Popular Posts

Monday, May 10, 2021

क्या आप अपने फिल्मी सितारों के बारे में जानते है, जिनके अपने प्राइवेट जेट भी है।

मुंबई: अपने जेट को सबके सामने पेश करने वालों में में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), अक्षय कुमार (Akshay Kumar), अजय देवगन (Ajay Devgn), शिल्पा शेट्टी कुन्द्रा (Shilpa Shetty Kundra) और प्रियंका चोपड़ा जोनस (Priyanka Chopra Jonas) भी शामिल हैंं।

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan):
अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) शायद ही कभी एयरपोर्ट पर दिखाई देते हैं, क्योंकि अक्सर वह अपने प्राइवेट जेट से ही यात्रा करते हैं। अभिषेक बच्चन ने अपने फैंसी प्लेन की एक तस्वीर बीते साल शेयर की थी जब बिग बी को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिला था।

अक्षय कुमार (Akshay Kumar):
भारत में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनताओ में से एक अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के पास 260 करोड़ रुपये का प्राइवेट जेट है। आमतौर पर लोगों की मदद करने वाले एक्टर अक्षय कुमार पर्सनल जिंदगी में एक किंग स्टाइल वाली लाइफ जीते हैं।

अजय देवगन (Ajay Devgn):
रिपोर्ट्स के अनुसार, अजय देवगन (Ajay Devgn) के पास हॉकर 800 प्लेन है। यह 6 सीटर जेट है। अक्सर अभिनेता प्रमोशनल इवेंट्स और शूटिंग के दौरान इस मे यात्रा करते हैं।

प्रियंका चोपड़ा जोनस (Priyanka Chopra Jonas):
प्रियंका चोपड़ा जोनस (Priyanka Chopra Jonas) अक्सर देश विदेश यात्रा करती रहती हैं। एक्ट्रेस अक्सर अपने प्रोफेशनल और पर्सनल कामों के लिए भारत से न्यूयॉर्क या लंदन आती-जाती रहती हैं। वे अपनी लंबी यात्राओं के लिए प्राइवेट जेट का इस्तेमाल करती हैं।

शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty):
शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty) और उनके पति राज कुंद्रा आलीशान जिंदगी जीते हैं। उनके पास दुनिया के कई शहरों में प्रॉपर्टी है और कथित तौर पर उनका अपना प्राइवेट जेट भी है।

Sunday, May 9, 2021

Koo के यूजर बेस में जोरदार तेजी जारी। Koo अपने कर्मचारियों की संख्या करेगी डबल।

Koo : घरेलू माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू (Koo) अगले एक साल के दौरान अपने कर्मचारियों की संख्या दोगुनी करेगी। कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर विशेष तौर पर क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करते हुए यूजर बेस में जोरदार बढ़ोतरी कर रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, कंपनी के सह-संस्थापक ने यह बात कही। कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राघाकृष्ण (Co-founder of Koo Unreachable Raghakrishna) ने कहा कि प्लेटफॉर्म में उसके मौजूदा 60 लाख के यूजर बेस (Koo User Base) के साथ ही बढ़ोतरी के लिए काफी गुंजाइश है।

स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता (Local languages preferred)
खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि जब अलग-अलग ग्रुप कू (Koo) में आते हैं तो अपने साथ उनसे जुड़े लोगों को भी इसमें लाते हैं। बहरहाल हमारे प्लेटफॉर्म पर बालीवुड के बहुत ज्यादा लोग नहीं है, इसमें क्रिकेटर भी ज्यादा नहीं जुड़े हैं। बहुत सारे राजनितज्ञ, लेखक हैं जो कि कू पर आने चाहेंगे क्योंकि इसमें हम स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं।
10 करोड़ के आसपास डाउनलोड का टारगेट (Download target around 10 million)
राधाकृष्ण ने कहा कि कू (Koo) काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि लोग अपनी स्थानीय भाषा में अपनी बात रखना चाहते हैं। वह अपने समुदाय के लोगों के साथ अपनी भाषा में बात करना चाहते हैं। और प्लेटफॉर्म इस काम में उनकी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम अगले कुछ सालों के दौरान इसमें 10 करोड़ के आसपास डाउनलोड चाहते हैं। यह संभव है 20 गुणा बढ़ोतरी काफी संभव है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस दौरान क्या-क्या घटनाक्रम होते हैं. कई लोग हैं जो कि कू में आना चाहते हैं।

करीब एक साल में कू के 60 लाख यूजर (Koo's 6 million users in about a year)
कू (Koo) को पिछले साल ही शुरू किया गया। पिछले कुछ महीनों के दौरान इसके यूजर बेस में तेजी से बढ़ोतरी हुई है क्योंकि ट्विटर के साथ खींचतान होने के बाद केन्द्रीय मंत्रियों और सरकारी विभागों ने घरेलू स्तर पर खड़े किये गए इस माइक्रोब्लॉग प्लेटफॉर्म Koo को तवज्जो देना शुरू कर दिया। कू के प्लेटफॉर्म पर फिलहाल 60 लाख यूजर हैं जबकि ट्विटर के प्लेटफॉर्म पर 1.75 करोड़ के करीब यूजर हैं। भारत फेसबुक, व्हाट्सऐप और ट्विटर (Facebook, Whatsapp, Twitter) जैसी इंटरनेट कंपनियों के लिए काफी महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है. भारत दुनिया का दूसरा बड़ा दूरसंचार बाजार और डेटा का सबसे बड़ा यूजर है.

