चंद्रमा जब सूर्य को पूरे रूप से आच्छादित कर लेता है तो उसे पुण सूर्य ग्रहण कहते हैं जैसे कि 1990 के सूर्य ग्रहण मैं देखा गया था। इसके अंतिम छोर लाल रंग में पर सारे ज्वाला अथवा विस्तृत कारोना तंतु देखे जा सकते हैं।
गोलेकर सूर्य ग्रहण तब दिखाई देता है जब चंद्रमा सूर्य को पुरी तरह एक साथ नहीं अच्छादित कर पाता। यह 20 मई 2012 के सूर्य ग्रहण में देखा गया था। आंशिक सूर्य ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा द्वारा सूर्य का कोई एक हिस्सा ढक लिया जाता है यह 23 अक्टूबर 2014 को देखा गया था।
पुण्य सूर्य ग्रहण
अक्सर चांद सूरज के सिर्फ कुछ हिस्से को ही डरता है या स्थिति खंड ग्रहण काल आती है कभी-कभी ही ऐसा होता है चांद सूरज को पूरी तरह ढक लेता है इसे पूरे ग्रहण कहते हैं पूरे ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखे जा सकते हैं ज्यादा से ज्यादा 250 किलोमीटर के संपर्क में क्षेत्र के बाहर केवल खंड ग्रहण दिखाई देता है पूरे ग्रहण के समय चांद को सूरज के सामने से गुजरने में 2 घंटे लगते हैं चांद सूरज को पूरी तरह से ज्यादा से ज्यादा 7 मिनट तक धडकता है इस कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है या यूं कहे कि दिन में रात हो जाती है।
1 वर्ष में पांच सूर्य ग्रहण और दो चंद्रग्रहण हो सकते हैं किंतु 1 वर्ष में दो सूर्य ग्रहण तो होने ही चाहिए हां यदि किसी वर्ष दो ही ग्रहण हुए तो वह दोनों ही सूर्यग्रहण होंगे यद्यपि वर्ष भर में सात ग्रहण तक संभव है तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कमी देखने को मिलते हैं प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष में एक 11 दिन बीत जाने पर पुनः होता है।
सूर्य्य्य ग्रहण का प्रभाव
ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण का प्रभाव हमारे धार्मिक स्थलों पर ना पड़े इसलिए धार्मिक स्थलों को ढक दिया गया है इनमें से मुख्य हिंदू धर्म के चारों धाम
बद्रीनाथ
द्वारका
जगन्नाथ पुरी
रामेश्वरम
हिंदू धर्म के सबसे पवित्र धाम चार धाम है जो सूर्य ग्रहण के कारण आज शाम से ही ढक दिया गया है जिससे इसका कुप्रभाव हमारे धार्मिक स्थलों और उसमें मौजूद श्रद्धालु और पुजारियों पर ना पड़े
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