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Saturday, December 11, 2021

CDS विपिन रावत को दी गई 17 तोपों की सलामी, जानिए 21 की जगह सत्रह की क्यों दी गई सलामी।

भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat),  उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य लोग पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। वहीं आर्मी प्रोटोकॉल के मुताबिक सीडीएस बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई, लेकिन आमतौर पर भारत में 21 और 17 तोपों की सलामी दी जाती है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगी कि आखिर बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी ही क्यों दी गई। जानते हैं क्यों दी गई CDS रावत को 17 तोपों कि सलामी..


21 तोपों की सलामी किसे दी जाती है?
भारत के राष्ट्रपति और वरिष्ठ नेताओं को उनके अंतिम संस्कार के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके अलावा नौसेना प्रमुख, थल सेना और वायु सेना के अधिकारियों को भी 17 तोपों की सलामी दी जाती है। दिलचस्प बात ये है कि  भारत में 19 तोपों की भी सलामी दी जाती है, हालांकि ये सलामी तब दी जाती है जब किसी अन्य देश बड़ा व्यक्ति भारत दौरे पर आते हैं। इसके अलावा 19 तोपों की सलामी तब भी दी जाती है जब भारत के वरिष्ठ नेता 'गार्ड ऑफ ऑनर' के रूप में किसी दूसरे देश का दौरा करते हैं। ठीक उसी तरह जैसे मार्च में पीएम मोदी को बांग्लादेश दौरे के दौरान दी गई थी।

क्यों दी जाती है तोपों की सलामी?
ये एक राजकीय सम्मान देने की प्रक्रिया है। राजनीति, कानून, विज्ञान और कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता है। जानकारी के अनुसार राजकीय अंतिम संस्कार में बंदूक की सलामी, आधा झुका हुआ झंडा, राष्ट्रीय शोक दिवस और एक सार्वजनिक अवकाश शामिल होता है। इतना ही नहीं गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे कई अन्य अवसरों पर भी तोपों की सलामी दी जाती है। इस बीच, सशस्त्र बलों के कर्मियों को बंदूक की सलामी दी जाती है जिन्होंने शांति या युद्ध के समय में योगदान दिया है।

 किसे मिलता है राजकीय अंतिम संस्कार?
आमतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को राजकीय अंतिम संस्कार दिया जाता है। लेकिन हाल के दिनों में, नियमों में बदलाव किया गया है।  अब राज्य सरकारें तय करती हैं कि किसे राजकीय अंतिम संस्कार दिया जा सकता है। बता दें कि महात्मा गांधी भारत में राजकीय अंतिम संस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति थे।
राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल कुछ अन्य लोगों में मदर टेरेसा, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, सरबजीत सिंह, हिंदुस्तानी संगीत गायिका गंगूबाई हंगल, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी, सबसे पुराने सैन्य अधिकारी अर्जन सिंह (जिन्होंने 17 तोपों की सलामी ली), पद्मश्री पुरस्कार विजेता शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बॉलीवुड एक्टर दिलीप कुमार और श्रीदेवी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था।

Friday, December 10, 2021

अगर छठ पूजा में करते हैं ये काम, तो प्रसन्न होती हैं छठ मईया।

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। जो इस बार 11 नवंबर यानि कि गुरुवार के दिन है। इस दिन छठ पूजा के साथ-साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगले दिन सूर्योदय पर भी अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। लेकिन छठ पर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पहले चतुर्थी से ही हो जाती है। तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं।

यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है। छठ पूजा के दौरान बहुत ही विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ कई नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी होता है। यह व्रत जितना कठिन होता है उतने ही कठिन इसके नियम होते हैं। जानें छठ पूजा के दौरान किन 10 नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।

छठ पूजा के 10 बड़े नियम।
1:- मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन का सेवन करना इन 4 दिनों में वर्जित माना जाता है।

2:- छठ पूजा में सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए बिना साफ-सफाई के पूजा की कोई भी चीज नहीं छूनी चाहिए।

3:- जो महिलाएं यह व्रत करती हैं वह इन दिनों में पलंग या चारपाई पर नहीं सोती बल्कि जमीन पर चादर बिछाकर सोती हैं।

4:- सूर्य भगवान को अर्ध्य देना बहुत ही जरूरी माना जाता है। इसलिए कभी भी पूजा के लिए चांदी, स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

5:- प्रसाद तैयार करते समय खुद कुछ नहीं खाना चाहिए।

6:- जिस जगह आप प्रसाद बना रहे हैं, वहां पर पहले खाना न बनता हो।

7:- पूजा के समय हमेशा साफ-सुथरे और धुले हुए कपड़े ही पहनें।

8:- अगर आपने व्रत रखा है तो बिना सूर्य को अर्घ्य दिए जल या फिर किसी और चीज का सेवन न करें।

