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Sunday, May 9, 2021

गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है।


मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। 

गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता।
गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।

ठीक करती है बुखार।
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

गिलोय के फायदे – डायबिटीज के रोगियों के लिए।
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाती है।
यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।

बढ़ाती है आंखों की रोशनी।
गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

अस्थमा में भी फायदेमंद।
मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

गठिया में मिलेगा आराम।
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

कम होगी पेट की चर्बी।
गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

जवां रखती है गिलोय।
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

काढ़ा।
चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।

अन्य फायदे।
अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है। इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है। खांड के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं। आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

साइड इफेक्ट्स।
* वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। 

* गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दे।

Knowledge: क्या आप जानते है हिमालय के ऊपर से आप उड़ान नहीं भर सकते। जानिए क्यों?

Knowledge: बचपन से स्कूल की किताबों में पढ़ाया जा रहा है कि हिमालय देश का मुकुट हैै। हम टीवी और सोशल मीडिया पर इसकी खूबसूरती भी देखते रहते हैंं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके ऊपर से उड़ान नहीं भरी जा सकती है। आप चाहकर पर इसके ऊपर से सफर नहीं कर सकते हैं। दरअसल, हिमालय के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है। लेकिन ऐसा क्यों है, आइए जानते है।

मौसम है सबसे पहला कारण।
हिमालय का मौसम काफी खराब रहता है और लगातार बदलता रहता है। जो विमानों की उड़ान के लिए अनकूल नहीं होता है। वहीं, बदलता मौसम विमानों के लिए खतरनाक होते हैं। यात्री विमान में लोगों के हिसाब से एयर प्रेशर सेट किया जाता है। लेकिन हिमालय में हवा की असामान्य स्थिती यात्रियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

हिमालय की ऊंचाई है सबसे बड़ा कारण।
हिमालय की ऊंचाई सबसे बड़ा कारण है। हिमालय की ऊंचाई 23 हजार फिट है। वहीं, हवाई जहाज औसतन 30-35 हजार फिट तक उड़ान भरते हैं। लेकिन हिमालय की ऊंचाई विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, आपत स्थिति के लिए विमान में 20-25 मिनट का ऑक्सीजन होता है, आपात स्थिति में जहाज को 8-10 हजार फिट पर उड़ान भरनी होती है, ताकि लोगों को सांस लेने में दिक्कत ना हो। लेकिन हिमालय में 20-25 मिनट के समय में  30-35 हजार फिट से 8-10 हजार फिट पर आना संभव नहीं है।

नेविगेशन की सुविधा नहीं।
हिमालय के इलाकों की एक और दिक्कत है। वहां नेविगेशन की उचित सुविधा मौजूद नहीं है। ऐसे में आपात स्थिति में विमान एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकते। इसके अलाव इमरजेंसी लैडिंग के लिए आस-पास एयरपोर्ट भी नहीं है। अब आप समझ गए होंगे कि हिमालय के ऊपर विमान क्यों उड़ान नहीं भरते हैं।

जानिए इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कितने दिन खाएं मल्टी विटामिन और विटामिन डी3।

कोरोना वायरस की दूसरी लेहर के भयानक रूप को देख कर लोगों में डर पैदा हो गया है। इस संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह के घरेलू उपाय कर रहे हैं। साथ-साथ इस दौरान इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए मल्टी विटामिन, विटामिन डी3, जिंक और कैल्शियम जैसी दवाईयां भी ले रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है इसका ज्यादा डोज भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। तो आइए जानते हैं किस दावा को कब तक खाना चाहिए।

पीजीआई लखनऊ के हृदयरोग व‍िशेषज्ञ डॉ नवीन गर्ग ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्‍यू में बताया आज के समय में जब कोरोना का संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे समय में इम्युनिटी बूस्‍टर के कोर्स के बारे में बताते में भी लोगों को पता होना बेहद जरूरी हो गया है। डॉ. नवीन ने बताया कि विटामिन सी, डी और मल्‍टी विटामिन का कोर्स केवल एक माह का होता है। इसके साथ ही उन्‍होंने बताया कि जिंक का ज्‍यादा इस्‍तेमाल भी नुकसानदेह साबित हो सकता है।

