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Sunday, June 13, 2021

भारतीय कोस्ट गार्ड की बढ़ी ताकत, एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल।

भारतीय कोस्ट गार्ड यानि तटरक्षक बल की ताकत अब और बढ़ गई है, भारत में ही बने एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल हो गये हैं। दरअसल भारत में ही बने ये तीन बेहद हल्के लेकिन बेहद एडवांस हेलिकॉप्टर अब सेवा देने के लिए कोस्ट गार्ड में शामिल कर लिये गये हैं। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत इन्हें भारत में एचएएल यानि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है।

रक्षा सचिव अजय कुमार की उपस्थिति में एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इन हेलीकॉप्टरों को आईसीजी यानि इंडियन कोस्ट गार्ड के बेड़े में शामिल किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली में भारतीय तटरक्षक मुख्यालय और बेंगलुरु में एचएएल के हेलीकॉप्टर एमआरओ डिवीजन में एक साथ आयोजित किया गया था। एचएएल अगले साल के मध्य तक 16 ऐसे हेलिकॉप्टर सप्लाई करेगा, इन हेलीकॉप्टरों को भुवनेश्वर, पोरबंदर, कोच्चि और चेन्नई में चार तटरक्षक स्क्वाड्रनों में तैनात किया जाएगा।

1. एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है 

2. ये बहुउद्देशीय भूमिका वाला अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर है

3. इसमें अत्याधुनिक ग्लास कॉकपिट और शक्तिशाली शक्ति इंजन लगा है

इन हेलिकॉप्टर में कई खूबियां हैं। ये हेलीकॉप्टर सर्विलांस रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिक पॉड, चिकित्सा देखभाल इकाई, उच्च तीव्रता लाइट, एसएआर होमर प्रणाली,  मशीन गन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। इस हेलिकॉप्टर में लगे उन्नत सेंसर की मदद से कोस्ट गार्ड चुनौती पूर्ण कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे।

Saturday, June 12, 2021

क्यों चलते हैं शनिदेव लंगड़ाकर, पढ़िए ये पौराणिक कथा।

एक बार सूर्य देव का तेज सहन न कर पाने की वजह से उनकी पत्नी संज्ञा देवी ने अपने शरीर से अपने जैसी ही एक प्रतिमूर्ति तैयार की और उसका नाम स्वर्णा रखा। उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देखरेख करते हुये सूर्यदेव की सेवा करो और पत्नी सुख भोगो। ये आदेश देकर वह अपने पिता के घर चली गयी। स्वर्णा ने भी अपने आप को इस तरह ढाला कि सूर्यदेव भी यह रहस्य न जान सके। इस बीच सूर्यदेव से स्वर्णा को पांच पुत्र व दो पुत्रियां हुई। स्वर्णा अपने बच्चों पर अधिक और संज्ञा की संतानों पर कम ध्यान देने लगी। एक दिन संज्ञा के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने स्वर्णा से भोजन मांगा।

तब स्वर्णा ने कहा कि अभी ठहरो, पहले मैं भगवान का भोग लगा लूं और तुम्हारे छोटे भाई बहनों को खाना खिला दूं, फिर तुम्हें भोजन दूंगी। यह सुन शनि को क्रोध आ गया और उसने माता को मारने के लिये अपना पैर उठाया तो स्वर्णा ने शनि को श्राप दे दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाये। माता का श्राप सुनकर शनिदेव डरकर अपने पिता के पास गये और सारा किस्सा कह दिया। सूर्यदेव समझ गये कि कोई भी माता अपने बच्चे को इस तरह का श्राप नहीं दे सकती। तब सूर्यदेव ने क्रोध में आकर पूछा कि बताओ तुम कौन हो? सूर्य का तेज देखकर स्वर्णा घबरा गयी और सारी सच्चाई बता दी।

तब सूर्य देव ने शनि को समझाया कि स्वर्णा तुम्हारी माता तो नहीं है परंतु मां के समान है। इसलिए उसका श्राप व्यर्थ तो नहीं होगा, परंतु यह उतना कठोर नहीं होगा कि टांग पूरी तरह से अलग हो जाये। हां, तुम आजीवन एक पांव से लंगड़ाकर चलते रहोगे। रावण की पत्नी मंदोदरी जब गर्भवती हुई तो रावण ने अपराजय व दीर्घायु पुत्र की कामना से सभी ग्रहों को अपनी इच्छानुसार स्थापित कर लिया। 

सभी ग्रह भविष्य में होने वाली घटनाओं को लेकर चिंतित थे लेकिन रावण के भय से वहीं ठहरे रहे। जब रावण पुत्र मेघनाद का जन्म होने वाला था तो उसी समय शनिदेव ने स्थान परिवर्तन कर लिया जिसके कारण मेघनाद की दीर्घायु, अल्पायु में परिवर्तित हो गई। शनि की बदली हुई स्थिति को देखकर रावण अत्यन्त क्रोधित हुआ और उसने शनि के पैर में अपनी गदा से प्रहार किया जिसके कारण शनिदेव लंगडे़ हो गये।

