की राजनीति तो राकेश टिकैत को विरासत में मिली है। उनके दिवंगत पिता महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष थे।


राकेश टिकैत कौन हैं?
राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का जन्म 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में हुआ था। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एम. ए. की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने एलएलबी की और वकील बन गए। राकेश टिकैत 1992 में दिल्ली में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे, उस दौरान 1993-1994 में दिल्ली में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन चल रहा था।

इस कारण से छोड़ी पुलिस की नौकरी।
चूंकि महेंद्र सिंह टिकैत राकेश टिकैत के पिता थे, इसलिए सरकार ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) खत्म करवाने के लिए उन पर दबाव डाला कि वो अपने पिता को मनाएं। फिर राकेश टिकैत ने अपना पद छोड़ दिया और किसानों के साथ खड़े हो गए।

राकेश टिकैत की संपत्ति।
साल 2014 के लोक सभा चुनाव में राकेश टिकैत द्वारा दिए गए शपथपत्र के अनुसार, उनकी संपत्ति की कीमत 4,25,18,038 रुपये थी। इसके अलावा राकेश टिकैत के शपथपत्र के मुताबिक, उस समय उनके पास 10 लाख रुपये कैश था।

दो बार चुनाव लड़ चुके हैं राकेश टिकैत।
राकेश टिकैत ने पहली बार साल 2007 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधान सभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी हार हो गई थी। इसके बाद राकेश टिकैत ने साल 2014 में अमरोहा जिले से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़ा था। लेकिन वो चुनाव नहीं जीत पाए।

राकेश टिकैत का परिवार।
राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत खुद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं। राकेश टिकैत के छोटे भाई सुरेंद्र टिकैत मेरठ की एक शुगर मिल में मैनेजर हैं। वहीं सबसे छोटे भाई नरेंद्र टिकैत खेती करते हैं।

Thursday, January 28, 2021

Katrina Kaif ने पोस्ट की Vicky Kaushal के साथ प्यार भरी Photo, फैन्स बोले कुछ तो बात है।

नई दुनिया: कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) और विक्की कौशल (Vicky Kaushal) के बीच कुछ तो हो रहा हैै। कैटरीना कैफ और विक्की कौशल बेहद करीब आ गए हैंं। कई बार दोनों को साथ में घूमते हुए स्पॉट भी किया जाता हैै। अब कटरीना की फोटो भी कुछ ऐसा ही कह रही है, लेकिन कैटरीना कैफ और विक्की कौशल ने अभी तक इस बाद को कबूल नहीं किया है।


कटरीना ने पोस्ट की फोटो।
सामने आई कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) और विक्की कौशल (Vicky Kaushal) की फोटो भी कुछ इशारे कर रही है। इस फोटो को देखकर यही लग रहा है कि दोनों काफी करीब आ गए हैं। सोशल मीडिया पर फैन्स अब इन दोनों की ही बातें कर रहे हैं। दरअसल, कटरीना कैफ ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी डाली। उन्होंने अपनी फोटो पोस्ट की थी। वे किसी के गले लगी नजर आ रही हैं। फोटो में उनका चेहरा थोड़ा छुपा हुआ है। इस फोटो में उन्होंने बटरफ्लाई फिल्टर भी लगाया है।

एक जैसी टी-शर्ट!
अब कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) और विक्की कौशल (Vicky Kaushal) के फैन्स का कहना है कि उस फोटो में कोई और नहीं बल्कि विक्की कौशल हैं। लोगों का कहना है कि कैटरीना कैफ उन्हें हग कर रही हैं। इसके साथ ही लोगों ने विक्की कौशल की एक और फोटो खोज निकाली है, जिसमें वही टी-शर्ट पहने नजर आ रहे हैं, जो कटरीना की फोटो में नजर आ रहे शख्स ने पहनी है। विक्की कौशल (Vicky Kaushal) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) की फोटो वाले शख्स की टी-शर्ट का रंग मसटर्ड येलो है। साथ ही दोनों में एक और चीज कॉमन है। चेस्ट पर दोनों ही टी-शर्ट में पॉकेट है। अब फैन्स दोनों फोटो को साथ में पोस्ट कर रहे हैं और यही अंदाजा लगा रहे हैं कि कटरीना की फोटो में विक्की कौशल ही हैं।