डॉ. नवीन ने बताया मल्‍टी विटामिन को एक माह से ज्‍यादा नहीं खाना चाहिए। इससे शरीर के विभिन्‍न अंगों पर इसका असर देखने को मिल रहा है। कोरोना से बचने के लिए जो लोग दवा का सेवन नहीं करना चाहते वो इम्युनिटी बढ़ाने के चक्‍कर में जरूरत से ज्‍यादा च्‍यवनप्राश खा रहे हैं। इससे उनमें शुगर और हार्ट की बीमारियां बढ़ रही हैं।

कितने दिन क्‍या ले सकते हैं।

1. काढ़ा सिर्फ जुकाम महसूस होने पर दिन में एक बार ले।

2. जिंक- 15 दिन अध‍िकतम खाना चाहिए।

3. ‍मल्टी विटामिन- एक माह अधिकतम खाना चाहिए।

4. विटामीन डी-3 60K का एक-एक डोज महीने में चार बार, फिर माह में एक बार या डॉक्‍टरी सलाह पर ले।

5. ‍कैल्श‍ियम- डॉक्‍टर की सलाह पर महीने भर अधिकतम खाना चाहिए।

6. विटामिन सी- महीने भर खाना चाहिए।

Saturday, May 8, 2021

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा ही करनी चाहिए। जाने क्यों?

शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं। शिवलिंग को ज्योति माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र। आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है।
''अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थ: शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत ।।
इति वाचनान्तरात।'' -- सोमसूत्र :

शिवलिंग की निर्मली को सोमसूत्र की कहा जाता है। शास्त्र का आदेश है कि शंकर भगवान की प्रदक्षिणा में सोमसूत्र का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है। सोमसूत्र की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि भगवान को चढ़ाया गया जल जिस ओर से गिरता है, वहीं सोमसूत्र का स्थान होता है।

क्यों नहीं लांघते सोमसूत्र।

सोमसूत्र में शक्ति-स्रोत होता है अत: उसे लांघते समय पैर फैलाते हैं और वीर्य ‍निर्मित और 5 अन्तस्थ वायु के प्रवाह पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे देवदत्त और धनंजय वायु के प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। जिससे शरीर और मन पर बुरा असर पड़ता है। अत: शिव की अर्ध चंद्राकार प्रदशिक्षा ही करने का शास्त्र का आदेश है।

तब लांघ सकते हैं।

शास्त्रों में अन्य स्थानों पर मिलता है कि तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढके हुए सोम सूत्र का उल्लंघन करने से दोष नहीं लगता है। लेकिन ‘शिवस्यार्ध प्रदक्षिणा’ का मतलब शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करनी चाहिए।

किस ओर से करनी चाहिये परिक्रमा।

भगवान शिव की शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले हुए भाग यानी जल स्रोत तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी की जाती हैं।

Friday, May 7, 2021

कोरोना अपडेट : भारत में कोरोना से मौत के आंकड़ों ने सभी देशों को पीछे छोड़ा, एक दिन में हुई 3927 मृत्यु।

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने आतंक मचा रखा है। हर दिन लाखों की संख्या पॉजिटिव केस बढ़ हैं। इसके अलावा देश में कोरोना के कारण हजारों की संख्या में मौत हो रही हैं। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 4.14 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि 3,927 मरीजों ने महामारी के कारण दम तोड़ दिया है। भारत में जितनी तेजी से मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है वह एक दिन में किसी भी देश में आए मामलों में सबसे अधिक है।

पिछले 10 दिनों से रोजाना 3000 के आसपास कोरोना से मौतें हो रही हैं। इस दौरान 36,110 लोगों की मौतें हुई हैं। इसका मतलब यह हुआ कि देश में प्रति घंटे 150 लोगों की मौत कोविड-19 के कारण हो रही है। WHO के मुताबिक 10 दिनों में इससे पहले सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका में हुई थी। 10 दिनों की अवधि में अमेरिका में सबसे ज्यादा 34,798 मौतें रिकॉर्ड की गई थी जबकि ब्राजील इस मामले में दूसरे नंबर पर था। ब्राजील में 10 दिनों की अवधि मे अधिकतम मौतें 32,692 मौतें रिकॉर्ड की गई थी। 10 दिनों की अवधि में मैक्सिको में 13, 897 मौतें रिकॉर्ड की गई थी जबकि ब्रिटेन में यह आंकड़ा 13,266 था।

