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Saturday, November 14, 2020

सिर्फ सोना-चांदी खरीदने का नहीं आरोग्य और चरित्र अपनाने का उत्सव है, धनतेरस।

संस्कृत भाषा में एक सूक्ति है, शरीर माद्यं खलु धर्म साधनम्. यानी कि शरीर ही सभी प्रकार के धर्म करने का माध्यम है. इसी बात को और अधिक विस्तार तरीके से समझाते हुए एक श्लोक में कहा गया है कि यदि धन चला गया तो समझिए कि कुछ नहीं गया, यदि स्वास्थ्य चला गया तो समझिए कि आधा धन चला गया, लेकिन अगर धर्म और चरित्र चला गया तो समझिए सबकुछ चला गया।

यानी कि भारतीय मनीषा सृष्टि के निर्माण के साथ ही मनुष्य जीवन के लिए उन्नत तरीकों और विचारों को बहुत पहले ही स्थापित कर चुकी थी. समय-समय पर इन्हीं विचारों को याद दिलाने और समाज में इनकी स्थापना बनाए रखने के लिए त्योहारों-पर्वों की परंपरा विकसित की गई. इन्हीं परंपराओं का सबसे बड़ा केंद्र है, दीपावली प्रकाश का पर्व।

क्या है धनतेरस
यह पर्व सिर्फ बाहरी उजाले का पर्व नहीं, बल्कि आतंरिक प्रकाश को जगाने का पर्व है. इसकी शुरुआत हो जाती है, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से, जिसे कि धनत्रयोदशी और धनतेरस भी कहते हैं. आयुर्वेद और अमरता के वरदायी देव भगवान धन्वन्तरि इस उत्सव के अधिष्ठाता देव हैं. उनके नाम की शुरुआत में धन शब्द होने से यह पर्व केवल धन को समर्पित रह गया है।
भारतीय समाज विडंबनाओं में जी रहा है
पिछले कुछ 20 सालों में भारतीय समाज की विडंबना रही है कि हम तेजी से बाजार की जकड़ में आए हैं. ऐसे में धनतेरस के शुभलक्षणों का पर्व केवल धन-संपत्ति को समर्पित पर्व रह गया है।
इसके साथ ही विभिन्न आभूषण निर्माता कंपनियां लुभावने विज्ञापनों के जरिए यह दिखाने की कोशिश करती हैं कि धनतेरस का अर्थ केवल उनके ब्रांड का आभूषण उत्पाद खरीदना है. जबकि धनतेरस का महत्व इससे कहीं अधिक का है।
सागर मंथन से निकले भगवान धन्वन्तरि
दरअसल, पौराणिक आधार पर मानें तो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर निकले भगवान धन्वन्तरि ने अमरता की विद्या से आयुर्वेद को पुनर्जीवन प्रदान किया और देवताओं के वैद्य कहलाए. भगवान विष्णु का अवतार माने जाने की वजह से उनकी गणना अवतारी व्यक्तित्वों में भी होती है।
उन्होंने आरोग्य के महत्व को परिभाषित किया और इस तरह की जीवन शैली का निर्माण किया जिससे जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य निरोगी काया के साथ रह सकता है. यही आरोग्य का धन सबसे बड़ा धन है।
आरोग्य का लीजिए लाभ
कार्तिक त्रयोदशी के दिन समुद्र से उत्पन्न होने के कारण इसी दिन धनतेरस का उत्सव मनाया जाता है. इस उत्सव का पहला उद्देश्य़ आरोग्य लाभ ही है. धन्वन्तरि विद्या के अनुसार ऋतु के अनुसार भोजन, शाक, रस आदि ग्रहण करना चाहिए. व्यायाम करना चाहिए और सबसे जरूरी बात समय पर सोना और जागना, यही सबसे बड़ा धन है।

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