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Monday, June 14, 2021

राजस्थान में भगवान जगन्नाथ विशाल रथ को 85 किलो चांदी से किया जा रहा है तैयार।

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक महोत्सव से कम नहीं होती है। जहां भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु उत्सुक रहते हैं। पुरी की जगन्नाथ यात्रा की तर्ज पर ही उदयपुर में भी भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए राजस्थान में विशाल रथ तैयार किया जा रहा है। करीब दो साल से इसकी तैयारी की जा रही है। 28 खंडों को मिलाकर इस रजत रथ का निर्माण किया जा रहा है। रजत रथ में करीब 85 किलो चांदी चढ़ाई गई है। भले ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बरकरार हो लेकिन भक्त अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते रथ यात्रा को स्थगित किया गया था। इस वर्ष भी रथ यात्रा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इन सबके बावजूद भगवान जगन्नाथ के लिए भक्तों की ओर से नया रजत रथ तैयार किया जा रहा है। यहां रथ यात्रा की परंपरा 368 साल पुरानी है यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा 368 साल पुरानी है। पहले भगवान को मंदिर परिसर में परिक्रमा करवाई जाती थी लेकिन अब भगवान जगन्नाथ स्वयं भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। भगवान जगन्नाथ के नगर भ्रमण के लिए तैयार किए जा रहे नए रजत रथ पर चांदी चढ़ाने का काम 6 कारीगरों द्वारा किया जा रहा है।

भगवान जगन्नाथ का नया रजत रथ अत्याधुनिक तकनीक से युक्त होगा। रथ की लंबाई 16 फिट, चौड़ाई 8 फीट और ऊंचाई 21 फीट होगी। रथ के पहियों को 6 इंच अंदर लिया गया है। इससे दुर्घटना नहीं होगी। रथ में हाइड्रोलिक ब्रेक लगाए जा रहे हैं। मंदिर परिसर में करीब दो दर्जन कार्यकर्ता दिन रात रथ को तैयार करने में जुटे हुए हैं। नए रथ को आकर्षक और खूबसूरत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। नए रथ पर दोनों पहियों के ऊपर आगे हंस और पीछे शेर का मुख बनाया जा रहा है। रथ के पहिए हैदराबादी नक्काशी से बनाए गए हैं। रथ में हाइड्रोलिक ब्रेक लगाए जा रहे हैं ताकि रथ को आसानी से रोका जा सके। भगवान जगन्नाथ जब इस नए रजत रथ में विराजित होंगे तब भक्तों को दर्शन में परेशानी ना हो इसके लिए भी पूरा ध्यान रखा गया है।

Sunday, June 13, 2021

उत्तर प्रदेश में भी बना माता कोरोना का मंदिर, जाने क्या है खास।

देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से कितने घर में मातम छाया हुआ है। हालांकि मेडिकल साइंस अपनी जी जान लगा रही है। लेकिन अब लोग इस संकट को भगाने के लिए पूजा-पाठ की तरफ जा रहे हैं। केरल के बाद उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कोरोना माता का मंदिर स्थापित किया गया है। इस मंदिर माता कोरोना की एक मूर्ति स्थापित की गई है। इस महामारी से मुक्ति पाने के लिए लोग लगातार इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आ रहे हैं। हालांकि मंदिर में प्रवेश के लिए बनाए गए नियम लोगों को संक्रमण के प्रति जागरूकता का संदेश भी दे रहे हैं।

कोरोना संक्रमण ने लोगों के दिल में खौफ पैदा कर दिया है। परेशान लोगों ने अब आस्था की राह अपनाई है। सांगीपुर के पूरे जूही (शुकुलपुर) में महामारी से तीन मौतें हुईं तो लोग डर गए। गांव के लोकेश श्रीवास्तव की पहल के बाद ग्रामीणों ने 7 जून को कोरोना माता की मूर्ति स्थापित कराई।

बनवाई गई खास मूर्ति।
विशेष ऑर्डर पर तैयार करवाई गई मूर्ति को गांव में नीम के पेड़ के पास स्थापित कर इसे कोरोना माता मंदिर का नाम दे दिया गया। ग्रामीणों का मानना है कि, पूर्वजों ने चेचक को माता शीतला का स्वरूप माना था और अब कोरोना भी देवी माता का ही रूप है।

