खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के विरोध को दरकिनार करते हुए लालू प्रसाद को जमानत दे दी। लालू देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की राशि के गबन के आरोप में यहां सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत द्वारा 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में थे।
सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत में जमानत बॉन्ड, निजी मुचलके की प्रक्रिया पूरी कर लेने पर उनके रिहा हो जाने की संभावना है क्योंकि चारा घोटाले के अन्य तीन मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। लालू के स्थानीय अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कहा कि लालू की रिहाई के लिए सभी जरूरी कार्रवाई सोमवार को सीबीआई अदालत खुलने पर पूरी कर लिए जाने की संभावना है।
अदालत में शनिवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से केन्द्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव सिन्हा ने लालू प्रसाद को फिलहाल जमानत देने का यह कह कर विरोध किया कि दुमका कोषागार मामले में उन्हें 14 वर्ष की जेल की सजा सुनाई है लिहाजा जमानत के लिए आधी सजा पूरी करने का आधार तभी माना जाएगा जब लालू इस मामले में न्यायिक हिरासत में सात वर्ष की अवधि पूरी कर लेंगे।
लालू की ओर से दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआई की दलील का विरोध किया और कहा कि 19 फरवरी को हाई कोर्ट ने खुद माना था कि लालू को जमानत देने के लिए सिर्फ एक माह, 17 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि और पूरी करनी है। सिब्बल ने कहा कि लालू ने दुमका मामले में तय सात वर्ष की कैद की सजा की आधी अवधि 6 अप्रैल को ही पूरी कर ली है।
पीठ ने यह भी कहा कि 19 फरवरी के आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी है लिहाजा अब तक की परंपरा के मुताबिक, चारा घोटाले के किसी मामले में सजा की आधी अवधि न्यायिक हिरासत में पूरी कर लेने के चलते लालू को दुमका कोषागार से गबन के मामले में जमानत दी जाती है। न्यायालय ने आदेश में लालू की 73 वर्ष की उम्र और उनकी बीमारियों का भी जिक्र किया है।
लालू को निचली अदालत में अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा और जमानत की अवधि में वह बिना अनुमति के विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगे। लालू इस दौरान न तो अपना पता बदल सकेंगे और न ही मोबाइल फोन नंबर बदल सकेंगे। लालू को चाईबासा के दो मामलों में और देवघर कोषागार से गबन के मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है लिहाजा इस मामले में जमानत मिलने के बाद वह न्यायिक हिरासत से छूट सकेंगे।
इससे पूर्व 19 फरवरी को दुमका मामले में ही सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने लालू की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उन्होंने इस मामले में उन्हें मिली सजा की आधी अवधि अभी पूरी नहीं की थी। इससे पूर्व निमोनिया की शिकायत पर बेहतर इलाज के लिए उन्हें 23 जनवरी को रांची स्थित राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) से एयर एंबुलेंस से एम्स ले जाया गया था।
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