इससे पहले भी एक फोटो हुए थी वायरल।
इससे पहले भी एक बार कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) की इंस्टा स्टोरी में लोगों ने विक्की कौशल (Vicky Kaushal) को देखा था। विक्की कौशल (Vicky Kaushal) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) दोनों ही अलीबाग में नया साल मनाने गए थे। दोनों एक ही जगह रुके थे। इसलिए तब भी फैन्स ने यही अंदाजा लगाया था कि कटरीना और विक्की साथ-साथ हैं। इस मामले पर न कटरीना और न ही विक्की ने अब तक कोई सफाई दी है। ये तो ये दोनों ही जानते होंगे कि आखिर ये एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं या नहीं।

Chinese Apps पर परमानेंट बैन से बौखलाया ड्रैगन, अपनी कंपनियों से कहा, ‘भारत सरकार से मुआवजे की मांग करें’।

बीजिंग: सीमा विवाद (Border Dispute) के बाद भारत (India) द्वारा चीनी कंपनियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से ड्रैगन की आर्थिक कमर टूट गई है। सरकार ने शुरुआत में TikTok सहित 59 चीनी ऐप (Chinese Apps) को बैन किया था। चीन को उम्मीद थी कि कुछ समय बाद मोदी सरकार बैन हटा लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब सरकार ने इन सभी ऐप्स पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। यानी इन ऐप्स की अब भारत में वापसी नहीं होगी, जाहिर है यह चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका है।


इसलिए लगाया Permanent Ban
भारत से मिले इस ‘झटके’ से चीन (China) बुरी तरह बौखला गया है और उसकी यह बौखलाहट ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के संपादकीय में साफ तौर पर नजर आती है। अखबार ने चीनी कंपनियों को भड़काने की कोशिश करते हुए कहा है कि उन्हें भारत सरकार से मुआवजे की मांग करनी चाहिए। बता दें कि भारत ने चीनी कंपनियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद उन पर परमानेंट बैन लगाया है। सरकार के इस कदम से बीजिंग को लाखों-करोड़ों रुपये के नुकसान हुआ है।
Border Tension का गुस्सा।
चीनी कंपनियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने को ग्लोबल टाइम्स ने भारत का बहाना बताया है। अखबार ने लिखा है कि भारत सरकार ने सीमा विवाद पर अपना गुस्सा उतारने और घरेलू कंपनियों एवं भारतीय उत्पादों को बाजार प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में यह आरोप भी लगाया है कि विदेशी कंपनियों के उत्पादों पर बैन लगाने की भारत की पुरानी आदत है। अमेरिकी, जापानी और साउथ कोरियन कंपनियां पूर्व में भारत की इस चाल का अनुभव कर चुकी हैं।
Indian कंपनियों को सच पता है।
अपने संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने आगे कहा है, ‘जो भारतीय कंपनियां इस 'डकैती' से लाभान्वित हुई हैं, वह जानती हैं कि वे एक ऐसे कारोबारी माहौल में हैं, जहां किसी भी समय राजनीतिक लाभ के लिए इंट्रेस्ट बैलेंस को पलटा जा सकता है। भारत अभी भी बर्बर युग में है, वह पिछड़ा देश है’। अखबार ने कहा कि संरक्षणवाद एक दोधारी तलवार है, जिससे अन्य देशों की कंपनियों के साथ-साथ भारतीय कंपनियों के भी चोटिल होने की अधिक संभावना है। भारत चीन पर प्रतिबंध लगाना चाहता है। यह प्रतिबंधों के बारे में उसकी निरक्षरता को दर्शाता है।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार Chinese कंपनियों को लड़ना चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि चीनी कंपनियों को कानून का सहारा लेकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और भारत सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग करनी चाहिए। चीनी कंपनियों ने भारतीय समाज में अपना योगदान दिया है, लेकिन अब राजनीतिक कारणों से उन्हें देश से बाहर निकाल दिया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार गतिविधियों में विशिष्ट समूहों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई है। चीनी कंपनियों को इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए, उन्हें वापस लड़ने की जरूरत है।

बुद्धि और प्रथम पूज्य देवता गणेशभगवान को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजा किया जाता है।