आखिर मां दुर्गा की सवारी शेर कैसे बना।

ये पूरा संसार मां दुर्गा को शक्ति के रूप में मानता है सिर्फ साधारण मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी देवता भी मां दुर्गा की शक्ति की पूजा करते हैं, माता दुर्गा को दुष्टों का नाश करने वाला माना गया है। यह हमेशा दुष्ट-पापियों का नाश करती हैं, मां दुर्गा से जुड़ी हुई ऐसी बहुत सी कहानियां प्रचलित है जिनमें इन्होंने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है और पूरे संसार को पापियों से बचाया है, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं माता दुर्गा की सवारी शेर है। आखिर मां दुर्गा की सवारी शेर कैसे बना?

मां दुर्गा को यूं ही शेर की सवारी प्राप्त नहीं हुई थी। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। धार्मिक इतिहास के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की। कहते हैं उनकी तपस्या में इतना तेज़ था, जिसके प्रभाव से देवी सांवली हो गईं।

इस कठोर तपस्या के बाद शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई। एक कथा के अनुसार भगवान शिव से विवाह के बाद एक दिन जब शिव और पार्वती साथ बैठे थे, तब भगवान शिव ने पार्वती से मजाक करते हुए उन्हें काली कह दिया था। देवी पार्वती को शिव की यह बात पसंद नहीं आई और वो कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गई। इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। ले‌किन देवी को तपस्या में लीन देखकर शेर वहीं चुपचाप बैठ गया। ना जाने क्यों शेर देवी के तपस्या को भंग नहीं करना चाहता था। वह सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठें और वह उन्हें अपना आहार बना ले। इस बीच कई साल बीत गए लेकिेन शेर अपनी जगह डटा रहा।

माता पार्वती अभी भी तपस्या में मग्न थी। माता पार्वती की कठोर तपस्या देखकर, शिव वहां प्रकट हुए और देवी को गोरे होने का वरदान देकर चले गए। थोड़ी देर बाद माता पार्वती भी तप से उठी और उन्होंने गंगा स्नान किया। स्नान के तुरंत बाद ही अचानक उनके भीतर से एक और देवी प्रकट हुईं। उनका रंग बेहद काला था। उस काली देवी के माता पार्वती के भीतर से निकलते ही देवी का खुद का रंग गोरा हो गया। इसी कथा के अनुसार माता के भीतर से निकली देवी का नाम कौशिकी पड़ा और गोरी हो चुकी माता सम्पूर्ण जगत में ‘माता गौरी’ कहलाईं"।

स्नान के बाद देवी ने अपने निकट एक शेर को पाया, जो वर्षों से उन्हें खाने की ताक में बैठा था। लेकिन देवी की तरह ही, वह वर्षों से एक तपस्या में था, जिसका वरदान माता ने उसे अपना वाहन बनाकर दिया। तो इस तरह शेर मां दुर्गा की सवारी बन गया।

गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है।


मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। 

गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता।
गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।

ठीक करती है बुखार।
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

गिलोय के फायदे – डायबिटीज के रोगियों के लिए।
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाती है।
यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।

बढ़ाती है आंखों की रोशनी।
गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

अस्थमा में भी फायदेमंद।
मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

गठिया में मिलेगा आराम।
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

कम होगी पेट की चर्बी।
गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

जवां रखती है गिलोय।
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

काढ़ा।
चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।

अन्य फायदे।
अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है। इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है। खांड के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं। आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

साइड इफेक्ट्स।
* वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। 

* गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दे।

Knowledge: क्या आप जानते है हिमालय के ऊपर से आप उड़ान नहीं भर सकते। जानिए क्यों?

Knowledge: बचपन से स्कूल की किताबों में पढ़ाया जा रहा है कि हिमालय देश का मुकुट हैै। हम टीवी और सोशल मीडिया पर इसकी खूबसूरती भी देखते रहते हैंं। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके ऊपर से उड़ान नहीं भरी जा सकती है। आप चाहकर पर इसके ऊपर से सफर नहीं कर सकते हैं। दरअसल, हिमालय के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है। लेकिन ऐसा क्यों है, आइए जानते है।

मौसम है सबसे पहला कारण।
हिमालय का मौसम काफी खराब रहता है और लगातार बदलता रहता है। जो विमानों की उड़ान के लिए अनकूल नहीं होता है। वहीं, बदलता मौसम विमानों के लिए खतरनाक होते हैं। यात्री विमान में लोगों के हिसाब से एयर प्रेशर सेट किया जाता है। लेकिन हिमालय में हवा की असामान्य स्थिती यात्रियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

