गणेश चतुर्थी यानि गणेश जी के जन्मदिवस से पूरे 10 दिन तक भक्त उत्सव मनाते हैं। चतुर्थी से शुरु होकर अनंत चतुर्दशी के दिन यानी आज गणेश जी का विसर्जन होने जा रहा है। 10 दिन के इस त्योहार में भक्तों को पता ही नहीं चलता कि 10 दिन कब गुजर गए। इस दौरान भक्त गणपति जी को अपने घर में स्थापित करते हैं और पूरे 10 दिन तक उनकी पूजा अर्चना और सेवा करते हैं। समय की कमी के कारण कुछ लोग 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन या 7 दिन में ही विसर्जन कर देते हैं जबकि गणपति विसर्जन का उपयुक्त समय स्थापना के 11वें दिन होता है।
गणपति जी की विदाई करते समय भक्त काफी भावुक नजर आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारे घर का कोई सदस्य विदा होकर जा रहा हो। गणपति जी की विदाई भी उसी प्रकार भक्तजन करते है। जैसे हम अपने घर के किसी सदस्य की विदाई करते हैं। कहते हैं कि जब गणेश जी को विदा किया जाता है तो उनके साथ कुछ खाने पीने का सामान दे देना चाहिए ताकि उन्हें रास्ते में किसी भी प्रकार कि परेशानी का सामना ना करना पड़े।
गणेश विसर्जन की विधि
रोज की तरह उनकी आरती करते हैं। विशेष प्रसाद का भोग लगाते हैं। गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करते हैं। एक स्वच्छ पाटा लेकर उसे गंगाजल से पवित्र कर फिर घर की स्त्री से उस पर स्वास्तिक बनाते हैं। उस पर अक्षत रखते हैं, एक पीला, लाल या गुलाबी सुसज्जित वस्त्र बिछाते हैं। उसपर फूल चढ़ाते हैं साथ में पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी भी रखते हैं। उसके बाद श्री गणेश भगवान को उनकी स्थापना वाले जगह से उठाकर इस पाटे पर विराजित करते हैं। इसके उपरांत उनके साथ फल, फूल वस्त्र दक्षिणा एवं 5 मोदक रखते हैं। तद पश्चात उन्हें किसी स्वक्ष तालाब में विसर्जित करते हैं।
लेकिन हर साल की तरह इस साल कोरोना महामारी के चलते गणपति जी का विसर्नजन नदी, तालाब या पोखर में नहीं कर पाएंगे। इस बार हमें घर पर ही करना होगा। विसर्जन से पूर्व पुनः आरती सम्पन्न करें। श्री गणेश से खुशी-खुशी विदाई की कामना करें और सबके लिए धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ मनचाहे आशीर्वाद मांगें। साथ ही साथ 10 दिनों में जाने -अनजाने में हुई गलती की क्षमा मांगें फिर गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करें।
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