9:- छठ व्रत के दौरान शराब, अल्कोहल और मांसाहारी खाने से दूरी बनाकर रखें।

10:- पूजा के दिनों में किसी को भी फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं।

कैटरिना कैफ विक्की कौशल से 10 गुना सम्पति के मालिकिन है, जाने और भी रोचक बातें।

नई दुनिया: बॉलीवुड अभिनेता विक्की कौशल ने अपने अभिनय की शुरुआत 2015 में फिल्म मसान से की थी। इस फिल्म में बेस्ट मेल डेब्यू के लिए विक्की कौशल को अवार्ड भी मिला है इसके बाद  विक्की ने फिल्म जुबान ,राजी और संजू में अभिनय किया। और अभिनेत्री कैटरीना कैफ की बात करे तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 2003 में फिल्म “बूम” से की थी। इसके बाद कैटरीना ने सरकार, मैने प्यार क्यों किया, हमको दीवाना कर गये, नमस्‍ते लंदन, पार्टनर, वेलकम, रेस और बहुत सी फिल्मो में अभिनय किया। जैसा कि सबको मालूम है कैटरीना और विक्की कौशल शादी के बंधन में बंधने वाले है। इसलिए उनके फैन्स उनके बारे में हर छोटी-बड़ी बात जानना चाहते है। आज हम आपको दोनों स्टार्स के बारे में कुछ रोचक बातें बताने वाले है।

विकी कौशल और कैटरीना कैफ की उम्र का अंतर।
कैटरीना कैफ और विकी कौशल की शादी को लेकर कई लोग चर्चा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि कैटरीना कैफ विकी कौशल से उम्र में (Age) बड़ी है। हर कोई कैटरीना कैफ और विकी कौशल की उम्र के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं। आपको बता दें कि विक्की कौशल और कैटरीना कैफ की उम्र में 5 वर्ष का अंतर है। वर्तमान समय (Present Time) में कैटरीना कैफ 38 वर्ष की है। वहीं दूसरी तरफ विकी कौशल की उम्र की बात करें तो उनकी उम्र 33 वर्ष है।

18 वर्ष पहले की थी फिल्मी कैरियर की शुरुआत।
विकी कौशल और कैटरीना कैफ की शादी हो जाने के बाद कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि कैटरीना कैफ ज्यादा उम्र की है जिस तरह से प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) के पति कम उम्र के हैं और प्रियंका चोपड़ा ज्यादा उम्र की है। फिल्मी कैरियर (Film career) की बात करें तो इसमें भी कैटरीना कैफ विकी कौशल से काफी आगे है। कैटरीना कैफ ने साल 2003 में बूम (Boom) फिल्म से बॉलीवुड (Bollywood) में काम करना शुरू किया था। उन्हें बॉलीवुड में 18 साल हो चुके हैं। वहीं दूसरी ओर विकी कौशल ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत 2012 में की थी।

विकी कौशल से बहुत ज्यादा अमीर है कैटरीना।
टाइम्स ऑफ इंडिया (Times Of India) के द्वारा जारी रिपोर्ट (Report) के अनुसार कैटरीना कैफ की कुल नेटवर्थ (Networth) 220 करोड़ रुपए है। वहीं दूसरी तरफ अगर विकी कौशल की बात करें तो टाइम्स ऑफ इंडिया के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार उनकी कुल नेटवर्थ 24 करोड़ रूपए ही है। विक्की कौशल ने साल 2012 में अपने करियर की शुरुआत फिल्म “लव शव ते चिकन खुराना” से की थी। उन्हें साल 2015 में आई फिल्म मसान (Masan) से एक अलग पहचान मिली थी।

Wednesday, December 8, 2021

एक 'गलती' ने पलट दी शख्स की किस्मत, हुआ कुछ ऐसा कि रातों-रात बन गया साढ़े 5 करोड़ का मालिक।

नई दुनिया: कहते हैं कि जब किसी की किस्मत पलटनी होती है तो कितनी भी आफत आ जाए, आदमी अमीर हो ही जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ अमेरिका (America) के एक शख्स के साथ। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना राज्य में रहने वाले स्कॉटी थॉमस की एक गलती ने उन्हें रातों-रात साढ़े पांच करोड़ का मालिक बना दिया।

