Popular Posts

Tuesday, March 16, 2021

500 साल का इंतजार हुआ खत्म, पूरे विधि विधान से हुआ राम मंदिर नींव भराई का वैदिक पूजन।

अयोध्या / उत्तर प्रदेश: धर्मनगरी अयोध्या में राम मंदिर (Ram temple) के निर्माण के लिए 500 सालों का इंतजार अब खत्म हो गया। राम मंदिर की नींव भराई के लिए सोमवार को पूजन किया गया। शुभ मुहूर्त में 10:55 बजे से ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पूजन किया। नींव भरने का काम शुरू करने के लिए चैत्र कृष्ण त्रयोदशी यानी कि 9 अप्रैल की तिथि तय की गई है। इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, डॉ. अनिल मिश्र, महंत दिनेन्द्र दास सहित अन्य लोग मौजूद रहे। नींव भराई के बाद राम मंदिर धीरे-धीरे आकार लेने लगेगा।


शुभ मुहूर्त पर विधि-विधान के साथ कार्य शुरू।
सोमवार सुबह 10:55 के शुभ मुहूर्त पर भगवान श्री गणेश, विष्णु और श्री लक्ष्मी जी तथा विश्वकर्मा भगवान के पूजन के साथ 40 फीट गहरी नींव की भराई का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने वैदिक रीति रिवाज से पूजन किया। इस दौरान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिला अधिकारी अनुज कुमार झा और डीआईजी दीपक कुमार समेत राम मंदिर निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियर मौजूद रहे।

40 फीट गहरी खुदाई का काम पूरा।
राम जन्मभूमि परिषद की 5 एकड़ भूमि में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसमें गर्भ ग्रह के स्थल समेत पूरे 2.77 एकड़ भूमि को 40 फीट गहरी खुदाई का काम पूरा किया जा चुका है। जिसके लिए वास्तुशास्त्र के हिसाब से मुहूर्त रखा गया था। अब इसी नींव में कंक्रीट की 1 फीट मोटी लेयर से राम मंदिर निर्माण की नींव भराई का काम प्रारंभ किया गया है।

नींव भराई में सीमेंट कंक्रीट और मौरंग का प्रयोग किया गया है साथ ही सिलिकॉन के मिश्रण से लेयर बनाया जा रहा है। एक फिट मोटी लेयर पर रोलर चलाया जाएगा उंसके बाद मिर्जापुर का पत्थर बिछाया जाएगा। पुनः कंक्रीट की लेयर बनेगी फिर उसके ऊपर मिर्जापुर का पत्थर बिछाया जाएगा।

Monday, March 15, 2021

मिला डेविड वॉर्नर का हमसक्ल से खुद डेविड वॉर्नर ने शेयर की ईंट भट्टे के मजदूर की फोटो।

ऑस्ट्रेलिया के स्टार बल्लेबाज और आईपीएल में हैदराबाद के कप्तान डेविड वॉर्नर (David Warner) सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय रहते हैं। वह अपने फैंस के बीच अपनी तस्वीरों को शेयर करते रहते हैं। इस बीच उन्होंने एक मजदूर की फोटो शेयर की है। फोटो को देखकर लगता है कि मजदूर ईंट भट्टे पर काम करता है। इस फोटो में जो मजदूर दिखाई दे रहा है, उसका चेहरा ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डेविड वॉर्नर से मिल रहा है।

सोशल मीडिया पर डेविड वॉर्नर की यह तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इस फोटो को वॉर्नर ने 14 मार्च को शेयर किया था। फोटो को अबतक सात लाख से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं। इसके अलावा लोग खूब कमेंट भी कर रहे हैं।

बता दें कि डेविड वॉर्नर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए 15 हजार से अधिक रन बनाए हैं। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 7311 रन बनाए हैं। टेस्ट मैच में वॉर्नर का बेस्ट स्कोर 335 रन है। वनडे में वॉर्नर ने 18 शतक की बदौलत 5455 रन बनाए हैं। वह दुनिया के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शतक लगाया है। 

Sunday, March 14, 2021

OK तो सब बोलते हैं, पर क्या आप इसका फुल फॉर्म जानते हैं?