Wednesday, June 9, 2021

आज है ज्येष्ठ का दूसरा बड़ा मंगलवार, ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न।

मंगलवार का दिन श्री राम भक्त हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन पूरे मन से बजरंगबली की पूजा की जाती है। और आज ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगलवार है। हिंदू शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व है। श्रद्धालु आज के दिन व्रत रह कर पूरे विधि विधान से पूजा कर हनुमान जी को प्रसन्न करते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों के हर कष्टों को दूर करते हैं। तभी तो उनको संकटमोचन कहा जाता है।

हिंदू धर्म में हनुमान जी को बल और बुद्धि का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों को शीघ्र फल प्रदान करते हैं, इसीलिए इन्हें कलयुग का देवता कहते हैं। ये ही एक मात्र देवता है जो आज भी अपने भक्तों की मदद के लिए जीवित हैं।

मान्यता है कि आज बड़े मंगलवार को हनुमान जी की पूजा बड़े नियम और संयम से करनी चाहिए। इस दिन भक्त यदि ये काम करें तो हनुमान जी उनकी मनोकामना पूरी करेंगें।

आइये जानें ये काम।

1- हनुमान जी की कृपा पाने के लिए बड़े मंगलवार को बजरंग बाण का नियम पूर्वक पाठ करना चाहिए। इससे आत्म-विश्वास और साहस में वृद्धि होती है। शत्रु पराजित होते हैं।

2- आज बड़े मंगल के दिन हनुमान जी के दर्शन के बाद भगवान राम और माता सीता का दर्शन जरूर करें। ऐसा करने से भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

3- हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए बड़े मंगल के दिन गुलाब की माला या केवड़े का इत्र अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी कृपा भक्त पर बरसती हैm

4- बड़े मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में नारियल रखना शुभ होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

5- बड़े मंगलवार को लाल रंग की रोटी खिलाएं. ऐसा करना बेहद शुभ होता है।

6- बड़े मंगलवार के दिन हनुमान जी के साथ-साथ पीपल की पूजा भी करनी चाहिए। इससे भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है और हनुमान जी भक्त को मालामाल कर देते हैं।

Monday, June 7, 2021

जानिए क्यों और कब शाम के समय शिवलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए!

अगर हम शिव पुराण के अनुसार देखें तो इसमें भगवान शिव जी की पूजा अर्चना की विधियों के बारे में उल्लेख किया गया है, उन्हीं विधियों में से एक सावन महीने की रात के समय शिवलिंग के पास दीपक जलाने का उल्लेख मिलता है, शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग के पास दीपक जलाना पूजा विधि बताई गई है, अगर आप सावन महीने में शिवलिंग के पास रात के समय दीपक जलाते हैं तो इससे अपको अपने जीवन में धन से जुड़ी हुई परेशानियां नहीं होंगी, आपको धन संबधित सभी परेशानियों से छुटकारा प्राप्त होगा। शिवलिंग के पास दीपक जलाने से आपको धन संबंधित फायदा प्राप्त होता है।

एक प्रचलित कथा के मुताबिक ऐसा कहा जाता है प्राचीन काल में गुणनिधि नाम का एक व्यक्ति बहुत ही निर्धन था, वह अपने और अपने परिवार के लिए भोजन की तलाश में लगा हुआ था, उसको भोजन की तलाश करते करते रात हो गई थी और वह एक शिव मंदिर में पहुंच गया था, गुणनिधि ने यह विचार किया कि रात के समय इसी स्थान पर आराम कर लेना उचित होगा लेकिन रात का समय था और वहां पर बहूत ज्यादा अंधेरा भी हो गया था।

तब उसने अंधेरे को दूर करने के लिए शिव मंदिर में उसने अपनी कमीज़ जला दी थी, रात के समय शिवलिंग तके समक्ष प्रकाश करने के फल स्वरुप उसको अगले जन्म में कुबेर देव का पद प्राप्त हुआ था, इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि अगर व्यक्ति को धनवान बनने की इच्छा है तो सावन महीने में रात के समय शिलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए.

Saturday, June 5, 2021

10 जून को है शनि जयंती, उस दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां।

इस साल शनि देव जयंती 10 जून को मनाई जाएगी। हिंदू पंचाग के अनुार शनि जयंती हर साल जेष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही शनि देव उसे वैसा ही फल देते हैं। मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी बुरा या अच्छा कार्य शनिदेव से छिपा हुआ नहीं है। इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। और जिसके बाद जीवन में धन की परेशानी नहीं रहती है। साथ ही मान-सम्मान में वृद्धि होती है। परन्तु उनकी पूजा में यदि भूल से भी ये गलतियाँ हो गई तो उपासक को अपार क्षति हो सकती है। यहां तक की उनके जीवन में अनिष्ट भी हो सकता है. आइये जानें इन गलतियों के बारे में।

शनि जयंती शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी, जोकि 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।

