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Tuesday, October 27, 2020

सड़क से सदन तक का सफर रामविलास पासवान है, मै आपसे टिकट मांगने आया हूं।

एक साधारण आदमी असाधारण बन जाता है। रामविलास पासवान ऐसे ही इतिहास मूर्ति थे। बिहार के खगड़िया जिले के फरकिया क्षेत्र के अलौली प्रखंड के छोटे से गांव में दलित परिवार में जन्म लेने वाले रामविलास पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1969 में अलौली क्षेत्र से विधायक बने और फिर राजनीति में लगातार विकास का सोपान चढ़ते रहे। उनके राजनीतिक गुरू और सर्वप्रथम सोशलिस्ट पार्टी से टिकट देकर जितवाने वाले पूर्व सांसद रामजीवन सिंह कहते हैं।


रामविलास पासवान में गजब की प्रतिभा निखरी। 89 वर्षीय श्री सिंह कहते हैं वर्ष 1969 में मैं मुंगेर जिला सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष था। जाड़े का मौसम था और नहाकर आया था। धूप में देह सुखाने के ख्याल से बैठा था और उस समय के पार्टी का अखबार जनता लेकर पढ़ रहा था। तभी देखा सड़क पर से एक कुर्तापाजामा पहने दुबला पतला लड़का पार्टी आफिस की तरफ आ रहा था। मैं अखबार पढ़ता रहा।
वह लड़का मेरे सामने पहुंचा और प्रणाम कर खड़ा हो गया। मैंने पूछा किधर आए हैं। तो वे कहने लगे – जी मेरा नाम रामविलास पासवान है और मैं अलौली क्षेत्र का निवासी हूं और आपसे सोशलिस्ट पार्टी का टिकट मांगने आया हूं। मैंने सामने की स्टूल बढ़ा दी और कहा -बैठिए। वह बैठ गया और कहा – सर आप चाहेंगे तो मुझे टिकट मिल जाएगा। मैंने कहा – आप चुनाव कैसे लडयिएगा। कहां सर ही न व्यवस्था कराएंगे। मैंने कहा -, कितने तक पढ़े लिखे हैं तो कहे कि बीए पास हूं। ठीक हे एक आवेदन टिकट के लिए लिखिए। वह सामने से हटकर आवेदन लिखने लगा।

उस समय अलौली से कांग्रेस के विधायक मिश्री सदा हुआ करते थे। वे आजादी के बाद से ही लगातार जीत रहे थे। वहां से सोशलिस्ट पार्टी से कोई लड़का हिम्मत कर टिकट मांगने आया था। मैंने मन में विचार किया ,इसकी मदद करनी चाहिए। तबतक वह आवेदन लिखकर दे आया था । हमने उसके आवेदन की गलतियों की फ्रूफ रीडिंग कर ठीक किया और कहा ठीक है मैं आज ही पटना जा रहा हूं और वहां से पार्टी सिंबल ले लूंगा। आप सोमवार को यहां से पार्टी सिंबल ले जाइएगा। मैं पटना गया और अपने पार्टी के नेता कर्पूरी ठाकुर और अन्य को आवेदन दिखा सारी बात की जानकारी दी। वे लोग मेरे सुझाव को मानकर टिकट फाइनल कर दिया। मैंने सिंबल ले लिया और नियत तिथि को पार्टी आफिस में पहुंचा। रामविलास जी पहले से पहुंचे थे । जब मैंने सिंबल दिया तो कहने लगे सर गरीब आदमी हूं , चुनाव खर्च की कुछ व्यवस्था हो जाती तो अच्छा होता। मैंने एक हजार रूपये दिए। वे सोशलिस्ट के टिकट पर चुनाव जीत गए। उस समय बेगूसराय जिले के गढ़पुरा ब्लाक के कुछ पंचायत अलौली विधानसभा क्षेत्र में ही थे। जो मेरे क्षेत्र के बगल में था। मैंने उस क्षेत्र में इनकी मदद की।

