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Sunday, February 21, 2021

नाटा मल्लिक, एक ऐसा जल्लाद था जो फांसी की रस्सियों के ताबीज़ बना कर बेचता था।

लखनऊ: निर्भया के चार दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद एक बार फिर चर्चा में आ गए। वजह है अमरोहा की शबनम। जी हां, प्रेम में अंधी होकर अपने ही परिवार के सात लोगों की बेरहमी से हत्या करने वाली शबनम को कभी भी फांसी हो सकती है। उसे सूली पर चढ़ाने की जिम्मेदारी मेरठ के पवन जल्लाद को दी गई है। वैसे तो भारत में फांसी की सजा ब्रिटिश काल के पहले से है। हालांकि, 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस' में फांसी की सजा दी जाती है। भले ही फांसी की सजा कोर्ट में बैठे जज देते हैं लेकिन अंजाम तक एक जल्लाद ही पहुंचाता है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक भारत में इस समय केवल दो ही पंजीकृत जल्लाद परिवार हैं, जो सालों से ये काम करते आ रहे हैं। पहला उत्तर प्रदेश का पवन कुमार और दूसरा पश्चिम बंगाल का बाबू अहमद। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जल्लाद की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसके नाम पर 25 लोगों को फांसी देने का रिकॉर्ड दर्ज है। वह फांसी देने के बाद इस्तेमाल की गई रस्सी से लॉकेट बनाने के लिए भी मशहूर था। हम बात कर रहे हैं जल्लाद नाटा मल्लिक की। हालांकि, साल 2008 में उसकी मौत हो चुकी है।

फांसी पर चढ़ाना था पुश्तैनी काम।
2000 के दशक तक नाटा मल्लिक पश्चिम बंगाल राज्य का मशहूर जल्लाद हुआ करता था। वह मूलत: कोलकाता का रहने वाला था। उसके लिए फांसी देना एक पुश्तैनी पेशा था। ब्रिटिश राज में नाटा के पिता ने 500 से भी ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया था, जिसमें अधिकतर बंगाली क्रांतिकारी शामिल थे। वहीं, नाटा के पिता के पहले दादा ने भी कई लोगों को फांसी पर चढ़ाया था।

इतनी मिलती थी सैलेरी।
वेस्ट बंगाल सरकार सैलेरी के तौर पर नाटा मल्लिक को 10 हजार रुपये देती थी। इसके अलावा उसे हर फांसी पर भी 5000 रुपये से लेकर 10000 रुपये मिला करते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जल्लाद ने फांसी देने वाली रस्सियों के जरिए भी बहुत कमाई की।

फंदे की रस्सी के लिए घर के बाहर लगता था लोगों का तांता।
14 अगस्त 2004 को नाटा मल्लिक ने अपनी 25वीं और आखिरी फांसी धनंजय चटर्जी को अलीपुर जेल में दी थी। आपको बता दें कि जिस रस्सी से अपराधी को फांसी पर लटाकाया जाता था, उसका एक छोटा टुकड़ा पाने के लिए नाटा मल्लिक के घर के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। सुनने में भले ही यह अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह बिल्कुल सच है।

रस्सी के ताबीज़ बनाकर बेचता था नाटा मल्लिक
दरअसल, अपराधी को फांसी देने के बाद नाटा उस रस्सी को घर ले आता था। फिर उस रस्सी के टुकड़े को ताबीज़ में भर कर बेचा करता था। हैरान करने वाली ये है कि खरीददारों में केवल गरीब और अनपढ़ लोग ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे और अमीर लोग भी आया करते थे। ऐसे ही लॉकेट बेचते हुए नाटा मल्लिक ने हजारों रुपये कमाये। इसकी वजह लोगों का विश्वास या अंधविश्वास कह सकते हैं। दरअसल, लोगों का मानना था फांसी के फंदे की रस्सी से दमा जैसी कई असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं। बस यही कारण था कि लोग उस रस्सी के ताबीज़ के लिए नाटा जल्लाद से खरीदते थे। आपको बता दें कि उसने अपने घर के बाहर एक तौलिए से फांसी की गांठ बनाकर भी टांग रखा था।

फांसी की रस्सी में होते हैं औषधिय गुण।
नाटा मल्लिक का मानना था कि फांसी के पहले इन रस्सियों पर साबुन, केला और घी लगाने के कारण इनमें औषधीय गुण आ जाते हैं। उसका दावा था कि उनके पास जितने भी मरीज आए वो सब ताबीज़ पहनने के बाद एकदम स्वस्थ हो गए। आपको बता दें ऐसा करने वाले वह पहले जल्लाद नहीं था उसके दादा भी इन रस्सियों के ताबीज़ बना कर बेचा करते थे।

