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Monday, July 6, 2020

गलवान घाटी में भारत की हुई जीत चीन हुआ पीछे।

गलवान घाटी में भारत चीन के टकराव के बाद भारत चीन सीमा से आई एक अच्छी ख़बर। चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA अजीत डोभाल के बीच हुई, घंटे की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिया बातचीत के बाद चीन की सेना 3 जगहों से पीछे हटने को मजबूर हो गई है। जो अब चीनी सेना 3 जगहों पर लगे कैंप गोला बारूद और गाड़ियों को पीछे हटाने को मजबूर है। इस बात की चीन का विदेश मंत्रालय द्वारा जारी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीनजियान ने कहा है कि दोनों देशोंं के बीच हुई बातचीत में बनी सहमति को अमल में लाएंगे और सीमा पर पूर्व की भांति शांति कायम रहेगी। 
चीन के बयान के बाद चीन की सीमा पर तैनात टुकड़िया वापस लौटना शुरू कर दी है। अभी इसका भारती जवान के जांच के बाद पता चलेगा की चीन की सेना वापस गई है कि नहीं। चीन की सेना को वापस लौटना देखकर भारत की सेना को और भारत की जनता को खुश, होने की जरूरत नहीं है चीन अपने समान की तरह ही अपने बातों पर टिकता नहीं है। चीन घात लगाकर पीछे से वार करता आया है। जब तक यह तय ना हो जाए की चीन अपने निरधारित सीमा से पीछे नहीं हटा है तब तक भारत की सेना को चीन पे भरोसा नहीं करना चाहिए।
गौरतलब है कि लद्दाख सीमा पर हुई झड़प के बाद से ही डोभाल सक्रिय हैं और चीन की हर हरकत पर उनकी नजर भी है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो लद्दाख जाने का अचानक प्लान बना वह डोभाल की रणनीति का हिस्सा था। डोभाल के प्लान की वजह से ही किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी थी। दूसरी तरफ चीनी घुसपैठ की कोशिश के बाद जिस तरह भारत ने आक्रमक तरीके से उसका जवाब दिया उसे भी डोभाल की रणनीति बताया जाता है। चीन पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवन घाटी), पीपी -15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया से चीन पीछे हटना सुरु कर दिया है। 
चीन का पीछे हटना भारतीय जवान के मनोबल को काफी बढ़ा देता है इससे स्पष्ट होता है कि भारत 1962 का नहीं रहा अब नया भारत है जो आंख में आंख डालकर बात कर सकता है और लड़ता है।
भारत सरकार द्वारा लिया गया फैसला चीनी ऐप्स कॉल को बंद कर उसे आर्थिक रूप से कमजोर करना और उसको पीछे हटने पर मजबूर करना भी उनमें से एक हैं।
चीन के पीछे हटने के पीछे भारत का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति भी काफी कारगर हुई जिससे चीन पूरे देश में लज्जित हुआ और कोई भी देश उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया उसका नया दोस्त रूस भी उसका मदद नहीं कर सका वहीं भारत का अमेरिका जैसे देश का पूरा सहयोग मिला।
चीन के पीछे हटने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण वजह प्रधानमंत्री का अचानक लद्दाख दौरा जो सीधे चीन को सोचने पर  मजबूर किया की भारत अब 1962 जैसा नहीं रहा। अब कोई भी हरकत चीन के लिए अच्छा नहीं होगा। चीन मानसिक रूप से बीमार हो चुका है जो हमेशा विस्तार वाद का चाल चलता है जो अब संभव नहीं है। उसे पीछे हटना ही होगा।
चीन का पीछे हटना पूरे विश्व में भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत है। यह जीत उन तमाम लोगों के लिए भी है जो नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा को गलत बताने में अब तक लगे थे।


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