इसके बाद वे लगातार राजनीतिक सोपान चढ़ते गए। वर्ष 1972 का विधानसभा चुनाव में मिश्री सदा से हार गए। इसके बाद हुए छात्र आंदोलन में कूद पड़े। वर्ष 1977 में हाजीपुर से रेकर्ड मतों से जीते और जनता पार्टी के एमपी बन गए। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे। सांसद, विभिन्न विभागों के केन्द्रीय मंत्री और पार्टी के लगातार अध्यक्ष बनते रहे। राजनीति के मौसम वैज्ञानिक से लेकर अवसरवाद और परिवार के कुनबों को राजनीति में बढ़ाते देश के शीर्ष राजनीति में हावी रहे। केन्द्र की बदलती सरकारों के साथ सरोकार जोड़ने की रणनीति के ये सिद्धहस्त थे। ऐसे नेता के निधन से देश ने एक जमीनी नेता को खो दिया।

क्या आप जानते है, बॉलीवुड के इस 10 अंधविश्वासी कलाकार के बारे में।

आमिर खान अपनी फिल्म दिसंबर में रिलीज़ करते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान भी अंधविश्वास जैसी चीज़ों में विश्वास रखने से अछूते नहीं हैं। आमिर खान अपने हर फिल्म को साल के दिसंबर महीने को अपने लिए बहुत लकी मानते हैं। इसीलिए वो अपनी फिल्मों को दिसंबर में ही रिलीज़ करते हैं।

‘क’ से शुरू होती हैं करण जौहर की कई फिल्में।
करण जौहर की यह धारणा थी कि उनकी फिल्में तभी सफल होंगी जब वो ‘क’ अक्षर से हो। यही वजह है कि उनकी कई फिल्में ‘क’ से ही शुरू होती हैं। हालांकि करण का कहना है कि वो बचपन के अंधविश्वास थे और अब उन्होंने इन पर विश्वास करना छोड़ दिया है।

कोई भी काम शुरू करने से पहले ज्योतिष की राय लेती हैं, एकता कपूर।
छोटे पर्दे की क्वीन कहीं जाने वाली एकता कपूर अंधविश्वास में सबसे ज्यादा विश्वास करती हैं। बता दें कि एकता अपने हर काम को शुरू करने से पहले ज्योतिष की राय लेती हैं। एकता कपूर इतनी ज़्यादा अंधविश्वासी हैं कि शूटिंग की तारीख से लेकर शूटिंग की जगह तक के लिए वो ज्योतिष की सलाह लेती हैं। साथ ही एकता कपूर ढेर सारे रत्न, तावीज, धागे आदि भी पहनती हैं।

शाहरुख खान ने अपनी सभी गाड़ियों का नंबर 555 रखा है।
वैसे तो शाहरुख खान अक्सर कहते हैं कि वो अंधविश्वास पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन वो अंक ज्योतिष यानी न्यूमरोलॉजी पर इस कदर भरोसा करते हैं कि उन्होंने अपनी सभी गाड़ियों का नंबर 555 रखा है। इतना ही नहीं कोलकाता नाइट राइडर्स की हार से परेशान होकर उन्होंने ज्योतिषी के कहने पर अपनी टीम की जर्सी का रंग भी बैंगनी करवा दिया था।

अजमेर शरीफ दरगाह जाकर दुआ मांगती हैं कैटरीना कैफ।
खबरों के अनुसार, फिल्म ‘नमस्ते लंदन’ के प्रमोशन के दौरान कैटरीना अजमेर शरीफ की दरगाह गई थीं और उनकी फिल्म ने अच्छा बिज़नेस किया था। तब से लेकर अब तक कैटरीना अपनी हर फिल्म रिलीज़ होने से पहले अजमेर शरीफ दरगाह जाकर दुआ मांगती हैं।

