कानपुर के छोटे से गांव से निकल कर देश के नंबर वन शो के एंकर बनने तक विकास शर्मा की जिंदगी एक लड़के के बहुत कम समय में अपनी कठिन मेहनत से आम से खास बनने की कहानी है। दो साल पहले विकास ने रिपब्लिक के साथ अपने नए सफर का आगाज़ किया था, नंबर वन बनने की मंजिल की तलाश में निकले विकास के लिए चुनौतियां बहुत थीं, लेकिन जो चुनौतियों से हार जाए वो विकास शर्मा नहीं थे, अपनी लगन और अथक परिश्रम से बहुत कम समय में 9 बजे बड़े बड़े दिग्गदजों की भीड़ में विकास ने ना सिर्फ अपना मुकाम बनाया बल्कि खास अंदाज़ से लोगों का दिल भी जीत लिया।
लोग विकास की एंकरिंग और रपोर्टिंग के कायल हो चुके थे। वहीं विकास शर्मा के निधन पर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी ने दुख जताया। अर्नब ने कहा कि, 'विकास के तेवर, विकास का तरीका अलग था, अंदाज़ औरों से जुदा था और उनके इसी अंदाज़ में आम लोगों को खुद की कहानी अपने सवाल, अपनी परछाई, अपना गुस्सा, अपनी बात नजर आने लगी, अपने भारत की बात सुनाई देने लगी।
विकास ने हर चुनौती को मुस्कुरा कर अपनाया, बात चाहे बिहार में बेहाल अस्पतालों की हो य़ा फिर सुशांत के लिए इंसाफ की मुहिम हो, विकास डटे रहे, लड़ते रहे, यहां तक की कोरोना से भी जंग जीत कर दफ्तर लौटे और एक बार फिर बाबुलंद भारत की बात शुरु की।' कहते हैं भगवान की मर्जी के आगे किसी का जोर नहीं चलता। विकास की जिंदगी लंबी ना सही लेकिन बड़ी जरुर थी जो आने वाले समय में युवाओं को प्रेरित करती रहेगी। विकास आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो आपकी और हमारी यादों और दिलों में ज़िंदा हैं और हमेशा रहेंगे।
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