नई दुनिया: अक्‍सर लोग किसी बात का जवाब OK  कहकर देते हैं। चाहे आपके दोस्‍त हों, ऑफिस में आपके बॉस हों या फिर कोई और, दो लेटर के इस शब्‍द का इस्‍तेमाल हम किसी से भी बातचीत के दौरान सबसे ज्‍यादा करते हैंं। चाहे हम किसी से सहमत हों या असहमत हों। जब आपको ठीक है बोलना होता है या किसी बात पर सहमति जतानी होती है, तो आप OK कहते हैं। ये दो लेटर पूरे एक वाक्‍य जैसा काम करते हैं और आम बोलचाल की भाषा का शब्‍द बन गए हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है क‍ि हममें से ज्‍यादातर लोग ये नहीं जानते कि OK का फुल फॉर्म क्‍या है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर OK का मतलब क्‍या होता है।

182 साल पहले हुई थी OK की शुरुआत।
OK अंग्रेजी भाषा के सबसे कॉमन वर्ड्स में से एक है। इसका इस्‍तेमाल एक्‍सेपटेंस, एग्रीमेंट, अप्रूवल जैसी कई बातों में किया जाता है। OK का मतलब है,  'Olla Kalla'. यह एक ग्रीक शब्‍द है, जिसका मतलब होता है All correct. OK शब्‍द का जन्‍म 182 साल पहले हुआ। इसकी शुरुआत हुई अमेरिकी पत्रकार चार्ल्‍स गोर्डोन ग्रीन (Charles Gordon Greene) के दफ्तर से। साल 1839 में लेखक जानबूझकर शब्‍दों को बदल देते थे और प्‍लेफुल एब्रीविएशंस का इस्‍तेमाल करते थे। ठीक वैसे ही जैसे आज हम LOLZ, OMG, या  NBD बोलते हैं। OK का इस्‍तेमाल सबसे पहले “Oll Korrect” के एब्रीविएशन के तौर पर किया गया। ये ग्रामर पर एक व्‍यंगात्‍मक लेख था और बोस्‍टन मॉर्निंग पोस्‍ट में साल 1839 में छपा था। इस ट्रेंड ने बाद में OW जैसे शब्‍द भी इस्‍तेमाल में आए। इसका मतलब भी  "oll wright" या all right ही होता था।

अमेरिकी चुनाव से जुड़ा किस्‍सा।
इसके बाद OK का इस्‍तेमाल इलेक्‍शन स्‍लोगन के तौर पर किया गया। साल 1840 में अमेरिकी राष्‍ट्रपति Martin Van Buren के री- इलेक्‍शन कैम्‍पेन में जब ओके शब्‍द का इस्‍तेमाल किया गया तो ये पूरी दुनिया में प्रचलित हो गया। दरअसल, न्‍यूयॉर्क के किंडरहुक में पैदा हुए Van Buren का निकनेम Old Kinderhook" था। उनके समर्थकों ने चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों में "OK" का इस्‍तेमाल किया और पूरे देश में  “OK Clubs” बनाए।  इसके बाद ओके एक डबल मीनिंग वर्ड बन गया। Old Kinderhook भी और All Correct भी।

OK से जुड़े कुछ और फैक्‍ट्स।
Huffpost की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले ये कहा जाता था कि OK मूल अमेरिकी भारतीय जनजाति Choctaw के शब्द okeh से आया है। यह भी दावा किया गया कि यह अफ्रीका की वोलोफ भाषा से लिया गया है। OK को लेकर कई अलग-अलग तर्क हैं। इसकी उत्‍पत्ति को लेकर विवाद हमेशा रहा है। इस रिपोर्ट में Smithsonian मैगजीन के एक आर्टिकल का जिक्र किया गया है जिसमें OK को लेकर जानकारी दी गई है।
Smithsonian मैगजीन के आर्टिकल के अनुसार, OK शब्द की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वैसे OK शब्द ‘All Correct’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह शब्द “Oll Korrect” कर दिया गया। जिसके बाद ये शब्द AC की जगह OK बन गया। इसके हिसाब से OK का मतलब होता है ‘All Correct’, जिसे “Oll Korrect” कर दिया गया। ये भी कहा जाता है कि सही शब्द Okay है और लोग गलत तरीके से OK का इस्तेमाल करते हैं।

Thursday, March 11, 2021

महाशिवरात्रि पर शिव पूजा की थाली में रखें ये सामग्री होगी सारी मन्नते पूरी।

हिंदू पंचांग अनुसार महाशिवरात्रि का दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वैसे तो हर महीने शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी को आने वाली महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 

यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च (गुरुवार) को पड़ रही है। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन व्रत पूजन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री।
इस बार महाशिवरात्रि का पावन पर्व 11 मार्च यानी कल मनाया जाएगा। इस पावन पर्व पर शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। शिवरात्रि के दिन रात में पूजा करना सबसे फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष सामग्रियों के साथ की जाती है। 

शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा में पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, बेर, जौ की बालें, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, देसी घी, शहद, गंगा जल, साफ जल, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, गंध रोली, इत्र, मौली जनेऊ, शिव और मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण, रत्न, पंच मिष्ठान्न, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन का इस्तेमाल किया जाता है।

महाशिवरात्रि पर्व मनाने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार ये पर्व शिव और माता पार्वती के मिलन की रात के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पार्वती जी का विवाह भगवान शिव से हुआ था।

Monday, March 8, 2021

1 अप्रैल से शुरू होगी 'Saral Pension Yojana' बुढ़ापे में पेंशन की टेंशन खत्म।

दिल्ली: Saral Pension Plan: 1 अप्रैल से आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव हो सकता है। बीमा नियामक IRDAI ने बीमा कंपनियों को सरल पेंशन योजना 1 अप्रैल से लागू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। बीमा कंपनियां एक अप्रैल 2021 से सरल पेंशन योजना शुरू करने जा रही है। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जीवन बीमा कंपनियों को इसके लिए निर्देश जारी किए हैं। सरल पेंशन प्लान के तहत बीमाकर्ता के नाम से सिर्फ दो वार्षिकी (Annuity) विकल्प रहेगा।


सरल पेंशन योजना को समझिए।
IRDAI के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सरल पेंशन योजना में न्यूनतम वार्षिकी (Annuity) राशि 1 हजार रुपये प्रति महीने, 3 हजार रुपये प्रति तिमाही, 6 हजार रुपये प्रति छमाही या फिर 12 हजार रुपये सालाना होगी। IRDAI ने कहा है कि सामान्य सुविधाओं और मानक नियमों और शर्तों के साथ व्यक्तिगत तत्काल एन्यूटी लॉन्च करना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि IRDAI की इस पहल से उपभोक्ताओं के लिए प्लान का चुनाव करना पहले के मुकाबले आसान हो जाएगा।  IRDAI की गाइडलाइंस के मुताबिक पॉलिसी शुरू होने की तारीख से 6 महीने के बाद किसी भी समय पॉलिसी सरेंडर की जा सकती है।

क्या है Annuity।
किसी पेंशन प्लान में आपकी जमा की गई राशि के बदले बीमा कंपनी जो सालाना राशि देने का वादा करती हैं उसे वार्षिकी (Annuity) कहा जाता है। रिटायरमेंट के बाद नियमित आय के लिए पेंशन प्लान के तहत इसकी सुविधा निवेशक को मिलती है। गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए ये योजना काफी अहम साबित हो सकती है।

सरल पेंशन योजना के फायदे।
IRDAI के मुताबिक सरल पेंशन प्लान में जितना पैसा आप निवेश करेंगे, उतना पैसा तो आपको मिल ही जाएगा। इसके अलावा एन्युटी का फायदा भी मिलेगा। ग्राहक को जीवन भर Annuity का फायदा मिलता रहेगा और उसके निधन के बाद जीवनसाथी को उसकी मृत्यु तक एन्युटी मिलती रहेगी। इसके बाद पति या पत्नी की मृत्यु पर कानूनी वारिस को खरीद मूल्य यानी 100 फीसदी राशि वापस मिल जाएगी।

Sunday, March 7, 2021

Haridwar Kumbh 2021: हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि को होगा, बाकी 3 की भी तारीख जानें।

नई दिल्ली: आस्था का मेला कुंभ इस बार उत्तराखंड की देव नगर हरिद्वार में आयोजित होने जा रहा है। आपको बता दें कि कुंभ का शाब्दिक अर्थ है कलश जिसे समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश के तौर देखा जाता है। कुंभ मेले (Kumbh Mela) का आयोजन 12 साल में हर 3 साल के अंतराल पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है। हरिद्वार में कुंभ गंगा के तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर इसका आयोजन होता है।


हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन।
पुराणों में वर्णित एक श्लोक है:
“कुम्भ राशिगते जीवे यद्द्विनेशन मशगे रवौ।
 हरिद्वारे कृतसंसाननं पुनरावृत्तिवर्जनम्“।।
अर्थात जब सूर्य मेष राशि (Aries) में और बृहस्पति कुंभ (Aquarius) राशि में प्रवेश करते हैं तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस तरह की ज्योतिषीय स्थिति में गंगा में स्नान करने पर सभी तरह के पाप से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति जीवन-मरण के चक्र से भी छूट जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वैसे तो हर बार कुंभ मेला 4 महीने का होता था लेकिन इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर हरिद्वारा में आयोजित होने वाला कुंभ मेला केवल 28 दिन का होगा। कुंभ मेले का आयोजन 1 से 28 अप्रैल के बीच होगा और इस दौरान राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार ने भी कई जरूरी गाइडलाइन्स जारी की हैं जिनका पालन सभी श्रद्धालुओं को करना होगा। हरिद्वार कुंभ मेले (Haridwar Kumbh) में इस बार 4 शाही स्नान होंगे। देशभर से श्रद्धालुओं और अखाड़ों का हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गया है। कुंभ के दौरान होने वाले शाही स्नान आकर्षण का केंद्र होते हैं।

हरिद्वार कुंभ में कब-कब होंगे शाही स्नान।

1. पहला शाही स्नान- 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन।
वैसे तो हरिद्वार कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत 1 अप्रैल से होगी लेकिन पहला शाही स्नान 11 मार्च  2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के मौके पर होगा। धरती पर गंगा का अवतरण भगवान शिव की वजह से ही हुआ था और गंगा, शिव की जटाओं में समाहित हैं। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन पवित्र गंगा में स्नान करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी अधिक है।

2. दूसरा शाही स्नान- 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या के दिन।
हरिद्वार कुंभ का दूसरा शाही स्नान पहले स्नान के 1 महीने बाद 12 अप्रैल सोमवार को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन होगा। अमावस्या के दिन वैसे भी पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान का विशेष महत्व माना जाता है और सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।

3. तीसरा शाही स्नान- 14 अप्रैल मेष संक्रांति और बैसाखी।
हरिद्वार कुंभ का तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल बुधवार को मेष संक्रांति (Mesh Sankranti) के मौक पर होगा। इस दिन बैसाखी भी है। ऐसी मान्यता है कि मेष संक्रांति के दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है और ज्योतिषीय मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं।

4. चौथा शाही स्नान- 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा के दिन।
हरिद्वार कुंभ का चौथा और आखिरी शाही स्नान चैत्र के महीने में पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के दिन होगा। इसे शाही स्नान के सबसे अहम दिनों में से एक माना जाता है और इसलिए इस दिन को अमृत योग के नाम से भी जाना जाता है।

Friday, March 5, 2021

महाशिवरात्रि के नौ दिन का उत्सव, 9 रूपों में होगा बाबा का श्रृंगार।

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत शिवरात्रि के 9 दिन पूर्व से ही शुरू हो गई है। इसे शिवनवरात्रि के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। शिवनवरात्रि के पहले दिन माता पार्वती व बाबा का चंदन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंड-माल, छत्र आदि से विशेष और अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। विश्व भर के बारह ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शिवरात्रि के पहले शिवनवरात्रि मनाए जाने की परम्परा है। इसमें लगातार 9 दिनों तक भगवान महाकाल का अलग-अलग शृंगार किया जाता है।

शिवनवरात्रि में नौ दिन राजा के विविध रूप व पूजन।
नवरात्रि में पहले दिन कोटितीर्थ कुण्ड स्थित कोटेश्वर महादेव पर शिवपंचमी का पूजन किया जाता है। इस वर्ष बाबा का अभिषेक सुबह 08 बजे से 09 बजे तक किया गया। प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी 11 ब्राह्मणों एवं दो सहायक पुजारियों को एक-एक सोला तथा वरूणी प्रदान की गई। 

कोटेश्वर महादेव के पूजन आरती के पश्चात महाकालेश्वर राजा का पूजन अभिषेक एवं 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश एकादशिनी रूद्राभिषेक किया जाता है। तत्पश्चात भोग आरती की जाती है। देर शाम भगवान महाकाल का संध्या पूजन कर चंदन व भांग का श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्ड-माल, छत्र आदि से बाबा का अद्भुत रूप श्रृंगार किया जाता है। वहीं बाबा के आंगन में हरिकीर्तन भी किए जाते हैं जिसका भरपूर आनंद श्रद्धलुओं उठाते हैं। यह सिलसिला 10 दिन तक लागातर चलेगा। हरिकीर्तन इंदौर के कानडकर परिवार द्वारा 1990 से लागातर शिवनवरात्रि में देर शाम किया जाता रहा है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...