गलती से खरीदा था लॉटरी का दो टिकट।
दरअसल, थॉमस ने गलती से एक लॉटरी (Lottery) के दो टिकट खरीद लिए थे। इस गलती का उन्हें काफी पछतावा भी हो रहा था, लेकिन जब लॉटरी खुली तो उनकी किस्मत भी खुल गई। गलती से खरीदे गए इन दोनों टिकट पर उनकी लॉटरी लग गई। इससे शख्स ने करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये जीत लिए और रातों-रात करोड़पति बन गए। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, स्कॉटी थॉमस ने लॉटरी के दो टिकट गलती से खरीद लिए थे। उन्होंने नॉर्थ कैरोलिना एजुकेशन लॉटरी के ऑफिसर्स को अपनी कहानी बताया हुए कहा कि वह एक दिन घर पर बैठे थे। इस दौरान उनके दिमाग में सूझा कि चलो कुछ टाइम पास करते हैं।

गलती से दो टिकट खरीदने पर हो रहा था पछतावा।
स्कॉटी ने बताया कि उन्होंने टाइम पास के लिए घर बैठे-बैठे 'लॉटरी फॉर लाइफ' का एक टिकट खरीदने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने लॉटरी के लिए ऑनलाइन डिटेल भरना शुरू किया। स्कॉटी ने बताया कि उन्हें पता भी नहीं चला और उन्होंने गलती से दो बार डिटेल्स भर दिया और टिकट खरीद लिया। उन्हें तब तक लगा था कि उन्होंने एक ही टिकट खरीदा है। स्कॉटी ने बताया कि अगले दिन सुबह उनके बेटे उनके ऊपर गुस्सा होने लगे और कहने लगे कि एक ही लॉटरी के 2 अलग-अलग अमाउंट लिस्टेड क्यों है? इसके बाद जब उन्होंने जाकर चेक किया तो उन्हें पता चला कि गलती से एक ही लॉटरी के दो टिकट खरीद चुके हैं। इस वजह से उन्हें निराशा हुई कि उन्होंने एक ही नंबर के दो टिकट आखिर क्यों खरीद लिए।

गलती ने पलटकर रख दी किस्मत।
इसी गलती ने स्कॉटी की किस्मत पलटकर रख दी। उनको कुछ ही दिन बाद पता चला कि दोनों लॉटरी लग गई है। इस बात को सुनकर स्कॉटी को भरोसा ही नहीं हो रहा था। जब उन्हें ये खबर मिली तो वह कुछ देर के लिए फर्श पर लेट गए। यह खबर स्कॉटी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थी। उन्होंने कहा कि किसकी किस्मत कब पलट जाए, कोई पता नहीं।

Wednesday, November 10, 2021

माता सीता और द्रोपदी ने क्यों किया था छठ पूजा ? जानें इस महापर्व का इतिहास।

आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा का बहुत महत्व होता है, भगवान सूर्य को इस दिन शाम को और दूसरे दिन सुबह अर्घ्य दिया जाता है। छठ का पहला दिन नहाय खाए से शुरू होता है। उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला यह पर्व अपने आप में काफी खास है। इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा का त्योहार चार दिन तक चलता है। सूर्य देव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए समर्पित छठ पूजा हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। इस वर्ष छठ पूजा 11 नवंबर गुरुवार को है।

राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी।
छठ पर्व कैसे शुरू हुआ इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं। पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियंवद को लेकर है। कहते हैं राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा।

सीता जी ने 6 दिनों तक सूर्यदेव की उपासना की
राजा प्रियंवद ने पुत्र इच्छा के कारण देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी और तभी से छठ पूजा होती है। इस कथा के अलावा एक कथा राम-सीता जी से भी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब राम और सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला किया था। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगा जल छिड़क कर उन्हें पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। उस समय सीता जी ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर 6 दिनों तक भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी।

द्रौपदी ने भी छठ व्रत रखा था।
एक और मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। इसकी शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वह रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है। छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है। इस कथा के मुताबिक जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिल गया था। लोक परंपरा के मुताबिक सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।

Friday, November 5, 2021

38 साल की क्रिकेटर मिताली राज ने अब तक क्यों नहीं की शादी? ये है उनका 'पहला प्यार'

नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट को एक अलग ही पहचान मिल चुका है सयद ही कोई ऐसा हो जो क्रिकेट नहीं जानता हो और क्रिकेट नहीं खेला हो, क्रिकेट से लगभग सभी लोग प्यार करते हैं। इसके बारे मे और इसके खिलाड़ियों के बारे में सभी लोग जानने की इच्छा रखते हैं। भारत में लोग क्रिकेटर्स को भगवान का दर्जा तक दे चुके हैं। भारतीय महिला टीम की टेस्ट और वनडे क्रिकेट की कप्तान मिताली राज भारत के साथ-साथ ही पूरे दुनिया में काफी फेमस हैं। उनके नाम ढेरों रिकॉर्ड हैं, उन्हें भारतीय 'महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर' कहा जाता है। हाल ही में उन्होंने एक बड़ा खुलासा किया है कि उन्होंने अभी तक शादी क्यों नहीं की।