मंदिर में लिखे गए ये निर्देश।
ग्रामीणों का दावा है कि, यह विश्व का पहला कोरोना माता का मंदिर है। मंदिर में ऐसा लिखा भी गया है। मंदिर की दीवारों पर कुछ संदेश भी लिखे गए हैं। जिनमें कृपया दर्शन से पूर्व मास्क लगाएं, हाथ धोएं, दूर से दर्शन करें वरना...।

मंदिर में पीले फूल और...
इतना ही नहीं एक तरफ लिखा गया है कि कृपया सेल्फी लेते समय मूर्ति को न छुएं तो दूसरी तरफ कृपया पीले रंग का ही फूल, फल, वस्त्र, मिठाई, घंटा आदि चढ़ाएं। अब इसे अंधविश्वास कहें या लोगों की आस्था लेकिन मंदिर में बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने भी पहुंच रहे हैं।

केरल और कर्नाटक में बन चुके हैं मंदिर।
हालांकि इस तरह का कोरोना माता मंदिर केरल और तमिलनाडु के कोयंबटूर में कामचीपुरम इलाके में भी बना है। इससे पहले पिछले जून में, केरल के कोल्लम जिले के कडक्कल के एक मंदिर के पुजारी ने वायरस के डर को दूर करने के लिए अपने घर से जुड़े एक अस्थायी मंदिर में कोरोना देवी की मूर्ति स्थापित की थी।

Not:- ऐसी मान्यताओं को जय इंडिया पुष्टि नहीं करता।

भारतीय कोस्ट गार्ड की बढ़ी ताकत, एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल।

भारतीय कोस्ट गार्ड यानि तटरक्षक बल की ताकत अब और बढ़ गई है, भारत में ही बने एएलएच एमके-3  हेलिकॉप्टर अब तटरक्षक बल में शामिल हो गये हैं। दरअसल भारत में ही बने ये तीन बेहद हल्के लेकिन बेहद एडवांस हेलिकॉप्टर अब सेवा देने के लिए कोस्ट गार्ड में शामिल कर लिये गये हैं। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत इन्हें भारत में एचएएल यानि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है।

रक्षा सचिव अजय कुमार की उपस्थिति में एक ऑनलाइन कार्यक्रम में इन हेलीकॉप्टरों को आईसीजी यानि इंडियन कोस्ट गार्ड के बेड़े में शामिल किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली में भारतीय तटरक्षक मुख्यालय और बेंगलुरु में एचएएल के हेलीकॉप्टर एमआरओ डिवीजन में एक साथ आयोजित किया गया था। एचएएल अगले साल के मध्य तक 16 ऐसे हेलिकॉप्टर सप्लाई करेगा, इन हेलीकॉप्टरों को भुवनेश्वर, पोरबंदर, कोच्चि और चेन्नई में चार तटरक्षक स्क्वाड्रनों में तैनात किया जाएगा।

1. एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है 

2. ये बहुउद्देशीय भूमिका वाला अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर है

3. इसमें अत्याधुनिक ग्लास कॉकपिट और शक्तिशाली शक्ति इंजन लगा है

इन हेलिकॉप्टर में कई खूबियां हैं। ये हेलीकॉप्टर सर्विलांस रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिक पॉड, चिकित्सा देखभाल इकाई, उच्च तीव्रता लाइट, एसएआर होमर प्रणाली,  मशीन गन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। इस हेलिकॉप्टर में लगे उन्नत सेंसर की मदद से कोस्ट गार्ड चुनौती पूर्ण कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे।