हमेशा फिरोज़ा ब्रेसलेट पहनते हैं, सलमान खान।
बॉलीवुड के दबंग सलमान खान असल ज़िंदगी में बहुत अंधविश्वासी हैं। आपने भी सलमान खान की कलाई पर फिरोज़ा ब्रेसलेट देखा होगा। सलमान खान को ये ब्रेसलेट उनके पिता सलीम खान ने दिया है और सलमान इसे अपनी सलामती के लिए पहनते हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर जाती हैं दीपिका पादुकोण।
दीपिका पादुकोण भी अपनी फिल्मों की कामयाबी के लिए मंदिर जाती हैं। हालांकि मंदिर में भगवान के सामने नतमस्तक होना कोई अंधविश्वास नहीं है, लेकिन दीपिका पादुकोण अपनी फिल्मों की रिलीज़ से पहले मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में माथा टेकने ज़रूर जाती हैं, ताकि उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाएं।

क्रिकेट मैच लाइव नहीं देखते बिग बी अमिताभ बच्चन।
अमिताभ बच्चन का सुपरस्टीशन सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। बिग बी को क्रिकेट बहुत पसंद है, लेकिन वो कभी भी भारत का क्रिकेट मैच लाइव नहीं देखते। उनका मानना है कि अगर वो टीवी के सामने बैठ जाते हैं तो भारत के विकेट गिरने शुरू हो जाते हैं।

आईपीएल में दो घड़ियां पहनती हैं शिल्पा शेट्टी।
शिल्पा शेट्टी मानती हैं कि वो अपनी आईपीएल टीम ‘राजस्थान रॉयल्स’ के मैच के दौरान जब दो घड़ियां पहनती हैं, तो ऐसा करने से उनकी टीम को सफलता मिलती है। अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी अंधविश्वास में विश्वास करती हैं और इसके लिए वो अंगूठियां पहनना, मंदिर जाना आदि चीज़ें करती रहती हैं।

पैर में काला धागा बांधते हैं रणवीर सिंह।
रणवीर सिंह अपनी सलामती के लिए पैर में काला धागा बांधते हैं। दरअसल, कुछ समय पहले रणवीर सिंह फिल्म के सेट पर बीमार पड़ने लगे थे और उन्हें अक्सर चोटें भी लग जाती थीं। ऐसा ना हो इसके लिए रणवीर सिंह पैर में काला धागा बांधने लगे।

Tuesday, October 20, 2020

हनुमान जी के बारह नाम, जिसके लेने मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट।

ऐसे तो हनुमान जी के कई सारे नाम है जिसके लेने से भक्तो के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जिसमे से प्रमुख नाम निम्न है। जिसको भक्त अपने जुबानों से कभी हटाने नहीं देना चाहते हैं।
जय श्री राम, जय बजरंगबली
आज के दिन ये नाम जपने से सब मंगल ही मंगल होगा। जानिए मंगल को जन्मे मंगलकारी हनुमान के अद्भुत और चमत्कारी बारह नामों के बारे में जिनके जाप से आपके सारे कष्ट, रोग, पीड़ा और संकट खुद ब खुद नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सब मंगलमय होगा।
शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं हनुमान
अजर-अमर हैं हनुमान। अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और उनके सारे कष्‍ट संकटमोचन हर लेते हैं। वह महावीर भी हैं और हर युग में अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं। माना जाता है कि हनुमान एक ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन हैं।

हर लेते हैं सारे संकट
हनुमान चालीसा में लिखा हुआ है कि संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमरे हनुमत बलवीरा। जी हां यह अटल सत्य है। भूत पिसाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे। जी हां यह भी अटल सत्य है, जैसे- राम नाम की महिमा अपरम्‍पार मानी जाती है। ठीक वैसे ही श्री हनुमान के नाम की महिमा भी अनंत फलदायी मानी गई है। अगर आप अपनी परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं तो जानिए कैसे करें महाबली को प्रसन्न।
जैसा कि रामचरित मानस में लिखा हुआ है कि कलयुग केवल नाम अधरा सुमरि-सुमरि नर उतरहीं पारा और यह भी माना जाता है कि कलयुग में हनुमान ही सबसे प्रभावशाली देवता हैं। उनका नाम सुमरने से ही आप सारे काम बन जाएंगे।