हिमालय की ऊंचाई है सबसे बड़ा कारण।
हिमालय की ऊंचाई सबसे बड़ा कारण है। हिमालय की ऊंचाई 23 हजार फिट है। वहीं, हवाई जहाज औसतन 30-35 हजार फिट तक उड़ान भरते हैं। लेकिन हिमालय की ऊंचाई विमानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, आपत स्थिति के लिए विमान में 20-25 मिनट का ऑक्सीजन होता है, आपात स्थिति में जहाज को 8-10 हजार फिट पर उड़ान भरनी होती है, ताकि लोगों को सांस लेने में दिक्कत ना हो। लेकिन हिमालय में 20-25 मिनट के समय में  30-35 हजार फिट से 8-10 हजार फिट पर आना संभव नहीं है।

नेविगेशन की सुविधा नहीं।
हिमालय के इलाकों की एक और दिक्कत है। वहां नेविगेशन की उचित सुविधा मौजूद नहीं है। ऐसे में आपात स्थिति में विमान एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकते। इसके अलाव इमरजेंसी लैडिंग के लिए आस-पास एयरपोर्ट भी नहीं है। अब आप समझ गए होंगे कि हिमालय के ऊपर विमान क्यों उड़ान नहीं भरते हैं।

जानिए इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कितने दिन खाएं मल्टी विटामिन और विटामिन डी3।

कोरोना वायरस की दूसरी लेहर के भयानक रूप को देख कर लोगों में डर पैदा हो गया है। इस संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह के घरेलू उपाय कर रहे हैं। साथ-साथ इस दौरान इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए मल्टी विटामिन, विटामिन डी3, जिंक और कैल्शियम जैसी दवाईयां भी ले रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है इसका ज्यादा डोज भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। तो आइए जानते हैं किस दावा को कब तक खाना चाहिए।

पीजीआई लखनऊ के हृदयरोग व‍िशेषज्ञ डॉ नवीन गर्ग ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्‍यू में बताया आज के समय में जब कोरोना का संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे समय में इम्युनिटी बूस्‍टर के कोर्स के बारे में बताते में भी लोगों को पता होना बेहद जरूरी हो गया है। डॉ. नवीन ने बताया कि विटामिन सी, डी और मल्‍टी विटामिन का कोर्स केवल एक माह का होता है। इसके साथ ही उन्‍होंने बताया कि जिंक का ज्‍यादा इस्‍तेमाल भी नुकसानदेह साबित हो सकता है।

डॉ. नवीन ने बताया मल्‍टी विटामिन को एक माह से ज्‍यादा नहीं खाना चाहिए। इससे शरीर के विभिन्‍न अंगों पर इसका असर देखने को मिल रहा है। कोरोना से बचने के लिए जो लोग दवा का सेवन नहीं करना चाहते वो इम्युनिटी बढ़ाने के चक्‍कर में जरूरत से ज्‍यादा च्‍यवनप्राश खा रहे हैं। इससे उनमें शुगर और हार्ट की बीमारियां बढ़ रही हैं।

कितने दिन क्‍या ले सकते हैं।

1. काढ़ा सिर्फ जुकाम महसूस होने पर दिन में एक बार ले।

2. जिंक- 15 दिन अध‍िकतम खाना चाहिए।

3. ‍मल्टी विटामिन- एक माह अधिकतम खाना चाहिए।

4. विटामीन डी-3 60K का एक-एक डोज महीने में चार बार, फिर माह में एक बार या डॉक्‍टरी सलाह पर ले।

5. ‍कैल्श‍ियम- डॉक्‍टर की सलाह पर महीने भर अधिकतम खाना चाहिए।

6. विटामिन सी- महीने भर खाना चाहिए।

Saturday, May 8, 2021

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा ही करनी चाहिए। जाने क्यों?

शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं। शिवलिंग को ज्योति माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र। आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है।
''अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थ: शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत ।।
इति वाचनान्तरात।'' -- सोमसूत्र :

शिवलिंग की निर्मली को सोमसूत्र की कहा जाता है। शास्त्र का आदेश है कि शंकर भगवान की प्रदक्षिणा में सोमसूत्र का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है। सोमसूत्र की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि भगवान को चढ़ाया गया जल जिस ओर से गिरता है, वहीं सोमसूत्र का स्थान होता है।

क्यों नहीं लांघते सोमसूत्र।

सोमसूत्र में शक्ति-स्रोत होता है अत: उसे लांघते समय पैर फैलाते हैं और वीर्य ‍निर्मित और 5 अन्तस्थ वायु के प्रवाह पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे देवदत्त और धनंजय वायु के प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। जिससे शरीर और मन पर बुरा असर पड़ता है। अत: शिव की अर्ध चंद्राकार प्रदशिक्षा ही करने का शास्त्र का आदेश है।

तब लांघ सकते हैं।

शास्त्रों में अन्य स्थानों पर मिलता है कि तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढके हुए सोम सूत्र का उल्लंघन करने से दोष नहीं लगता है। लेकिन ‘शिवस्यार्ध प्रदक्षिणा’ का मतलब शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करनी चाहिए।

किस ओर से करनी चाहिये परिक्रमा।

भगवान शिव की शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले हुए भाग यानी जल स्रोत तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी की जाती हैं।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...