Saturday, June 12, 2021

क्यों चलते हैं शनिदेव लंगड़ाकर, पढ़िए ये पौराणिक कथा।

एक बार सूर्य देव का तेज सहन न कर पाने की वजह से उनकी पत्नी संज्ञा देवी ने अपने शरीर से अपने जैसी ही एक प्रतिमूर्ति तैयार की और उसका नाम स्वर्णा रखा। उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देखरेख करते हुये सूर्यदेव की सेवा करो और पत्नी सुख भोगो। ये आदेश देकर वह अपने पिता के घर चली गयी। स्वर्णा ने भी अपने आप को इस तरह ढाला कि सूर्यदेव भी यह रहस्य न जान सके। इस बीच सूर्यदेव से स्वर्णा को पांच पुत्र व दो पुत्रियां हुई। स्वर्णा अपने बच्चों पर अधिक और संज्ञा की संतानों पर कम ध्यान देने लगी। एक दिन संज्ञा के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने स्वर्णा से भोजन मांगा।

तब स्वर्णा ने कहा कि अभी ठहरो, पहले मैं भगवान का भोग लगा लूं और तुम्हारे छोटे भाई बहनों को खाना खिला दूं, फिर तुम्हें भोजन दूंगी। यह सुन शनि को क्रोध आ गया और उसने माता को मारने के लिये अपना पैर उठाया तो स्वर्णा ने शनि को श्राप दे दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाये। माता का श्राप सुनकर शनिदेव डरकर अपने पिता के पास गये और सारा किस्सा कह दिया। सूर्यदेव समझ गये कि कोई भी माता अपने बच्चे को इस तरह का श्राप नहीं दे सकती। तब सूर्यदेव ने क्रोध में आकर पूछा कि बताओ तुम कौन हो? सूर्य का तेज देखकर स्वर्णा घबरा गयी और सारी सच्चाई बता दी।

तब सूर्य देव ने शनि को समझाया कि स्वर्णा तुम्हारी माता तो नहीं है परंतु मां के समान है। इसलिए उसका श्राप व्यर्थ तो नहीं होगा, परंतु यह उतना कठोर नहीं होगा कि टांग पूरी तरह से अलग हो जाये। हां, तुम आजीवन एक पांव से लंगड़ाकर चलते रहोगे। रावण की पत्नी मंदोदरी जब गर्भवती हुई तो रावण ने अपराजय व दीर्घायु पुत्र की कामना से सभी ग्रहों को अपनी इच्छानुसार स्थापित कर लिया। 

सभी ग्रह भविष्य में होने वाली घटनाओं को लेकर चिंतित थे लेकिन रावण के भय से वहीं ठहरे रहे। जब रावण पुत्र मेघनाद का जन्म होने वाला था तो उसी समय शनिदेव ने स्थान परिवर्तन कर लिया जिसके कारण मेघनाद की दीर्घायु, अल्पायु में परिवर्तित हो गई। शनि की बदली हुई स्थिति को देखकर रावण अत्यन्त क्रोधित हुआ और उसने शनि के पैर में अपनी गदा से प्रहार किया जिसके कारण शनिदेव लंगडे़ हो गये।

Wednesday, June 9, 2021

आज है ज्येष्ठ का दूसरा बड़ा मंगलवार, ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न।

मंगलवार का दिन श्री राम भक्त हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन पूरे मन से बजरंगबली की पूजा की जाती है। और आज ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगलवार है। हिंदू शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व है। श्रद्धालु आज के दिन व्रत रह कर पूरे विधि विधान से पूजा कर हनुमान जी को प्रसन्न करते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों के हर कष्टों को दूर करते हैं। तभी तो उनको संकटमोचन कहा जाता है।

हिंदू धर्म में हनुमान जी को बल और बुद्धि का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों को शीघ्र फल प्रदान करते हैं, इसीलिए इन्हें कलयुग का देवता कहते हैं। ये ही एक मात्र देवता है जो आज भी अपने भक्तों की मदद के लिए जीवित हैं।

मान्यता है कि आज बड़े मंगलवार को हनुमान जी की पूजा बड़े नियम और संयम से करनी चाहिए। इस दिन भक्त यदि ये काम करें तो हनुमान जी उनकी मनोकामना पूरी करेंगें।

आइये जानें ये काम।

1- हनुमान जी की कृपा पाने के लिए बड़े मंगलवार को बजरंग बाण का नियम पूर्वक पाठ करना चाहिए। इससे आत्म-विश्वास और साहस में वृद्धि होती है। शत्रु पराजित होते हैं।

2- आज बड़े मंगल के दिन हनुमान जी के दर्शन के बाद भगवान राम और माता सीता का दर्शन जरूर करें। ऐसा करने से भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

3- हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए बड़े मंगल के दिन गुलाब की माला या केवड़े का इत्र अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी कृपा भक्त पर बरसती हैm

4- बड़े मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में नारियल रखना शुभ होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

5- बड़े मंगलवार को लाल रंग की रोटी खिलाएं. ऐसा करना बेहद शुभ होता है।

6- बड़े मंगलवार के दिन हनुमान जी के साथ-साथ पीपल की पूजा भी करनी चाहिए। इससे भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है और हनुमान जी भक्त को मालामाल कर देते हैं।

Monday, June 7, 2021

जानिए क्यों और कब शाम के समय शिवलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए!

अगर हम शिव पुराण के अनुसार देखें तो इसमें भगवान शिव जी की पूजा अर्चना की विधियों के बारे में उल्लेख किया गया है, उन्हीं विधियों में से एक सावन महीने की रात के समय शिवलिंग के पास दीपक जलाने का उल्लेख मिलता है, शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग के पास दीपक जलाना पूजा विधि बताई गई है, अगर आप सावन महीने में शिवलिंग के पास रात के समय दीपक जलाते हैं तो इससे अपको अपने जीवन में धन से जुड़ी हुई परेशानियां नहीं होंगी, आपको धन संबधित सभी परेशानियों से छुटकारा प्राप्त होगा। शिवलिंग के पास दीपक जलाने से आपको धन संबंधित फायदा प्राप्त होता है।

एक प्रचलित कथा के मुताबिक ऐसा कहा जाता है प्राचीन काल में गुणनिधि नाम का एक व्यक्ति बहुत ही निर्धन था, वह अपने और अपने परिवार के लिए भोजन की तलाश में लगा हुआ था, उसको भोजन की तलाश करते करते रात हो गई थी और वह एक शिव मंदिर में पहुंच गया था, गुणनिधि ने यह विचार किया कि रात के समय इसी स्थान पर आराम कर लेना उचित होगा लेकिन रात का समय था और वहां पर बहूत ज्यादा अंधेरा भी हो गया था।

तब उसने अंधेरे को दूर करने के लिए शिव मंदिर में उसने अपनी कमीज़ जला दी थी, रात के समय शिवलिंग तके समक्ष प्रकाश करने के फल स्वरुप उसको अगले जन्म में कुबेर देव का पद प्राप्त हुआ था, इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि अगर व्यक्ति को धनवान बनने की इच्छा है तो सावन महीने में रात के समय शिलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए.

Saturday, June 5, 2021

10 जून को है शनि जयंती, उस दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां।

इस साल शनि देव जयंती 10 जून को मनाई जाएगी। हिंदू पंचाग के अनुार शनि जयंती हर साल जेष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही शनि देव उसे वैसा ही फल देते हैं। मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी बुरा या अच्छा कार्य शनिदेव से छिपा हुआ नहीं है। इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। और जिसके बाद जीवन में धन की परेशानी नहीं रहती है। साथ ही मान-सम्मान में वृद्धि होती है। परन्तु उनकी पूजा में यदि भूल से भी ये गलतियाँ हो गई तो उपासक को अपार क्षति हो सकती है। यहां तक की उनके जीवन में अनिष्ट भी हो सकता है. आइये जानें इन गलतियों के बारे में।

शनि जयंती शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी, जोकि 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।

ना करें ये गलतियां।
शनिदेव की पूजा करते समय उपासक को भूलकर भी उनसे अपनी दृष्टि नहीं मिलानी चाहिए। अन्यथा उपासक के जीवन में अनिष्ट हो सकता है। उपासक को चाहिए कि वे शनिदेव का सारा पूजन सिर को नीचे झुकाकर ही करें। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव को उनकी पत्नी से श्राप मिलने से दृष्टि वक्र हो गई है। ऐसे में आंख मिलाकर उनकी पूजा करने से उपासक के जीवन में अनिष्ट हो सकता है। इसलिए शनिदेव के सामने कभी भी एकदम खड़े होकर उनकी आंखों में आँख डालकर पूजा या दर्शन नहीं करनी चाहिए।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...