प्रभु श्री राम के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा से ही हनुमान जी को अष्टसिद्धियों और नवनिधियों का वरदान मिला है। ये वही अष्टसिद्धियां और नव निधियां हैं जो कलयुग में हनुमान उपासकों के कल्याण का काम करती हैं. कलयुग में राम भक्त हनुमान के द्वादश यानि बारह नामों का स्मरण किया जाये तो सारी तकलीफें, समस्याएं, व्याधियों को हर लेते हैं हनुमान। तो आइए जानें हनुमान जी के नामों की महिमा के बारे में।
1. हनुमान
2. अंजनीसुत
3. वायुपुत्र
4. महाबल
5. रामेष्ट
6. फाल्गुनसखा
7. पिंगाक्ष
8. अमितविक्रम
9. उदधिक्रमण
10. सीताशोकविनाशन
11. लक्षमणप्राणदाता और
12. दशग्रीवदर्पहा
महाबली बजरंग के इन नामों का उच्चारण करने से आपकी कई वर्षों से चली आ रही परेशानियां पल भर में दूर हो जाएंगी।

Saturday, October 17, 2020

फ्रांस के पेरिस (Paris) में एक टीचर जो पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बच्चों को दिखाया था उसकी सिर काट कर निर्मम हत्या कर दी गई।

फ्रांस के पेरिस (Paris) में एक टीचर जो पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बच्चों को दिखाया था उसकी सिर काट कर निर्मम हत्या कर दी गई। सिर काटने वाला शख्स एनकाउंटर में मारा गया है। 18 साल के शख्स ने शुक्रवार को पैगंबर मोहम्मद (Prophet Mohammed) का कार्टून बच्चों को दिखाने वाले टीचर को पहले अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए और फिर टीचर का गला रेत दिया।

आतंकी हमले की आशंका
फ्रांस में टीचर की निर्मम हत्या को लेकर आतंकी हमले की आशंका जताई जा रही है। फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मैन्युअल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने इसे 'आतंकवादी हमला' बताया है। उन्होंने कहा कि आतंकी ने देश के गणतंत्र के खिलाफ हमला किया है। ये लोग फ्रांस को विभाजित नहीं कर पाएंगे। आज राष्ट्रपति इमेनुएल मेक्रो खुद मृत शिक्षक के घर जाने वाले हैं।
पुलिस ने की थी गिरफ्तार करने की कोशिश
पुलिस (France Police) ने हमलावर की पहचान उजागर नहीं की है, लेकिन इतना बताया है कि वह 18 वर्षीय संदिग्ध इस्लामिक आतंकवादी था और मॉस्को में पैदा हुआ था। पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह सरेंडर करने के बजाय पुलिस को ही डराने की कोशिश करने लगा। इसके बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली से उसकी मौत हो गई।
अभिव्यक्ति का पाठ पढ़ाते हुए दिखाया था कार्टून
पेरिस के एक स्कूल के टीचर सैमुअल ने बच्चों को अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में पढ़ाते हुए पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था, जिससे हमलावर बेहद नाराज था। वह चाकू लेकर पहुंचा और अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए टीचर का गला काट दिया।
पिछले महीने चार्ली हेब्दो के ऑफिस के बाहर हमला
पिछले महीने चार्ली हेब्‍दो (Charlie Hebdo) के पुराने ऑफिस के पास एक पाकिस्तानी व्यक्ति ने चाकू से हमला किया था, जिसमें चार लोग घायल हो गए थे। पेरिस में इन दिनों 7 जनवरी 2015 को चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर हुए बर्बर आतंकी हमले को लेकर सुनवाई जारी है और इन दो हमलों के बाद सनसनी फैल गई है। बता दें कि साल 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने के बाद आतंकी हमला हुआ था।

मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया!

नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे  से कहता है मित्र  "क्या तुम मुझे नदी पार करा ...