Saturday, February 20, 2021

अपर्णा यादव ने श्रीराम मंदिर को दिया दान, और लोगो से आगे आकर जितना संभव हो, मंदिर के लिए उतना दान देने को अपील किया।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की बहू अपर्णा बिष्ट यादव (Aparna Bisht Yadav) ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Shriram Temple) के निर्माण के लिए 11 लाख 11 हजार रुपये का चंदा दिया है। दान के बाद अपर्णा ने कहा कि मैंने ये स्वेच्छा से किया है। मैं अपने परिवार की जिम्मेदारी नहीं ले सकती।

'अतीत कभी भी भविष्य के बराबर नहीं होता'
अपर्णा बिष्ट यादव (Aparna Bisht Yadav) ने कहा कि अतीत कभी भी भविष्य के बराबर नहीं होता है। उन्होंने कहा, 'नेताजी के समय क्या हुआ, इस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहती। बीता समय कभी भी भविष्य की बराबरी नहीं कर सकता। हम वर्तमान और भविष्य हैं। मैंने अपनी इच्छा से दान दिया है। मैं अपने परिवार द्वारा लिए फैसलों की जिम्मेदारी नहीं ले सकती। मेरा मानना है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को रामभक्त होना चाहिए’।

'हमारे पूर्वजों ने राम जन्मभूमि की लड़ाई लड़ी'
अपर्णा (Aparna Bisht Yadav) ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने राम जन्मभूमि के लिए लड़ाई लड़ी। यह भी कहा कि भगवान राम हमारे देश का चरित्र निर्धारित करते हैं। हर भारतीय को जिम्मेदारी है कि वह खुद से आगे आकर जितना संभव हो, मंदिर के लिए उतना दान दे। बता दें कि अवध प्रांत के प्रचारक कौशल और कार्यवाह प्रशांत भाटिया शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के आवास पर पहुंचे थे। अपर्णा यादव ने प्रांत प्रचारक कौशल को राम मंदिर (Shriram Temple) निर्माण के लिए 11 लाख 11 हजार रुपये दान दिए।

इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राम मंदिर (Shriram Temple) के लिए चंदा जुटाने वालों को चंदाजीवी कहा था। अपर्णा बिष्ट यादव (Aparna Bisht Yadav) के श्रीराम मंदिर को दान दिए जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि अवसर ढूंढने वालों ने आपदा में मौका ढूंढ लिया है। बता दें कि अपर्णा बिष्ट यादव अखिलेश यादव के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी हैं। प्रतीक यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे हैं। मुलायम सिंह यादव ने यूपी का मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1990 में अयोध्या पहुंचे कारसेवकों पर गोली चलवाई थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। 

Peru: लड़की के लॉकडाउन नियम तोड़ने पर पुलिसवाले ने Kiss करके छोड़ा, Video वायरल होने के बाद पुलिसवाला सस्पेंड

पेरू की राजधानी लीमा में एक लड़की ने कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन किया, जिसके बाद पुलिसकर्मी ने जुर्माना लगाने के बजाय किस करके उसे छोड़ दिया। पुलिसकर्मी की यह हरकत पास लगे सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसे एक टीवी चैनल ने शेयर किया है।

वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी लड़की की जानकारी अपने नोटपेड पर लिखता नजर आता है, लेकिन इस बीच लड़की कथित तौर पर उसे जुर्माना लेने की बजाय किस करने के लिए मनाती दिखी।

डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, मामला सामने आने के बाद पुलिसकर्मी को बर्खास्त कर दिया गया है। पेरू की राजधानी लीमा के अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
मिराफ्लोरेस जिला के सुरक्षा प्रभारी ने बताया, 'मामला संज्ञान में आने के बाद हमारे मेयर लुइस मोलिना ने तुरंत उस अधिकारी को बर्खास्त करने का फैसला किया। वह अज्ञात लड़की सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड नियमों का उल्लंघन कर रही थी और पुलिसकर्मी ने उसे ऐसा करने की इजाजत दिया। इतना ही नहीं, उसने अपना मास्क उतारकर उसे किस भी किया।

Friday, February 19, 2021

मुगलों के छक्के छुड़ाने वाले वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के जयंती पर जाने उनके क्रांतिकारी विचार।

वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक थे। उन्होंने अपने पराक्रम, शौर्य और कुशल युद्ध नीति के बल पर मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उन्होंने 1674 में मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। आइए आज इस खास मौके पर जानते हैं शिवाजी महाराज के कुछ अनमोल विचार।

स्वतंत्रता वह वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है।
-छत्रपति शिवाजी महाराज

जब इरादे पक्के हों, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
-छत्रपति शिवाजी महाराज

शत्रु को कमजोर समझना या बहुत अधिक बलवान समझना दोनों ही स्थिति घातक है।
- छत्रपति शिवाजी महाराज

एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर,बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
-छत्रपति शिवाजी महाराज

नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है।
-छत्रपति शिवाजी महाराज

शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरो भी मत।
-छत्रपति शिवाजी महाराज

ऑटो रिक्‍शा ड्राइवर की बेटी Manya Singh ने ऐसे तय किया Miss India तक का सफर, ऐसा रहा संघर्ष की कहानी।

अमेरिकी Civil Rights Activist Malcom X ने कहा था, If you have no critics, you will likely have no success. अगर आपका कोई आलोचक नहीं हैं, तो आपकी सफलता की संभावना कम है। आलोचनाओं और तानों से घबराने की जगह अगर उन्हीं को ताकत बना लिया जाए तो सफलता का स्वाद भी दोगुना हो जाता है। इसलिए अगर आप आलोचनाओं से डर कर अब तक रुके हुए हैं, तो आज से ही अपने विचार बदल लीजिए। अपने आलोचकों को अपना शुभचिंतक समझिए और अपने लक्ष्य को हासिल करने की एक ईमानदार पहल करिए।

आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जिसकी हार को भी पूरा देश जीत मान रहा है। इनका नाम है, मान्या सिंह। वर्ष 2020 की मिस इंडिया रनर अप मान्या अपने माता-पिता के साथ मुंबई की एक छोटी सी कॉलोनी में रहती हैं। पिता ऑटो रिक्शा चलाते हैं और मां ब्‍यूटीशियन हैं। बहुत साधारण सी आमदनी वाले घर में मान्या ने बचपन से ही एक ऐसा सपना देखना शुरू कर दिया जो बहुत संपन्न लोगों की जागीर माना जाता है। पिता को भी अपनी बेटी के इस सपने से डर लगता था कि अगर उसका सपना टूट गया तो क्या होगा? इसलिए वो अपनी बेटी से कहते कि सपना छोड़ो और किताबों में मन लगाओ, पढ़ाई करो,नौकरी करो।

पर बेटी जब स्कूल के लिए निकलती तो किताबों के बैग में ऊंची हील वाली सैंडल्‍स लेकर जाती थी और घर के बाहर पार्क में कैटवॉक की प्रैक्टिस करती थीं। एक दिन उनके पिता ने बैग में रखे सैंडल्‍स देख लिए, उन्होंने मान्या से कहा कि ये तो देवी सरस्वती का अपमान है।तब मान्या ने अपने पिता से कहा था कि मैं अपने सपने का सम्मान करती हूं, किसी का अपमान नहीं। आप मुझे मत रोकिए मैं आपको पढ़ के भी दिखाऊंगी और अपनी मंजिल तक पहुंच कर भी।

इसके बाद माता-पिता ने अपनी बेटी की उम्मीदों के साथ जीना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे से मान्या मुंबई पहुंचीं। वहां उन्होंने पढ़ाई के साथ कई छोटी-मोटी नौकरी करके परिवार की आर्थिक मदद भी की। पर इन नौकरियों से उन्होंने वो तौर तरीके और भाषा भी सीखी जो मिस इंडिया बनने के लिए जरूरी था। 10 फरवरी 2021 को मान्या अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी के पास पहुंच गईं। मान्या को मिस इंडिया रनर अप का टाइटल मिला। वो मिस इंडिया तो नहीं बनी, लेकिन मिस इंडिया बनने के बहुत करीब पहुंच गईं. वैसे वो हमारे लिए मिस इंडिया ही हैं। मान्या सिंह मिस इंडिया रनर अप टाइटल पाने के बाद जब घर लौट रही थीं, तो उन्हें घर लाने के लिए पिता उसी ऑटो रिक्शा से पहुंचे जिसकी कमाई से मान्या को पाल-पोस कर बड़ा किया है।