गुरुवार को लगातार दूसरे दिन कोविड-19 से संक्रमण का आंकड़ा चार लाख से ज्यादा पहुंच गया। गुरुवार को 4,14,554 मामले सामने आए जबकि बुधवार को 4, 12,784 मामले सामने आए थे। पिछले 24 घंटे में 13 राज्यों में कोरोना के कारण 100 से ज्यादा मौतें हईं। छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में मौत का आंकड़ा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। आबादी के हिसाब से 13 छोटे राज्यों में सबसे ज्यादा मौतें उत्तराखंड में हुईं। गुरुवार को उत्तराखंड में 151 मौतें दर्ज की गई जो मौत के मामलों राज्यों में 10 वें स्थान पर था।

Thursday, May 6, 2021

आयुष मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए बताएं उपाय आप भी करे।

कोरोना वायरस बढ़ते मामलों को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने लोगों को स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह दी है। आयुष मंत्रालय ने संक्रमण से बचाव के इम्युनिटी को मजबूत करने को कहा है, जिसके लिए उन्होंने कारगर उपाय भी बताए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में...।

आयुष मंत्रालय ने हर किसी को गर्म पानी पीने की सलाह दी है। दिन भर में कई बार गर्म पानी पिएं। इसके अलावा, गर्म पानी में चुटकी भर नमक और हल्दी डालकर गरार करें। और घर पर बना ताजा खाना खाएं। खाना ऐसा होना चाहिए जो आसानी से पच जाए। खाने में हल्दी, जीरा, धनिया, सूखी अदरक और लहसुन जैसे मसालों का इस्तेमाल करें। आंवला या फिर इससे प्रोडक्ट खाएं।

आयुष नेशनल क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल मंत्रालय की सलाह के अनुसार, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट के लिए योग, प्राणायाम और मेडिटेशन का प्रयास करें। इसके अलावा अच्छी नींद लें। दिन में सोने से बचें और रात में 7-8 घंटे की नींद लें। और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए दो बार में 20 ग्राम च्यवनप्राश सुबह-शाम खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। हल्दी वाला दूध पिएं। इसे बनाने के लिए 150 एमएल गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालकर मिला लें। इसे दिन में एक या दो बार पिएं।
  
इसके अलावा आप गुडूची घनवटी 500 मिलीग्राम/ अश्वगंधा गोली 500 मिलीग्राम हर दिन दो बार खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। और तुलसी, दालचीनी, सूखी अदरक और काली मिर्च से बना हर्बल टी या काढ़ा पिएं। इसके लिए इन सभी सामग्री को 150 एमएल गर्म पाना में डालकर उबाल लें। अब इन्हें छानकर दिन में एक या दो बार पिएं। आप इसमें स्वाद के लिए गुड़, किशमिश और इलायची डाल सकते हैं।
 
सुबह-शाम नाक में तिल का तेल, नारियल का तेल या फिर गाय का घी डालें। दिन में एक या दो बार ऑयल पुलिंग थेरिपी करें। इसके लिए आप 1 चम्मच तिल या नारियल का तेल मुंह में लें। 2-3 मिनट तक मुंह में चारों तरफ घुमाने के बाद इस थूक दें। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करें। और लौंग या मुलेठी पाउडर को चीनी / शहद के साथ मिलाकर दिन में दो से तीन बार लें। इससे खांसी और गले में खराश से राहत मिलेगी।

हिंदुओं को अपने धर्म और संस्कृति को जानना चाहिए। जाने अपने धर्म और संस्कृति के बारे मे।


पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम थे।
1. युधिष्ठिर।
2. भीम।
3. अर्जुन।
4. नकुल। 
5. सहदेव।

(इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )

यहाँ ध्यान रखें की पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता कुन्ती थीं। तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थी।

वही धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र थे।
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 
40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु

(इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन भी थी। जिसका नाम दुशाला था। जिसका विवाह जयद्रथ से हुआ था)

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...