ना करें ये गलतियां।
शनिदेव की पूजा करते समय उपासक को भूलकर भी उनसे अपनी दृष्टि नहीं मिलानी चाहिए। अन्यथा उपासक के जीवन में अनिष्ट हो सकता है। उपासक को चाहिए कि वे शनिदेव का सारा पूजन सिर को नीचे झुकाकर ही करें। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव को उनकी पत्नी से श्राप मिलने से दृष्टि वक्र हो गई है। ऐसे में आंख मिलाकर उनकी पूजा करने से उपासक के जीवन में अनिष्ट हो सकता है। इसलिए शनिदेव के सामने कभी भी एकदम खड़े होकर उनकी आंखों में आँख डालकर पूजा या दर्शन नहीं करनी चाहिए।

Friday, May 28, 2021

आज नारद जयंती, जानिए कैसे बने नारद मुनि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र।

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। ऋषि नारद मुनि परमपिता ब्रह्मा जी की मानस संतान माने जाते हैं। वह भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। उनके मुख से हर वक्त नारायण नारायम का ही स्वर निकलता। नारद मुनि के एक हाथ में वीणा है और दूसरे हाथ में वाद्य यंत्र है। नारद मुनि को देवताओं का संदेशवाहक कहा जाता है। वह तीनों लोकों में संवाद का माध्यम बनते थे। ऐसी मान्यता है कि मान्यता है कि इस दिन नारद जी की पूजा आराधना करने से भक्‍तों को बल, बुद्धि और सात्विक शक्ति की प्राप्ति होती है। आइये जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा।

नारद जयंती का शुभ मुहूर्त।
हिन्दू पंचांग के अनुसार नारद जयंती हर साल ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। साल 2021 में नारद जयंती की तिथि 27 मई को होगी। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा 26 मई को शाम 4 बजकर, 43 मिनट से शुरू होगी जो कि 27 मई को दोपहर 1 बजकर, 2 मिनट पर समाप्त होगी।

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं नारद जी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में नारद मुनि का जन्म गंधर्व कुल में हुआ था। उनका नाम उपबर्हण था. नारद मुनि को अपने रूप पर बड़ा अभिमान था। एक बार कुछ गंधर्व और अप्सराएं गीत और नृत्य के साथ ब्रह्मा जी की उपासना कर रही थीं। इसी दौरान उपबर्हण {नारद जी} स्त्रियों के वेष में श्रृंगार करके उनके बीच में आ गये। यह देख ब्रह्मा जी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उपबर्हण को अगले जन्म में शूर्द के यहां जन्म होने का श्राप दे दिया। ब्रह्मा जी के श्राप से उपबर्हण का जन्म शूद्र दासी के पुत्र के रूप में हुआ। इस बालक ने अपना पूरा जीवन ईश्वर की पूजा-अर्चना में लगाने का संकल्प लेकर कठोर तपस्या करने लगा। तभी आकाशवाणी हुई कि तुम इस जीवन में ईश्वर के दर्शन नहीं पाओगे। अगले जन्म में आप उन्हें पार्षद के रूप में प्राप्त करोगे।

Tuesday, May 25, 2021

कैसे बचाया था भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की जान? पढ़िए नरसिंह भगवान की यह कथा!

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जो भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। उसके राज्य में जो भी भगवान का नाम लेता उन पर बहुत अत्याचार किए जाते। हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसकी प्रजा उसे ही भगवान् माने। उनका बेटा प्रह्लाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत समझाया और डर दिखाया। लेकिन जब भक्त प्रह्लाद के सामने उसकी एक न चली तो उसने उन्हें पहाड़ी से नीचे फेंकने का आदेश दिया लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ। जब हिरण्यकश्यप ने यह देखा तो क्रोध से तिलमिला उठा और भगवान को ललकारने लगा। उसी समय उसके महल का खंभा फटा और नरसिंह भगवान अवतरित हुए. उनका रूप देख हिरण्यकश्यप कांप उठा। नरसिंह देव, ना पूरे पशु थे और ना पूरे मनुष्य, उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध अस्त्रों या शस्त्रों से नहीं बल्कि अपनी गोद में बिठाकर अपने नाखूनों से उसकी छाती चीर कर किया था।

बता दें कि हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की तपस्या कर उनसे वरदान मांगा था कि उसे न कोई इंसान मार पाए और न ही जानवर। न मैं रात में मारा जाऊं और न सुबह, न मेरी मौत घर के अन्दर हो न बाहर। इसलिए भगवान विष्णु को नरसिंह का अवतार लेना पड़े। नरसिंह देव, ना पूरे पशु थे और ना पूरे मनुष्य, उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध अस्त्रों या शस्त्रों से नहीं बल्कि अपनी गोद में बिठाकर अपने नाखूनों से उसकी छाती चीर कर किया था। जिस समय हिरण्यकश्यप वध हुआ उस समय शाम का समय था और महल की देहरी पर बैठकर नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध किया।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...