क्रिकेट नहीं, ये है पहला प्यार। 
भारत की स्टार बल्लेबाज मिताली राज ने अपने खेल से अपना और देश का नाम ऊंचा किया है। लेकिन स्पोर्ट्स उनका पहला प्यार नहीं था। मिताली राज अपने पिता की  जिद पर क्रिकेटर बनीं थी। उन्हें डांस करना अच्छा लगा था। बचपन से ही वो डांसर बनना चाहती थी। वह भरतनाट्यम में ट्रेनिंग भी ले चुकी हैं। मिताली के भाई और पापा भी पूर्व क्रिकेटर रह चुके हैं।

शादी ना करने की बताई वजह 
तीन दिसंबर 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मीं मिताली राज ने अब तक शादी नहीं की है। इतनी उम्र होने के बावजूद उनके शादी नहीं करने का कारण भी बहुत खास है। 'मिड डे' को दिए एक इंटरव्यू में मिताली ने यह राज खोला है। उन्होंने कहा, 'बहुत वक्त पहले, जब मैं बहुत छोटी थी तब यह विचार मेरे दिमाग में आया था, लेकिन अब जब मैं विवाहित लोगों को देखती हूं तब यह विचार मेरे दिमाग में नहीं आता है। मैं सिंगल रहकर बहुत खुश हूं'।

वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज।
मिताली राज ने 1999 में आयरलैंड के खिलाफ मैच से इंटरनेशनल डेब्यू किया था। तब से उनका बल्ला रन उगल रहा है। वह पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने वनडे  क्रिकेट में 7000 से ज्यादा रन बनाए हैं। उनके नाम वनडे क्रिकेट में 7 शतक दर्ज हैं। वहीं टी20 क्रिकेट में 2364 रन बनाए हैं। वह बहुत ही क्लासिक बल्लेबाज हैं।

Monday, November 1, 2021

DHONI की CSK ने नीरज चोपड़ा पर की पैसों की बरसात, किया एक करोड़ रुपये से सम्मानित।

Chennai Super Kings reward Neeraj Chopra with Rs one crore: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) पर इनामों की बारिश अभी तक हो रही है। देश का नाम रौशन करने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने ओलंपिक में इस साल कुछ ऐसा कर दिखाया था जो आज से पहले भाला फेंक में कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं कर सका था। यही वजह है कि नीरज चोपड़ा पर लगातार इनामों की बारिश हो रही है।

न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक चेन्नई सुपर किंग्स ने टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को उनकी एतिहासिक उपलब्धि के लिए एक करोड़ रुपये का चैक देकर सम्मानित किया। ओलंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी चोपड़ा को चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड की ओर से एक करोड़ रुपये का चैक सौंपा गया। विज्ञप्ति के अनुसार सीएसके ने चोपड़ा के सम्मान में उन्हें 8758 नंबर (टोक्यो में 87.58 मीटर के स्वर्ण पदक के प्रयास के आधार पर) की जर्सी भी सौंपी।

चोपड़ा अभिनव बिंद्रा के बाद भारत के सिर्फ दूसरे व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। सीएसके के सीईओ केएस विश्वनाथन ने कहा, "शानदार उपलब्धि के लिए पूरे देश को नीरज पर गर्व है। ट्रैक एवं फील्ड में स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला भारतीय बनकर उन्होंने मापदंड स्थापित किए हैं"। उन्होंने कहा, "वह अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। 87.58 की संख्या हमेशा के लिए भारतीय खेलों के इतिहास में दर्ज हो गई है और नीरज को यह विशेष जर्सी सौंपना हमारे लिए सम्मान की बात है।

नीरज चोपड़ा ने सीएसके प्रबंधन को दिया धन्यवाद: 
पुरस्कार और विशेष जर्सी लेने के बाद 23 साल के चोपड़ा ने कहा कि पिछले दो महीने उनके लिए नई चीजों का अनुभव करने का मौका रहा। उन्होंने सीएसके प्रबंधन को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा, "आपके समर्थन और पुरस्कार के लिए धन्यवाद। काफी अच्छा लग रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि स्वर्ण पदक जीतने के बाद मुझे इतना प्यार मिलेगा। इसकी उम्मीद नहीं थी और काफी अच्छा महसूस कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि मैं और कड़ी मेहनत करूंगा और अच्छे नतीजे हासिल करूंगा। "टोक्यो में सात अगस्त को 87.58 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर चोपड़ा ओलंपिक खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...