बुद्धि के देवता गणेशभगवान गणेश को प्रथम पूज्य और बुद्धि का देवता माना जाता है और बुधवार को उनकी आराधना विशेष लाभकारी मानी जाती है। श्रीगणेश की पूजा सभी देवताओं से पहले होने के पीछे भी एक मान्यता यह है कि जब एक परेशानी को लेकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे तो वहां उनके दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी मौजूद थे। भगवान शिव ने उनसे पूछा कि इनकी समस्या का हल कौन करेगा? इस सवाल पर दोनों भाई तैयार हो गए। समस्या के समाधान के लिए भोलेनाथ ने गणेश और कार्तिकेय के सामने एक प्रतियोगिता रखी और कहा कि जो भी पृथ्वी की परिक्रमा कर पहले लौटेगा वही देवताओं की मदद करेगा और उसकी पूजा ही सबसे पहले होगी।

भोलेनाथ की आज्ञा मिलते ही कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठकर धरती की परिक्रमा करने चले गए लेकिन गणेश वहीं खड़े सोच में डुब गए। अचानक ही उन्हें एक उपाय सूझा और उन्होंने अपने माता-पिता के सात चक्कर लगाकर अपनी जगह पर खड़े हो गए। पृथ्वी का चक्कर लगाने के बाद कार्तिकेय ने वापस आने के बाद देवताओं की मदद की बात कही। भोलेनाथ ने गणेश से पूछा कि तुम पृथ्वी का परिक्रमा करने क्यों नहीं गए? गणेशजी ने फौरन जवाब देते हुए कहा कि माता-पिता के चरणों में ही सारा संसार है इस वजह से मैंने उन्हीं की परिक्रमा कर ली। गणेश के इस जवाब से भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं में प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद दिया।

भगवान गणेश को बुद्धि का कारक भी माना जाता है और बुध को इसका स्वामी माना जाता है। इस वजह से बुधवार को गणेशजी की पूजा की परंपरा शुरू हुई है। भगवान गणेश को हाथी के सिर की वजह से गजानन भी कहा जाता है। दरअसल इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि एक बार माता पार्वती स्नान करने गईं तो उन्होंने घर के दरवाजे पर गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कि उनके नहाने तक किसी को अंदर न आने दें। भगवान शिव के वहां पहुंचने पर गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।

इसपर क्रोधित होकर भगवान शिव ने नंदी को गणेश से युद्ध करने को कहा, गणेश द्वारा नंदी को युद्ध में परास्त करने के बाद शिव ने गुस्से में गणेश का सिर काट दिया। माता पार्वती के वापस आने पर जब उन्हें पता चला कि गणेश उनके ही पुत्र थे तो उन्होंने हाथी का सिर जोड़कर उन्हें नया जीवन प्रदान किया। इसके बाद से गणेश को गजानन के नाम से जाना जाने लगा।

Wednesday, January 27, 2021

लाल किले का शन तिरंगा झंडा को उतार कर अपना झंडा फहराने वाला बहुरूपिया कौन।

लाल किले पर निशान साहिब का झंडा आपने इतनी आसानी से लहरा दिया क्योंकि ये जो शासक है वह आपको अपना मानता है। नही तो अगर वो चाहता तो आपको चार कदम भी न हिलने देता। अगर आप समझते हो कि आप मोदी को एक्सपोज़ किये हो तो भूल है।


उसने आपको एक्सपोज़ कर दिया।
उसने उस साजिश की पोल खोल दी कि कैसे हर नेशनल डे तक किसी भी आंदोलन को खींचा जाता है और उसे शाहीन बाग जैसी घृणित आंदोलन की शक्ल दी जाती है। आप हार गए मोदी जीत गया। जिसे आप तानाशाह साबित करने पर तुले थे उसने आपकी अराजगता को पूरी दुनिया के सामने दिखा दिया, कि आप एक paid आंदोलन में शामिल थे जिसकी आयु 26 जनवरी तक थी और दुनिया के सामने यह संदेश देना चाहते थे कि मोदी तानाशाह है।

लेकिन मोदी ने आपके क्रियाकलाप का भीषण विरोध न करके आपको जल बिन मछली बना दिया। और यह संदेश दिया कि वह तानाशाह नही बल्कि आप अराजक हो। जिस तरह से तलवारें लहराई गयी, जिस तरह से ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई। इन सब चीजों को जनता देख रही है।
आप मोदी विरोधी मुठ्ठी भर हो लेकिन मोदी के समर्थको की मुठ्ठियां फिर किसी चुनाव में खुलेंगी और उसे ही अपना सिर मौर बनाएगी। जो कि आपके गाल पर एक गहरा तमाचा होगा। वैसे मैं हमेशा से कहते आया हूँ कि भारत को संजय गांधी जैसा नेता चाहिये।