मान्या की मां ब्यूटीशियन हैं। वो सजाना जानती हैं, बेटी की जिंदगी को हर मुश्किल के बावजूद सजाया। मान्या पहले उत्तर प्रदेश में रहीं फिर उन्हें मुंबई लाया गया। यहां उन्होंने पढ़ाई के साथ मिस इंडिया बनने की कोशिशें भी शुरू कीं। इसके लिए उन्होंने अपनी जिंदगी को ही ट्रेनिंग स्कूल बना लिया। ऐसी नौकरी की जिससे पर्सनैलिटी में सुधार हुआ और घर चलाने के लिए पैसे भी कमाए। मान्या ने जिद की और अपनी दुनिया बदल ली। अब वो उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो पैसों की कमी और कुछ दूसरी वजहों से ज्यादा बड़ा बनने की सोच भी नहीं पाते हैं।

मान्या सिंह की कहानी निराशा मिटाती है और प्रेरणा देती है। वो जब अपनी कामयाबी के उत्सव में तिरंगे को शामिल करती हैं तब पता चलता है कि ये देश कैसे यहां के लोगों की धड़कनों में शामिल है।

NASA का Perseverance Rover, मंगल की सतह पर उतरा भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने Mission में निभाई अहम भूमिका।

वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल (Mars) की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। करीब 7 महीने पहले इस रोवर ने धरती से टेकऑफ किया था। NASA ने ये कामयाबी भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन (Dr Swati Mohan) की अगुवाई में हासिल की हैै। पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशेगा। नासा के अनुसार, रोवर ने गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात मंगल की सबसे खतरनाक सतह जेजेरो क्रेटर पर लैंडिंग की, जहां कभी पानी हुआ करता था।

NASA ने किया ये दावा।
नासा ने दावा किया है कि यह अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग है। रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने के तुरंत बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पहली तस्वीर भी जारी कर दी है। छह पहिए वाला यह रोवर मंगल ग्रह की जानकारी जुटाएगा और चट्टानों के ऐसे नमूने साथ लेकर आएगा, जिनसे यह पता चल सकेगा कि क्या लाल ग्रह पर कभी जीवन था।

पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है। इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा गया। इसी तरह 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था। नासा के मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। NASA के अनुसार, पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है, जो परमाणु ऊर्जा से चलता है। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है।

आसान नही थी Landing।
पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। वैसे, Perseverance रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने की प्रक्रिया काफी मुश्किल रही। लैंडिंग से पहले रोवर को उस दौर से भी गुजरना पड़ा, जिसे टेरर ऑफ सेवन मिनट्स कहा जाता है। इस दौरान रोवर की गति 12 हजार मील प्रति घंटा थी और वह मंगल के वायुमंडल में प्रवेश कर चुका था। ऐसे समय में घर्षण से बढ़े तापमान के कारण रोवर को नुकसान पहुंचने की आशंका बेहद ज्यादा थी, लेकिन वह सफलतापूर्वक लैंड करने में कामयाब रहा।  

Dr Swati Mohan बचपन में ही आ गईं थीं US.
नासा की इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन ने इस कामयाबी पर खुशी जताते हुए कहा कि मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है। अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है।

स्वाति बचपन में ही अमेरिका आ गई थीं। उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया। उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स/एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की।

Thursday, February 18, 2021

समर्पण की आस्था का केंद्र श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए अंबेडकर महासभा ट्रस्ट ने दान की चाँदी की ईंट।

समर्पण की आस्था का केंद्र श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए अंबेडकर महासभा ट्रस्ट ने दान की चाँदी की ईंट अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए देश का हर हिस्सा आगे आ रहा है। देश के तमाम वर्ग और तमाम तरह के संगठन इस व्यापक अभियान में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। इसी कड़ी में अंबेडकर महासभा ट्रस्ट सामने आया है। ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा को चाँदी की ईंट प्रदान की है। 

अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने रविवार (14 फरवरी 2021) को चाँदी की शिला भेंट की। उन्होंने कहा, “हमने राम मंदिर ट्रस्ट को चाँदी की ईंट भेंट की है। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि प्रभु श्रीराम दलितों की आस्था का केंद्र हैं। आदिवासी समुदाय के लोग भगवान राम के साथ थे, जब वह 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। हमारी इच्छा है कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के लिए भव्य मंदिर का निर्माण हो।” डॉ. निर्मल के मुताबिक़ समाज के अन्य वर्गों की तरह दलित समाज भी अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर काफी उत्साहित है। जिस तरह न्यायपालिका, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, दलित समाज उसका आभारी है।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने अंबेडकर महासभा का आभार जताते हुए कहा कि देश की जनता इस अभियान के लिए खुले मन से दान कर रही है।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...