जिसके अनुसार सीधा कुचल डालो। भाग्यशाली हो आप आंदोलनकारी लोग मोदी कार्यकाल में हो जो आपकी उदंडता को भी सर माथे लगाया करता है। खैर मुझे डर है कि कहीं जिहादी इस आंदोलन में घुसकर और ज्यादा उत्पात न मचा दें, क्योंकि विपक्ष को और पाकिस्तान को जो खून खराबा चाहिए था वह अभी तक नही मिला।
इनकी सोच थी कि सरकार इनका खूब विरोध करे और सैकड़ो लोगों की लाशें गिरें जिससे आज तक मोदी द्वारा किये गए सारे अच्छे कार्यों को भूला दिया जाय और वर्षो तक इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया जाय।
लेकिन सरकार ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।

मोदी जी हमे आप पर गर्व है.....
शास्त्र कहता है राजा समस्त प्रजा के लिए पिता समान होता है। और आपने इनकी उदंडता को माफ कर के अपने कर्तव्य का निर्वहन करके दिखा दिया। लेकिन अगर जिहादी इसमे घुसकर उत्पात मचाये तो उन्हें भीषणतम दंड देना भी राजा का कर्तव्य होता है। और इस देश की जनता आशा करती है कि मोदी जी आप अपने इस कर्तव्य का भी अच्छे से निवर्हन करेंगे। मोदी समर्थक जो नाराज़ है उन्हें बस यही कहूंगा की धैर्य पूर्वक एक बार विचार कीजिये कि आपके नेता के धैर्य ने कौन कौन सी अनहोनी को टाल दिया। कृपया लाल किले पर झंडा फहराए जाने को नाक का सवाल न बनाये। यह कृष्ण युग है इसमे शिशुपाल को 99 तक माफ किया जाता है, यहां कालयवन को स्वयं न मारकर राजा मुचुकुन्द की दृष्टि से मरवाया जाता है।
यहां कालयवन paid आंदोलन कारी है और राजा मुचुकुंद देश की जनता है। अब जनता अपनी आँख खोले और धराशायी कर दे कालयवन को..!

महंगी हुई माननीयों की थाली, पार्लियामेंट की कैंटीन के नए रेट जारी।

Parliament canteen food price: आप अबतक सुनते आए हैं कि संसद की कैन्टीन (Parliament Canteen) में माननीय बेहद सस्ती कीमत पर व्यंजनों का लुत्फ लेते हैं. लेकिन अब यह बदलने जा रहा है।संसद की कैन्टीन की रेट (Parliament canteen rate) अब तीन गुना महंगी हो गई है। 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है. इसके पहले संसद भवन स्थित कैन्टीन 27 जनवरी से शुरू हो जाएगी।

पहली बार ITDC संचालित करेगा कैन्टीन
लोकसभा सचिवालय ने कैन्टीन का मेन्यू जारी करते हुए बताया कि संसद कैन्टीन में मिलने वाली सब्सिडी पूरी तरह खत्म कर दी गई है। इसबार कैन्टीन में बहुत से बदलाव देखने को मिलेंगे। संसद की कैंटीन में सब्सिडी खत्म होने के बाद पहली बार ITDC इसे संचालित करेगा। इससे 8 करोड़ रुपये की बचत होगी।

ओम बिरला ने की थी अनाउंसमेंट (Om Birla did the announcement)
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Lok sabha speaker Om Birla) ने घोषणा की थी बजट सत्र से कैंटीन में सब्सिडी को खत्म किया जा रहा है। इससे संसद की कैंटीन में खाना महंगा हो जाएगा। कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई थी। कैन्टीन में सब्सिडी खत्म करने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सुझाव दिया था। सभी पार्टियों ने इस मसले पर सहमति जताई थी।

पार्लियामेंट की कैंटीन के नए रेट
सब्सिडी पूरी तरह से खत्म (Subsidy completely over) संसद की कैंटीन में सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने पिछले मंगलवार को ये जानकारी दी थी। अब कैन्टीन में खाना महंगा हो जाएगा। सब्सिडी के तहत देश के सांसदों के संसद की कैंटीन में खाना काफी कम दाम पर मिलता था। गौरतलब है कि सब्सिडी खत्म करने की मांग को काफी दिनों से उठाया जा रहा था। तर्क दिया जा रहा था कि टैक्सपेयर के पैसों पर सांसद सस्ता खाना खाते हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...